Rajasthan

Jalor

C.P.A 86/2014

Saraph Raj - Complainant(s)

Versus

Propriter Rajasthan Mobile & Electronic Store - Opp.Party(s)

11 Mar 2015

ORDER

न्यायालयःजिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,जालोर

पीठासीन अधिकारी

अध्यक्ष:-  श्री  दीनदयाल प्रजापत,

सदस्यः-   श्री केशरसिंह राठौड

सदस्याः-  श्रीमती मंजू राठौड,

      ..........................

1.सरफराज अली पुत्र श्री अख्तर अली, उम्र- 27 वर्ष, जाति मुसलमान, निवासी- सैयदवाडी, ठाकुरद्वारे के पास, जालोर, तहसील व जिला- जालोर।  

.......प्रार्थी।

                बनाम  

1.प्रोपराईटर,राजस्थान मोबाईल एण्ड इलैेक्ट्रोनिक्स, शाप नम्बर-17,राजेन्द्र काम्पलैक्स, हरिदेव जोशी सर्किल, जालोर।

2.जागनाथ मोबाईल एण्ड इलैेक्ट्रोनिक्स, अधिकृत सर्विस सेन्टर कार्बन मोबाईल, तिलकद्वार के बाहर, हरिदेव जोशी सर्किल, जालोर।

3.कार्बन कस्टमर केयर सर्विस, डी- 170, ओखला इण्डस्ट्रीयल ऐरिया, प्रथम चरण, नई दिल्ली-110020            

 

 

...अप्रार्थीगण।

                                सी0 पी0 ए0 मूल परिवाद सं0:- 86/2014

परिवाद पेश करने की  दिनांक:-08-09-2012

अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता  संरक्षण  अधिनियम ।

उपस्थित:-

1.            श्री रियाज खंान,  अधिवक्ता प्रार्थी।

2.            श्री  नवीन कुमार गेहलोत, अधिवक्ता अप्रार्थी संख्या-1,

3.            अप्रार्थी संख्या दो व तीन की ओर से कोई उपस्थित नहीं।

  निर्णय दिनांक:  11-03-2015

 

1.              संक्षिप्त में परिवाद के तथ्य इसप्रकार हैं कि प्रार्थी ने अप्रार्थी क्रमांक- 3 निर्माता कम्पनी का मोबाईल  अप्रार्थी क्रमांक- 1 विक्रेता की दुकान से दिनांक 08-02-2014 को रूपयै 1400/- मे क्रय किया, जो माॅडल ज्ञण्ब्ण्110 आई0एम0आई0ए0 नम्बर-1000025-  म्। 184 थ्  थे। तथा उक्त मोबाईल खरीद के समय अप्रार्थी क्रमांक- 1 ने प्रार्थी को विश्वास दिलाया था कि कम्पनी द्वारा मोबाईल की एक वर्ष की वारन्टी हैं। तथा वारन्टी अवधि में मोबाईल खराब होने पर मेरे पास आना, मैं आपकी समस्या का समाधान करवा दूगंा। तथा प्रार्थी ने अप्रार्थी कं्रं्रमाक- 1 पर विश्वास करते हूए उक्त मोबाईल क्रय किया था,  तथा मोबाईल क्रय के एक माह बाद ही मोबाईल में आवाज की समस्या  के साथ ही साथ नई समस्या फोन स्वीच आॅन होने पर भी काॅल करने वाले के मोबाईल पर स्वीच आफ बता रहा था, तथा प्रत्येक दिन हर आधे घन्टे बाद मोबाईल स्वतः ही स्वीच आॅफ हो जाता, उक्त समस्या होने पर प्रार्थी, अप्रार्थी संख्या 1 की दुकान पर गया, तो अप्रार्थी ने प्रार्थी की समस्या को सुनने से साफ इन्कार कर दिया, और कहा कि हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं हैं। आप जानो और कम्पनी जाने, तथा सर्विस सेन्टर पर जाने को कहा । तब प्रार्थी अप्रेल की 22 तारीख  को अप्रार्थी संख्या- 2 के पास गया, जिसने प्रार्थी से शिष्टाचार पूर्ण बातचीत करते हूए मोबाईल रिपेयर कर देने का आश्वासन दिया, जो प्रार्थी ने मोबाईल अप्रार्थी क्रमांक- 2 के पास रिपेयर हेतु जमा करवा दिया, तथाा 10-12 दिन बाद आने का कहा , तथा अप्रार्थी संख्या- दो ने प्रार्थी को दिनांक 08-05-2014 को मोबाईल रिपेयर करके दिया, तथा 20-25 दिन बाद ही उक्त मोबाईल पुनः वही समस्या होकर खराब हो गया, तब प्रार्थी पुनः अप्रार्थी क्रमांक- 2 के पास दिनांक 12-06-2014 को गया, तथा मोबाईल रिपेयर  करवाने हेतु जमा करवाया, जो दिनांक 14-07-2014 को रिपेयर करके दिया गया। परन्तु इस बार भी उक्त मोबाईल केवल काम चलाउ अवस्था में ही था, क्यों कि मोबाईल से काॅल आना और जाना तो शुरू था, परन्तु मोबाईल द्वारा नेटवर्क छोडना, आवाज नहीं आना तथा चार्जिगं करने पर भी  पूरा चार्ज नहीं होने के साथ ही साथ स्क्रीन व्हाईट होकर अपने आप स्वीच आफ होने के समस्याएं बरकरार रही, तब प्रार्थी अप्रार्थी क्रमांक- 2 के पास पुनः गया, तथा उक्त मोबाईल की समस्या से अवगत कराया, तो अप्रार्थी क्रमांक- 2 ने प्रार्थी को कहा कि उक्त खराब मोबाईल को कम्पनी के जयपुर सर्विस सेन्टर भेजना पडेगा, तब प्रार्थी ने दिनांक 18-07-2014 को मोबाईल अप्रार्थी क्रमांक- 2 के पास पुनः जमा करवा दिया। तथा 25 दिन बाद प्रार्थी ने अप्रार्थी क्रमांक- 2 से सम्पर्क किया, तो अप्रार्थी कमांक- 2 ने प्रार्थी को कहा कि जयपुर से कम्पनी की ओर से मोबाईल रिपेयर करके देने या बदलकर दूसरा मोबाईल देने से मना किया हैं। तब प्रार्थी ने यह परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्व मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट वाला मोबाईल  निःशुल्क रिपेयर करके अथवा उसके बदले दूसरा मोबाइ्र्रल या मोबाईल का मूल्य एवं मानसिक व शारीरिक पीडा के रूपयै 10,000/-, आर्थिक नुकसान के रूपयै 10,000/- तथा परिवाद व्यय के रूपयै 5,000/-,  कुल रूपयै 25,000/- दिलाने हेतु यह परिवाद जिला मंच में पेश किया गया हैं।

 

2.                                 प्रार्थी केे परिवाद को कार्यालय रिपोर्ट के बाद दर्ज रजिस्टर कर अप्रार्थीगण को जरिये रजिस्टर्ड ए0डी0 नोटिस जारी कर तलब किया गया। अप्रार्थी क्रमांक- 1 की ओर से अधिवक्ता श्री नवीन कुमार गेहलोत ने उपस्थिति पत्र प्रस्तुत कर पैरवी की। तथा अप्रार्थीगण क्रमांक- 2 व 3 बावजूद नोटिस तामिल के अनुपस्थित रहे। जिनके विरूद्व दिनांक 10-10-2014 को एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लायी गई। अप्रार्थी क्रमांक- 1 ने  प्रथम दृष्टया प्रार्थी का परिवाद अस्वीकार कर, जवाब परिवाद प्रस्तुत कर कथन किये, कि प्रार्थी ने उक्त मोबाईल अप्रार्थी संख्या- 1 राजस्थान मोबाईल, जालोर से खरीद किया था, तथा अप्रार्थी क्रमांक- 1 के पास कम्पनी के मोबाईल सील-पैक आते हैं, जिसे ग्राहको के सामने खोलकर कम्पनी की पूर्णतया नियम-शर्ते बताकर विक्रय किया जाता हैं। मोबाईल सैट में वारन्टी इत्यादि मोबाईल कम्पनी देती हैं, जिसकी नियम व शर्ते होती हैं। इसी प्रकार से प्रार्थी को भी अप्रार्थी संख्या - 1 ने कार्बन के0सी0 110 मोबाईल कम्पनी की सील पैक को प्रार्थी के सामने खोलकर प्रार्थी को दिखाकर तथा प्रार्थी को उक्त मोबाईल संचालित करके कम्पनी की नियम शर्ते को पूर्णतया समझाकर संतुन्ष्ट करके  बिल काटकर मोबाईल विक्रय किया हैं। जिसकी वारन्टी इत्यादि का दायित्व कार्बन मोबाईल कम्पनी का रहता हैं। तथा मोबाईल की शिकायत इत्यादि प्रार्थी ने अप्रार्थी संख्या- 1 के यंहा कभी नहीं की थी, तथा समस्या सुनने से इन्कार नहीं किया, तथा अप्रार्थी संख्या 1 ने किसी भी प्रकार की फटकार प्रार्थी को नहीं लगाई हैं। प्रार्थी ने झूठ का सहारा लेकर अप्रार्थी संख्या 1 की दुकान की साख को गिराने के लिये बढा-चढा कर लिखत किये हैं, तथा अप्रार्थी संख्या 1 को हैरान व परेशान करने के रूपयै 20,000/- बतौर कम्पनसैन्टरी कास्ट के दिलाये जावे। इसप्रकार अप्रार्थी संख्या- 1 ने जवाब परिवाद प्रस्तुत कर प्रार्थी का परिवाद आधारहीन होने से मय खर्चा खारीज करने का निवेदन किया हैं।

 

3.          हमने  दोनो पक्षो को साक्ष्य सबूत प्रस्तुत करने का पर्याप्त समय/अवसर देने के बाद,  उभय पक्षो के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस एवं तर्क-वितर्क सुने, जिन पर मनन किया तथा पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन एवं अध्ययन किया, तो हमारे सामने मुख्य रूप से तीन विवाद बिन्दु उत्पन्न होते हैं जिनका निस्तारण करना आवश्यक  हैें:-

1.   क्या प्रार्थी, अप्रार्थीगण का उपभोक्ता हैं ?        प्रार्थी

 

2.   क्या अप्रार्थीगण ने प्रार्थी का खराब मोबाईल ठीक/रिपेयर नहीं

       होने पर बदलकर नया मोबाईल नहीं देकर सेवा प्रदान करने

       में गलत कारित की हैं ?   

                                                  प्रार्थी                                  

                                                                                 

3.  अनुतोष क्या होगा ?     

 

प्रथम विधिक विवाद बिन्दु:-

                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                क्या प्रार्थी, अप्रार्थीगण का उपभोक्ता हैं ?    प्रार्थी

           

       उक्त प्रथम विधिक विवाद बिन्दु को सिद्व एवं प्रमाणित करने का भार प्रार्थी पर हैं। जिसके सम्बन्ध में प्रार्थी ने परिवाद पत्र एवं साक्ष्य शपथपत्र प्रस्तुत कर कथन किये हैं कि प्रार्थी ने अप्रार्थी क्रमांक- 1 की दुकान से अप्रार्थी क्रमांक-3 द्वारा निमित मोबाईल को खरीद किया था, तथा अप्रार्थी क्रमांक- 2 अप्रार्थी क्रमांक- 3 का सर्विस सेन्टर हैं। इसप्रकार प्रार्थी, अप्रार्थीगण का उपभोक्ता हैं। उक्त कथनो के सत्यापन हेतु प्रार्थी ने मोबाईल क्रय का बिल क्रमांक-30122 दिनांक 08-02-2014  की प्रति पेश की हैं। जो अप्रार्थी क्रमांक- 1 ने प्रार्थी के नाम जारी किया हैं, जिसमें  ज्ञंतइवदद ाण्बण्110 ए प्ण्डण्म्ण् प्ण् ।ण्  10ए000  25 म्ण्।ण् 184  थ् रूपयै 14,00/-  में विक्रय किया गया लिखा हैं। जो प्रतिफल अदा कर उपभोग की वस्तु खरीदना सिद्व हैं। इस प्रकार प्रार्थी एवं अप्रार्थीगण के मध्य ग्राहक-सेवक का सीधा सम्बन्ध स्थापित होना सिद्व एवं प्रमाणित हैं। तथा प्रार्थी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2 1 डी के तहत उपभोक्ता की परिभाषा में आता हैं, इसप्रकार प्रथम विवाद  बिन्दु  प्रार्थी के पक्ष में तथा अप्रार्थीगण के विरूद्व निस्तारित किया जाता हैं।

 

द्वितीय विवाद बिन्दु:-  

     क्या अप्रार्थीगण ने प्रार्थी का खराब मोबाईल ठीक/रिपेयर नहीं

      होने पर बदलकर नया  मोबाईल  नहीं देकर सेवा प्रदान करने

      में गलत कारित की हैं ? 

                                                 प्रार्थी                                  

              उक्त द्वितीय विवाद बिन्दु को भी सिद्व एवं प्रमाणित करने का भार प्रार्थी पर हैं। जिसके सम्बन्ध में प्रार्थी ने परिवाद पत्र एवं साक्ष्य शपथपत्र प्रस्तुत कर कथन किये हैं कि प्रार्थी  ने अप्रार्थी क्रमांक- 1 से दिनांक 08-02-2014 को एक मोबाईल रूपयै 1400/- में क्रय किया था, जो 20-25 दिन बाद ही खराब हो जाने से समस्या बताने हेतु अप्रार्थी क्रमांक- 1 के पास गया, लेकिन अप्रार्थी क्रमंाक- 1 ने प्रार्थी की समस्या नहीं सुनी, तथा फटकार लगाते हूए अप्रार्थी संख्या- 2 का पता बता दिया। तथा अप्रार्थी क्रमांक- 2 ने प्रार्थी की समस्या सुनी एवं शिष्टाचार से बातचती की, तथा 2-3 बार खराब मोबाईल रिपेयर करके दिया, जो पुनः खराब होने पर कम्पनी के सर्विस सेन्टर जयपुर भेजा, जो कम्पनी ने रिपेयर करने एवं बदलकर देने से मना कर दिया। प्रार्थी ने उक्त कथनो के सत्यापन हेतु मोबाईल क्रय करने का बिल क्रमांक-30122 दिनांक 08-02-2014 की प्रति पेश की हैं तथा वारन्टी कार्ड की प्रति पेश की हैं, जिसके अनुसार उक्त मोबाईल पर निर्माता कम्पनी की ओर से एक वर्ष की वारन्टी थी, लेकिन अप्रार्थी क्रमांक- 1 ने प्रार्थी को मोबाईल विक्रय करते समय वारन्टी कार्ड प्रार्थी के नाम भर कर नहीं दिया गया हैं, तथा रिक्त ही वारन्टी कार्ड प्रार्थी को दिया गया है। जो प्रार्थी ने पत्रावली मे प्रस्तुत किया हैं, तथा प्रार्थी ने सर्विस जाॅब शीट की प्रति पेश की हैं, जो अप्रार्थी क्रमांक- 3 कार्बन कम्पनी ने खराब मोबाईल को सर्विस हेतु लिया था, जिसमें प्रार्थी का मोबाईल लिखित टर्म एण्ड कण्डीशन के स्वरूप का पाया लिखा है। तथा मोबाईल क्रय करने का वारन्टी कार्ड भरा नहीं होने से वारन्टी अवधि में होना या नहीं होना स्पष्ट नहीं होने से प्रार्थी का मोबाईल ठीक नहीं करना अंकित किया हैं। लेकिन प्रार्थी का मोबाईल क्रय दिनांक 08-02-2014 से एक वर्ष की वारन्टी अवधि में बार-बार खराब हुआ हैं। जो अप्रार्थी क्रमांक- 2 ने रिपेयर हेतु प्राप्त करने के तथ्य स्वीकार किये,  तथा अप्रार्थी क्रमांक- 2 सर्विस सेन्टर के अनुसार प्रार्थी का मोबाईल  वारन्टी अवधि में खराब होना सिद्व हैं, तथा अप्रार्थी क्रमांक-2 ने उक्त मोबाईल को ठीक करने या बदलने हेतु अप्रार्थी क्रमाक- 3 निर्माता कम्पनी को भेजा, जो अप्रार्थी क्रमांक- 3 ने खराब मोबाईल को ठीक/रिपेयर नहीं किया, तथा न ही बदलकर दिया गया, जो अप्रार्थी क्रमांक- 1 व 3 की प्रार्थी उपभोक्ता को सेवा प्रदान करने में त्रुटि एवं गलती होना सिद्व एवं प्रमाणित हैं, तथा अप्रार्थी क्रमांक- 2 की सेवा में कमी या गलती नहीं पाई जाती हैं।  इसप्रकार द्वितीय विवाद बिन्दू भी प्रार्थी के पक्ष में तथा अप्रार्थी क्रमांक- 1 व 3 के विरूद्व निस्तारित किया जाता हैं।

 

तृतीय विवाद बिन्दु- 

                                अनुतोष क्या होगा ?

 

       जब प्रथम एवं द्वितीय विवाद बिन्दु प्रार्थी के पक्ष में निस्तारित हो जाने से तृतीय विवाद बिन्दु का निस्तारण स्वतः ही प्रार्थी के पक्ष में हो जाता हैं। लेकिन हमे यह देखना हैं कि प्रार्थी विधिक रूप से क्या एवं कितनी उचित सहायता अप्रार्थीगण से प्राप्त करने का अधिकारी हैं। या उसे दिलाई जा सकती हैं। जिसके  सम्बन्ध में हमारी राय में अप्र्रार्थी क्रमांक- 1 ने प्रार्थी को मोबाईल क्रय के वक्त वारन्टी कार्ड प्रार्थी के नाम भर कर एवं विक्रेता के हस्ताक्षर करके नहीं दिया, तथा रिक्त ही वारन्टी कार्ड दे दिया गया, जिसके कारण अप्रार्थी क्रमांक- 3 मोबाईल कम्पनी ने उक्त खराब मोबाईल को वारन्टी अवधि में होना या नही होने के तथ्य पुष्ट नहीं होने से बदलकर रिपेयर नहीं किया तथा न ही दिया हैं, जो अप्रार्थी क्रमांक- 1 व 3 की सेवा प्रदान करने मे गलती व त्रुटि हैं, तथा प्रार्थी का मोबाईल वारन्टी अवधि एक वर्ष के भीतर बार-बार खराब होना सिद्व एवं प्रमाणित होने से प्रार्थी अप्रार्थी क्रमांक- 1 व 3 के विरूद्व संयुक्त रूप् से एवं पृथक-पृथक रूप से खराब मोबाईल के बदले नया मोबाईल या मोबाईल की कीमत रूपयै 1400/- प्राप्त करने का अधिकारी माना जाता हैं, तथा मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति के रूपयै 2000/- एवं परिवाद व्यय राशि रूपयै 2000/- दिलाये जाना उचित माना जाता हैं। इस प्रकार प्रार्थी का परिवाद आशिंक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य हैं।

 

                   आदेश 

                      अतः प्रार्थी सरफराज अली का परिवाद विरूद्व अप्रार्थीगण प्रोपराईटर,राजस्थान मोबाईल एण्ड इलैेक्ट्रोनिक्स, जालोर व अन्य के विरूद्व आशिंक रूप से स्वीकार कर आदेश दिया जाता हैं कि निर्णय की तिथी से 30 दिनो के भीतर अप्रार्थी क्रमांक- 1 व 3 संयुक्त रूप से या पृथक-पृथक रूप से प्रार्थी को खराब मोबाईल  के बदले नया मोबाईल या मोबाईल की कीमत रूपयै 1400/- अक्षरे एक हजार चार सौ रूपयै मात्र प्रार्थी को देवे, तथा मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति के रूप में रूपयै 2000/- अक्षरे दो हजार रूपयै मात्र एवं परिवाद व्यय राशि रूपयै 2000/- अक्षरे दो हजार रूपयै मात्र भी अप्रार्थी क्रमांक- 1 व 3 प्रार्थी को अदा करे। उक्त निर्णय की पालना 30 दिन के भीतर नहीं होने पर प्रार्थी उक्त आदेशित राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी  08-09-2014 से तारीख वसूली तक 9 प्रतिशत , वार्षिकी दर से ब्याज तारीख अदायगी तक  प्राप्त करने का अधिकारी होगा। तथा अप्रार्थी क्रमांक- 2 का कोई सेवादोष कारित करना नहीं माना जाने से उसे परिवाद से मुक्त किया जाता हैं।

                निर्णय व आदेश आज दिनांक 11-03-2015 को विवृत मंच में  लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

 

    मंजू राठौड       केशरसिंह राठौड          दीनदयाल प्रजापत

     सदस्या            सदस्य                       अध्यक्ष

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