जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 207/2014
देवेन्द्र राज कल्ला पुत्र श्री कन्हैयालाल कल्ला, निवासी- तेलीवाडा, नागौर, तहसील व जिला-नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. प्रोपराईटर/मालिक, ए-वन एक्सप्रेस कोरियर सर्विस, 5-रज्जाक मार्केट, फोर्ट रोड, यूको बैंक के पास, नागौर, (राज.)।
2. रामकुमार प्रोपराईटर मधुर कोरियर, शिवा कम्यूनिकेशन भगतसिंह चैक के पास, लक्ष्मी टाॅवर के सामने, हनुमानगढ जंक्शन, (राज.)।
-अप्रार्थी
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री राजेन्द्रसिंह राठौड एवं शिवचन्द पारीक, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. श्री रामदेव सिंवर, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थी।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे श दिनांक 28.10.2015
1. परिवाद-पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक 31.07.2014 को राखियां, हनुमानगढ जंक्शन भेजने के लिए अप्रार्थी संख्या 1 से डाक बुक करवाई, अप्रार्थी सं 1 ने अप्रार्थी संख्या 2 के मार्फत हनुमानगढ स्थित पते पर भेजने हेतु डाक बुक की। प्रार्थी से 20 रूपये प्राप्त कर रसीद जारी की। सात दिन के अन्दर अशोक कुमार व्यास, निवासी-हनुमानगढ जंक्शन के यहां राखी पहुंचाने की गारंटी दी गई थी परन्तु रक्षाबन्धन निकल जाने के बाद भी राखी नहीं पहुंचाई गई। इस बात की शिकायत अप्रार्थी संख्या 1 से की गई तो उसने यह कहकर पल्ला झाड दिया कि हमने तो अप्रार्थी संख्या 2 के यहां समय पर डाक पहुंचा दी है। उन्हीं के मार्फत डाक हनुमानगढ जाती है जब अप्रार्थी संख्या 1 के कहने पर अप्रार्थी संख्या 2 से सम्पर्क किया तो अप्रार्थी संख्या 2 ने यह कहा कि हमारे पास अप्रार्थी संख्या 1 ने कोई डाक नहीं भेजी है और प्रार्थी के साथ अभद्र व्यवहार किया। अतः प्रार्थी को घौर मानसिक पीडा हुई। प्रार्थी को परिवाद व्यय, क्षतिपूर्ति की राशि एवं राखी की राशि दिलाई जावे।
2. अप्रार्थी संख्या 1 का मुख्य रूप से यह कहना है कि उसने अप्रार्थी संख्या 2 के मार्फत अशोक कुमार व्यास के पास दिनांक 04.08.2014 को डाक पहुंचा दी। इस बाबत् रसीद पर अशोक कुमार के हस्ताक्षर एवं मोबाइल नम्बर अंकित है। इस प्रकार से अप्रार्थी संख्या 1 का कोई सेवा दोष नहीं है।
3. यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि अप्रार्थी संख्या 2 का अहस्ताक्षरित जवाब पेश हुआ है जिसकी कानून में कोई मान्यता नहीं है।
4. बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया।
5. महत्वपूर्ण प्रश्न उत्पन होता है कि क्या विवादित डाक (राखी) परिवादी द्वारा भेजे गए पते पर समय पर पहुंचीघ्
6. इस सम्बन्ध में परिवादी का यह कहना है कि उसने हनुमानगढ जंक्शन निवासी अशोक कुमार व्यास को राखियां भेजी थी। जो कि अशोक कुमार के पास नहीं पहुंची। अप्रार्थी संख्या 1 का यह कहना है कि उसने अप्रार्थी संख्या 2 को कोरियर अशोक कुमार को पहुंचाने के लिए दिया था एवं उक्त डाक अशोक कुमार को प्राप्त हो गई थी जिसकी रसीद मय हस्ताक्षर अशोक कुमार ने अप्रार्थी को सुपुर्द की थी। यहां यह भी उल्लेख करना सुसंगत एवं उचित होगा कि अप्रार्थी संख्या 2 का कोई जवाब प्रस्तुत नहीं हुआ है। जो हुआ है वह साक्ष्य में पढे जाने योग्य नहीं है क्योंकि उस पर अप्रार्थी संख्या 2 के कोई हस्ताक्षर नहीं है। इस प्रकार अप्रार्थी संख्या 1 के इस कथन की पुष्टि उसके द्वारा अप्रार्थी संख्या 2 को डाक भेजी गई नहीं होती है बल्कि प्रार्थी के इस कथन को बल मिलता है कि उसने जब अप्रार्थी संख्या 1 के कहने पर अप्रार्थी संख्या 2 से सम्पर्क किया तो अप्रार्थी संख्या 2 ने उसे यह कहा कि अप्रार्थी संख्या 1 ने उसे कोई विवादित डाक नहीं भेजी है। चूंकि अप्रार्थी संख्या 1 ने प्रदर्ष 1 जो प्राप्ति रसीद प्रस्तुत की है उसके सम्बन्ध में अशोक कुमार व्यास ने अपना शपथ-पत्र प्रस्तुत किया है कि उसने विवादित रसीद पर कोई हस्ताक्षर नहीं किए हैं और ना ही कोरियर शीट पर दर्शाये गए मोबाइल नम्बर उसके हैं। चूंकि इस शपथ-पत्र के खण्डन में अप्रार्थीगण की ओर से कोई शपथ-पत्र प्रस्तुत नहीं हुआ है इसलिए इस पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है। इस शपथ-पत्र के आधार पर परिवादी के इस कथन की पुष्टि होती है कि विवादित डाक अशोक कुमार व्यास को प्राप्त नहीं हुई है। अप्रार्थी संख्या 2 से प्रार्थी का कोई वास्ता नहीं है। पूर्णतः सेवा दोश अप्रार्थी संख्या 1 का है। इस प्रकार से प्रार्थी अपना परिवाद अप्रार्थी संख्या 1 के विरूद्ध साबित करने में सफल रहा है। प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी संख्या 1 के विरूद्ध निम्न प्रकार से स्वीकार किया जाता है तथा आदेश दिया जाता है किः-
आदेश
7. अप्रार्थी संख्या 1, प्रार्थी को राखियों की कीमत 150 रूपये एक माह के अन्दर अदा करें। साथ ही अप्रार्थी संख्या 1, प्रार्थी को परिवाद व्यय के 1500 रूपये एवं मानसिक क्षतिपूर्ति के भी 1500 रूपये अदा करें।
आदेश आज दिनांक 28.10.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या