Rajasthan

Jalor

C.P.A 133/2012

wagata Ram - Complainant(s)

Versus

President,J.V.V.N.L,etc. - Opp.Party(s)

Jagdish Godhara

11 Mar 2015

ORDER

न्यायालयःजिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,जालोर

पीठासीन अधिकारी

अध्यक्ष:-  श्री  दीनदयाल प्रजापत,

सदस्यः-   श्री केशरसिंह राठौड

सदस्याः-  श्रीमती मंजू राठौड,

     

1.            वगताराम पुत्र जामाजी, जाति चैधरी, उम्र- 60 वर्ष, निवासी- मेत्रीवाडा, तहसील रानीवाडा,  जिला- जालोर,                

.......प्रार्थी।

                बनाम    

1.            अध्यक्ष, जोधपुर विद्युत वितरण निगम लि0, 

       नया पावर हाउस, जोधपुर।

2.    सहायक अभियन्ता, ( ओ0 एण्ड एम0 )

      जोधपुर विद्युत वितरण निगम लि0,

       शाखा- रानीवाडा,जिला जालोर।   

 

 

...अप्रार्थीगण।

                                सी0 पी0 ए0 मूल परिवाद सं0:- 133/2012

परिवाद पेश करने की  दिनांक:-17-10-2012

अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता  संरक्षण  अधिनियम ।

उपस्थित:-

1.            श्री जगदीश गोदारा,  अधिवक्ता प्रार्थी।

2.            श्री  दिलीप शर्मा, अधिवक्ता अप्रार्थीगण।

 

ःः  निर्णय:ः     दिनांक:  11-03-2015

1.              संक्षिप्त में परिवाद के तथ्य इसप्रकार हैं कि प्रार्थी के नाम  10 एच0 पी0 स्वीकृत भार से एक कृषि विद्युत कनैक्शन स्थापित हैं, जिसके खाता संख्या- 02050207 हैं, तथा अप्रार्थीगण ने प्रार्थी को एक नोटिस रूपये 22467/- का भेजा गया, जो अप्रार्थी विजिलैन्स टीम द्वारा दिनांक 27-02-2012 को निरीक्षण कर 10 एच0 पी0 से 20 एच0 पी0 लोड पाये जाने से राशि भरने का हैं, लेकिन प्रार्थी के विद्युत खाते का विजिलैन्स टीम द्वारा निरीक्षण नहीं किया हैं, तथा निरीक्षण टीम की शीट में उपभोक्ता खाता संख्या-02040207 बताये हैं। तथा प्रार्थी के गांव में प्रार्थी एवं प्रार्थी की वल्दियत से दो व्यक्ति और हैं, जिनके कृषि विद्युत सम्बन्ध लिया हुआ हैं। तथा मार्च 2012 के विद्युत बिल में उक्त नोटिस की राशि प्रार्थी के बिल में जोडकर भेजी, तब प्रार्थी, अप्रार्थी संख्या- दो के कार्यालय गया तथा दूसरे खाते की राशि प्रार्थी के खाते में गलत जोडकर भेजे गये बिल में संशोधन/सुधार करने का निवेदन किया, लेकिन अप्रार्थी ने प्रार्थी को कहा कि एक बार उक्त राशि भर दो, बाद में कम कर दी जायेगी । जिस पर प्रार्थी ने अधिवक्ता के मार्फत् नोटिस जारी करा कर उक्त बिल में सुधार करने हेतु कहा, लेकिन फिर भी अप्रार्थी विभाग ने बिल में कोई सुधार नहीं किया हैं।  तथा आगामी बिलो में उक्त राशि ब्याज सहित जोडकर बिल दे रहे हैं। तथा बिल में सुधार नहीं किया जा रहा हैं। प्रार्थी ने यह परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्व मार्च 2012 के विद्युत बिल में सुधार कर रूपयै 22,467/-  कम कर के व बढाया गया लोड कम किये जाने एवं हर्जाने के रूप में रूपयै 60,000/- तथा परिवाद व्यय के रूपयै 5,000/-,  दिलाने हेतु यह परिवाद जिला मंच में पेश किया गया हैं।

 

2.                                 प्रार्थी केे परिवाद को कार्यालय रिपोर्ट के बाद दर्ज रजिस्टर कर अप्रार्थीगण को जरिये रजिस्टर्ड ए0डी0 नोटिस जारी कर तलब किया गया। जिस पर अप्रार्थीगण की ओर से अधिवक्ता श्री दिलीप शर्मा ने उपस्थिति पत्र प्रस्तुत कर पैरवी की। तथा अप्रार्थीगण ने प्रथम दृष्टया प्रार्थी का परिवाद अस्वीकार कर, जवाब परिवाद प्रस्तुत कर कथन किये, कि ग्राम मेत्रीवाडा में प्रार्थी के नाम का एक कृषि श्रेणी का विद्युत सम्बन्ध आया हुआ हैं। जिसके वर्तमान खाता संख्या-0205-0207 हैं, उक्त खाते की विद्युत निगम के अधिकारीयों द्वारा जाॅंच करते हूए  राशि विद्युत निगम के प्रावधानो के अनुसार अधिरोपित की हैं, उपभोक्ता के नाम जो बिल जारी किये गये हैं। जिसका पूर्ण विवरण उपभोक्ता को दिया गया हैं। तथा विद्युत निगम के अधिकारीयों द्वारा बरवक्त सामान्य प्रकिया में निगम प्रावधानो के अनुसार बिना किसी बदनियति के उपभोक्ता के खाते की राशि रिकार्डस् के आधार पर निकाली हैं, उक्त को अदा करने का दायित्व खाताधारक का हैं, तथा विद्युत निगम पब्लिक सर्विस काॅरपोरेशन हैं, जो बिना किसी लाभ की मंशा के, बिना किसी दुर्भावना के  जनहितार्थ विद्युत की सुचारू व्यवस्था हेतु प्रयास किये जा रहे हैं। तथा प्रार्थी के परिवाद की मंशा के अनुसार प्रकरण सेवा में त्रुटि का नहीं हैं। न ही अप्रार्थीगण ने सेवा में त्रुटि की हैं इस प्रकार अप्रार्थीगण जवाब परिवाद प्रस्तुत कर प्रार्थी का परिवाद आधारहीन होने से मय खर्चा खारीज करने का निवेदन किया हैं।

 

3.          हमने  दोनो पक्षो को साक्ष्य सबूत प्रस्तुत करने का पर्याप्त समय/अवसर देने के बाद,  उभय पक्षो के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस एवं तर्क-वितर्क सुने, जिन पर मनन किया तथा पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन एवं अध्ययन किया, तो हमारे सामने मुख्य रूप से तीन विवाद बिन्दु उत्पन्न होते हैं जिनका निस्तारण करना आवश्यक  हैें:-

1.   क्या प्रार्थी, अप्रार्थीगण का उपभोक्ता हैं ?           प्रार्थी

 

2.   क्या अप्रार्थीगण ने विद्युत खाता संख्या-02040207 के निरीक्षण

      की अधिरोपित राशि प्रार्थी के विद्युत खाता संख्या- 02050207

      में जोडकर विद्युत बिल जारी कर, सेवा प्रदान करने में गलती

      एवं लापरवाही कारित की हैं ?                 प्रार्थी                                       

3.  अनुतोष क्या होगा ?     

 

प्रथम विधिक विवाद बिन्दु:-

 

          क्या प्रार्थी, अप्रार्थी का उपभोक्ता हैं ?     प्रार्थी    

           

       उक्त प्रथम विधिक विवाद बिन्दु को सिद्व एवं प्रमाणित करने का भार प्रार्थी पर हैं। जिसके सम्बन्ध में प्रार्थी ने परिवाद पत्र एवं साक्ष्य शपथपत्र प्रस्तुत कर कथन किये हैं कि प्रार्थी ने अप्रार्थीगण विद्युत विभाग से 10 होर्स पॅावर स्वीकृत भार से कृषि विद्युत कनैक्शन स्थापित करवा रखा हैं। जिसकें विद्युत उपभोग के बिलो का भुगतान प्रार्थी करता आ रहा हैं।  उक्त कथनो के सत्यापन हेतु प्रार्थी ने सितम्बर 2011, व नवम्बर 2011 तथा मार्च 2012 से जुलाई 2012 तक के पाॅंच विद्युत बिलो की प्रतियां पेश की हैं। जो अप्रार्थीगण ने प्रार्थी के  नाम   विद्युत खाता संख्या-0205-0207 से जारी किये हैं। तथा अप्रार्थीगण ने भी जवाब परिवाद पेश कर प्रार्थी के नाम विद्युत खाता संख्या-0205-0207 से विद्युत कनैक्शन जारी होना स्वीकार किया है। इसप्रकार प्रार्थी एवं अप्रार्थीगण के मध्य ग्राहक-सेवक का सीधा सम्बन्ध स्थापित होना सिद्व एवं प्रमाणित हैं। तथा प्रार्थी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2 1 डी के तहत उपभोक्ता की परिभाषा में आता हैं, इसप्रकार प्रथम विवाद  बिन्दु  प्रार्थी के पक्ष में तथा अप्रार्थीगण के विरूद्व निस्तारित किया जाता हैं।

 

द्वितीय विवाद बिन्दु:-  

    क्या अप्रार्थीगण ने विद्युत खाता संख्या-02040207 के निरीक्षण

      की अधिरोपित राशि प्रार्थी के विद्युत खाता संख्या- 02050207

      में जोडकर विद्युत बिल जारी कर , सेवा प्रदान करने में गलती

      एवं लापरवाही कारित की हैं ?                  प्रार्थी                                        

                                                

              उक्त द्वितीय विवाद बिन्दु को भी सिद्व एवं प्रमाणित करने का भार प्रार्थी पर हैं। जिसके सम्बन्ध में प्रार्थी ने परिवाद पत्र एवं साक्ष्य शपथपत्र प्रस्तुत कर कथन किये हैं कि प्रार्थी के नाम का कृषि विद्युत कनैक्शन हैं, जिसके खाता संख्या- 02050207 हैं, जिसका अप्रार्थीगण विजिलैन्स टीम ने दिनांक 27-02-2012 को कोई निरीक्षण नहीं किया, तथा कोई शीट नहीं भरी थी, फिर भी प्रार्थी के नाम रूपयै 22,467/-  का नोटिस भेजकर मार्च 2012 के  विद्युत बिल में उक्त राशि जोड दी, तथा प्रार्थी के द्वारा मौखिक निवेदन  एवं अधिवक्ता के जरिये नोटिस भिजवा कर उक्त विद्युत बिल सही/सुधार करने हेतु कहा गया, लेकिन बिल में कोई सुधार नहीं किया गया, तथा उक्त राशि आगामी बिलो में ब्याज सहित जोडकर जारी किये हैं। प्रार्थी ने उक्त कथनो के सत्यापन हेतु निरीक्षण शीट दिनांक 27-02-2012  की प्रति पेश की हैं, जो विद्युत खाता संख्या- 02040207 के खाता की हैं तथा प्रार्थी के विद्युत खाता संख्या- 02050207 हैं, तथा प्रार्थी ने मांग नोटिस दिनांक 27-02-2012 की प्रति पेश की हैं, जो प्रार्थी के विद्युत खाता संख्या- 02050207 के सम्बन्ध में रूपयै 22467/- की मांग का हैं । तथा प्रार्थी ने लीगल सूचना पत्र एवं कोरियर से भेजने की रसीद की प्रति पेश की हैं, जिसमें प्रार्थी ने अपने विद्युत खाता संख्या एवं निरीक्षण सीट के विद्युत  खाात संख्या में अन्तर होने से नोटिस दिनांक 27-02-2012 की अधिरोपित राशि एवं मार्च 2012 के  विद्युत   बिल में जोडकर बिल जारी करने में गलती को बताते हूए सुधार करने की मांग की हैं। तथा प्रार्थी ने मार्च 2012 के विद्युत   बिल की प्रति पेश की हैं। तथा प्रार्थी ने सितम्बर 2011  व नवम्बर 2011 के विद्युत   बिलो की प्रतियां भी पेश की हैं।  जिससे प्रार्थी के नाम विद्युत  खाता संख्या- 02050207  दस होर्सपावर स्वीकृत भार से होना प्रमाणित हैं। तथा अप्रार्थीगण की निरीक्षण शीट दिनांक 27-02-2012 में विद्युत  खाता संख्या- 02040207 लिखा होने से प्रार्थी के खाते की विद्युत  शीट नहीं होना प्रमाणित हो रहा हैं। तथा उक्त निरीक्षण शीट के आधार पर अप्रार्थीगण ने प्रार्थी के विद्युत   खाता संख्या-02050207 में प्रार्थी पर रूपयै 22,467/- की राशि  अधिरोपित कर मांग का नोटिस दिंनाक 27-02-2012 गलत जारी किया गया  हैं, तथा जिसके आधार पर मार्च 2012 के विद्युत   बिल में नोटिस की राशि 22,467/- जोडकर प्रार्थी के नाम जारी कर  अप्रार्थीगण ने गलती कारित की हैं। तथा प्रार्थी ने लीगल सूचना पत्र भिजवा कर उक्त नोटिस एवं  बिल की गलती को सुधार करने की मांग की , जिसे सुधार नहीं कर अप्रार्थीगण ने प्रार्थी, उपभोक्ता को सेवा प्रदान करने में गलती , त्रुटि एवं लापरवाही कारित की हैं, जो सिद्व एवं प्रमाणित हैं। अप्रार्थीगण ने प्रार्थी की उक्त साक्ष्य एवं सबूतो के खण्डन में लिखित कथन जवाब के रूप में किये हैं। कि उक्त राशि प्रार्थी के खाता के रिकार्डस् के अनुसार अधिकारीयों ने सही अधिरोपित की हैं। लेकिन अप्रार्थीगण ने उक्त कथनो के सत्यापन हेतु कोई ठोस दस्तावेजी साक्ष्य सबूत प्रस्तुत नहीं किया हैं।  जिस कारण प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद एवं साक्ष्य सबूतो का खण्डन नहीं होता हैं।  इसप्रकार द्वितीय विवाद बिन्दू भी प्रार्थी के पक्ष में तथा अप्रार्थीगण के विरूद्व निस्तारित किया जाता हैं।

 

तृतीय विवाद बिन्दु- 

                                 अनुतोष क्या होगा ?         

 

       जब प्रथम एवं द्वितीय विवाद बिन्दु प्रार्थी के पक्ष में निस्तारित हो जाने से तृतीय विवाद बिन्दु का निस्तारण स्वतः ही प्रार्थी के पक्ष में हो जाता हैं। लेकिन हमे यह देखना हैं कि प्रार्थी विधिक रूप से क्या एवं कितनी उचित सहायता अप्रार्थीगण से प्राप्त करने का अधिकारी हैं, या उसे दिलाई जा सकती हैं। जिसके  सम्बन्ध में हमारी राय में अप्र्रार्थीगण  द्वारा निरीक्षण शीट दिनांक 27-02-2012 व नोटिस दिनंाक 27-02-2012 के आधार पर अधिरोपित राशि रूपयै 22467/- मार्च 2012 के विद्युत  बिल में जोडी गई हैं, जो अप्रार्थीगण प्रार्थी से प्राप्त करने के अधिकारी नहीं हैं , तथा प्रार्थी का विद्युत  कनैक्शन  10 होर्स पाॅवर स्वीकृत भार का हैं, जो अप्रार्थीगण मार्च 2012 के बाद 20 होर्स पाॅवर विद्युत भार से बिल जारी कर रहे हैं, जो प्रार्थी पुनः 10 होर्स पाॅवर विद्युत  भार से बिल जारी करवाने का अधिकारी माना जाता हैं, तथा प्रार्थी को अप्रार्थीगण के कृत्य/ सेवादोष से हुई मानसिक, आर्थिक क्षति केे रूप में रूपयै 5000/- एवं परिवाद व्यय राशि रूपयै 2000/- दिलाये जाना उचित माना जाता हैं। इस प्रकार प्रार्थी का परिवाद आशिंक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य हैं।

 

आदेश

                 अतः प्रार्थी वगताराम का परिवाद विरूद्व अप्रार्थीगण अध्यक्ष, जोधपुर विद्युत वितरण निगम लि0, नया पावर हाउस, जोधपुर व अन्य के विरूद्व आशिंक रूप से स्वीकार कर आदेश दिया जाता हैं कि अप्रार्थीगण उक्त निर्णय की तिथी से 30 दिन के भीतर प्रार्थी के नाम विद्युत खाता संख्या-02050-207 में मार्च 2012 के विद्युत बिल में पूर्व की बकाया राशि रूपयै  22467/- (अक्षरे बाईस हजार चार सौ सतसठ रूपयै मात्र) जोडी गई हैं, जिसे वह प्रार्थी से प्राप्त नहीं करे। तथा आगामी बिलो में उक्त राशि पैनेल्टी सहित जोडी गई हैं, जो प्रार्थी के विद्युत बिलो से बाहर कर विद्युत  बिल 20 होर्स पाॅवर से 10 होर्स पाॅवर के सही एवं संशोधित करे। तथा सेवादोष से प्रार्थी को हुई मानसिक व आर्थिक क्षति के पेटे रूपयै  5,000/-(अक्षरे पाॅच हजार रूपयै मात्र) एवं परिवाद व्यय के रूपयै 2000/- (अक्षरे दो हजार रूपयै मात्र) भी अदा करेे। तथा उक्त निर्णय की पालना 30 दिन के भीतर  नहीं होने पर प्रार्थी उक्त राशि रूपयै 7000/- पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी  17-10-2012 से तारीख वसूली तक 9 प्रतिशत , वार्षिकी दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी होगा। तथा प्रार्थी को उक्त आदेशित दी जाने वाली राशि अप्रार्थी  विद्युत निगम अपने अधिकारी/कर्मचारी जिसने प्रार्थी के प्रति गलती एवं लापरवाही बरती हैं, उसके वेतन/ सम्पति से वसूल कर सकेगी।

                निर्णय व आदेश आज दिनांक 11-03-2015 को विवृत मंच में  लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

   मंजू राठौड                        केशरसिंह राठौड               दीनदयाल प्रजापत

     सदस्या                               सदस्य                          अध्यक्ष

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