Uttar Pradesh

StateCommission

CC/62/2016

Dr. (Lt. Col) Kanwarjit Singh Dhillol - Complainant(s)

Versus

Properties Biz - Opp.Party(s)

A.B. Solomon & Neeraj Singh

18 Nov 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/62/2016
( Date of Filing : 24 Feb 2016 )
 
1. Dr. (Lt. Col) Kanwarjit Singh Dhillol
Lucknow
...........Complainant(s)
Versus
1. Properties Biz
Lucknow
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 18 Nov 2019
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(सुरक्षित)                                                                                  

परिवाद संख्‍या:-62/2016

Dr. (Lt. Col.) Kanwarjit Singh Dhillon, S/o (Late)Brig. Amreek Singh R/o GG-1, Doctor’s Residence, Era’s Lucknow Medical College, Hardoi Road, Police Stateion Thakurganj, Lucknow.

                                                               ........... Complainant

Versus    

Property Biz, through its sole proprietor Sri Rajeev Panjwani, S/o Hari Das Panjwani, Office and Residential Address 111 Keshav Bhaduri Lane Baurouni Khandak Police Station Qaiserbagh, Lucknow.

……..…. Opp. Party

समक्ष :-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष

परिवादी की ओर से उपस्थित   :    श्री ए0बी0 सोलोमन

विपक्षी की ओर से उपस्थित    :    श्री दीपांशु दास

दिनांक :-26/12/2019

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय      

परिवादी डॉक्‍टर (लेफ्टीनेंट कर्नल) कंवरजीत सिंह ढिल्‍लो ने यह परिवाद विपक्षी प्रापर्टी बिज द्वारा प्रोपराइटर श्री राजीव पंजवानी के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत किया है और निम्‍न अनुतोष चाहा है:-

A-        To repay the entire amount Rs. 23,13,000/- (Rupees Twenty Three Lakh Thirteen Thousand) along

-2-

with 18% annual interest paid by the Complainant to the Opposite party or as per rates prevailing at the time of final disposal of this Complaint which ever is high.

B-       The suffering and hardships as-well-as other financial losses and cheating to the Complainant caused due to the delay in constructing the less built-up area contrary to the agreement of the said flat by the Opposite party at the rate of Rs. 50,000/- per month for thirty five months (till 31.01.2016)= Rs. 17,50,000/-

C-       Cost of this Complaint= Rs. 5,500/-

D-       Total of Compensation Claimed Rs. 40,68,500/-   (Rupees Forty  Lakh Sixty Eight Thousand Five Hundred Only.

परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि वह एक पूर्व सैनिक है। विपक्षी ने एक चार मंजिला अपार्टमेंट प्रीति अपार्टमेंट के नाम से प्‍लॉट नं0-8 मुरलीनगर, लखनऊ में निर्मित किया और उसकी बिक्री का ऑफर परिवादी को दिया जिसे स्‍वीकार करते हुए परिवादी और विपक्षी के बीच एक करार पत्र दिनांक 06.02.2012 को निष्‍पादित किया गया और करार पत्र के अनुसार यह तय हुआ कि 2 BHK फ्लैट नं0-8 ई तृतीय तल पर 910 वर्ग फुट ग्राउण्‍ड फ्लोर पर एक कार पार्किंग के साथ 23,75,000.00 रू0 में परिवादी को बिक्री किया जायेगा।

 

-3-

परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने करार पत्र के निष्‍पादन के पूर्व 4,00,000.00 रू0 विपक्षी को बुकिंग धनराशि के रूप में दिया था। जिसकी रसीद विपक्षी ने दी थी। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि करार पत्र के अनुसार 3,50,000.00 रू0 की पॉच किश्‍तों में करार पत्र की तिथि से एक साल के अन्‍दर विपक्षी को भुगतान किया जाना था और 2,25,000.00 रू0 का भुगतान विक्रय पत्र की रजिस्‍ट्री और कब्‍जा के समय किया जाना था।

परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने दिनांक 02.11.2012 तक विपक्षी को 23,13,000.00 रू0 का भुगतान किया है, जिसकी रसीद विपक्षी ने दी है।

परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि विक्रय करार पत्र के अनुसार फ्लैट का कब्‍जा करार पत्र की तिथि दिनांक 06.12.2012 से एक साल के अन्‍दर दिया जाना था, इस प्रकार कब्‍जा दिनांक 06.02.2013 तक दिया जाना था, परन्‍तु विपक्षी करार पत्र के अनुसार नियत समय में कब्‍जा देने व फ्लैट का निर्माण कराने में असफल रहा है। अगस्‍त 2014 तक 18 महीने का विलम्‍ब होने के बावजूद भी विपक्षी फ्लैट का निर्माण पूरा कर कब्‍जा नहीं दिया दे सका है और न ही उसने निर्माण की अनुमति प्राप्‍त की है। न ही अपार्टमेंट का नक्‍शा पास कराया है।

-4-

परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि विपक्षी ने करार पत्र में फ्लैट के तय क्षेत्रफल में कमी कर 732 वर्ग फुट कर दिया है और परिवादी के अपार्टमेंट का नक्‍शा विधिक मापदण्‍डों के अनुसार पास न कराकर उसके साथ धोखा किया है। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उसने विपक्षी से अपनी सम्‍पूर्ण जमा धनराशि ब्‍याज सहित वापस मॉगी, परन्‍तु विपक्षी ने उसे धनराशि अदा नहीं किया। तब उसने विपक्षी को दिनांक 06.11.2015 को रजिस्‍टर्ड डाक से नोटिस भेजी और अपनी जमा धनराशि 18 प्रतिशत ब्‍याज के साथ वापस मॉगी। उसने पुन: दिनांक 14.12.2015 को रजिस्‍टर्ड डाक से विपक्षी को नोटिस भेजी, परन्‍तु विपक्षी ने कोई जवाब नहीं दिया। अत: क्षुब्‍ध होकर उसने परिवाद प्रस्‍तुत किया है और उपरोक्‍त अनुतोष चाहा है।

विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है और कहा गया है कि परिवादी को करार पत्र दिनांक 06.2.2012 के द्वारा फ्लैट नं0-8 ई, तृतीय तल पर प्रीति अपार्टमेंट मुरलीनगर, लखनऊ में कार पार्किंग के साथ आवंटित किया गया है, जिसका सुपर एरिया 910 वर्ग फुट है। परिवादी को आवंटित फ्लैट का मूल्‍य अधितम बुकिंग की तिथि से पॉच म‍हीने के अन्‍दर जून 2012 के अंत तक अदा करना था, परन्‍तु उसने भुगतान में विलम्‍ब किया है और करार पत्र दिनांक 06.2.2012 का उल्‍लंघन

-5-

किया है, फिर भी उसके अनुरोध पर विपक्षी ने भुगतान उससे बिना ब्‍याज के प्राप्‍त किया है। जबकि परिवादी 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज देने हेतु उत्‍तरदायी है।

लिखित कथन में विपक्षी की ओर से कहा गया है कि परिवादी को तृतीय तल पर आवंटित फ्लैट नं0-8 ई परिवर्तित कर प्रथम तल पर 15 प्रतिशत प्रीफ्रेसियल चार्ज की बढोत्‍तरी पर किया गया और 15 प्रतिशत प्रीफ्रेसियल चार्ज की इस धनराशि का भुगतान सितम्‍बर, 2014 के अंत तक करना परिवादी ने स्‍वीकार किया, परन्‍तु उसने प्रीफ्रेसियल चार्ज की धनराशि 3,56,250.00 रू0 का भुगतान नहीं किया और वह अवैध ढंग से दि्वतीय तल पर पूर्व फ्लैट नं0-8 जिसका वर्तमान फ्लैट नं0-एफ 4 है पर कब्‍जा किये हुए है जबकि यह फ्लैट एक व्‍यक्ति श्री विनोद असकरन सावलानी को आवंटित किया गया था और उन्‍हें कब्‍जा भी दे दिया गया था। श्री सावलानी ने परिवादी के विरूद्ध दिनांक 29.01.2016 को शिकायत भी दर्ज करायी है फिर भी परिवादी ने यह फ्लैट खाली करने से इंकार कर दिया है।

लिखित कथन में विपक्षी ने कहा है कि परिवादी ने परिवाद गलत कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है और परिवाद कालबाधित है।

   विपक्षी ने लिखित कथन में संशोधन के माध्‍यम से कहा है कि लिखित कथन प्रस्‍तुत करने के बाद परिवादी ने दि्वतीय तल

-6-

के उपरोक्‍त फ्लैट नं0-एफ 4 (पूर्व नं0-8 डी) को खाली कर दिया है पत्र दिनांक 07.11.2016 के द्वारा उक्‍त फ्लैट के आवंटी श्री विनोद असकरन सावलानी को कब्‍जा लेने हेतु सूचित कर दिया गया है और श्री विनोद असकरन सावलानी के नामिनी श्री दीपेन्‍द्र सिंह के नाम दिनांक 07.02.2017 को उक्‍त फ्लैट का विक्रय पत्र भी निष्‍पादित कर दिया गया है। लिखित कथन में संशोधन के माध्‍यम से विपक्षी ने कहा है कि परिवादी का प्रथम तल पर फ्लैट नं0-एफ-1 पर कब्‍जा है, जो उसके अनुरोध पर आवंटित किया गया है। विपक्षी परिवादी को इस फ्लैट का कब्‍जा देने व सेल डीड निष्‍पादित करने हेतु तैयार है बशर्तें वह अतिरिक्‍त प्राइम लोकेशन चार्ज 3,56,250.00 रू0 और 62,000.00 रू0 की अवशेष धनराशि का भुगतान 1,000.00 रू0 प्रतिमाह की दर से 38 महीने के मेंटेनेन्‍स चार्ज के साथ उसे ब्‍याज सहित कर दें। लिखित कथन में संशोधन के माध्‍यम से विपक्षी ने कहा है कि परिवादी को यह विकल्‍प है कि वह अपनी जमा धनराशि 23,13,000.00 रू0 06 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ जो कुल 27,52,516.26 रू0 होता है, वापस प्राप्‍त कर लें।

परिवादी ने परिवाद पत्र के साथ निम्‍न अभिलेख प्रस्‍तुत किये है:-

1- संलग्‍नक-1 के रूप में एग्रीमेंट की छायाप्रति,

-7-

2-  संलग्‍नक-2 के रूप में 4,00,000.00 रू0 के चेक प्राप्ति रसीद की छायाप्रति,

3-  संलग्‍नक-3 के रूप में में 3,63,000.00 रू0 के चेक प्राप्ति रसीद की छायाप्रति,

4-  संलग्‍नक-4 के रूप में विपक्षी को रजिस्‍टर्ड डाक से भेजे गये पत्र दिनांक 06.11.2015 एवं दिनांक 14.12.2015 की छायाप्रति

5- संलग्‍नक-5 के रूप में प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 18.02.2016 की छायाप्रति

विपक्षी की ओर से लिखित कथन के समर्थन में श्री राजीव पंजवानी प्रोपराइटर का शपथपत्र संलग्‍नकों सहित प्रस्‍तुत किया है।

परिवाद की अंतिम सुनवाई की तिथि पर परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री ए0बी0 सोलोमन और विपक्षी की ओरसे विद्वान अधिवक्‍ता श्री दीपांशु दास उपस्थित आये हैं।

मैंने उभय पक्ष के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।

परिवादी की तरफ से लिखित तर्क प्रस्‍तुत किया गया है। मैंने लिखित तक का भी अवलोकन किया है।

प्रश्‍नगत फ्लैट नं0-8 ई तृतीय तल पर परिवादी को एलॉट किया जाना और परिवादी से 23,13,000.00 रू0 प्राप्‍त करना विपक्षी को स्‍वीकार है। 

-8-

विपक्षी का कथन है कि परिवादी के अनुरोध पर उसे दूसरा फ्लैट प्रथम तल पर आवंटित किया गया है। जिसके लिये प्रीफ्रेसियल चार्ज की अतिरिक्‍त धनराशि 3,56,250.00 रू0 है, जिसे परिवादी ने अदा नहीं किया है। अत: उसे कब्‍जा नहीं दिया गया है। परिवादी अवशेष धनराशि का भुगतान मेंटेनेंस चार्ज के साथ करे तो उसे कब्‍जा देने हतु विपक्षी तैयार है। विपक्षी की तरफ से प्रस्‍तुत श्री राजीव पंजवानी के शपथपत्र का संलग्‍नक-2 विपक्षी द्वारा परिवादी को प्रेषित पत्र दिनांक 28.8.2014 की प्रति है। जिसके द्वारा परिवादी को आवंटित मूल फ्लैट में परिवर्तन कर प्रथम तल पर उसे दूसरा फ्लैट आवंटित किया गया है। इस पत्र में उल्‍लेख है कि यह परिवर्तन परिवादी के अनुरोध पर किया गया है। परन्‍तु परिवादी ने इसे स्‍वीकार नहीं किया है और परिवर्तन हेतु परिवादी की स्‍वीकृत या सहमति पत्र विपक्षी ने प्रस्‍तुत नहीं किया है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार नहीं है कि विपक्षी ने परिवादी के फ्लैट में संशोधन उसकी सहमति से किया है। परिवादी को आवंटित फ्लैट नं0-8 ई परिवादी के अनुसार तैयार नहीं है। विपक्षी ने परिवादी को आवंटित फ्लैट नं0-8 ई की स्थिति स्‍पष्‍ट नहीं किया है। उभय पक्ष के बीच हुए करार पत्र दिनांक 06.02.2012 के अनुसार विपक्षी को कब्‍जा परिवादी को एक साल के अन्‍दर देना था। परन्‍तु परिवादी को आवंटित फ्लैट नं0-8 ई पर

-9-

कब्‍जा अब तक नहीं दिया गया है जबकि फ्लैट के कुल मूल्‍य 23,75,000.00 रू0 के विरूद्ध परिवादी दिनांक 02.12.2012 त‍क विपक्षी को 23,13,000.00 रू0 अदा कर चुका है। अत: विपक्षी की सेवा में कमी मानने हेतु उचित आधार है। ऐसी स्थिति में परिवादी की जमा धनराशि 23,13,000.00 रू0 ब्‍याज सहित विपक्षी से परिवादी को वापस दिलाया जाना उचित है।

माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा सिविल अपील नम्‍बर (एस) 3948 वर्ष 2019 एस.एल.पी. (सी) 9575 वर्ष 2019 मैसर्स कृष्‍णा स्‍टेट डेवलपर्स प्राइवेट लि0 बनाम नवीन श्रीवास्‍तव में पारित आदेश दिनांक 15 अप्रैल, 2019 को दृष्‍टगत रखते हुए विपक्षी को परिवादी की जमा धनराशि 23,13,000.00 रू0 इस निर्णय की तिथि से तीन मास के अन्‍दर जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज के साथ वापस करने का अवसर दिया जाना उचित है यदि विपक्षी इस अवधि में परिवादी की जमा धनराशि उपरोक्‍त दर से ब्‍याज के साथ वापस नहीं करता है तब विपक्षी से परिवादी की जमा धनराशि 23,13,000.00 रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्‍याज के साथ वापस दिलाया जाना उचित है।

परिवादी को 10,000.00 रू0 वाद व्‍यय भी दिया जाना उचित है।

-10-

दी जाने वाली उपरोक्‍त अनुतोष को देखते हुए परिवाद में याचित अन्‍य अनुतोष प्रदान करना उचित नहीं प्रतीत होता है।

    उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर परिवाद अंशत: स्‍वीकार किया जाता है और विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से तीन मास के अन्‍दर परिवादी को उसकी जमा धनराशि 23,13,000.00 रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज के साथ वापस करें। यदि इस अवधि में वह परिवादी की जमा धनराशि 23,13,000.00 रू0 उपरोक्‍त दर से ब्‍याज के साथ वापस करने में चूक करता है तब वह परिवादी की जमा धनराशि 23,13,000.00 रू0 परिवादी को जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज के साथ वापस करेगा।

    विपक्षी परिवादी को 10,000.00 रू0 वाद व्‍यय भी अदा करेगा।

    परिवादी विपक्षी द्वारा आदेशित धनराशि के भुगतान में चूक किये जाने पर विधि के अनुसार वसूली राज्‍य आयोग के माध्‍यम से कर सकता है।

 

                        (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)             

                                 अध्‍यक्ष                         

 

हरीश आशु.,

कोर्ट सं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 

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