Rajasthan

Kota

CC/110/2011

Dinesh kumar prajapati - Complainant(s)

Versus

Prop. Radhika Mobile world - Opp.Party(s)

Ajay mahawar

22 Jan 2016

ORDER

दिनेश कुमार बनाम राधिका मोबाईल वल्र्ड आदि।
परिवाद संख्या 110/11


22.01.2016        दोनों पक्षों को सुना जा चुका है। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
परिवादी ने विपक्षीगण का संक्षेप में यह दोष बताया है कि विपक्षी-एल.जी. इलेक्ट्रोनिक्स इण्डिया प्रा. लि., जयपुर(निर्माता) द्वारा निर्मित मोबाईल हैण्डसेट मोडल नं. के.एस.660 विपक्षी-राधिका मोबाईल वल्र्ड, कोटा (विक्रेता) से 05.02.2010 को नगद 14000/-रूपये अदा करके खरीदा था। उसे उपयोग में लेने पर हेंग होने व फंक्शन सही काम नहीं करने की समस्या वारन्टी अवधि में  आने पर विक्रेता के निर्देश पर कम्पनी के अधिकृत सर्विस सेन्टर विपक्षी-साइबर इन्फोटिक्स, कोटा पर चार बार शिकायत की गई लेकिन उसे पूरी तरह ठीक नहीं किया हर बार एक-डेढ़ माह तक रखा बाद में कह दिया कि निर्माण दोष है। विपक्षी-विक्रेता ने उसके स्थान पर बदलकर दूसरा मोबाईल देने से इंकार कर दिया। लीगल नोटिस भेजा गया तब भी न तो मोबाईल ठीक किया और न बदल कर दिया इससे परिवादी को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप हुआ है। 
विपक्षी-विक्रेता व सर्विस सेन्टर नोटिस की विधिवत तामील होने के बावजूद उपस्थित नहीं हुए इसलिये उनके विरूद्ध एक-पक्षीय कार्यवाही के आदेश दिये गये।
विपक्षी-निर्माता के जवाब का सार है कि उनके द्वारा निर्मित सेट में कोई निर्माण-दोष नहीं है, इस बाबत् परिवादी ने विशेषज्ञ की कोई जांच रिपोर्ट भी प्रस्तुत नहीें की है। मिस हैण्डलिंग एवं मिस यूज से ही सेट खराब हुआ है, इसके बावजूद उनके सर्विस सेन्टर ने उचित सेवाएंे दी हैं वह अब भी सेट को सही करने व सेवा देने के लिए तैयार हैं उनका कोई दोष नहीं है।
परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा मोबाईल खरीद बिल, विपक्षी-विक्रेता व निर्माता को प्रेषित नोटिस आदि की प्रति प्रस्तुत की हैं। विपक्षी-निर्माता ने साक्ष्य में एस.सुन्दरम, का शपथ-पत्र प्रस्तुत किया है। 
हमने विचार किया ।
जहां तक मोबाईल के निर्माण-दोष या मरम्मत में कमी का प्रश्न है विके्रता का कोई उत्तरदायित्व नहीं बनता है, उसके विरूद्ध परिवाद खारिज होने योग्य है।
परिवादी ने मोबाईल सेट में निर्माण-दोष होने बाबत  किसी तकनीकी विशेषज्ञ की कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है। 
जहां तक मोबाईल की समस्या बताने पर निर्माता-कम्पनी के अधिकृत सर्विस सेन्टर द्वारा उसे सही तरह से ठीक नहीं करने का प्रश्न है, विपक्षी-सर्विस सेन्टर ने नोटिस प्राप्त होने पर अवसर होने के बावजूद उपस्थित होकर अपना पक्ष नहीं रखा है। यद्यपि विपक्षी-निर्माता कम्पनी का केस है कि सर्विस सेन्टर ने सुचारू सेवा दी थी, लेकिन इसकी पुष्टी हेतु सर्विस देने वाले का कोई शपथ-पत्र या दस्तावेज पेश नहीं किया है। 
इस प्रकार हम पाते हैं कि विपक्षी-निर्माता कम्पनी मोबाईल सेट की समस्या को पूरी तरह सही करने के अपने दायित्व को पूरा करने में विफल रही है जो कि सेवा-दोष है।
अतः विपक्षी-निर्माता कपनी को निर्देश दिये जाते हैं कि परिवादी के मोबाईल हैण्डसेट की समस्या का उचित एवं सही निराकरण उसके संतोष के अनुसार एक माह में किया जावे, यदि मोबाईल सेट ठीक होने योग्य नहीं है तो उसके स्थान पर उसी मोडल का नया व सही मोबाईल सेट दिया जावे। इसके अलावा मानसिक संताप की भरपाई हेतु 2000/-रूपये एवं परिवाद व्यय के पेटे 2000/-रूपये अर्थात कुल 4000/-रूपये भी परिवादी को एक माह में अदा किये जावें।
आदेश खुले मंच में सुनाया गया। पत्रावली फैसल शुमार होकर रिकार्ड में जमा हो।

 

(हेमलता भार्गव)                (महावीर तॅंवर)       (भगवान दास)
   सदस्य                         सदस्य        अध्यक्ष

 

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