(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या- 415/2020
(जिला उपभोक्ता आयोग, उन्नाव द्वारा परिवाद संख्या- 118/2014 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 01-10-2019 के विरूद्ध)
बुद्ध प्रकाश गुप्ता, आयु 57 वर्ष पुत्र स्व0 कालिका प्रसाद निवासी- ग्राम गुड़ाही मण्डी, कस्बा भगवन्त नगर, पोस्ट भगवन्त नगर जिला उन्नाव।
बनाम
पंजाब नेशनल बैंक, शाखा भगवन्त नगर, स्थित कस्बा भगवन्त नगर, पोस्ट भगवन्त नगर, जिला उन्नाव उ०प्र० द्वारा शाखा प्रबन्धक।
समक्ष :-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य
उपस्थिति-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- विद्वान अधिवक्ता श्री एस०पी० बाजपेयी
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- विद्वान अधिवक्ता श्री अवनीश पाल
दिनांक : 27-09-2022
मा0 सदस्य श्री सुशील कुमार, द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी बुद्ध प्रकाश गुप्ता द्वारा विद्वान जिला आयोग, उन्नाव द्वारा परिवाद संख्या- 118/2014 बुद्ध प्रकाश गुप्ता बनाम पंजाब नेशनल बैंक, शाखा भगवन्त नगर, में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 01-10-2019 के विरूद्ध इस आयोग के समक्ष योजित की गयी है।
प्रस्तुत परिवाद विपक्षी बैंक के विरूद्ध 1,00,000/-रू० की क्षतिपूर्ति हेतु प्रस्तुत किया गया है, परन्तु परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया गया है कि एकमुश्त योजना के अन्तर्गत 30,000/-रू० जमा करने के लिए बैंक
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द्वारा कभी भी आदेशित नहीं किया गया। उसे केवल एकमुश्त योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए आदेशित किया गया है जिसका लाभ परिवादी द्वारा नहीं लिया गया है।
इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि परिवादी द्वारा इस एकमुश्त योजना के अन्तर्गत 30,000/-रू० जमा कर दिये गये थे और उसे शासन से देय 25 प्रतिशत की छूट भी उसके द्वारा लिये गये ऋण में समायोजित होना था।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एस०पी० बाजपेयी उपस्थित हुए। प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अवनीश पाल उपस्थित हुए।
हमने उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त तथ्यों एवं साक्ष्यों का सम्यक रूप से परिशीलन किया।
हमने विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश का भी अवलोकन किया।
पत्रावली के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी द्वारा 65,000/-रू० का ऋण प्राप्त किया गया। परिवादी को एकमुश्त योजना के अन्तर्गत ऋण के भुगतान का पत्र प्राप्त हुआ। इस पत्र में ऋण राशि का उल्लेख नहीं है। परिवादी द्वारा केवल 30,000/-रू० जमा किया गया। 30,000/-रू० जमा करने का तात्पर्य यह नहीं है कि समस्त ऋण चुकता हो गया हो, इसलिए विपक्षी द्वारा अवशेष ऋण की वसूली के सम्बन्ध में जो कार्यवाही की गयी है उसमें अवैधानिकता नहीं है। दस्तावेज संख्या– 35 के अवलोकन से जाहिर होता है कि बैंक द्वारा परिवादी के विरूद्ध ऋण राशि बकाया होने के
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आधार पर वसूली प्रमाण पत्र जारी किया गया है। यह वसूली प्रमाण पत्र दिनांक 19-10-2012 को जारी किया गया है जबकि ऋण दिनांक 07-03-2000 को प्राप्त किया गया था। अधिक लम्बी अवधि व्यतीत हो चुकी है इसलिए परिवादी पर बकाया ऋण राशि पर ब्याज एवं दण्ड ब्याज भी बढ़ाया जा चुका है इसलिए वसूली प्रमाण पत्र जारी किया गया है।
उपरोक्त समस्त तथ्यों एवं साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त हमारी राय में विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में हम कोई अवैधानिकता नहीं पाते हैं। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधि सम्मत है तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। विद्वान जिला आयोग
द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 01-10-2019 की पुष्टि की जाती है। यद्यपि बैंक से अपेक्षित है कि परिवादी द्वारा लिये गये ऋण पर 25 प्रतिशत राशि घटाते हुए परिवादी को एक माह के अन्दर बकाया ऋण के सम्बन्ध में विस्तृत सूचना/विवरण उपलब्ध कराएं और भविष्य में होने वाली ओ०टी०एस० योजना का लाभ प्रदान करते हुए ऋण राशि को अंतिम रूप से अदा करने का विवरण परिवादी को उपलब्ध कराएं।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें। .
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
कृष्णा,आशु0 कोर्ट न0-1