पत्रावली आदेश हेतु प्रस्तुत हुई। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
प्रार्थना पत्र दिनांक 26.08.2021 पर सुना जा चुका है। प्रार्थना पत्र दिनांक 26.08.2021 विपक्षी बैंक की ओर से इस आशय का प्रस्तुत किया गया है कि वर्तमान परिवाद के समान तथ्य एवं वाद कारण के आधार पर परिवादी ने पूर्व में परिवाद पत्र संख्या-147/2010 संस्थित किया था जो दिनांक 12.08.2015 को परिवादी की अनुपस्थिति में खारिज हो गया। परिवादी ने उन्हीं आधारों पर वर्तमान द्वितीय परिवाद दायर किया है जो कि विधितः पोषणीय नहीं है। परिवाद अति कालबाधित भी है। परिवाद निरस्त किये जाने की याचना की गई है।
परिवादी पक्ष का कथन है कि उनके द्वारा द्वितीय परिवाद प्रस्तुत करने में कोई विधिक बाधा नहीं है और प्रार्थना पत्र में प्रथम परिवाद का अंकन किया गया है।
विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में अंसल हाउसिंग एंड कन्सट्रंक्शन लिमिटेड बनाम इंडियन मशीनरी कम्पनी 2013 एन सी जे 634 (एन सी) के निर्णय दिनांकित 24.05.2013 में प्रतिपादित विधि सिद्वान्त का सन्दर्भ लिया है।
पत्रावली के अवलोकन से विदित है कि स्टीबिया पौधे की खेती के लिये वर्ष 2008-09 में विपक्षी से स्टीबिया की पौध दिलाया जाना और विपक्षी संख्या-02 द्वारा उसके लिये ऋण स्वीकृत होकर दिनांक 23.05.2008 को धनराशि दिया जाना अंकित है जिससे स्पष्ट है कि परिवाद से सम्बन्धित प्रकरण वर्ष 2008-09 का है। वर्तमान परिवाद दिनांक 24.03.2017 को प्रस्तुत किया गया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्राविधानों के अनुसार किसी उपभोक्ता द्वारा परिवाद, वाद कारण उत्पन्न होने से दो वर्ष के अंदर प्रस्तुत होना चाहिये जिससे स्पष्ट है कि वर्तमान परिवाद कालबाधित है और परिवाद दायर करने में हुई देरी क्षमा का कोई प्रार्थना पत्र भी परिवादी की तरफ से वाद दायर करते समय नहीं दिया गया है।
परिवाद पत्र के अवलोकन से यह विदित है कि धारा-5 में परिवादी ने इन्हीं तथ्यों के आधार पर पूर्व में प्रस्तुत परिवाद संख्या-147/2010 दिनांक 12.08.2015 को अनुपस्थिति में निरस्त होना अंकित किया है। परिवाद संख्या-147/2010 की पत्रावली के अवलोकन से विदित है कि दिनांक 12.08.2015 को परिवादी की अनुपस्थिति में परिवाद निरस्त किया गया। ऐसी स्थिति में परिवादी को परिवाद संख्या-147/2010 को रेस्टोर कराने के लिये सक्षम न्यायालय के समक्ष विधिक कार्यवाही करनी चाहिये थी। समान तथ्य व वाद कारण के द्वितीय परिवाद प्रस्तुत करने का कोई भी प्राविधान उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में नहीं है।
विपक्षी की ओर से संदर्भित निर्णय अंसल हाउसिंग एंड कन्सट्रंक्शन लिमिटेड बनाम इंडियन मशीनरी कम्पनी (उपरोक्त) में भी परिवादी का प्रथम परिवाद उसके अनुपस्थिति में निरस्त हुआ था और परिवादी द्वारा उन्हीं तथ्यों के आधार पर दूसरा परिवाद प्रस्तुत करने पर उसे विधितः पोषणीय नहीं माना गया। उपरोक्त विधि सिद्वान्त वर्तमान प्रकरण में लागू होता है।
उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि वर्तमान द्वितीय परिवाद उन्हीं तथ्यों तथा वाद कारण पर प्रस्तुत किया गया जिसके आधार पर पूर्व में प्रस्तुत परिवाद संख्या-147/2010 परिवादी की अनुपस्थिति में निरस्त हुआ था। वर्तमान परिवाद वाद कारण उत्पन्न होने से लगभग आठ वर्षो के पश्चात् अत्यंत देरी से प्रस्तुत किया गया है जो निश्चित रूप से कालबाधित है। अतः वर्तमान द्वितीय परिवाद कालबाधित होने के कारण निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का वर्तमान परिवाद कालबाधित होने के कारण निरस्त किया जाता है।
सदस्य सदस्य अध्यक्ष