प्रकरण क्र.सी.सी./14/247
प्रस्तुती दिनाँक 21.08.2014
श्रीमती हुलसी बाई साहू बेवा स्व. श्री जोहन प्रसाद साहू, आयु करीब 52 वर्ष, निवासी-ग्राम-गनियारी, थाना पुलगांव, तह. व जिला - दुर्ग (छ.ग.) - - - - परिवादिनी
विरूद्ध
1 अध्यक्ष, दि.पी.एण्ड टी. वर्कस थ्रिफ्ट को-आपरेटिव सोसायटी लिमि., विवेकानंद नगर, शाप क्र.1, शापिंग काम्पलेक्स पेंशन बाड़ा, रायपुर तह. व जिला-रायपुर (छ.ग.)
2. नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमि., द्वारा-मण्डल प्रबंधक, मंडल कार्यालय-मोबिन महल, द्वितीय तल, जी.ई.रोड, रायपुर तह. व जिला - रायपुर (छ.ग.)
- - - - अनावेदकगण
आदेश
(आज दिनाँक 03 मार्च 2015 को पारित)
श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष
परिवादी द्वारा अनावेदकगण से जी.पी.ए. बीमा दावा राशि 1,00,000रू. मय ब्याज, मानसिक कष्ट, वाद व्यय व अन्य उचित अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।
(2) प्रकरण में स्वीकृत तथ्य है कि अभिकथित बीमा पालिसी अनावेदक क्र.1 के पक्ष में अनावेदक क्र.2 बीमा कंपनी द्वारा जारी की गई थी।
परिवाद-
(3) परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादिनी के पति अनावेदक क्र.1 संस्था के पंजीकृत सदस्य थे तथा उनका बीमा सामुहिक व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा अनावेदक क्र.2 किया गया था। दिनांक 28.09.13 को परिवादिनी के पति बीमाधारक की मृत्यु पानी में डूब कर हो जाने से दुर्घटनात्मक मृत्यु हो गई। परिवादिनी के द्वारा अनावेदक बीमा कंपनी में क्लेम फार्म आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत किया गया, जिसके निराकरण में विलंब होने पर परिवादिनी के द्वारा अपने अधिवक्ता के मार्फत एक नोटिस दि.21.04.14 को अनावेदकगण को प्रेषित की गई, जिसका जवाब अनावेदक क्र.1 के द्वारा दि.23.04.14 एवं अनावेदक क्र.2 द्वारा दि.07.05.14 को परिवादी को प्रेषित करते हुए दावे का निराकरण शीघ्र करनें का आश्वासन दिया गया, किन्तु अनावेदकगण के द्वारा बीमा दावा राशि न प्रदान कर परिवादी के प्रति सेवा में कमी की गई। अतः परिवादिनी को अनावेदकगण से बीमा दावा राशि 1,00,000रू. मय ब्याज, वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाया जावे।
जवाबदावाः-
(4) अनावेदक क्र.2 का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि परिवादिनी का क्लेम फार्म अनावेदक क्र.1 से दिनंाक 23.04.14 को प्राप्त होने के उपरंात अनावेदक अन्वेषक से अन्वेषण रिपोर्ट प्राप्त किया है, जिसके आधार पर परिवादिनी के पति मृतक जोहन प्रसाद की मृत्यु शराब के सेवन पश्चात गुड़ाखू का नशा करते समय तालाब के पानी में डूबने से हुई है, जो कि बीमा शर्तो का उल्लंघन है, उक्त कारण से ही परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत दिनांक 13.12.13 का क्लेम फार्म, अनावेदक क्र.2 के अंवेषण कराए जाने के पश्चात दि.21.08.14 को परिवादिनी एवं अनावेदक क्र.1 को सूचना देकर नो क्लेम किया गया है। अनावेदक क्र.2 द्वारा परिवादिनी के प्रति सेवा में कमी नहीं की गई है, अतः सव्यय परिवाद निरस्त किया जावे।
(5) उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-
1. क्या परिवादी, अनावेदकगण से बीमा दावा राशि 1,00,000रू. मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है? हाँ, केवल
अनावेदक क्र.2 से
2. अन्य सहायता एवं वाद व्यय? आदेशानुसार परिवाद स्वीकृत
निष्कर्ष के आधार
(6) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है।
फोरम का निष्कर्षः-
(7) प्रकरण का अवलोकन करने पर हम यह पाते है कि अनावेदक बीमा कपंनी ने परिवादी का दावा इस आधार पर खारिज किया है कि घटना के समय मृतक शराब का सेवन किया था और तत्पश्चात् उसकी तालाब में डूबने से मृत्यु हुई थी जो कि बीमा शर्त का उल्लंघन है, परंतु अनावेदक द्वारा यह कहीं भी सिद्ध नहीं किया गया है कि मृतक घटना के समय शराब की इतनी मात्रा का सेवन किया था, जिससे इन्टाॅक्सीकेशन की श्रेणी में रखा जा सके, अतः अनावेदक क्र.2 यह सिद्ध करने में असफल रहा है कि मृतक की मृत्यु अल्कोहल के इन्फ्लूऐंस के कारण हुई थी। इस स्थिति में यदि मृतक की डूबने से मृत्यु हुई और बीमा कंपनी ने मृतक की मृत्यु को दुर्घटनात्मक नहीं माना है और इस आधार पर यदि परिवादी का बीमा दावा खारिज किया है तो अनावेदक क्र.2 का कृत्य निश्चित रूप से सेवा में निम्नता की श्रेणी में आता है।
(8) निर्विवादित रूप से मृतक पोस्ट आॅफिस में पोस्ट मास्टर के पद पर कार्यरत था और अनावेदक क्र.1 की संस्था का पंजीकृत सदस्य था और सामुहिक व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा हेतु अनावेदक क्र.1 के माध्यम से बीमित था।
(9) उपरोक्त परिस्थितियों में हम ऐसा कोई कारण नहीं पाते हैं कि परिवादिनी का बीमा दावा निराधार था या असत्य आधारों पर था, अतः संपूर्ण विवेचना के आधार पर परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार करने का समुचित आधार पर पाते हैं।
(10) प्रकरण की परिस्थितियों को देखते हुए हम अनावेदक क्र.1 को सेवा में निम्नता और कदाचरण का दोषी नहीं पाते हैं, केवल अनावेदक क्र.2 को पाते हैं अतः अनावेदक क्र.1 के विरूद्ध प्रकरण निरस्त करते हैं।
(11) अतः उपरोक्त संपूर्ण विवेचना के आधार पर हम परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार करते है और यह आदेश देते हैं कि अनावेदक क्र.2, परिवादिनी को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर निम्नानुसार राशि अदा करे:-
(अ) अनावेदक क्र.2, परिवादिनी को बीमा दावा राशि 1,00,000रू. (एक लाख रूपये) अदा करे।
(ब) अनावेदक क्र.2 द्वारा निर्धारित समयावधि के भीतर उपरोक्त राशि का भुगतान परिवादिनी को नहीं किये जाने पर अनावेदक क्र.2, परिवादिनी को आदेश दिनांक 03.03.15 से भुगतान दिनांक तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज अदा करने के लिए उत्तरदायी होगा।
(स) अनावेदक क्र.2, परिवादिनी को वाद व्यय के रूप में 5,000रू. (पांच हजार रूपये) भी अदा करे।