राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या– 184/2023
नीरज कुमार आयु लगभग 34 वर्ष पुत्र श्री उत्तम कुमार निवासी गोविन्द नगर सलेमपुर कोन शहर लखीमपुर परगना व जिला- खीरी।
बनाम
- प्रीमियर कार सेल्स लि0 बी0 आर0 हुण्डई एन0 एच0-24 ब्रम्ह दीप होटल के सामने जमायतपुर सीतापुर 261001 द्धारा प्रबंधक महोदय।
- प्रोप्राइटर प्रीमियर कार सेल्स लि0 बी0 आर0 हुण्डई एन0 एच0-24 ब्रम्ह दीप होटल के सामने जमायतपुर सीतापुर 261001
- आई0 सी0 आई0 सी0 आई0 लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेन्स कं0 लि0 चैम्बर-01 चतुर्थ तल एल्डिको कारपोरेट गोमतीनगर लखनऊ उ0 प्र0 द्धारा प्रबंधक।
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री संकल्प महरोत्रा, विद्धान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-01 व 02 की ओर से उपस्थित: श्री नीरज कुमार,
विद्धान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-03की ओर से उपस्थित: श्री प्रसून कुमार राय,
विद्धान अधिवक्ता।
दिनांक 22.04.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्धारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, लखीमपुर खीरी द्धारा परिवाद संख्या– 135/2020 नीरज कुमार बनाम प्रीमियर कार सेल्स लिमिटेड व अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.12.2022 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में परिवाद के तथ्य यह है कि परिवादी वाहन संख्या– यू0 पी0 31 ए वी 5742 ग्रान्ड आई 10 हुण्डई कार का पंजीकृत स्वामी है। प्रश्नगत कार महिन्द्रा एंड महिन्द्रा फाइनेन्स कम्पनी से वित्त पोषित है। प्रश्नगत वाहन का बीमा, विपक्षी संख्या-03 द्धारा पालिसी संख्या-3001H1-11102661 पर किया गया। दिनांक 27.04.2020 को ढखेरवा से धौरहरा रोड पर परिवादी का उक्त वाहन दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो गया। दुर्घटना पश्चात क्षतिग्रस्त वाहन दिनांक 01.05.2020 को लखीमपुर के हुण्डई के शोरूम में मरम्मत हेतु लाया गया तो शोरूम द्धारा बताया गया कि वाहन के पार्ट उपलब्ध नहीं है एवं वाहन मरम्मत हेतु विपक्षी संख्या-01 व 02 की एजेन्सी पर दिनांक 06.05.2020 को भेजा गया।
परिवादी द्धारा वाहन से सम्बन्धित समस्त कागजात विपक्षी संख्या-01 व 02 की एजेन्सी पर लेकर गया तो विपक्षी संख्या-01 व 02 द्धारा कहा गया कि वाहन को 20 दिन में ठीक कर दिया जावेगा। जुलाई के अंतिम सप्ताह में मिलने पर परिवादी से कहा गया कि अभी डी0 ओ0 नहीं आया है डी0 ओ0 आने पर अंकन 12,000.00 रूपये नट-बोल्ट व फाइलचार्ज के देने होगा।
पुन: दिनांक 22.09.2020 को परिवादी वाहन लेने कम्पनी गया तो विपक्षी संख्या-01 व 02 द्धारा बताया गया कि वाहन की मरम्मत में रू0 2,57,921/’का खर्च हुआ है तथा बीमा क्लेम मात्र रू0 87,433/- का स्वीकृत हुआ है इस लिये अवशेष रू0 1,70,488.00 का भुगतान परिवादी द्धारा करके वाहन ले जावे। चूंकि परिवादी के वाहन का पूर्ण बीमा किया गया था इस लिये वाहन पर हुये खर्च का उत्तरदायित्व विपक्षी संख्या-03 पर है। कथन किया गया कि किश्त का भुगतान न कर पाने के कारण परिवादी को फाइनेन्स कम्पनी को अतिरिक्त ब्याज देना पड़ रहा है। अत: परिवादी ने अवशेष धनराशि रू0 1,70,488/- मय 18 प्रतिशत ब्याज सहित तथा क्षतिपूर्ति रू0 2,00,000/- एवं वाहन पर हुये खर्च रू0 96,000/-प्राप्त करने हेतु परिवाद संस्थित किया है।
विपक्षी संख्या-01 व 02 के जिला आयोग में उपस्थित नहीं हुये अत: उनके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की गई।
विपक्षी बीमा कम्पनी द्धारा परिवाद पत्र के कथनो का आंशिक रूप से अस्वीकार किया गया है तथा यह कथन किया है कि परिवादी के वाहन संख्या- यू0 पी0 31 ए वी 5742 का बीमा विपक्षी द्धारा दिनांक 14.02.2020 से 13.02.2021 तक की अवधि के लिये पालिसी की नियम व शर्तो के अंतगर्त किया गया था। क्षतिग्रस्त वाहन का सर्वेयर द्धारा मूल्यांकन करते हुये मात्र रू0 88,432.59 पैसे व्यय का आंकलन किया गया जिसमे कम्पलसरी एक्सेस के रूप में रू0 1,000/-की कटौती करते हुये रू0 87,433.00 का मूल्यांकन किया गया। प्रश्नगत धनराशि का भुगतान प्रीमियर कार सेल्स को करने का प्रयास किया गया परन्तु उन्होंने भुगतान से इंकार कर दिया।
विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त परिवाद निर्णीत करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया है:-
‘’ परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या 03 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी के दुर्घटनाग्रस्त वाहन के सम्बन्ध में सर्वेयर द्वारा आंकलित धनराशि 87433/- रु० (सतासी हजार चार सौ तैंतीस रूपये) व इस धनराशि पर परिवाद दायर करने की तिथि से अन्तिम अदायगी की तिथि तक 07 प्रतिशत साधारण वार्षिक की दर से ब्याज निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्दर अदा करना सुनिश्चित करे।‘’
मेरे द्धारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्धान अधिवक्ता श्री संकल्प महरोत्रा को विस्तार से सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
अपीलार्थी का यह अभिकथन है कि प्रश्नगत वाहन यू0 पी0 31 ए वी 5742 का दिनांक 27.04.2020 को दुर्घटना होने के उपरान्त वाहन विपक्षी संख्या-01 व 02 के अधिकृत मरम्मत सेन्टर में मरम्मत हेतु ले जाया गया जहां पर विपक्षी संख्या-01 व 02 ने वाहन की मरम्मत रू0 2,57,921/-का खर्च होना बताया गया। रू0 2,57,921/- के व्यय की रसीद परिवादी द्धारा जिला फोरम के सम्मुख दाखिल किया गया है। परिवादी का कथन है कि वाहन अभी भी विपक्षी संख्या-01 व 02 के यहां खड़ा है व वर्तमान में लगभग चार (4) वर्ष से विपक्षी संख्या 1 व 2 द्धारा अपने सर्विस सेन्टर में खड़ा रखा गया है।
अपीलार्थी के उक्त कथन के विपरीत विपक्षी संख्या-03 बीमा कम्पनी का यह कथन है कि परिवादी के दुर्घटनाग्रस्त वाहन का सर्वे किया गया। सर्वेयर द्धारा दुर्घटना ग्रस्त वाहन की मरम्मत में कुल रू0 87,433/-के भुगतान का आंकलन किया गया। विपक्षी संख्या-03 द्धारा इस न्यायालय के समक्ष सर्वेयर की आख्या प्रस्तुत नहीं की गई जिससे यह प्रमाणित हो सकता था कि दुर्घटनाग्रस्त वाहन के सर्वे का आधार क्या है। अत: विपक्षी बीमा कम्पनी का यह तर्क में बलहीन है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता द्धारा प्रस्तुत अपील जिला आयोग के सम्मुख परिवाद पत्रमें उल्लिखित तथ्यों को सुसंगत रूप से विचारित न करने व मांगे गये अनुतोष के विपरीत अत्यंत कम धनराशि का अनुतोष प्रदान किये जाने से क्षुब्ध होकर यह अपील प्रस्तुत किया है।
परिवाद पत्र व अपील में उल्लिखित तथ्य में यह स्पष्ट रूप से पाया जाता है कि वास्तव में परिवादी के वाहन को दुर्घटना के पश्चात विपक्षी संख्या-1 व 2 जो कि संबंधित वाहन हुंडई मोटर अर्थात बी० आर० हुंडई के अधिकृत सर्विस सेन्टर में मरम्मत हेतु प्रेषित किया गया जिस पर अत्यंत विलम्ब से उपरोक्त विपक्षी संख्या-1 व 2 द्धारा क्षति को दुरूस्त करने की प्रक्रिया अपनायी गई जबकि वह अर्थराइज्ड सर्विस सेन्टर के रूप में नियुक्त थे। उनके द्धारा वाहन के कल-पुर्जे उपलब्ध न होने का कथन करते हुये वाहन को अपेक्षित समयावधि में न मरम्मत कर अपीलार्थी को मात्र परेशान करने की प्रक्रिया अपनायी गई।
प्रश्न यह है कि जब उपरोक्त वाहन के सर्विस सेन्टर के सम्मुख अपेक्षित कल-पुर्जे नहीं है तब किन परिस्थितियों में सर्विस सेन्टर यह दावा करता है कि उनके द्धारा शीघ्र वाहन को दुरूस्त किया जावेगा।
प्रश्नगत मामले में निर्विवादित रूप से दुर्घटनग्रस्त वाहन दुर्घटना की अवधि में विपक्षी संख्या-03 बीमा कम्पनी द्धारा बीमित था। कुल बीमा की बीमित धनराशि रू0 4,76,036/- बीमा प्रपत्रों में उल्लिखित है जिस हेतु प्रीमियम परिवादी/अपीलार्थी द्धारा बीमा कम्पनी को दिया गया था। वाहन की दुर्घटना की तिथि 27.04.2020 है जबकि वाहन विपक्षी संख्या 1 व 2 के शोरूम व सर्विस सेन्टर में दिनांक 01.05.2020 को उपलब्ध कराया गया था। अनेको तिथियों पर परिवादी/अपीलार्थी द्धारा वाहन के सर्विस सेन्टर का भ्रमण किया गया परन्तु तीन-चार माह के पश्चात भी वाहन सुदृढ़ न किया जाना विपक्षी संख्या-01 व 02 द्धाराकी गई घोर लापरवाही को उल्लिखित करता है। चूंकि विपक्षी संख्या- 1 व 2 द्धारा स्वयं वाहन के कल-पुर्जे एवं मरम्मत हेतु रू0 2,57,921/-का बिल बीमा कम्पनी के सम्मुख प्रस्तुत किया गया है तब बीमा कम्पनी द्धारा नियुक्त सर्वेयर की सर्वे रिपोर्ट किस आधार पर तैयार की गई यह भी तथ्य समस्त विवादित तथ्यों के विपरीत पाया जाता है।
समस्त तथ्यों को विचारित करने के उपरान्त तदनुसार मेरे विचार से विपक्षी संख्या-1 व 2 द्धारा प्रस्तुत की गई मरम्मत से संबंधित धनराशि की रसीद रू0 2,57,921/- को दृष्टिगत रखते हुये दुर्घटनाग्रस्त वाहन की मरम्मत में व्यय की गई कुल धनराशि रू0 2,00,000/- परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 07 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित विपक्षी संख्या-03 बीमा कम्पनी से दिलाया जाना विधिअनुसार उपयुक्त प्रतीत होता है।
विपक्षी संख्या-1 व 2 द्धारा घोर लापरवाही व देरी तथा मानसिक व शारीरिक रूप से परेशान किये जाने हेतु क्षतिपूर्ति रू0 25,000/- तथा विपक्षी संख्या-03 द्धारा क्षतिपूर्ति रू0 25,000/- भी दिलाया जाना उचित है। तद्नुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला मंच द्धारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि विपक्षी संख्या-03 परिवादी/अपीलार्थी को बीमा धनराशि अंकन 2,00,000.00 रूपये (रूपये दो लाख) परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज सहित तथा क्षतिपूर्ति के रूप में अंकन 25,000.00 रूपये अदा करें।
विपक्षी संख्या-01 व 02 क्षतिपूर्ति के रूप में परिवादी को अंकन 25,000/- (रूपये पच्चीस हजार) अदा करें।
विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि उपरोक्त आदेश का अनुपालन 45 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें। अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्धारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
रंजीत, पी.ए.
कोर्ट न0- 1