जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-प्रथम, लखनऊ।
वाद संख्या 1048/2011
श्री राहुल वर्मा,
पुत्र श्री राम स्वरूप,
निवासी-178, विजय खेड़ा,
आलमबाग, लखनऊ।
......... परिवादी
बनाम
1. डायरेक्टर,
प्रीमियम कार सेल्स लि0,
बी-943, सेक्टर-ए,
निकट करामात मार्केट,
महानगर, लखनऊ।
2. डायरेक्टर,
पिआजियो वेहिकल प्रा0 लि0,
101 बी/102, फोनिक्स,
बंद गार्डन रोड अपोजिट,
रेजीडेन्सी क्लब, पुणे-411001
..........विपक्षीगण
उपस्थितिः-
श्री विजय वर्मा, अध्यक्ष।
श्रीमती अंजु अवस्थी, सदस्या।
निर्णय
परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण से गाड़ी के बदले ब्याज सहित उसका पूरा भुगतान तथा श्रीराम फाइनेंस का ब्याज व अधिवक्ता खर्च रू.20,000.00 दिलाने हेतु प्र्र्र्र्र्र्र्र्रस्तुत किया गया है।
संक्षेप में परिवादी का कथन है कि उसने विपक्षी सं0 1 से दिनांक 21.04.2010 को पिआजियो एप्पे ट्रक खरीदा जिसकी कीमत रू.2,85,500.00 थी जिसमें से परिवादी ने रू.86,000.00 नकद भुगतान
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किया तथा रू.2,00,000.00 का फाइनेंस श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस से करावाया। परिवादी ने अपनी गाड़ी 8 माह भी ठीक से नहीं चलाई थी कि एक दिन गाड़ी का इंजन बंद हो गया जिस पर परिवादी अपनी गाड़ी लेकर विपक्षी सं0 1 के पास पहुंचा तो उन्होंने गाड़ी को चेक करके बताया कि इसमें लगभग रू.31,820.00 का खर्च आयेगा जिस पर परिवादी ने कहा कि गाड़ी वारंटी में है तो विपक्षी ने कहा कि इसकी कोई गारंटी नहीं है। गाड़ी बनवाने के लिये उसे भुगतान करना पड़ेगा। परिवादी द्वारा गाड़ी के कागज कुछ लोगों को दिखाने पर उसे पता चला कि उसने जो एप्पे ट्रक खरीदा है वह गाड़ी विपक्षी सं0 2 ने विपक्षी सं0 1 को डेमो के लिये भेजी थी और यह गाड़ी विक्रय के लिये नहीं थी। विपक्षी सं0 1 ने धोखा-धड़ी करके परिवादी को गाड़ी बेच दी। विपक्षी सं0 1 ने नाट फार सेल की गाड़ी परिवादी को बेच दी जिसके कारण गाड़ी कुछ समय पश्चात्् खराब हो गयी तथा गाड़ी जनवरी 2011 से विपक्षी सं0 1 के कब्जे में है जिसके कारण परिवादी को श्रीराम फाइनेंस की किश्त देने में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है तथा आर्थिक, मानसिक एवं सामाजिक क्षति पहुंच रही है। श्रीराम फाइनेंस ने परिवादी के ऋण खाते को एन0पी0ए0 घोषित कर दिया है। विपक्षी सं0 1 की धोखा-धड़ी के कारण परिवादी को किसी भी बैंक से ऋण प्राप्त नहीं हो सकेगा। अतः परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण से गाड़ी के बदले ब्याज सहित उसका पूरा भुगतान तथा श्रीराम फाइनेंस का ब्याज व अधिवक्ता खर्च रू.20,000.00 दिलाने हेतु प्र्र्र्र्र्र्र्र्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी सं0 1 की ओर से लिखित कथन दाखिल किया गया जिसमें मुख्यतः यह कथन किया गया है कि दिनांक 21.04.2010 को विपक्षी सं0 1 द्वारा परिवादी को पिआजियो एप्पे ट्रक का कोटेशन/प्रोफार्मा इनवायस रू.2,85,500.00 का दिया गया था जिसके उपरांत परिवादी द्वारा श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस से ट्रक का फाइनेंस कराया गया था। उक्त एप्पे ट्रक का भुगतान प्राप्त होने पर विपक्षी सं0 1 द्वारा दिनांक 30.04.2010 को उक्त ट्रक परिवादी को बेचा गया तथा डिलीवरी दी गई। परिवादी द्वारा उक्त वाहन की डिलीवरी दिनांक 30.04.2010 को लेने के बाद उसकी निर्धारित प्रथम फ्री सर्विस वारंटी मैनुअल के अनुसार 750 किमी से 1000 किमी या क्रय करने की
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दिनांक से 30 दिन के अंदर नहीं करायी गई थी। परिवादी द्वारा सर्वप्रथम गाड़ी की सर्विस दिनांक 11.06.2010 को कराई गई जो द्वितीय फ्री सर्विस मानी गई। वारंटी मैनुअल के अनुसार प्रथम फ्री सर्विस समय से न कराने के कारण परिवादी के वाहन की वारंटी शून्य व निष्प्रभावी हो गई। तदुपरान्त परिवादी द्वारा समय-समय पर अपनी गाड़ी की सर्विस व अन्य जाब वर्क विपक्षी सं0 1 के सर्विस सेंटर पर कराया जाता रहा है। परिवादी द्वारा दिनांक 13.02.2011 को अपनी गाड़ी विपक्षी सं0 1 के सर्विस सेंटर पर लाई गई निरीक्षण करने पर गाड़ी का क्रेन्क केस टूटा पाया गया जिससे इंजन जाम हो गया था। विपक्षी सं0 1 द्वारा गाड़ी के रिपेयर का एस्टीमेट रू.31,820.00 परिवादी को दिया गया जिस पर परिवादी द्वारा वारंटी के तहत निःशुल्क रिपेयर की मांग की गई तो विपक्षी सं0 1 द्वारा परिवादी को अवगत कराया गया कि प्रथम फ्री सर्विस समय से न कराने पर उसके वाहन की वारंटी शून्य हो गई है और वह वारंटी से वंचित हो गया है फिर भी विपक्षी सं0 1 द्वारा परिवादी को आश्वासन दिया गया कि वह परिवादी के वाहन की वारंटी का मामला कंपनी को भेजेंगे यदि कंपनी वारंटी पास कर देती है तो विपक्षी सं0 1 परिवादी को पैसा वापस कर देंगे, परंतु परिवादी इस पर भी सहमत नहीं हुआ और अपनी गाड़ी विपक्षी के वर्कशाप पर छोड़ कर चले गये। परिवादी को बेची गयी ट्रक वह विपक्षी सं0 1 को बिक्री हेतु प्राप्त हुई थी जो डेमो के लिये नहीं थी। परिवादी को नई गाड़ी बेची गई है। उसे बेची गयी गाड़ी नाट फार सेल नहीं थी। विपक्षी सं0 1 द्वारा दिनांक 30.04.2010 को उस समय गेट पास के जारी किया गया था जब परिवादी द्वारा उक्त वाहन क्रय करने से पहले रोड टेस्ट के लिये विपक्षी सं0 1 के वर्कशाप से बाहर ले जाया जा रहा था उसी समय इस पर परिवादी के हस्ताक्षर भी लिये गये थे कि गाड़ी की सारी जिम्मेदारी उसकी रहेगी। परिवादी द्वारा वाहन का रोड टेस्ट लेने के बाद संतुष्ट होने पर ही गाड़ी की फाइनल डिलीवरी दिनांक 30.04.2010 को ली गई थी। परिवादी द्वारा उक्त वाहन का उपयोग सामान्य रूप से किया जाता रहा है। परिवादी द्वारा अपनी गाड़ी दिनांक 13.02.2011 को रिपेयर हेतु विपक्षी के वर्कशाप पर लाई गई और विपक्षी द्वारा उसे रिपेयर एस्टीमेट बताया गया जिसे अदा करने हेतु परिवादी सहमत नहीं हुआ और अपनी गाड़ी छोड़ कर चला
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गया। विपक्षी सं0 1 द्वारा परिवादी के वाहन की वारंटी का क्लेम विपक्षी सं0 2 के अनुमोदन हेतु भेजा गया जिसमें कंपनी द्वारा अपनी गुडविल के आधार पर मान लिया गया तथा परिवादी के वाहन के रिपेयर एस्टीमेट धनराशि रू.31,820.00 में से रू.21,313.00 वापस कर दिये गये। कंपनी से उक्त धनराशि का क्रेडिट नोट दिनांकित 31.05.2011 प्राप्त होने पर विपक्षी सं0 1 द्वारा परिवादी को सूचित किया गया कि वह निर्देश दे कि उसकी गाड़ी पर काम शुरू किया जाये, परंतु परिवादी विपक्षी सं0 1 के वर्कशाप पर नहीं आया और न ही कोई निर्देश दिया। परिवादी अनुचित रूप से उसको बेची गई नई गाड़ी को डेमो गाड़ी बताकर अवैधानिक रूप से गाड़ी की कीमत के साथ ब्याज की मांग कर रहा है, जबकि परिवादी को नई गाड़ी बेची गई तथा वारंटी के बाहर हो जाने के बावजूद परिवादी की गाड़ी की रिपेयर वारंटी के तहत करने के लिए भी विपक्षी सं0 1 तैयार हो गए। परिवादी कोई भी अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है। परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है।
विपक्षी सं0 2 द्वारा अपना लिखित कथन दाखिल किया गया जिसमें मुख्यतः यह कथन किया गया है कि परिवादी ने वारंटी कार्ड में दिये गये समय के अंतर्गत फ्री सर्विस का उपयोग नहीं किया। वाहन के कार्ड से यह पता चला कि परिवादी ने प्रथम और चतुर्थ फ्री सर्विस का उपयोग नहीं किया। अतः यदि वाहन में कोई तकनीकी त्रुटि आती है तो परिवादी यह नहीं कह सकता कि वाहन वारंटी में है, जबकि उसने स्वयं वारंटी की नियम व शर्तों का उल्लंघन किया है। विपक्षी सं0 1 ने परिवादी को बताया था कि उसने अपने वाहन की सर्विस नियमानुसार नहीं करायी है, परंतु फिर भी वे प्रयास करेंगे कि कंपनी से उसके वाहन की वारंटी को पास कर दें और अगर कंपनी वारंटी पास कर देगी तो वे मरम्मत हेतु परिवादी से ली गयी धनराशि को वापस कर देंगे, परंतु परिवादी इस पर सहमत नहीं हुआ और अपना वाहन छोड़ कर चला गया। विपक्षी सं0 1 के कथनानुसार जब कंपनी को परिवादी के वाहन की वारंटी भेजी गयी तो कंपनी ने उसे पास कर दिया जिसकी सूचना परिवादी को दे दी गयी थी। वाहन की सेल्स इनवाइस जो विपक्षी सं0 1 द्वारा कंपनी को भेजी गयी थी उससे स्पष्ट होता है कि वाहन डेमो के लिये नहीं था। कंपनी द्वारा डीलर को भेजी
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गयी वाहन की सेल्स इनवाइस से स्पष्ट है कि विपक्षी सं0 1 द्वारा परिवादी के साथ कोई धोखा-धड़ी नहीं की गयी है। विपक्षी सं0 1 द्वारा परिवादी को सूचित करने के बावजूद भी परिवादी अपना वाहन लेने नहीं आया। परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
परिवादी द्वारा विपक्षी सं0 1 के लिखित कथन के विरूद्ध आपत्ति मय दो प्रपत्र दाखिल किया गया।
परिवादी की ओर से अपना शपथ पत्र मय 5 प्रपत्र दाखिल किया गया। विपक्षी सं0 1 की ओर से श्री सुरेश कुमार, अध्यक्ष, मैसर्स प्रीमियम कार सेल्स लि0 का शपथ पत्र मय 4 संलग्नक दाखिल किया गया। विपक्षी सं0 2 की ओर से श्री अंतरिक्ष चैहान, रिजनल मैनेजर, पिआजियो वेहिकल प्रा0 लि0 का शपथ पत्र तथा लिखित कथन के साथ 3 संलग्नक दाखिल किये गये।
पक्षकार के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी गयी एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
अब देखना यह है कि क्या परिवादी को जो पिआजियो एप्पे ट्रक विक्रीत किया गया वह विक्रय के लिए न होकर डेमो के लिए था या नहीं तथा क्या विपक्षीगण द्वारा परिवादी को प्रश्नगत वाहन विक्रीत करके अनुचित व्यापार प्रक्रिया एवं सेवा में कमी की गयी या नहीं तथा क्या वाहन की वारंटी के दौरान वाहन का इंजन खराब होने पर विपक्षी सं0 1 ने रू.31,820.00 मरम्मत की धनराशि के रूप में भुगतान किये जाने की मांग की जबकि वाहन वारंटी के अंतर्गत था जो विपक्षी सं0 1 द्वारा सेवा मंे कमी का द्योतक है या नहीं अथवा क्या परिवादी द्वारा समय से सर्विस न कराने के कारण वाहन की वारंटी शून्य हो गयी जिसके कारण मरम्मत की धनराशि की मांग कर विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।
परिवादी की ओर से यह कथन किया गया है कि उसे जो वाहन विपक्षीगण द्वारा विक्रीत किया गया वह डेमो के लिए था और विक्रय हेतु नहीं था फिर भी उसे उपरोक्त वाहन विक्रय करके धोखा-धड़ी की गयी और इसी कारण से वाहन जल्दी ही खराब भी हो गया। परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में अपने शपथ पत्र के साथ दिनांक 30.04.2010 के सूचना की फोटोप्रति दाखिल की है जिसमें यह तथ्य अंकित है कि चैसिस सं.डठग्0000छठस् ।820217 और इंजन सं.
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म्म्09ड9074376 का वाहन लखनऊ में डिस्पले के लिए भेजा जा रहा है और उक्त वाहन मात्र डेमो के लिए है विक्रय के लिए नहीं। उल्लेखनीय है कि उक्त सूचना पत्र में वाहन के विक्रय के लिए न होने के संबंध में मोटे अक्षरों में अंकन किया गया है। परिवादी को उपरोक्त वाहन विक्रीत किया गया था जैसा कि उसी पत्र में किये गये नोटिंग एवं विपक्षी सं0 1 द्वारा दाखिल किय गये वाहन के संबंध में वेहिकल हिस्टरी कार्ड जिसमें इंजन सं. और चैसिस नं. वही है जो कि सूचना पत्र में वाहन का इंजन नं. और चैसिस नं. है जो कि विक्रय के लिए नहीं था मात्र डेमो के लिए था। इस संबंध में विपक्षी सं0 1 की ओर से यह कहा गया है कि प्रश्नगत सूचना पत्र दिनांक 30.04.2010 गेट पास के रूप में जारी किया गया था जब परिवादी द्वारा उक्त वाहन रोड टेस्ट के लिए विपक्षी सं0 1 की वर्कशाप से बाहर रोड पर ले जाया जा रहा था। अतः विपक्षी सं0 1 के अनुसार उक्त वाहन के संबंध में जो सूचना पत्र जारी किया गया था वह गेट पास के रूप में था और रोड टेस्ट हेतु परिवादी द्वारा ले जाया जा रहा था और ऐसा नहीं था कि वह वाहन विक्रय के लिए नहीं था, किंतु विपक्षी सं0 1 की ओर से दिया गया यह तर्क महत्वहीन है क्योंकि सूचना पत्र में प्रथम पंक्ति में यह अंकित है कि ट्रक मात्र लखनऊ में डिस्प्ले के लिए भेजा जा रहा है। स्पष्टतया उक्त वाहन मात्र डिस्प्ले एवं डेमो के लिए ही था न कि विक्रय किये जाने के लिए। अतः इस संबंध में विपक्षीगण की ओर से दिया गया उपरोक्त कारण कि गेट पास के रूप में सूचना पत्र जारी किया गया था पूर्णतः सत्य से परे है एवं हास्यास्पद है। स्पष्ट है कि एक ऐसा वाहन जो मात्र डिस्प्ले और डेमो के लिए उपयोग किया जाना था न कि विक्रय के लिए, परिवादी को विक्रीत किया गया जो कि स्पष्टतया अनुचित व्यापार प्रक्रिया है क्योंकि डेमो के लिए जो वाहन होते हैं उनमें डेमो के दौरान इस्तेमाल होने के कारण खराबियां आ जाती हें और इसलिए डेमो के लिए रखे गये वाहन विक्रय नहीं किये जाते हैं।
इसके अतिरिक्त अब यह देखा जाना है कि क्या वारंटी की अवधि के दौरान प्रश्नगत वाहन खराब होने के कारण जो मरम्मत हेतु धनराशि विपक्षी सं0 1 द्वारा परिवादी से मांगी गयी वह पूर्णतया अनुचित थी अथवा प्रश्नगत वाहन की वारंटी समय से सर्विस न कराने के कारण निष्प्रभावी हो गयी थी, अतः विपक्षी सं0 1 द्वारा वाहन में खराबी आने
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पर मरम्मत के लिए जो धनराशि मांगी गयी वह अनुचित न थी। इस संबंध में उल्लेखनीय है कि वारंटी की अवधि के दौरान ही वाहन का इंजन सीज़ हो गया था जिसके लिए विपक्षी सं0 1 ने मरम्मत हेतु रू.31,820.00 की मांग की थी। विपक्षी सं0 1 द्वारा यह कहा गया है कि चूंकि परिवादी ने वाहन की सर्विस समय से नहीं करायी थी इसलिए वारंटी निष्प्रभावी हो गयी थी। इस संबंध में सर्वप्रथम तो परिवादी की ओर से फ्री सर्विस कराये जाने के संबंध में स्वयं विपक्षी सं0 1 की ओर से अभिलेख दाखिल किया गया है जिसमें फ्री सर्विस का ब्यौरा है। इसके अतिरिक्त यह भी उल्लेखनीय है कि विपक्षी सं0 1 द्वारा जो वारंटी क्लेम फार्म की फोटोप्रति संलग्नक सं. 4 के रूप में दाखिल की गयी है उसमें यह तथ्य अंकित है कि परिवादी द्वारा जो वारंटी क्लेम किया गया है उसे परिवादी के पक्ष में ंचचतवअम कर दिया गया है और इस तथ्य को वस्तुतः विपक्षी सं0 1 ने अपने प्रतिवाद पत्र के पैरा 5 में स्वीकार किया है कि कंपनी द्वारा अपनी गुडविल के आधार पर वाहन की वारंटी का क्लेम स्वीकार करके रू.31,820.00 में से रू.21,313.00 की धनराशि स्वीकृत कर दी गयी थी। स्पष्ट है कि विपक्षीगण की ओर से प्रथम सर्विस समय से न कराये जाने के संबंध में वारंटी निष्प्रभावी होने के तथ्य को ूंपअम कर दिया गया है और इसके अतिरिक्त यह परोक्ष रूप से माना गया है कि उक्त सर्विस न कराये जाने से वारंटी निष्प्रभावी नहीं हुई। परिणामस्वरूप स्पष्ट है कि विपक्षी सं0 1 द्वारा वाहन की वारंटी के दौरान गाड़ी में आयी हुई खराबी के संबंध में मरम्मत हेतु धनराशि की मांग किया जाना अनुचित व्यापार प्रक्रिया एवं सेवा में कमी का द्योतक है। उपरोक्त विवेचना से यह स्पष्ट होता है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी को डेमो के अंतर्गत प्राप्त हुए वाहन जिसे विक्रीत नहीं किया जाना था उसे परिवादी को गलत तरीके से बेचा गया। परिणामस्वरूप, परिवादी विपक्षीगण से उक्त वाहन के बजाय नया वाहन प्राप्त करने का अधिकारी है। साथ ही इस प्रकार का वाहन विक्रीत करने से परिवादी का वाहन खराब हो गया था जिसके कारण उसने जो बैंक से फाइनेंस कराया था उसके कारण उसे अत्यधिक आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ा। परिणामस्वरूप, परिवादी विपक्षीगण से समुचित क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय भी प्राप्त करने का अधिकारी है।
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आदेश
परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को पृृथक व संयुक्त रूप से आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को पुराने वाहन के बदले नया वाहन प्रदान करें। यदि वे ऐसा करने में असमर्थ हो तो परिवादी को वाहन का मूल्य रू.2,85,500.00 (रूपये दो लाख पिच्चायसी हजार पांच सौ मात्र) मय 9 प्रतिशत ब्याज परिवाद दाखिल करने की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक करें।
साथ ही विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को आर्थिक क्षति एवं मानसिक कष्ट के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में रू.25,000.00 (रूपये पच्चीस हजार मात्र) एवं वाद व्यय के रूप में रू.3,000.00 (रूपये तीन हजार मात्र) अदा करें।
विपक्षीगण उपरोक्त आदेश का अनुपालन एक माह में करें।
(अंजु अवस्थी) (विजय वर्मा)
सदस्या अध्यक्ष
दिनांकः 27 मई, 2015