Aarti kushwaha filed a consumer case on 12 Mar 2015 against Principle, Maa Bharti Kanya P.G. College in the Kota Consumer Court. The case no is CC/83/2010 and the judgment uploaded on 25 Mar 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
पीठासीन:श्रीएम अनवर आलम,अध्यक्ष,श्रीमति हेमलताभार्गव सदस्या।
प्रकरण संख्या-83/2010
सुश्री आरती कुशवाहा पुत्री शिवकरण कुश्वाहा, आयु 20 साल जाति कुशवाहा निवासी 14, गोपाल विहार,प्रथम पुलिस लाईन बारां रोड, कोटा, राजस्थान।
-परिवादिया।
बनाम
माॅ भारती कन्या पी जी काॅलेज महावीर नगर तृतीय, कोटा, जरिये व्यवस्थापक।
-विपक्षी।
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1 श्री जमील अहमद अंसारी, अधिवक्ता, परिवादिया की ओर से।
2 श्री संजीव विजयवर्गीय, अधिवक्ता, विपक्षी की ओर से ।
निर्णय दिनांक 12-03-2015
(1) प्रस्तुत परिवाद दिनांक 09-02-2009 को परिवादिया ने इन अभिकथनों के साथ पेष किया है कि उसने विपक्षी के संस्थानमें एम एस सी प्रिवियस रसायन में प्रवेश हेतु प्रवेश शुल्क 100/- रूपये तथा ट्यूशन फीस 10,000/- रूपये दिनांक 28.07.09 को जमा किये थे। परिवादी का राजकीय महा विद्यालय बूंदी में भी दिनांक 08.08.09 को प्रवेश हो गया जिसकी फीस 10,772/- रूपये जमा की। परिवादिया ने राजकीय महाविद्यालय बूंदी में अध्य्यन कार्य प्रारंभ कर दिया। परिवादिया ने विपक्षी के संस्थान में अध्य्यन नहीं किया। परिवादिया ने प्रार्थना की है कि परिवादिया को उसकी जमा शुल्क, मानसिक क्षति की प्रतिकर की राशि तथा खर्चा मुकदमा विपक्षी से दिलवाया जावे।
(2) विपक्षी संस्थान ने जवाब पेश कर स्वीकार किया है कि परिवादिया ने उसकी संस्थान में प्रवेश लिया था और दिनांक 29.07.09से 29.08.09 अध्य्यन किया था। विपक्षी को कोई जानकारी नहीं थी कि परिवादिया ने राजकीय महाविद्यालय बूंदी मे प्रवेश लिया है। परिवादिया ने विपक्षी को सूचना दिये बिना उसकी संस्थान में अनुपस्थित हो गई। इस संबंध में अनुशासन कार्यवाही हेतु उसे दिनांक 15.09.09 को पत्र भी प्रस्तुत किया था। प्रस्तुत मामलें में विपक्षी संस्थान ने कोई सेवा दोष नहीं किया है। अपितु परिवादिया ने वास्तविक तथ्यों को छिपाकर परिवाद पेश किया है। परिवादिया के अनुपस्थित होने के कारण के कारण विपक्षी संस्थान में उसकी एक सीट रिक्त होने से उसको नुकसान हुआ है। अतः प्रस्तुत परिवाद सव्यय खारिज किये जाने की प्रार्थना की है।
(3) परिवाद के समर्थन में परिवादिया ने स्वयं का शपथ पत्र, दीपिका गर्ग,अर्पिता शर्मा एवं दस्तावेजी साक्ष्य में दस्तावेज प्रदर्ष-1 लगायत प्रदर्ष-6 पेष किये गये है। जवाब के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य में प्रदर्श-ए-1 लगायत ए-3 पेष किये है।
(4) उभय पक्षों की बहस सुनी गई एवं प्रस्तुत शपथपत्र,दस्तावेजीं साक्ष्य एवं पत्रावली का अवलोकन कर विचार किया गया। प्रस्तुत मामले में मुख्य विचारणीय बिन्दु यह है कि -
(अ) क्या परिवादिया विपक्षी का उपभोक्ता है ?
(ब) क्या विपक्षी ने सेवा दोष किया है ?
(स) अनुतोष ?
(5) बहस सुनी जाकर परिवादिया द्वारा प्रस्तुत तर्को, शपथ-पत्र, दस्तावेजात और पत्रावली का अवलोकन कर विचार किया गया। प्रस्तुत मामलें में विपक्षी ने स्वीकार किया है कि परिवादिया उनके संस्थान में प्रवेश लिया, परिवादिया द्वारा फीस की राशि प्रदर्श1,लगायत प्रदर्श-3 से यह साबित होता है कि परिवादिया ने सेवा शुल्क राशि 10,000/- रूपये जमा की थी। अतः परिवादिया विपक्षी की उपभोक्ता है।
(5) परिवादिया ने अपने शपथ पत्र में स्वयं के द्वारा दिनांक 08.0809 को राजकीय महाविद्यालय बूंदी 10,772/- रूपये फीस देकर एम एस सी प्रिवियस रसायन में प्रवेश लेने का कथन किया हैं। परिवादिया के उक्त कथन के खंडन में विपक्षी की ओर से दीपिका शर्मा,अर्पिता शर्मा के शपथ-पत्र प्रस्तुत किये गये है। अतः परिवादिया के विरूद्ध प्रस्तुत हुये शपथ-पत्रों को दृष्टिगत रखते हये उभय पक्ष के दस्तावेजात पर विचार किया। परिवादिया ने दिनांक 08.08.09 राजकीय महाविद्यालय बूंदी मे प्रवेश लेना और सत्र 2009-10 में एम एस सी प्रिवियस रसायन में नियमित छात्रा होने का प्रमाण-पत्र पेश किया है, परन्तु इस प्रमाण-पत्र से यह साबित नहीं होता है कि परिवादिया ने विपक्षी संस्थान में अध्य्यन नहीं किया हो। विपक्षी संस्थान की ओर से प्रस्तुत छात्र उपस्थिति पंजिका एम एस सी प्रिवियस रसायन प्रदर्शए-2 प्रेक्टिकल उपस्थिति पंजिका प्रदर्श-3 तथा विपक्षी संस्थान द्वारा परिवादिया को दिये नोटिस प्रदर्श ए-1 को देखने से यह स्पष्ट होता है कि परिवादिया विपक्षी संस्थान की एम एस सी प्रिवियस रसायन की नियमित विद्यार्थी रही है और दिनांक 29.07.09 से दिनांक 29.08.09 तक विपक्षी संस्थान में अध्य्यन किया था। परिवादिया द्वारा राजकीय महाविद्यालय बूंदी में अध्य्यन करने संबंधी कोई उपस्थिति पंजिका की प्रति पेश नहीं की है। परिवादिया की ओर से प्रस्तुत तहरीर प्रदर्श-5 कार्बन प्रति है उसमें भिन्न स्याही से अंकित दिनांक 24.08.09 इसकी सत्यता व विश्वसनीयता के प्रति संदेह उत्पन्न करती है। उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट है कि परिवादिया ने विपक्षी संस्थान में प्रवेश लेने के उपरान्त प्रवेश से अगस्त माह के अन्त से पूर्व तक तक अध्य्यन किया था एवं बिना सूचना दिये अनुपस्थित हो गई, जिसके फलस्वरूप विपक्षी संस्थान की एक सीट रिक्त रही । उपरोक्त समस्त विवेचन से हमारे विनम्र मत में परिवादिया विपक्षी संस्थान से उसके द्वारा जमा कराया गया प्रवेश शुल्क व ट्यूशन फीस प्राप्त करने की अधिकारणी नहीं है। परिवादिया ने विपक्षी की विरूद्ध कोई सेवा मेें कमी प्रमाणित नहीं की है।
(6) परिवादिया का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेष
(7) परिणामतः परिवादिया आरती कुश्वाहा का परिवाद खारिज किया जाता है। खर्चा मुकदमा पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे।
(श्रीमति हेमलता भार्गव) (मोहम्मद अनवर आलम)
सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,कोटा। मंच, कोटा।
(11) निर्णय आज दिनंाक 12-03-2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
(श्रीमति हेमलता भार्गव) (मोहम्मद अनवर आलम)
सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,कोटा। मंच, कोटा।
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