राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-507/2019
शिव कुमारी देवी पत्नी ओम प्रकाश शुक्ल, निवासी ग्राम व पोस्ट मुआर अधारगंज, पर0 पट्टी तहसील रानीगंज, जनपद प्रतापगढ़।
........... अपीलार्थी/परिवादिनी
बनाम
पंजाब नेशलन बैंक शाखा दुर्गागंज प्रतापगढ़ द्वारा प्रबन्धक पंजाब नेशनल बैंक शाखा दुर्गागंज, तहसील रानीगंज, जनपद प्रतापगढ़।
…….. प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :- 28.3.2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/ परिवादिनी शिव कुमारी देवी द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रतापगढ़ द्वारा परिवाद सं0-152/2016 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.4.2018 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षी पंजाब नेशनल बैंक में किसान क्रेडिट कार्ड बनवाया गया जिसका दिनांक 11.5.2007 को नवीनीकरण किया गया, जिसमें ऋण की सीमा 30,000.00 रू0 थी। प्रत्यर्थी/परिवादिनी के उक्त खाते में पहली बार 15,000.00 रू0 एवं दूसरी बार 14,000.00 रू0 कुल 29,000.00 रू0 ऋण के रूप में निकाले गये, जिसके विरूद्ध प्रत्यर्थी/परिवादिनी से 08 किस्तों में कुल 40,460.88 रू0 नियम विरूद्ध जमा करा लिए गये। प्रत्यर्थी/विपक्षी बैंक द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादिनी के संयुक्त खाता संख्या-
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015046 से एक बार 14,000.00 रू0 तथा दूसरी बार 1,460.38 रू0 काटकर ऋण खाते में जमा किये गये, जो कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी की बिना सहमति व सूचना के किया गया जिसकी जानकारी दिसम्बर, 2013 में प्रत्यर्थी/परिवादिनी को हुई एवं शिकायत करने पर कहा गया कि अधिक धन की कटौती को समायोजित कर दिया जाएगा, परन्तु उपरोक्त संशोधन नहीं किया गया, अत: क्षुब्ध होकर प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षी बैंक के विरूद्ध जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख परिवाद संस्थित किया गया।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षी बैंक के विरूद्ध परिवाद की सुनवाई एक पक्षीय रूप से की गई।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवादिनी के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को अभिलेखीय साक्ष्य के अभाव में निरस्त कर दिया है, जिससे क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/ परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
प्रस्तुत अपील विगत लगभग पॉच वर्षों से लम्बित है एवं अनेकों तिथियों पर पूर्व में अपीलार्थी के अधिवक्ता की अनुपस्थिति के कारण स्थगित की जाती रही। अपीलार्थी के अधिवक्ता पुन: आज अनुपस्थित है। प्रत्यर्थी की ओर से भी अधिवक्ता अनुपस्थित है।
मेरे द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा तथ्यों सुसंगत रूप से विवेचन करते हुए निर्णय/आदेश पारित किया गया है, जिसमें किसी प्रकार की कोई कमी नहीं पाई जाती है, साथ ही यह कि अभिलेखीय साक्ष्य के अभाव में अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा अपने वाद को सिद्ध भी नहीं कर सकी है, तद्नुसार विद्वान जिला
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उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश का समर्थन किया जाता है एवं प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1