Rajasthan

Kota

CC/188/2010

Tarachand Gupta - Complainant(s)

Versus

Prop. M/S Manorangan - Opp.Party(s)

Liladhar Agrawal

21 Jan 2016

ORDER

ताराचन्द गुप्ता बनाम मैसर्स मनोरंजन, कोटा आदि।
परिवाद संख्या 188/2010

 

21.01.2016        दोनों पक्षों को सुना जा चुका है। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
परिवादी ने विपक्षीगण का संक्षेप में यह दोष बताया है कि विपक्षी-विक्रेता(मैसर्स मनोरंजन, कोटा) से विपक्षी-निर्माता ( केरियर एयर कंडीशनिंग एण्ड रेफ्रिजरेशन लि. गुड़गांव ) द्वारा निर्मित स्पिलिट ऐ.सी. (माॅडल - ड्यूरोकूल प्लस) दिनांक 04.05.2010 को नगद 37850/-रूपये अदा करके खरीदा जिसे विक्रेता ने इन्स्टाल कराया था। अचानक 17.05.10 को रात में मशीन के अन्दर बस्र्ट होने की तेज अवाज के साथ ऐ.सी. ने काम करना बन्द कर दिया, जिसकी शिकायत दिनांक 18.05.10 को करने पर विपक्षी-विक्रेता ने मैकेनिक आरिफ को भेजा लेकिन उसने ठीक नहीं किया। विपक्षी-विक्रेता ने वारन्टी मंे होने के बावजूद ठीक करने के चार्ज लगना बताया। विपक्षीगण को 19.05.10 को लीगल नोटिस भेजे गये। विपक्षी निर्माता के जयपुर कार्यालय से 21.05.10 को जसवीर सिंह ने परिवादी के मिस्त्री से बात कर यह स्वीकार किया कि ऐ.सी. लगाने में कोई गलती हो सकती है, उसे ठीक करा देंगे लेकिन उनका कोई मिस्त्री नहीं आया। परिवादी ने मजबूरी में मिस्त्री शफात खाॅंन से ठीक कराया जिसके 2200/-रूपये  अदा किये। उसके बाद भी ऐ.सी ठीक नहीं चल रहा है उसमें दोष है। विपक्षीगण ने दोषपूर्ण ऐ.सी. देकर व उसकी मरम्मत नहीं करके सेवा में कमी की है जिससे परिवादी को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप हुआ है। 
विपक्षी-विक्रेता के जवाब का सार है कि परिवादी ने संतुष्ट होकर ऐ.सी. खरीदा, उसके इन्स्टालेशन के समय उनके कर्मचारी ने समझाया था कि जहां    आउटडोर यूनिट लगवाई जा रही है वह जगह उपयुक्त नहीं है लेकिन परिवादी ने वहां ही लगवाई।  परिवादी इन्स्टालेशन से भी संतुष्ट था। ऐ.सी. सही दिया गया। अभी भी सही काम कर रहा है। ऐ.सी. में यदि कोई निर्माण-दोष है तो उसके लिये निर्माता कम्पनी ही उत्तरदायी है। परिवादी ने कम्पनी द्वारा दी गई वारन्टी की शर्तों के विपरीत ऐ.सी. के संचालन व रख-रखाव में लापरवाही की व मिसहैण्डल किया जिसके लिये वही उत्तरदायी हैे। उनके कर्मचारी को भी काम करने से रोका गया। उनका कोई सेवा-दोष नहीं है। 
विपक्षी-निर्माता की ओर से प्रारंंिभक आपत्ति सहित संक्षेप में प्रकट किया गया है कि जब ऐ.सी. परिवादी के यहाॅं लगाया गया तब पूरी तरह सही था। उसमें कोई निर्माण-दोष नहीं है। उसमें कोई विशिष्ट कमी भी नहीं बताई गई है। किसी विशेषज्ञ की रिपोर्ट भी पेश नहीं की है। दिनांक 16.05.11 को ऐ.सी.  की सर्विस की गई थी जिससे परिवादी पूरी तरह संतुष्ट था। परिवाद झूठा पेश किया गया है। उनकी ओर से परिवादी के परिवाद का पेरावाईज उत्तर नहीं दिया गया है।
परिवादी ने साक्ष्य मेें शपथ-पत्र के अलावा ऐ.सी. खरीद बिल, मरम्मत बिल, मिस्त्री शफात खाॅंन की रिपोर्ट, विपक्षीगण को प्रेषित लीगल नोटिस व कोरियर रसीद फोटो आदि  दस्तावेज की प्रतियां प्रस्तुत की गई हैं ।
विपक्षी-विक्रेता ने साक्ष्य में हरप्रीत सिंह व मोहम्मद आरिफ के शपथ-पत्र प्रस्तुत किये है। विपक्षी-निर्माता ने साक्ष्य में कोई शपथ-पत्र प्रस्तुत नहीं किया है। वारन्टी व 06.05.10, 16.05.11 की रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
हमने विचार किया। 
दिनांक 16.05.11 की सर्विस रिपोर्ट पर परिवादी अथवा यूजर के हस्ताक्षर हैं। जिस पर यह अंकन है कि-ऐ.सी. चालू है, कूलिंग भी सही है, कोई आवाज नहीं है ऐ.सी. ओके है। इससे स्पष्ट है कि ऐ.सी. में कोई निर्माण-दोष नहीं है। परिवादी ने निर्माण-दोष बाबत् किसी विशेषज्ञ की कोई जांच रिपोर्ट भी प्रस्तुत नहीं की है। इस प्रकार हम पाते हैं कि परिवादी ऐ.सी. मंे निर्माण-दोष होना सिद्ध नहीं कर सका है।
जहां तक ऐ.सी. की 17.05.10 को की गई शिकायत का निवारण नहीं करने का प्रश्न है विपक्षी-विक्रेता ने कहा है कि उनके कर्मचारी को काम नहीं करने दिया। इस बाबत् कर्मचारी आरिफ ने शपथ-पत्र भी दिया है। जिसका परिवादी ने खण्डन नहीं किया है इसलिये विपक्षी-विक्रेता को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। 
जहां तक विपक्षी-निर्माता का प्रश्न है परिवादी का स्पष्ट केस है कि उनके जयपुर कार्यालय से जसवीर सिंह ने मिस्त्री से बात की व ऐ.सी. लगाने मंे गलती हो सकने को स्वीकार करते हुये 4-5 दिन में ठीक कराने का वायदा किया लेकिन उनका कोई मिस्त्री ठीक करने नहीं आया। परिवाद के इन तथ्यों का विपक्षी-निर्माता की ओर से स्पष्ट खण्डन नहीं किया गया है। इस प्रकार विपक्षी-निर्माता का यह सेवा-दोष सिद्ध है कि सूचना मिलने के बावजूद ऐ.सी. को ठीक नहीं कराया गया। मजबूरी मेे परिवादी ने अन्य मिस्त्री शफात खाॅंन से ऐ.सी. ठीक कराया, उस समय वह वारन्टी में था, परिवादी को ठीक कराने के उस मिस्त्री को 2200 /-रूपये अदा करने पड़े जिसकी पुष्टी परिवादी द्वारा प्रस्तुत किये गये बिल व मिस्त्री की रिपोर्ट से होती है, इसलिये विपक्षी-निर्माता परिवादी को 2200/-रूपये अदा करने के लिये उत्तरदायी है। इसके अलावा परिवादी को हुई मानसिक/शारीरिक पीड़ा की भरपाई व परिवाद व्यय अदा करने के लिये भी उत्तरदायी है। 
अतः विपक्षी-निर्माता को निर्देश दिये जाते हैं कि परिवादी को एक माह में क्षतिपूर्ति बाबत् 2200/-रूपये व इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक 03.06.10 से अदा करने तक 9  प्रतिशत साधारण ब्याज, इसके अलावा मानसिक/शारीरिक पीड़ा की भरपाई हेतु 1000/-रूपये व परिवाद व्यय के पेटे 2500/-रूपये भी अदा करे। विपक्षी-विक्रेता के विरूद्ध परिवाद खारिज किया जाता है। 
 आदेश खुले मंच में सुनाया गया। पत्रावली फैसल शुमार होकर रिकार्ड में जमा हो।

 

(हेमलता भार्गव)               (महावीर तॅंवर)            (भगवान दास)
   सदस्य                     सदस्य            अध्यक्ष

 

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