Uttar Pradesh

StateCommission

A/78/2022

Tushar - Complainant(s)

Versus

Principal M.D. International School And Another - Opp.Party(s)

Vishnu Kumar Mishra

24 Feb 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/78/2022
( Date of Filing : 07 Feb 2022 )
(Arisen out of Order Dated 21/12/2021 in Case No. C/2016/11 of District Baghpat)
 
1. Tushar
S/o Satish Chaudhary R/o Vill. Sadikpur Sinauli Tehsil Badaut Dist. Baghpat
...........Appellant(s)
Versus
1. Principal M.D. International School And Another
Adarsh Nagala Tehsil Badaut Dist. Baghpat
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 24 Feb 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-78/2022

(मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, बागपत द्वारा परिवाद संख्‍या 11/2016 में पारित आदेश दिनांक 21.12.2021 के विरूद्ध)

तुषार पुत्र सतीश चौधरी निवासी ग्राम सादिकपुर सिनौली तहसील बड़ौत जनपद बागपत

                                 ........................अपीलार्थी/परिवादी

बनाम

1. प्रधानाचार्य एमडी इंटरनेशनल स्‍कूल आदर्श नंगला तहसील बड़ौत जिला बागपत

2. प्रधानाचार्य विद्यासागर स्‍कूल मोहन नगर बिनोली रोड बड़ौत जिला बागपत       

                                 ...................प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री विष्‍णु कुमार मिश्रा,  

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 24.02.2022

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख अपीलार्थी तुषार पुत्र सतीश चौधरी द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग, बागपत द्वारा परिवाद संख्‍या-11/2016 तुषार बनाम प्राधानाचार्य एम0डी0 इण्‍टर नेशनल स्‍कूल व एक अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 21.12.2021 के विरूद्ध योजित की गयी।

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उपरोक्‍त परिवाद निरस्‍त कि�या।

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री विष्‍णु कुमार मिश्रा उपस्थित हैं। प्रत्‍यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना और आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया।

 

-2-

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादी प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 एम0डी0 इण्‍टरनेशनल स्‍कूल, आदर्श नंगला, बागपत का छात्र था, जहॉं से उसने शिक्षा प्राप्‍त की तथा यह कि अपीलार्थी/परिवादी ने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को शिक्षण शुल्‍क देकर शैक्षिक सेवा प्राप्‍त की, इसलिए अपीलार्थी/परिवादी प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 का उपभोक्‍ता है तथा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 अपीलार्थी/परिवादी का सेवा प्रदाता है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 एम0डी0 इण्‍टरनेशनल स्‍कूल आदर्श नंगला का प्रधानाचार्य है। उक्‍त शिक्षण संस्‍थान के प्रधानाचार्य व प्रबन्‍धक व प्रबन्‍ध समिति के सदस्‍यों द्वारा उक्‍त स्‍कूल को केन्‍द्रीय माध्‍यमिक शिक्षा बोर्ड दिल्‍ली से कक्षा 12 तक की मान्‍यता होने व उच्‍च एवं अच्‍छी शिक्षा देने का प्रचार व प्रसार कि�या गया, जिससे प्रभावित होकर अपीलार्थी/परिवादी ने उक्‍त शिक्षण संस्‍थान में कक्षा 8 में वर्ष 2011 में प्रवेश लिया और कक्षा 8 से 11 तक लगातार शिक्षा सेवा प्राप्‍त की, जिसके बावत अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को शिक्षण शुल्‍क अदा कि�या गया।

अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा अपीलार्थी/परिवादी को कक्षा 10 के सत्र के समय कहा गया कि� कक्षा 10 की परीक्षा बोर्ड द्वारा निर्धारित परीक्षा केन्‍द्र विद्यासागर स्‍कूल बड़ौत प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 में देनी पड़ेगी और अन्‍य छात्रों के साथ अपीलार्थी/परिवादी ने भी विद्यासागर स्‍कूल बड़ौत में कक्षा 10 की परीक्षा दी तथा कक्षा 10 की परीक्षा उत्‍तीर्ण होने पर उसे कक्षा 10 की अंक तालिका दी गयी तो ज्ञात हुआ कि‍ अपीलार्थी/परिवादी व अन्‍य छात्रों के साथ धोखा व छल करके व गुमराह करके विद्यासागर स्‍कूल बड़ौत में प्रवेश करा दिया गया, जबकि अपीलार्थी/परिवादी उक्‍त स्‍कूल में कभी भी शिक्षा प्राप्‍त करने नहीं गया और न वहां शिक्षण शुल्‍क अदा कि�या। अपीलार्थी/परिवादी ने जब प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-1 से कक्षा 12 में बोर्ड का फार्म भरने हेतु अपने रजिस्‍ट्रेशन नम्‍बर की मांग की तो विपक्षी ने रजिस्‍ट्रेशन नम्‍बर देने से इंकार कर दिया क्‍योंकि� वह अपीलार्थी/परिवादी से अनुचित धन प्राप्‍त करना चाहता था और कहता रहा कि तुम्‍हारी  कक्षा 12

 

 

-3-

की परीक्षा भी हम ही करायेंगे रजिस्‍ट्रेशन नम्‍बर लेकर क्‍या करोगे और विपक्षी ने अपीलार्थी/परिवादी को रजिस्‍ट्रेशन नम्‍बर नहीं दिया और न ही कक्षा 12 का बोर्ड फार्म भरने की व्‍यवस्‍था की, जिससे अपीलार्थी/परिवादी का एक बेशकीमती शैक्षिक वर्ष बरबाद हो गया, जिससे अपीलार्थी/परिवादी को मानसिक पीड़ा पहुँची। इस प्रकार प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण ने सेवा में कमी की है एवं अपराधिक कृत्‍य भी किया है। अतएव क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण के विरूद्ध जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

     जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण की ओर से कोई जवाबदावा दाखिल नहीं कि�या गया और न ही कोई प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण उपस्थित आये, जिसके फलस्‍वरूप परिवाद की कार्यवाही दिनांक 02.05.2017 को प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय अग्रसारित की गयी।

     जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपीलार्थी/परिवादी की ओर से सूची 5ग/1 से 5ग/2 ता 5ग/3 फीस रसीद, 5ग/4 चरित्र प्रमाण पत्र व फीस रसीद, 5ग/5 ता 6 फीस रसीद, 5ग/7 कक्षा 10 का प्रमाण पत्र व अंक पत्र, 5ग/8 कक्षा 11 का अंक पत्र, 5ग/9 स्‍थानान्‍तरण प्रमाण पत्र (टी0सी0), 5ग/10 ता 13 वैधानिक सूचना पत्र की छायाप्रतियॉं एवं 5ग/14 असल रजिस्‍ट्री रसीदें एवं सूची 13ग/1, से 13ग/2 ता 13ग/6 असल फीस रसीदें दाखिल कि�या गया एवं मौखिक साक्ष्‍य में शपथ पत्र 25ग मय संलग्‍नक 1 व 2 दाखिल कि�या गया, जबकि प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण की ओर से कोई भी अभिलेखीय या मौखिक साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं कि�या गया।

जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपीलार्थी/परिवादी के अभिकथन एवं उसके द्वारा उपलब्‍ध कराये गये प्रपत्रों/साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त अपने निर्णय के प्रस्‍तर 09 व 10 में निम्‍न तथ्‍य उल्लिखित कि�या है:-

     ''09- परिवादी के कथनानुसार उसने कक्षा 12 का बोर्ड फार्म भरे जाने हेतु विपक्षी संख्‍या 1 से अपना रजिस्‍ट्रेशन नम्‍बर मांगा, जो विपक्षी संख्‍या 1 द्वारा नही दिया गया, न ही कक्षा 12 का बोर्ड फार्म भरने की कोई व्‍यवस्‍था की  गयी,

 

 

-4-

जिससे उसका बेशकीमती शैक्षिक वर्ष बर्बाद हो गया, परन्‍तु परिवादी की तरफ से विपक्षी संख्‍या 1 द्वारा कक्षा 11 व कक्षा 12 में शिक्षा प्राप्‍त करने हेतु शिक्षण शुल्‍क की कोई रसीद या अन्‍य कोई प्रमाण दाखिल नही कि�या गया है, जबकि� परिवादी द्वारा स्‍वयं दाखिल कागज संख्‍या 5ग/9 स्‍थानान्‍तरण प्रमाण पत्र के अवलोकन से यह स्‍पष्‍ट होता है, कि� वह कक्षा 11 मे विपक्षी संख्‍या 1 के स्‍कूल में न पढकर विपक्षी संख्‍या 2 के स्‍कूल मे पढा था और उत्‍तीर्ण कि�या। कक्षा 11 उत्‍तीर्ण होने के बाद उसने अपना स्‍थानान्‍तरण प्रमाण पत्र लेकर दिनांक 28.10.2015 को विपक्षी संख्‍या 2 का स्‍कूल भी छोड दिया, जिससे विपक्षी संख्‍या 1 का परिवादी को कक्षा 12 का बोर्ड फार्म भरने के लिए रजिस्‍ट्रेशन नम्‍बर देने का कोई प्रश्‍न ही नही उठता एवं बोर्ड फार्म भरवाने की भी कोई जिम्‍मेदारी नही थी इसलिए इस सम्‍बन्‍ध मे परिवादी का कथन स्‍वत: खन्डित हो जाता है।''

''10- उपरोक्‍त विश्‍लेषण से यह निष्‍कर्ष निकलता है, कि� विपक्षी संख्‍या 1 द्वारा कक्षा 9 व कक्षा 10 के शिक्षण हेतु मान्‍यता प्राप्‍त न होने के बावजूद परिवादी को अपने स्‍कूल मे शुल्‍क लेकर शिक्षा दिया परन्‍तु अपने स्‍कूल से परीक्षा न दिलाकर विपक्षी संख्‍या 2 के स्‍कूल से परीक्षा दिलवाया जहां से वह उत्‍तीर्ण हुआ, इसलिए विपक्षी के इस कृत्‍य से परिवादी को कोई क्षति नही पहुंचा तथा कक्षा 11 मे परिवादी द्वारा विपक्षी संख्‍या 1 के यहां शिक्षा लेने सम्‍बन्‍धी कोई प्रपत्र दाखिल नही कि�या गया है तथा उसके द्वारा दाखिल प्रपत्र से परिवादी विपक्षी संख्‍या 2 के स्‍कूल का छात्र रहा है तथा कक्षा 11 मे उत्‍तीर्ण होने के बाद पढाई छोड दिया इसमे विपक्षीगण का कोई दोष नही है, इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा कोई सेवा में कमी नही की गयी है। इसलिए परिवादी अपने परिवाद पत्र मे मांगे गये किसी अनुतोष को प्राप्‍त करने का अधिकारी नही है। परिवाद पत्र निरस्‍त कि�ये जाने योग्‍य है।''

सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्रों एवं जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय विधिसम्‍मत                        है। अतएव, प्रस्‍तुत अपील अंगीकरण के स्‍तर पर निरस्‍त की जाती                   है।

 

 

-5-

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

                           (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)           

                         अध्‍यक्ष             

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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