ORDER | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने अनुरोध किया है कि विपक्षी सं0-1 की शाखा में उसके द्वारा जमा किऐ गऐ चैक सं0- 725403 की धनराशि 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित विपक्षीगण से दिलाई जाऐ। क्षतिपूर्ति की मद में 50,000/- रूपया और परिवाद व्यय की मद में 25,000/- रूपया परिवादी ने अतिरिक्त मांगे हैं।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि विपक्षी सं0-1 की शाखा में परिवादी एक खाता सं0- 4429000100069472 है। दिनांक 06/8/2011 को उसने एक्सिस बैंक लिमिटेड, मुरादाबाद का 1,28,700/- रूपये का एक एकाउन्टपेई चैक सं0-725403 अपने खाते में जमा करने के लिए विपक्षी सं0-1 की शाखा में जमा किया। दिनांक 09/8/2011 को परिवादी ने विपक्षी सं0-2 से सम्पर्क कर अपने खाते में चैक जमा हो जाने की जानकारी की तो परिवादी को बताया गया कि अभी चैक जमा नहीं हुआ है एक सप्ताह में परिवादी पुन: मालूम कर लें। परिवादी ने दिनांक 16/8/2011 को पुन: विपक्षी सं0-2 से जानकारी की, किन्तु तब तक भी चैक की राशि परिवादी के खाते में जमा नहीं हुई थी। दिनांक 20/8/2011 को परिवादी ने विपक्षी सं0-2 को चैक का भुगतान कराने हेतु प्रार्थना पत्र दिया। इसके बाबजूद परिवादी के खाते में चैक की धनराशि जमा नहीं हुई। तब मजबूर होकर परिवादी ने पंजाब नेशनल बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय में दिनांक 07/9/2011 को एक प्रार्थना पत्र दिया। परिवादी के अनुसार लगातार पूछताछ करने एवं प्रार्थना पत्र दिऐ जाने के बावजूद परिवादी के खाते में चैक की धनराशि विपक्षीगण ने जमा नहीं की। विपक्षीगण का यह कृत्य सेवा में कमी है। परिवादी ने यह कहते हुए कि फोरम के समक्ष परिवाद प्रस्तुत करने के अतिरिक्त उसके पास कोई विकल्प नहीं है, परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथ पत्र 3/6 लगायत 3/9 दाखिल किया। शपथ पत्र के साथ अपने बैंक खाते की पासबुक, परिवाद में उल्लिखित चैक विपक्षी सं0-1 की शाखा में जमा किऐ गऐ जाने की काउन्टर फाइल, चैक, विपक्षी सं0-2 को दिऐ गऐ प्रार्थना पत्र दिनांकित 20/8/2011, क्षेत्रीय कार्यालय में दिऐ गऐ शिकायती पत्र दिनांकित 07/9/2011 की फोटो प्रतियों को परिवादी ने दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/11 लगायत 3/15 हैं।
- विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-8/1 लगायत 8/7 दाखिल हुआ। प्रतिवाद पत्र में यह तो स्वीकार किया गया है कि परिवाद के पैरा सं0-1 में उल्लिखित परिवादी का खाता विपक्षी सं0-1 की शाखा में है और दिनांक 05/8/2011 को परिवादी ने परिवाद के पैरा सं0-3 में उल्लिखित एकाउन्ट पेई चैक अपने खाते में जमा किऐ जाने हेतु विपक्षी सं0-1 की शाखा में जमा किया था किन्तु शेष कथनों से उत्तरदाता विपक्षी सं0-1 व 2 ने इन्कार किया। विपक्षी सं0-1 व 2 के अनुसार परिवादी द्वारा जमा किया गया चैक दिनांक 06/8/2011 को कोरियर सर्विस की सहायता से पंजाब नेशनल बैंक के रीजनल कलेक्शन सेन्टर पर भिजवाया गया था किन्तु उक्त चैक उत्तरदाता विपक्षीगण की शाखा से रीजनल कलेक्शन सेन्टर भेजे जाते समय बीच में ही मधुर कोरियर सर्विस के एजेन्ट/ मैनेजर जितेन्द्र सिंह पुत्र श्री मुंशी सिंह निवासी 35 न्यू क्लाथ मार्केट, मुरादाबाद द्वारा दुर्भावनापूर्ण एवं बदनियति से चोरी कर लिया गया और चैक का भुगतान प्राप्त करने के उद्देश्य से उसने परिवादी से सांठगांठ करके कैनरा बैंक, किडडर पौरे, कलकत्ता में एक नया खाता परिवादी के नाम से खुलवाकर प्रश्नगत चैक का भुगतान प्राप्त कर लिया। इस मामले की एफ0आई0आर0 थाना मझोला जिला मुरादाबाद में मधुर कोरियर सर्विस के एजेन्ट/ मैनेजर जितेन्द्र सिंह के विरूद्ध दिनांक 23/11/2011 को दर्ज करा दी गई जिसमें जॉंच विचाराधीन है। उत्तरदाता विपक्षीगण के अनुसार चैक को कोरियर सर्विस के एजेन्ट/ मैनेजर द्वारा इस प्रकार चोरी कर लिया जाना एक अपरिहार्य घटना/ दुर्घटना थी जो उत्तरदाता विपक्षीगण के नियंत्रण से बाहर थी। इस प्रकार उत्तरदाता विपक्षीगण ने परिवादी को सेवा प्रदान करने में कोई कमी नहीं की। उत्तरदाता विपक्षीगण सं0-1 व 2 की ओर से अग्रेत्तर यह भी कहा गया कि कैनरा बैंक की किडडर पौरे शाखा द्वारा प्रश्नगत चैक का भुगतान करने में अवैध प्रक्रिया अपनाई और भुगतान में एन0आई0 एक्ट के प्राविधानों का भी उल्लंघन किया गया। अत: कैनरा बैंक की किडडर पौरे शाखा प्रश्नगत चैक की धनराशि उत्तरदाता विपक्षीगण को वापिस करने के लिए बाध्य है। उपरोक्त कथनों के आधार पर और यह कहते हुऐ कि उत्तरदाता विपक्षीगण की ओर से प्रश्नगत चैक की धनराशि परिवादी के खाते में वापिस दिलाऐ जाने के प्रयास किऐ जा रहे हैं, परिवादको खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
- मा0 राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 द्वारा निगरानी सं0-20/2013 में पारित आदेश दिनांकित 16/10/2014 के अनुपालन में विपक्षी सं0-3 एवं विपक्षी सं0-4 को परिवाद में पक्षकार बनाया गया। फोरम के आदेश दिनांक 22/5/2015 के अवलोकन से प्रकट है कि विपक्षी सं0-3 एवं विपक्षी सं0-4 पर नोटिस की तामील हो चुकी है, किन्तु विपक्षी सं0-3 व 4 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुऐ उनकी ओर से प्रतिवाद पत्र भी दाखिल नहीं हुआ। अत: फोरम के आदेश दिनांक 09/6/2015 द्वारा विपक्षी सं0-3 व 4 के विरूद्ध परिवाद की सुनवाई एकपक्षीय की गई।
- परिवादी ने अपना रिज्वांइडर शपथ पत्र कागज सं0-9/1 लगायत 9/4 दाखिल किया। परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0- 11/1 लगायत 11/6 किया।
- विपक्षीगण सं0-1 व 2 की ओर से पंजाब नेशनल बैंक , कृषि उत्पादन मण्डी समिति, मझोला के वरिष्ठ प्रबन्धक श्री अजय वीर सिंह ने साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0- 10/1 लगायत 10/4 दाखिल किया। विपक्षी सं0- 3 व 4 के पक्षकार बनने के उपरान्त विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से पंजाब नेशनल बैंक के वरिष्ठ प्रबन्धक श्री सतीश चन्द्र ने अतिरिक्त साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0- 32/1 लगायत 32/3 भी दाखिल किया। विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से सूची कागज सं0-13/2 द्वारा मधुर कोरियर सर्विस के एजेन्ट/ मैनेजर जितेन्द्र सिंह के विरूद्ध धारा-406/408 के अधीन दर्ज कराई गई एफ0आई0आर0, विपक्षी सं0-1 के वरिष्ठ प्रबन्धक द्वारा कैनरा बैंक की किडडर पौरे शाखा के वरिष्ठ प्रबन्ध्क को भेजे गऐ पत्र दिनांकित 18/11/2011, पत्र दिनांकित 29/10/2011, विपक्षी सं0-1 के वरिष्ठ प्रबन्धक द्वारा एक्सिस बैंक, पटना के शाखा प्रमुख को भेजे गऐ पत्र दिनांक 24/10/2011, 05/09/2011, परिवादी के चैक, चैक की राशि कैनरा बैंक की किडडर पौरे शाखा द्वारा भुगतान किऐ जाने की रसीद, एक्सिस बैंक, मुख्य शाखा पटना द्वारा साउथ गांधी मैदान, पटना को भेजे गऐ पत्र दिनांकित 08/11/2011, पंजाब नेशनल बैंक के डिप्टी जनरल मैनेजर को भेजे गऐ पत्र दिनांक 03/2/2012 तथा कैनरा बैंक कलकत्ता के सर्किल आफिस को भेजे गऐ पत्र दिनांक 06/2/2012 की स्वप्रमाणित प्रतियों को दाखिल किया गया है।
- परिवादी तथा विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से लिखित बहस दाखिल की गई।
- हमने परिवादी तथा विपक्षी सं0-1 व 2 के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी सं0-3 व 4 की ओर से बहस हेतु कोई उपस्थित नहीं हुऐ।
- पक्षकारों के मध्य इस बिन्दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादी ने एक्सिस बैंक लिमिटेड, मुरादाबाद का 1,28,700/- रूपये का एक एकाउन्टपेई चैक सं0-725403 विपक्षी सं0-1 की शाखा में अपने खाते में क्रेडिट करने के लिए जमा किया था। विपक्षी सं0-1 को यह स्वीकार है कि परिवादी का उक्त चैक विपक्षी सं0-1 ने पंजाब नेशनल बैंक के रीजनल कलैक्शन सेन्टर से कलैक्शन हेतु कोरियर सर्विस के माध्यम से दिनांक 06/8/2011 को भिजवाया था। विपक्षी सं0-1 के अनुसार उक्त चैक रीजनल कलैक्शन सेन्टर पर नहीं पहुँचा और कोरियर सर्विस के एजेन्ट/ मैनेजर जितेन्द्र सिंह पुत्र श्री मुंशी सिंह निवासी 34 न्यू क्लाथ मार्केट, मुरादाबाद ने उसे बीच रास्ते में ही चोरी कर लिया विपक्षी सं0-1 को यह भी स्वीकार है कि चोरी गऐ उक्त चैक की धनराशि का भुगतान दिनांक 18/8/2011 को कैनरा बैंक की किडडर पौरे, कोलकाता स्थित शाखा से हो गया है। स्वीकृत रूप से परिवादी के खाते में अभी तक उक्त चैक की धनराशि क्रेडिट नहीं हुई है।
- विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता ने पत्रावली में अवस्थित पत्राचार का हवाला देते हुऐ तर्क दिया कि चैक कोरियर सर्विस के एजेन्ट/ मैनेजर द्वारा चोरी कर लिया जाना एक अपरिहार्य घटना थी जिसमें विपक्षी सं0-1 का कोई दोष नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि चैक चोरी हो जाने और कैनरा बैंक की किडडर पौरे शाखा से भुगतान हो जाने की उक्त घटना चॅूंकि Force majure है ऐसी दशा में विपक्षी सं0-1 परिवादी को चैक की धनराशि वापिस करने के लिए तब तक उत्तरदायी नहीं है जब तक कि चैक की राशि बैंक को प्राप्त न हो जाये। अपने तर्क के समर्थन में विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपनी लिखित बहस के पृष्ठ-33/13 एवं 33/14 पर दृष्टव्य दिशा निर्देशों को इंगित किया है।
- परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने विपक्षीगण के इन तर्कों का विरोध किया कि चैक कोरियर सर्विस के एजेन्ट/ मैनेजर द्वारा चोरी कर लिया जाना और चैक का कैनरा बैंक की किडडर पौरे शाखा से भुगतान हो जाना ऐसी घटना थी जो Force majure की श्रेणी में आती हो। परिवादी पक्ष का कथन है कि उक्त घटना Force majure नहीं बल्कि जानबूझकर किऐ गऐ मानवीय आपराधिक कृत्यों का परिणाम थी जिसके लिए विपक्षीगण पूर्ण रूप से उत्तरदायी हैं क्योंकि पंजाब नेशनल बैंक का रीजनल कलैक्शन सेन्टर और मधुर कोरियर सर्विस का एजेन्ट/ मैनेजर जितेन्द्र सिंह विपक्षी सं0-1 के क्रमश: एजेन्ट एवं सब एजेन्ट के रूप में कार्य कर रहे थे और उनके कृत्यों के लिए विधानत: विपक्षी सं0-1 जिम्मेदार है। हम परिवादी की ओर से प्रस्तुत तर्कों से सहमत हैं।
- Force majure का तात्पर्य दैवीय/ प्राकृतिक आपदा से है। चैक चोरी हो जाने की घटना और चैक का भुगतान कैनरा बैंक की किडडर पौरे शाखा से हो जाना किसी भी दृष्टि से दैवीय अथवा प्राकृतिक आपदा नहीं कहा जा सकता। यह घटनाऐं विशुद्ध रूप से जानबूझकर किऐ गऐ मानवीय आपराधिक कृत्य हैं। हमारे इस मत की पुष्टि पंजाब नेशनल बैंक के रीजनल कलैक्शन सेन्टर के वरिष्ठ प्रबन्धक द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-156 (3) के अधीन कोरियर सर्विस के एजेन्ट/ मैनेजर जितेन्द्र सिंह के विरूद्ध धारा- 406/ 408 0आई0पी0सी0 के अधीन दर्ज कराई गयी प्रथम सूचना रिपोर्ट जिसकी फोटो प्रति पत्रावली का कागज सं0- 13/3 है, से होती है।
- विपक्षी सं0-1 की ओर से अपनी लिखित बहस के साथ दाखिल आर0बी0आई0 के निर्देशों कागज सं0-33/13 तथा 33/14 में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है कि बैंक के स्तर से चैक खो जाने की दशा में खाताधारक के खाते में चैक की धनराशि क्रेडिट करने के उत्तरदायित्व से विपक्षी सं0-1 बच जाऐगा।इन निर्देशों में मात्र यह उल्लेख है कि किस दशा में किस प्रकार और किस दर से चैक राशि पर बैंक खाताधारक को ब्याज अदा करेगा।
- विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि कैनरा बैंक की किडडर पौरे शाखा द्वारा चैक राशि का भुगतान करने में निगोशियेबिल इन्सट्रूमेन्ट एक्ट की धारा 126,127 एवं 128 के प्राविधानों का उल्लंघन किया गया अत: कैनरा बैंक एवं एक्सिस बैंक को परिवादी के चैक की राशि वापिस करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिये। हम विपक्षी सं0-1 की ओर से दिऐ गऐ उक्त तर्क से भी सहमत नहीं हैं। पत्रावली पर ऐसा कोई साक्ष्य संकेत नहीं है जिससे आभास हो कि परिवादी ने कोलकाता की किडडर पौरे स्थित कैनरा बैंक की शाखा में जाकर अपना दूसरा खाता खुलवाया और चैक की राशि का भुगतान प्राप्त कर लिया ऐसी दशा में यदि किसी स्तर पर चैक के भुगतान में विपक्षी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता द्वारा इंगित प्राविधानों का उल्लंघन हुआ है तो उसके लिए परिवादी को दोषारोपित करना अथवा उसका भुगतान रोका जाना कदाचित न्यायोचित नहीं कहा जा सकता।
- उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवादी को उसके चैक की धनराशि परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित एक निर्धारित समयावधि में विपक्षी सं0-1 से दिलाया जाना न्यायोचित होगा। मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के दृष्टिगत परिवादी को विपक्षी सं0-1 से क्षतिपूर्ति की मद में 10,000/- (दस हजार रूपया्) एकमुश्त अतिरिक्त दिलाया जाना भी हम उपयुक्त एवं न्यायोचित समझते हैं। परिवादी विपक्षी सं0-1 से परिवाद व्यय की मद में 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) भी पाने की अध्किारी होगी। परिवाद तदानुसार स्वीकार होने योग्य है।
परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 1,28,700/- ( एक लाख अठाइस हजार सात सौ रूपये) की धनराशि की वसूली हेतु यह परिवाद विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0-1 से परिवादी क्षतिपूर्ति की मद में एकमुश्त 10,000/- (दस हजार रूपये) और परिवाद व्यय की मद में 2500/- (दो हजार पांस सौ रूपये) अतिरिक्त पाने की अधिकारी होगा। इस आदेशानुसार समस्त धनराशि का भुगतान दो माह में किया जाये। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद 05.11.2015 05.11.2015 05.11.2015 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 05.11.2015 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
05.11.2015 05.11.2;15 05.11.2015 | |