( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :57/2023
मेसर्स कृष्णा ग्रामोद्योग समिति द्वारा मिस्टर रमेश नागपाल निवासी जफ्फार नवाज, 4/624, बड़ा इमामबाड़ा, नियर सब्जी मण्डी, जिला सहारनपुर।
अपीलार्थी/परिवादी
1-पंजाब नेशनल बैंक द्वारा ब्रांच मैनेजर, मीड कार्पोरेट सेंटर, राज टावर, द्धितीय तल, शिवाजी नगर, देलही रोड, जिला सहारनपुर।
2-यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, राजेन्द्र काम्प्लेक्स सिविल लाईन, चर्च रोड, जिला सहारनपुर।
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2-मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- गौरव कुमार हसानी।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- कोई नहीं।
दिनांक : 16-01-2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-163/2022 मै0 कृष्णा ग्रामोद्योग बनाम पंजाब नेशनल बैंक व अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, सहारनपुर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 23-11-2022 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
‘’आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग द्वारा परिवाद आर्थिक क्षेत्राधिकार से बाहर होने के कारण निरस्त कर दिया गया है।
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अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री गौरव कुमार हसानी उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि उनके द्वारा भी यद्धपि अपीलार्थी/परिवादी को इस तथ्य से स्पष्ट रूप से अवगत करा दिया गया था कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा जो परिवाद मूल्यांकन की धनराशि अंकित की गयी है अर्थात 6,44,24,488/-रू0 है जो कि वास्तव में जिला आयोग एवं राज्य आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर/परे है, परन्तु अपीलार्थी/परिवादी को किसी अन्य अधिवक्ता द्वारा भ्रमित किये जाने के कारण उसने प्रस्तुत अपील एवं उपरोक्त परिवाद जिला आयोग एवं अब राज्य आयोग के समक्ष योजित किया है।
हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना है तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का परिशीलन एवं परीक्षण किया है।
पत्रावली के परिशीलनोंपरान्त हमारे विचार से विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 23-11-2022 विधि अनुसार है क्योंकि जिला आयोग एवं राज्य आयोग को परिवाद एवं अपील की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है और वास्तव में अपीलार्थी/परिवादी द्वारा मांगे गये अनुतोष हेतु मा0 राष्ट्रीय आयोग के सम्मुख परिवाद प्रस्तुत किया जाना चाहिए था, न कि जिला आयोग एवं राज्य आयोग के सम्मुख।
अत: समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तुत अपील क्षेत्राधिकार से बाहर होने के कारण इस छूट के साथ निरस्त की जाती
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है कि अपीलार्थी/परिवादी यदि चाहे तो समुचित अनुतोष हेतु विधि अनुसार अग्रिम कार्यवाही करने हेतु स्वतंत्र है।
अपील में उभयपक्ष पक्ष अपना अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
प्रदीप मिश्रा , आशु0 कोर्ट नं0-1