जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 03/2015
राजेन्द्र सारण पुत्र श्री भंवरलाल सारण, जाति- जाट, निवासी- झाडीसरा, तहसील व जिला-नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. प्रबन्धक/अधिकृत प्रतिनिधि- सोनी टेलीकाॅम, गांधी चैक, नागौर।
2. मैसर्स श्रीमती सुगनी कामीनीकेशन, दुकान नं. 4-5, करणी काॅम्पलेक्स, एसबीआई एटीएम के पास, गांधी चैक, नागौर।
3. प्रबन्धक/मैनेजर, एस ग्लोबल नोलेज केयर एक्जीटीव, सी/ओ स्पाईस रिटेल लिमिटेड, एस ग्लोबल नोलेज पार्क 19 ए एण्ड 19 बी, एसत 125, नोयडा- 201301 यू.पी. (भारत)।
-अप्रार्थी
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री राजेन्द्र सारण, परिवादी मय अधिवक्ता उपस्थित।
2. श्री विमलेश प्रकाश जोशी, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थी।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे श दिनांक 15.07.2015
1. परिवाद-पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 1 से अप्रार्थी संख्या 3 स्पाईस कम्पनी द्वारा निर्मित मोबाइल माॅडल 5371 दिनांक 30.07.2014 को 1500/- रूपये में क्रय किया। जिसकी एक साल
तक की वारंटी दी गई। विवादित मोबाइल निर्माण सम्बन्धी त्रुटि व दोष से ग्रसित था। उसमें कभी आवाज नहीं आती तो कभी रिंग नहीं बजती, कभी डिस्प्ले बंद हो जाता तो कभी अपने आप ही बंद हो जाता एवं वापिस चालू हो जाता। इस प्रकार से कुछ ही दिनों में मोबाइल खराब हो गया। इसकी शिकायत अप्रार्थी संख्या 1 को की गई तो उसने अप्रार्थी संख्या 2 के यहां भेज दिया। अप्रार्थी संख्या 2 के यहां मोबाइल ठीक करने के लिए छोड दिया गया। दो-तीन दिन बाद उसके पास गया तो उसने कहा कि मोबाइल ठीक कर दिया गया है, अब खराब नहीं होगा। परन्तु मोबाइल पूर्व की भांति खराब हो गया। इस पर फिर से शिकायत की गई। अप्रार्थी संख्या 2 के पास गया परन्तु उसने रिपेयर करने से मना कर दिया। अप्रार्थी संख्या 1 भडक गया और अप्रार्थी संख्या 2 ने धक्का-मुक्की व गाली गलोज कर दुकान से बाहर निकाल दिया। निर्माण सम्बन्धी त्रुटि होने के कारण ठीक नहीं हो सका है। परिवादी निर्माण दोष होने के कारण मोबाइल का सही उपयोग व उपभोग नहीं कर सका। इसके कारण उसे मानसिक परेशानी हुई, आवश्यक कार्य नहीं कर पाया। अतः प्रार्थी को नया मोबाइल दिलाया जाये अन्यथा मोबाइल की कीमत 1500/- रूपये मय ब्याज एवं हर्जा-खर्चा भी दिलाया जाये।
2. अप्रार्थी संख्या 1 का जवाब संक्षेप में निम्न प्रकार हैः- बिल में स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है कि मोबाइल की वारंटी सर्विस सेंटर से प्राप्त होगी। दुकान से कोई वारंटी नहीं है। मोबाइल खरीद के समय सही था, कोई खराबी नहीं थी। अप्रार्थी संख्या 1 ने परिवादी को मोबाइल ठीक कराने के लिए अप्रार्थी संख्या 2 के पास भेजा क्योंकि अप्रार्थी संख्या 2 अधिकृत सर्विस सेंटर था। प्रार्थी से कभी कोई दुव्र्यवहार नहीं किया। अप्रार्थी संख्या 1 का कोई दायित्व नही है। अतः मय खर्चा परिवाद-पत्र खारिज किया जावे।
3. यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि अप्रार्थी संख्या 3 का जवाब 15.07.2015 को पेश हुआ है जो कि मियाद बाहर है। समय सीमा में प्रस्तुत नहीं करने का कोई कारण नहीं बताया है। अतः इसे रिकार्ड पर नहीं लिया गया है।
4. बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। पत्रावली का गहनता पूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया। पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि अप्रार्थी संख्या 1, अप्रार्थी संख्या 3 का अधिकृत डीलर है। अप्रार्थी संख्या 2, अप्रार्थी संख्या 3 का अधिकृत सर्विस सेंटर है। जहां तक विवादित मोबाइल के खराब होने का प्रश्न है, स्वयं अप्रार्थी संख्या 1 ने इस बात को स्वीकार किया है कि प्रार्थी मोबाइल के खराब होने की शिकायत उसके पास लेकर आया था। प्रार्थी को अप्रार्थी संख्या 1 ने अप्रार्थी संख्या 2 के यहां मरम्मत के लिए भेज दिया था। अप्रार्थी संख्या 1 ने स्वयं को दायित्व से मुक्त माना है। हमारी राय में प्रार्थी ने अपनी आर्थिक स्थिति एवं आवश्यकता को देखते हुए विवादित मोबाइल क्रय किया। क्रय करने के बाद प्रार्थी का ऐसा कोई ध्येय नहीं है कि अप्रार्थी से वह किसी प्रकार का अनुचित लाभ लेना चाहता हो या कोई सौदेबाजी करके कोई धन कमाना चाहता हो। बार-बार विवादित मोबाइल खराब हुआ है। कभी उसकी आवाज साफ नहीं आती। कभी मोबाइल स्वतः ही बंद हो जाता है, कभी स्वतः ही चालू हो जाता है। कभी स्क्रीन गायब हो जाती है। इससे प्रथम दृष्टया प्रमाणित है कि विवादित मोबाइल निर्माण सम्बन्धी दोष से ग्रसित है, जिसकी जिम्मेदारी अप्रार्थी संख्या 1 लगायत 3 की विधिक तौर पर बनती है। अप्रार्थीगण के तर्क सारहीन है। इस प्रकार से परिवादी अपना परिवाद साबित करने में सफल रहा है। परिवादी का परिवाद-पत्र अप्रार्थीगण के विरूद्ध निम्न प्रकार से स्वीकार किया जाता हैः-
आदेश
5. आदेश दिया जाता है कि अप्रार्थीगण, परिवादी को विवादित मोबाइल माॅडल संख्या 5371 के स्थान पर उसी माॅडल व कम्पनी का नया मोबाइल दें। अगर अप्रार्थी, प्रार्थी को उक्त कम्पनी एवं माॅडल का मोबाइल देने में असमर्थ हैं तो उसे मोबाइल की कीमत 1500/- रूपये अदा करें। अप्रार्थीगण परिवादी को परिवाद-व्यय एवं मानसिक संताप के कुल 1500/- रूपये भी अदा करें।
आदेश आज दिनांक 15.07.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या