MAHENDRA KUMAR filed a consumer case on 11 May 2022 against PROP.VIKAS NARAYAN in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/63/2016 and the judgment uploaded on 21 May 2022.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 63 सन् 2016
प्रस्तुति दिनांक 12.04.2016
निर्णय दिनांक 11.05.2022
महेन्द्र कुमार पुत्र रामकिशुन, निवासी मुहल्ला- हनुमानगढ़ी वार्ड नं.-2 लालगंज, थाना- देवगांव, जिला- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
प्रोo विकास नारायण श्री बाला जी ज्वेलर्स इण्डेन गैस ऑफिस के सामने, कॉलेज रोड लालगंज आजमगढ़।
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
याची ने अपने याचना पत्र में यह कहा है कि वह मुहल्ला- हनुमानगढ़ी वार्ड नं.-2 लालगंज, थाना- देवगांव, जिला- आजमगढ़ का मूल निवासी है। याची की पुत्री आरती देवी की शादी होना तय था जिसमें उपहार स्वरूप कुछ जेवरात देना था, जिसके बाबत याची ने विपक्षी से बात किया तो विपक्षी ने याची को 91.66 प्रतिशत शुद्धता के साथ जेवरात सोने का देने का वादा किया। याची विपक्षी के 91.66 प्रतिशत शुद्धता देने के विश्वास पर दिनांक 04.05.2015 को जेवरात बून्दा, नथुनी, पायल, मीना, सहारा नथुनी तथा दिनांक 15.04.2015 को चैन, अंगूठी अलग-अलग कीमत पर खरीदा। विपक्षी ने जेवरात खरीदते समय याची व याची की पत्नी तारा देवी व पुत्री आरती देवी को यह विश्वास दिलाया कि दिए गए जेवरात में किसी प्रकार की कमी आएगी तो विपक्षी जेवरात को वापस कर लेगा। विपक्षी द्वारा दिए गए जेवरात जब रंग बदलने लगे तो विपक्षी के यहाँ याची द्वारा शिकायत की गयी तो विपक्षी द्वारा आश्वासन दिया गया कि पुनः जब उसका माल आएगा तो परिवादी के जेवरात बदल कर अच्छे किस्म का माल परिवादी को दे दिया जाएगा, पता लगाते रहिएगा। याची द्वारा विपक्षी के यहाँ बार-बार जाने पर विपक्षी द्वारा माल न आने का बहाना बनाकर समय देकर टाला जाता रहा। विपक्षी द्वारा बार-बार दौड़ाते रहने और जेवरात को न बदलने से तंग आकर परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षी को कानूनी नोटिस दिया। लेकिन विपक्षी द्वारा कानूनी नोटिस प्राप्त करने के बावजूद भी उनके द्वारा कोई भी समुचित उत्तर नहीं दिया गया। विपक्षी के इस कृत्य से परिवादी काफी हैरान व परेशान हो रहा है और समस्त जेवरात का मूल्य मुo 47,000/- रुपए,मानसिक क्षति मुo 25,000/- रुपए तथा आर्थिक क्षति मुo10,000/- रुपए कुल 82,000/- का नुकसान हुआ है। अतः विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह परिवादी को उसके द्वारा बेचा गया जेवरात समस्त जिसकी कुल कीमत मुo 47,000/- रुपए है को वापस करे। साथ ही विपक्षी से याची को शादी के दौरान हुई मानसिक पीड़ा व क्षति हेतु मुo 25,000/- रुपए एवं विपक्षी के यहाँ दौड़-धूप करने में हुई शारीरिक व आर्थिक क्षति हेतु मुo 1,000/- दिलाया जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 5/1 व 5/2 विपक्षी द्वारा जारी जेवरात के सन्दर्भ में रसीद की छायाप्रति, तथा कागज संख्या 5/3 व 5/4 कानूनी नोटिस व रजिस्ट्री रसीद की छायाप्रति तथा कागज संख्या 15ग श्रीबाला जी ज्वेलर्स के नाम से प्रिन्टेड कैलेण्डर की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 10क² विपक्षी द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि याची महेन्द्र कुमार दिनांक 04.05.2015 को विपक्षी के दुकान पर आया और उक्त तिथि को उसने कुन्दा नथुनी, पायल, सहारा अलग-अलग कीमत पर सामान लिया था जो मुo 11,200/- रुपए का था, जिसमें याची ने 11,000/- रुपए नकद जमा किया और शेष 200/- रुपए लेस कर दिया गया था। उक्त तिथि को विपक्षी ने अपने पैड पर जो श्री बाला जी ज्वेलर्स इण्डेन गैस ऑफिस के सामने का लेन रोड लालगंज आजमगढ़ पर जिसमें “भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रमाणित हाल मार्क जेवलरी 91.66% सभी ग्रहों के रत्न एवं उपरत्न व चांदी के बर्तन व जेवरों के विक्रेता” लिखा पैड याची के पास पहले से था, पर आभूषणों की सूची बनाकर दिया। दिनांक 15.04.2015 को याची विपक्षी के दुकान पर आया तो चैन, अंगूठी अलग-अलग कीमत पर 28,400/- + 8,300/- कुल 36,700/- रुपए में क्रय किया जिसमें रु. 36,000/- नकद जिमा किया तथा 700/- रुपए लेस कर दिया गया उक्त तिथि को विपक्षी के पास पूर्व का पैड जिसमें “भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रमाणित हाल मार्क ज्वेलरी 91.66% सभी ग्रहों के रत्न एवं उपरत्न व चांदी के बर्तन व ज्वेलरी के विक्रेता” विपक्षी के पास था पूर्व के पैड पर आभूषणों की सूची बनाकर दिया। विपक्षी ने याची को बताया कि यह पैड पूर्व का छपा है जिस पर 91.66% शुद्धता की बात अंकित है जबकि वर्तमान समय में 85% के हिसाब से माल आ रहा है। यायी को पूर्व के पैड पर 85% वापसी की बात लिखकर भी दिया था। याची उपरोक्त आभूषणों को उपयोग अपनी पुत्री की शादी में करने के पश्चात् आभूषण को विपक्षी के दुकान पर लेकर आया तथा आभूषण को 91.66% शुद्धता की बात कहक विक्रय करने
की बात करने लगा तो विपक्षी ने बताया कि जेवरात खरीदते समय पूर्व प्रिन्टेड पैड पर लिखकर दिया गया था, किन्तु उक्त जेवरात की वापसी 85% के हिसाब से वापस होगी जो याची के पैड पर वापसी 85% की बात लिखकर भी दिया गया था। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि याची ने शादी सम्पन्न होने के पश्चात् उपरोक्त आभूषणों को विक्रय कर पैसा वापस लेना चाहता है ताकि उसका शादी का उद्देश्य आभूषण दिखाकर पूरा हो जाए और पैसा भी वापस हो जाए। विपक्षी द्वारा परिवादी को किसी भी तरह का कोई गलत आश्वासन नहीं दिया गया था कि जब उसका माल आएगा तो परिवादी को अच्छे किस्म का दे दिया जाएगा। विपक्षी द्वारा परिवादी को कभी हैरान व परेशान नहीं किया गया और न ही जेवरात बदलने के लिए बार-बार दौड़ाया गया। परिवाद पत्र पोषणीय नहीं है। अतः खारिज किया जाए।
विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने उपस्थित होकर अपना बहस सुनाया, जबकि विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता अनुपस्थित रहे। विपक्षी को अपना बहस सुनाने हेतु पर्याप्त अवसर दिए जाने पर भी विपक्षी ने अपना बहस नहीं सुनाया। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की बहस को सुना तथा पत्रावली एवं साथ में संलग्न प्रलेखीय साक्ष्यों का अवलोकन किया। यहाँ विपक्षी का अपने जवाबदावा यह कहना है कि जिस पर्चे पर उसने प्रश्नगत जेवरात के विक्रय का बिल याची को दिया है वह पैड पूर्व का छपा है , जिस पर 91.66% शुद्धता की बात अंकित है, जबकि तत्कालीन वर्तमान समय में 85% की शुद्धता के हिसाब से माल आ रहा है तथा याची को पूर्व के पैड पर 85% की शुद्धता की बात विपक्षी लिखकर भी दिया है। विपक्षी का यह उपरोक्त कथन कहीं से भी सत्य एवं सही प्रमाणित नहीं होता है। जबकि परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के समर्थन में प्रलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज संख्या 5/1व5/2 जो कि विपक्षी के ज्वैलरी के विक्रय सम्बन्धी बिल है, पर स्पष्ट रूप से “भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रमाणित हाल मार्क ज्वेलरी 91.66% की शुद्धता की ज्वेलरी के विक्रेता” की बात का उल्लेख है। इसके अलावां पर्चे में कहीं भी 85% की शुद्धता का उल्लेख नहीं है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद परिवादी के पक्ष में तथा विपक्षी के विरुदध स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद परिवादी के पक्ष में तथा विपक्षी के विरुद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी से परिवाद में उल्लिखित प्रश्नगत जेवरात को विक्रय बिल कागज संख्या 5/1 व 5/2 के अनुसार वापस लेकर परिवादी को उसकी कुल कीमत मुo 47,000/- रुपए (रु.सैंतालीस हजार मात्र) अन्दर 30 दिन परिवाद दाखिला की तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक 09% वार्षिक ब्याज की दर से अदा करे। साथ ही विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह शादी के दौरान परिवादी को हुई शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति हेतु मुo 20,000/- रुपए (रु. बीस हजार मात्र) भी परिवादी को अदा करे।
उक्त समय मियाद में आदेश का अनुपालन विपक्षी द्वारा न करने की स्थिति में विपक्षी उपरोक्त समस्त धनराशि निर्णय की तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक 12% वार्षिक ब्याज के साथ परिवादी को अदा करेगा।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 11.05.2022
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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