राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
पुनरीक्षण सं0-०३/२०१५
(जिला मंच, आजमगढ़ द्वारा परिवाद सं0-२०७/२०१० में पारित आदेश दिनांक १८.०९.२०१४ के विरूद्ध)
सहारा इण्डिया द्वारा ब्रान्च मैनेजर, ब्रान्च आफिस, लालगंज, जिला आजमगढ़।
.............. पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षी।
बनाम्
प्रियंका सिंह पत्नी स्व0 संजय कुमार सिंह ग्राम चौकी, पोस्ट नरसिंहपुर, तहसील लालगंज, जिला आजमगढ़।
............... प्रत्यर्थी/परिवादिनी।
समक्ष:-
१. मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२. मा0 महेश चन्द, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित :- श्री आलोक कुमार श्रीवास्तव विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक : २२-०१-२०१६.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
आज यह पत्रावली प्रस्तुत हुई। पुनरीक्षणकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक कुमार श्रीवास्तव उपस्थित हैं। प्रत्यर्थी/परिवादिनी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्यर्थी/परिवादिनी को पंजीकृत डाक से नोटिस दिनांक १६-०१-२०१५ को भेजी गयी थी। पंजीकृत डाक का लिफाफा बिना तामील वापस प्राप्त नहीं हुआ है, अत: प्रत्यर्थी/परिवादिनी पर तामीला पर्याप्त मानी जाती है। अधिवक्ता पुनरीक्षणकर्ता के इस पुनरीक्षण के सन्दर्भ में तर्क सुने गये तथा अभिलेख का अवलोकन किया।
यह पुनरीक्षण, जिला मंच, आजमगढ़ द्वारा परिवाद सं0-२०७/२०१० में पारित आदेश दिनांक १८.०९.२०१४ के विरूद्ध योजित की गयी है। प्रश्नगत आदेश द्वारा विद्वान जिला मंच ने प्रत्यर्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद को कालबाधित नहीं माना है तथ इस सन्दर्भ में पुनरीक्षणकर्ता की आपत्ति को निरस्त कर दिया है। अधिवक्ता पुनरीक्षणकर्ता द्वारा हमारा ध्यान इस तथ्य की ओर आकृष्ट किया गया कि प्रत्यर्थी को देय धनराशि का भुगतान दिनांक ०५-१२-२००६ को पूर्ण संतुष्टि में कर दिया गया था। पुनरीक्षण याचिका
-२-
के साथ संलग्नक-३ पुनरीक्षणकर्ता की ओर से इस सन्दर्भ में प्रस्तुत किया गया है, जबकि परिवाद प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा दिनांक २०-१०-२०१० को योजित किया गया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम १९८६ की धारा-२४ (ए) के अन्तर्गत दिये गये प्राविधान के अनुसार वाद कारण उत्पन्न होने के ०२ वर्ष के मध्य परिवाद योजित किया जाना आवश्यक है। अत: पुनरीक्षणकर्ता का यह तर्क स्वीकार किए जाने योग्य है। परिवाद कालबाधित था, जबकि प्रश्नगत आदेश द्वारा परिवाद को विद्वान जिला मंच द्वारा कालबाधित नहीं माना गया, अत: प्रश्नगत आदेश विधिक रूप से त्रुटिपूर्ण है। परिणामस्वरूप, पुनरीक्षण स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत पुनरीक्षण स्वीकार किया जाता है। जिला मंच, आजमगढ़ द्वारा परिवाद सं0-२०७/२०१० में पारित आदेश दिनांक १८.०९.२०१४ अपास्त करते हुए परिवाद निरस्त किया जाता है।
पुनरीक्षण व्यय-भार के सम्बन्ध में कोई आदेश पारित नहीं किया जा रहा है।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(महेश चन्द)
सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-५.