Uttar Pradesh

StateCommission

A/794/2024

Ram Singh - Complainant(s)

Versus

Pro. Ved Prakash Sharma - Opp.Party(s)

Amod Rathor & Deepak Kumar Mishra

25 Sep 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/794/2024
( Date of Filing : 04 Jun 2024 )
(Arisen out of Order Dated 01/05/2024 in Case No. Complaint Case No. CC/161/2018 of District Auraiya)
 
1. Ram Singh
village bahadurpur post harvanshpur distt auraiya
...........Appellant(s)
Versus
1. Pro. Ved Prakash Sharma
furniture house durga nagar auraiya
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 25 Sep 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-794/2024

राम सिंह पुत्र स्‍व0 रोशन सिंह, निवासी ग्राम बहादुरपुर, पोस्‍ट हरवंशपुर, जिला औरैया।

..............अपीलार्थी/परिवादी

बनाम

प्रो0 वेद प्रकाश शर्मा, फर्नीचर हाउस, निवासी मु0 दुर्गा नगर औरैया।

.............प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री आमोद राठौर

प्रत्‍यर्थी की अधिवक्‍ता          : कोई नहीं।

दिनांक :- 25.9.2024

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/परिवादी राम सिंह की ओर से इस आयोग के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, औरैया द्वारा परिवाद सं0-161/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 01.5.2024 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी

द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी को अपने नवनिर्मित भवन में दरवाजे और खिडकी किवाड शीशम की पक्‍की लकड़ी के बनाकर लगाये जाने हेतु आदेशित किया गया था, जिस पर प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा अपीलार्थी/परिवादी के गॉव जाकर खिडकी व दरवाजे की नाप जोख दिनांक 08.12.2016 को की गई तथा रू0 10,500.00 अपीलार्थी/परिवादी से एडवांस में प्राप्‍त किये और रू0 10,000.00 शीशम की पक्‍की लकडी हेतु लिए गये एवं बाद में रू0 30,000.00 बैंक द्वारा अदा किये गये, इस प्रकार अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी को कुल 51,500.00 रू0 प्राप्‍त कराये गये। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा जो पक्‍की शीशम की लकडी तय की

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उसके एवज में मिलती-जुलती किस्‍म की लकडी के दरवाजे व खिडकी बनाकर चढवा दिये और 1,000.00 रू0 दिनांक 07.4.2017 को प्राप्‍त कर लिए, तदोपरांत जो दरवाजे व खिडकी तैयार कर लगाई गई वह लकडी में नमी आ जाने के कारण टेढ़े पडने लगे और धीरे-धीरे सभी दरवाजे और खिडकी बन्‍द न होने की स्थिति में आने पर उपरोक्‍त दुकानदार से दरवाजे और खिडकी को बार-बार ठीक करने को कहा गया, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा उसे ठीक नहीं किया गया अत्एव प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की घोर लापरवाही व उपेक्षा से तंग आकर अपीलार्थी/परिवादी द्वारा अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से विधिक नोटिस भिजवाई गई, परन्‍तु कोई कार्यवाही नहीं की गई अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इंकार किया गया तथा यह कथन किया गया है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी फर्नीचर बनाकर खिडकी दरवाजे लगाता है, उसने अपीलार्थी/परिवादी के दरवाजे व खिडकी के पल्‍ले पक्‍के शीशम के बनाकर उसके घर के मकान ग्राम बहादुरपुर में उसने स्वयं व साथ में ज्ञानेन्द्र शर्मा व एक व्यक्ति को लेकर चार जोडी दरवाजा डबल पल्ला, चार जोडी सिंगल पल्ला दरवाजा, 14 पल्‍ला खिडकी व रोशनदान में कांच की फिटिंग, एक चौकी तथा एक पटा तैयार करके लगाये थे। सभी पक्की शीशम की लकडी थी जिसको बनाने में 15 दिन का समय लगा तथा रू0 54,962/- का खर्चा आया था। रू0 51,500/- अपीलार्थी/परिवादी ने दिया था। रू0 3462/- नहीं दिया था, जिसको माँगने जब प्रत्‍यर्थी/विपक्षी गया तो रूपये देने से मना कर दिया एवं बेईमानी की नियत से कहा कि दरवाजे ठीक से नहीं लगे हैं, वह टेढे हो गये और यह भी कहा कि जब दोबारा

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रूपये मांगोगे तो जान से मरवा देगे, जो दरवाजे खिडकी के पल्ले लगे हैं वह पक्के शीशम के हैं दबाव बनाने के लिए झूठा मुकदमा अपीलार्थी/परिवादी द्वारा दाखिल किया गया है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को निरस्‍त कर दिया है, जिससे क्षुब्‍ध अपीलार्थी/परिवादी की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपीलार्थी/परिवादी के अभिकथनों एवं उसकी ओर से प्रस्‍तुत साक्ष्‍य पर विचार न कर जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है, जो कि अनुचित है।

यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा शीशम की लकडी के जो खिड़की व दरवाजे तैयार किये गये थे, उनमें नमी आ जाने के कारण सभी खिड़की व दरवाजे टेढे हो गये, जिनको ठीक करने के लिए प्रत्‍यर्थी/विपक्षी से कहा गया, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा उपरोक्‍त कमियों को दूर नहीं किया गया।

यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा सम्‍पूर्ण धनराशि का भुगतान प्रत्‍यर्थी/विपक्षी को किया जा चुका है उसके बावजूद भी उसके द्वारा खिडकी दरवाजों को ठीक नहीं किया गया है, जो कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की सेवा में कमी को प्रदर्शित करता है।

यह भी कथन किया गया कि रू0 3,462.00 का जो बकाया प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा दर्शाया गया है, वह अनुचित है। यह भी कथन किया गया कि टेढे-मेढ़े दरवाजों में सिटकनी, हुक इत्‍यादि समुचित

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रूप से नहीं लग पा रहे हैं, जिससे कि अपीलार्थी/परिवादी को घोर परेशानी का सामना करना पड रहा है। अत्एव अपील को स्‍वीकार कर जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश को अपास्‍त किये जाने की प्रार्थना अपीलार्थी के अधिवक्‍ता द्वारा की गई। 

मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता के कथनों को विस्‍तार पूर्वक सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि प्रस्‍तुत मामले में अपीलार्थी द्वारा प्रत्‍यर्थी से शीशम की पक्की लकडी के दरवाजे व खिडकी बनवाने की बात तय हुई थी, जिस हेतु प्रत्‍यर्थी को 51,500.00 रू0 दिये गये थे, परन्तु अपीलार्थी के कथनानुसार उसे शीशम से मिलती-जुलती दूसरी लकडी के दरवाजे व खिडकी लगाकर दिये गये, जो लकडी में नमी के कारण टेढे पडने लगे, जिसे ठीक करने के लिए कहा गया तो प्रत्‍यर्थी द्वारा उसे ठीक नहीं किया गया अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

अपीलार्थी द्वारा अपील में उल्लिखित कथन के समर्थन में दरवाजे व खिडकी के टेढे़ होने से सम्‍बन्धित रंगीन छायाचित्रों की प्रतियॉ प्रस्‍तुत की गई हैं एवं उभय पक्षों के मध्‍य हुए किसी करार की प्रति अथवा लकडी के संबंध में हुए क्रय-विक्रय के बिल बाउचर की प्रति प्रस्‍तुत नहीं किये गये हैं। 

प्रस्‍तुत मामले में यह तथ्‍य उल्‍लेखनीय है कि शीशम की लकड़ी में थोडी बहुत नमी के कारण पल्‍ले टेढे होना स्वाभाविक है, क्‍योंकि

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शीशम की लकडी में सूखने के बाद भी नमी पकड लेती है, जिस कारण से दरवाजे व खिडकियों का टेढा होना स्‍वाभाविक है। प्रस्‍तुत मामले में उभय पक्षों के मध्‍य हुए कराकर से सम्‍बन्धित प्रपत्रों को साक्ष्‍य के रूप में व अन्‍य प्रपत्रों अर्थात बिल/बाउचर की रसीदों को प्रस्‍तुत नहीं किया गया है, जिसके अभाव में अपीलार्थी को क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है और इस संदर्भ में प्रत्‍यर्थी की सेवा में कमी भी स्‍पष्‍ट रूप से प्रमाणित नहीं होती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश मेरे विचार से पूर्णत: विधि सम्‍मत है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलीय स्‍तर पर नहीं पायी जाती है, तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                               (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                

                                          अध्‍यक्ष                                                                                                                               

 

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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