(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 1653/2016
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, लखीमपुर द्वारा परिवाद सं0- 021/2015 में पारित निर्णय व आदेश दि0 02.08.2016 के विरूद्ध)
M/s Electronic world, through its Proprietor Mohd. Asif khan, aged about 45 years, son of Mohd. Qasim khan, Chamber Bus station road City and post Lakhimpur, District khiri.
……….Appellant
Versus
Pulkit, aged about 30 years, son of Late Gyanendra srivastava, resident of Mohalla Ramnagar (Barkherwa) City and Lakhimpur, District Khiri.
…………Respondent
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री सर्वेश कुमार शर्मा के सहयोगी
श्री पीयूष मणि त्रिपाठी,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री विपिन वर्मा, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 28.06.2019
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 21/2015 पुलकित बनाम प्रबंधक/प्रोप्राइटर मैसर्स इलेक्ट्रानिक्स वर्ल्ड में जिला फोरम, लखीमपुर खीरी द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 02.08.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
‘’परिवादी पुलकित के द्वारा प्रस्तुत किया गया यह उपभोक्ता परिवाद संख्या-21/2015 स्वीकार किया जाता है। प्रतिपक्षी प्रोप्राइटर, मेसर्स इलेक्ट्रानिक्स वर्ल्ड, आरिफ चैम्बर, बस स्टेशन रोड, शहर लखीमपुर जिला खीरी को यह निर्देश दिया जाता है कि वह इस निर्णय के दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर परिवादी पुलकित को रूपये 32,000/- अदा करें। निर्धारित अवधि के भीतर निर्णय का अनुपालन न किये जाने की दशा में उक्त राशि रूपये 32,000/- पर परिवाद योजन के दिनांक 23.01.2015 से वास्तविक भुगतान किये जाने की तिथि तक 09 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज प्रतिपक्षी प्रोप्राइटर, मेसर्स इलेक्ट्रानिक्स वर्ल्ड, आरिफ चैम्बर, बस स्टेशन रोड, शहर व पोस्ट लखीमपुर जिला खीरी, परिवादी पुलकित को अदा करेंगे। मानसिक कष्ट की क्षतिपूर्ति के एवज में रूपये 5,000/- और वाद व्यय के एवज में रूपये 3,000/- भी प्रतिपक्षी मेसर्स इलेक्ट्रानिक्स वर्ल्ड, आरिफ चैम्बर, बस स्टेशन रोड, शहर व पोस्ट लखीमपुर जिला खीरी, परिवादी पुलकित को अदा करेगा।‘’
जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी प्रबंधक/प्रोप्राइटर मैसर्स इलेक्ट्रानिक्स वर्ल्ड, आरिफ चैम्बर, बस स्टेशन रोड शहर व पोस्ट लखीमपुर जिला खीरी ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सर्वेश कुमार शर्मा के सहयोगी श्री पीयूष मणि त्रिपाठी उपस्थित आये हैं। प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री विपिन वर्मा उपस्थित आये हैं।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने उपरोक्त परिवाद अपीलार्थी/विपक्षी के विरुद्ध जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने दि0 12.02.2012 को एक लैपटाप कम्प्यूटर डेल 34,900/-रू0 नकद अदा कर अपीलार्थी/विपक्षी से क्रय किया। लैपटाप की वारण्टी एक वर्ष की थी। इसके साथ ही अपीलार्थी/विपक्षी ने उसे आश्वासन दिया कि लैपटाप में किसी भी प्रकार की खराबी या त्रुटि आने पर उसके द्वारा लैपटाप की मरम्मत करा दी जायेगी।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि वारण्टी अवधि में ही माह जनवरी 2013 में लैपटाप के कीबोर्ड में खराबी आ गई जिसकी मरम्मत उसने अपीलार्थी/विपक्षी से करायी, परन्तु कुछ समय बाद पुन: लैपटाप खराब हो गया और काम नहीं कर रहा था तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी से वारण्टी अवधि में लैपटाप खराब होने पर उसे बदलकर दूसरा लैपटाप देने के लिए कहा तो उसने कम्पनी से बात कर इस सम्बन्ध में अवगत कराने का आश्वासन दिया। उसके बाद दि0 04.10.2013 को अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्यर्थी/परिवादी से कहा कि कम्पनी ने वारण्टी के अधीन लैपटाप की नि:शुल्क मरम्मत करने की बात कही है। उसने लैपटाप बदलने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही उसने कहा कि यदि प्रत्यर्थी/परिवादी अपना लैपटाप दे दे तो पूर्व वारण्टी के अनुसार उसे दुरुस्त कर दिया जायेगा तब उसकी बातों पर विश्वास कर प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपना लैपटाप दि0 04.10.2013 को उसे ठीक करने हेतु दिया, परन्तु उसने प्रत्यर्थी/परिवादी का लैपटाप वापस नहीं किया और बताया कि उसका लैपटाप कम्पनी के इंजीनियर को ठीक करने हेतु दिया गया है। ठीक न होने के कारण लैपटाप वापस कर पाना सम्भव नहीं है। इस प्रकार अपीलार्थी/विपक्षी प्रत्यर्थी/परिवादी को परेशान करता रहा तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने उसे पंजीकृत डाक से नोटिस दि0 05.08.2014 को भेजा, फिर भी उसका लैपटाप वापस नहीं किया गया और न नोटिस का जवाब दिया गया तब क्षुब्ध होकर प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है और कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के लैपटाप की वारण्टी अवधि समाप्त होने के बाद लैपटाप के कीबोर्ड में आयी खराबी को सही कराने का दायित्व कम्पनी पर नहीं है, फिर भी बेहतर ग्राहक सेवा उपलब्ध कराने की दृष्टि से तथा प्रत्यर्थी/परिवादी के आग्रह व दबाव के कारण उसने लैपटाप कम्पनी से दुरुस्त कराने के लिए प्रत्यर्थी/परिवादी के रिस्क पर इस शर्त पर ले लिया था कि उत्तरदाता निर्माता कम्पनी के इंजीनियर से लैपटाप के कीबोर्ड में आई कमी को दुरुस्त कराने का प्रयास करेगा। यदि कम्पनी द्वारा लैपटाप दुरुस्त नहीं किया जाता है तो वह जिस अवस्था में लैपटाप को ले रहा है उसी अवस्था में लैपटाप प्रत्यर्थी/परिवादी को वापस करेगा। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने कहा है कि वह मात्र डीलर है। विक्रीत उत्पादों में यदि कोई त्रुटि उत्पन्न होती है तो उसका दायित्व निर्माता कम्पनी का है।
लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने कहा है कि बेहतर ग्राहक सेवा उपलब्ध कराने हेतु वह अपने शोरूम की गुडविल को दृष्टिगत रखते हुए प्रत्यर्थी/परिवादी के लैपटाप को निर्माता कम्पनी के सर्विस सेंटर पर भेजने के लिए प्रत्यर्थी/परिवादी से लिया था, परन्तु वर्तमान परिवाद में निर्माता कम्पनी को पक्षकार नहीं बनाया गया है। अत: परिवाद में आवश्यक पक्षकार न बनाये जाने का दोष है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरांत यह माना है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्यर्थी/परिवादी का लैपटाप ठीक कराकर उसे वापस नहीं किया है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी के विरुद्ध आदेश पारित किया है जो ऊपर अंकित है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश तथ्य एवं विधि के विरुद्ध है। अपीलार्थी/विपक्षी विक्रेता है निर्माता नहीं। प्रत्यर्थी/परिवादी प्रश्नगत लैपटाप में वारण्टी अवधि में कोई खराबी होना साबित नहीं किया है और यदि उसने कोई त्रुटि साबित भी किया है तो उसके लिए निर्माता कम्पनी उत्तरदायी है, अपीलार्थी/विपक्षी डीलर नहीं।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि निर्माता कम्पनी को परिवाद में पक्षकार नहीं बनाया गया है। अत: परिवाद में आवश्यक पक्षकार न बनाये जाने का दोष है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपील स्वीकार कर जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश अपास्त किया जाये।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत लिखित तर्क से स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपना लैपटाप अपीलार्थी/विपक्षी को बनाने हेतु जमा किया था, परन्तु अपीलार्थी/विपक्षी ने लैपटाप बनाकर उसे वापस नहीं किया है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी की सेवा में कमी साबित है। जिला फोरम ने जो निर्णय व आदेश पारित किया है वह साक्ष्य और विधि के अनुकूल है उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से प्रस्तुत लिखित कथन से ही यह स्वीकृत तथ्य है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपना प्रश्नगत लैपटाप कीबोर्ड की खराबी को ठीक करने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी के यहां जमा किया है। अपीलार्थी/विपक्षी ने अपने लिखित कथन में यह नहीं कहा है कि लैपटाप प्रत्यर्थी/परिवादी को वापस किया गया है।
जिला फोरम ने अपने निर्णय में उल्लेख किया है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने अपने लिखित कथन के पैराग्राफ 3 में स्वीकार किया है कि दि0 15.12.2013 की रात्रि में उसके यहां चोरी हो गई जिसमें चोर प्रत्यर्थी/परिवादी का लैपटाप चुरा ले गये। अत: अपीलार्थी/विपक्षी के लिखित कथन एवं उसकी ओर से जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत लिखित तर्क से स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपना लैपटाप ठीक करने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी के यहां जमा किया है, परन्तु लैपटाप ठीक कर उसने वापस नहीं किया है और लैपटाप अपीलार्थी/विपक्षी की अभिरक्षा से गायब हुआ है। अत: लैपटाप की क्षति की पूर्ति प्रत्यर्थी/परिवादी को करने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी उत्तरदायी है। अत: जिला फोरम ने जो लैपटाप की कीमत 32,000/-रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी को ब्याज सहित देने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया है वह उचित है उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
जिला फोरम ने जो 3,000/-रू0 वाद व्यय प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलाया है वह भी उचित प्रतीत होता है, परन्तु लैपटाप की कीमत ब्याज सहित प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलायी जा रही है। इस कारण मैं इस मत का हूं कि जिला फोरम ने जो 5,000/-रू0 मानसिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलाया है उसे अपास्त किया जाना उचित है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला फोरम ने जो प्रत्यर्थी/परिवादी को 5,000/-रू0 क्षतिपूर्ति मानसिक कष्ट हेतु प्रदान किया है उसे अपास्त किया जाता है।
जिला फोरम के निर्णय व आदेश का शेष अंश यथावत कायम रहेगा।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
शेर सिंह आशु0,
कोर्ट नं0-1