Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/758

Mahindra and Mahindra Financial Services - Complainant(s)

Versus

Prema Gupta - Opp.Party(s)

Adeel Ahmad

24 Feb 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/758
( Date of Filing : 17 Apr 2012 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Mahindra and Mahindra Financial Services
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Prema Gupta
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vikas Saxena PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. DR. ABHA GUPTA MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 24 Feb 2022
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                     

अपील सं0 :- 758/2012

 

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, बहराइच द्वारा परिवाद सं0- 119/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07/10/2011 के विरूद्ध)

 

Mahindra & Mahindra Financial Services Mahindra Tower, Faizabad Road, Lucknow.

 

  1. Appellant

 

  •  

 

 Smt. Prema Gupta, adult W/O Sri Banwari Lal Gupta R/O Mohalla-Jubliganj, Station Road, Town & Tehsil-Nanpara, District-Bahraich.

 

  •                                                                                      Respondent  

समक्ष

  1. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य
  2. मा0 डा0 आभा गुप्‍ता,   सदस्‍य

 

उपस्थिति:

 

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री अदील अहमद, एडवोकेट

प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री बी0के0 उपाध्‍याय, एडवोकेट

 

दिनांक:-23.03.2022

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.         जिला उपभोक्‍ता आयोग, बहराइच द्वारा परिवाद सं0- 119/2009, श्रीमती प्रेमा गुप्‍ता बनाम महिन्‍द्रा एण्‍ड महिन्‍द्रा फाइनेंसियल सर्विसेज लिमिटेड में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07/10/2011 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है, जिसके माध्‍यम से परिवादिनी का परिवाद अपीलार्थी के विरूद्ध रूपये 21,000/- की वसूली मय 10 प्रतिशत ब्‍याज एवं अन्‍य अनुतोषों के साथ आज्ञप्‍त किया गया है।
  2.               परिवादिनी श्रीमती प्रेमा गुप्‍ता ने परिवाद इन अभिकथनों के साथ योजित किया है कि उसने अपीलार्थी से रूपये 4,20,000/- वित्‍तीय सहायता प्राप्‍त करके बोलेरो टी प्रेश डी एक्‍स क्रय किया था,  जिसके संबंध में अनुबंध दिनांकित 24.05.2006 तहरीर हुआ, जिसमें ऋण की अदायगी का अंतराल 03 वर्ष तथा 30 किश्‍तों में भुगतान किया जाना था। परिवादी के अनुसार दिनांक 22.06.2006 से दिनांक 22.11.2008 के मध्‍य ली गयी वित्‍तीय सहायता की सम्‍पूर्ण धनराशि अपीलार्थी को दी गयी, जिसके           उपरान्‍त अपीलार्थी महिन्‍द्रा एण्‍ड महिन्‍द्रा फाइनेंस से दिनांक 25.11.2008 को परिवादिनी को अदेयता प्रमाण भी दे दिया। दिनांक 25.11.2008 को परिवादिनी ने विपक्षी सं0 4 महिन्‍द्रा फाइनेंस सर्विसेज के कार्यालय से   लेजर एकाउण्‍ट भी प्राप्‍त किया, किन्‍तु विपक्षी सं0 4 ने अदेयता प्रमाण पत्र एवं सम्‍भागीय परिवहन कार्यालय में हायर परचेज का इन्‍द्राज निरस्‍त किये जाने हेतु निर्धारित प्रपत्र जारी नहीं किया था तथा जबरदस्‍ती रू0 21,000/- की अदेयता जारी की, जिससे व्‍यथित होकर यह परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।
  3.                 परिवाद के दौरान विपक्षी सं0 1 व 4 की तरफ से उत्‍तर पत्र दाखिल किया गया, जिसमें कहा गया कि परिवादिनी को उभय पक्ष के मध्‍य हुये अनुबंध के अनुसार दिनांक 24.10.2008 को आखरी मासिक किश्‍त अदा करनी थी तथा प्रत्‍येक माह की 24 वीं तिथि को किश्‍तों को जमा करना चाहिए था, जिसे परिवादिनी ने नहीं जमा किया, जिसमें रू0 21,000/- बतौर विलम्‍ब शुल्‍क परिवादिनी से वसूल किया जाना है। किश्‍तों की अदायगी समय पर अदा न किये जाने के कारण अनुबंध के अनुसार 03 प्रतिशत मासिक ब्‍याज परिवादिनी से लिया गया, जिस कारण धनराशि बकाया है।
  4.                    परिवादिनी की ओर से एक पत्र दाखिल किया गया, जिसमें विपक्षी द्वारा दिये गये स्‍टेटमेंट एकाउण्‍ट की कम्‍प्‍यूटर कॉपी प्रस्‍तुत की गयी, जिसमें यह उल्‍लेख है कि दिनांक 22.11.2008 को परिवादिनी के जिम्‍मे कोई बकाया नहीं है और परिवादिनी द्वारा 02 रूपये अधिक जमा किया गया है। उभय पक्ष को सुनवाई का अवसर दिये जाने के उपरान्‍त विद्धान जिला       उपभोक्‍ता फोरम ने परिवादिनी का परिवाद आज्ञप्‍त करते हुए परिवादिनी से वसूली गयी धनराशि रू0 21,000/- मय 10 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज एवं अन्‍य अनुतोष के लिए परिवाद आज्ञप्‍त किया, जिससे व्‍यथित होकर यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है।
  5.                    अपील में मुख्‍य रूप से यह आधार लिये गये हैं कि विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम का आदेश मनमाना है तथा तथ्‍य एवं अभिलेखों के विरूद्ध है। उभय पक्ष के मध्‍य का विवाद एकाउण्टिंग से संबंधित है जो केवल सिविल न्‍यायालय द्वारा निर्णीत किया जा सकता है। विद्धान जिला    उपभोक्‍ता फोरम ने इस तथ्‍य को अनदेखा किया कि प्रश्‍नगत जी के किश्‍तों की अदायगी परिवादिनी ने समय-समय पर नहीं की थी, जिस कारण अनुबंध के अनुसार 3 प्रतिशत प्रति माह की दर से ब्‍याज अतिरिक्‍त लगाये गये, जिस कारण रूपये 21,000/- परिवादी का उत्‍तरदायित्‍व बनता था जो उससे वसूल किये गये हैं। अनुबंध के अनुसार परिवादिनी उक्‍त 3 प्रतिशत ब्‍याज लेने का उत्‍तरदायित्‍व रखती थी।
  6.            अपीलार्थी की ओर से अदेयता प्रमाण पत्र तब जारी किया गया जब परिवादिनी द्वारा रूपये 21,000/- अंतिम रूप से प्रदान कर दिये गये थे, जिसमें रू0 03 प्रतिशत प्रति माह की दर से ब्‍याज भी सम्मिलित था। परिवादिनी द्वारा आ‍खिरी किश्‍त दिनांक 22.11.2008 को दी गयी। यह   किश्‍त भी लगभग 01 माह देरी से दी गयी थी क्‍योंकि आखिरी किश्‍त दिनांक 24.10.2008 को ड्यू हो गयी थी। इन आधारों पर यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है।
  7.        अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री अदील अहमद तथा प्रत्‍यर्थी के विद्धान श्री बी0के0 उपाध्‍याय को विस्‍तृत रूप से सुना गया। पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेख का अवलोकन किया। तत्‍पश्‍चात पीठ के निष्‍कर्ष निम्‍न प्रकार से हैं:-
  8.             विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया है कि स्‍टेटमेंट ऑफ एकाउण्‍ट प्रपत्र 28 के देखने से यह स्‍पष्‍ट होता है कि दिनांक 22.11.2008 को परिवादी की तरफ से वित्‍तीय सहायता प्राप्‍त धनराशि की सम्‍पूर्ण अदायगी कर दी गयी थी। परिवादिनी के अनुसार दिनांक 15.11.2008 को परिवादिनी को अदेयता प्रमाण पत्र भी दिया गया, किन्‍तु इसके उपरान्‍त रूपये 21,000/- धनराशि अलग से परिवादिनी से ली गयी, जिसके संबंध में अपीलार्थी का कथन है कि उक्‍त धनराशि परिवादिनी द्वारा समय-समय पर किश्‍ते देरी से दी जाने के कारण अनुबंध के अनुसार 03 प्रतिशत प्रतिमाह की दर से ब्‍याज लिये जाने के कारण ली गयी थी। इसी धनराशि पर परिवादिनी को आपत्ति है। विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने स्‍टेटमेंट ऑफ एकाउण्‍ट एवं परिवादिनी श्रीमती प्रेमा गुप्‍ता को दिये गये पत्र दिनांकित 23.06.2006 के आधार पर यह निष्‍कर्ष दिया है कि 30 महीने अर्थात 24.11.2008 को अनुबंध पूरा हो चुका था। परिवादिनी द्वारा दी गयी वित्‍तीय सहायता की धनराशि मय ब्‍याज 30 माह के पहले ही अदा कर दी गयी है। अपीलकर्ता की ओर से ऐसा कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया गया है, जिससे यह साबित हो कि किन तिथियों पर एवं कब-कब कितनी देरी से परिवादिनी द्वारा धनराशि की किश्‍तों की अदायगी की गयी, जिस कारण 03 प्रतिशत प्रतिमाह ब्‍याज के कारण रूपये 21,000/- परिवादिनी पर अतिरिक्‍त देय हो गये थे। अत: विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा पारित किया गया निर्णय इस संबंध में उचित प्रतीत होता है कि अपीलार्थी की ओर से परिवादिनी से रूपये 21,000/- अतिरिक्‍त लिये गये हैं। अत: अपीलार्थी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ली गयी अतिरिक्‍त धनराशि रू0 21,000/- परिवादिनी को वापस किया जाना न्‍यायोचित प्रतीत होता है।
  9.        इस धनराशि पर विद्धान जिला उपभोक्‍ता फोरम ने 10 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज दिनांक 25.11.2008 से अंतिम अदायगी तक दिये जाने का निष्‍कर्ष दिया है, जो पीठ की राय में अधिक प्रतीत होता है। इस धनराशि पर 06 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज दिया जाना इस मामले में उचित है।
  10.       इस धनराशि के अतिरिक्‍त मानसिक कष्‍ट आदि के लिए रूपये 10,000/- पृथक से अदा करने के निर्देश दिये गये हैं। यह धनराशि भी अतिरिक्‍त प्रतीत होती है। अत: इस धनराशि को भी निर्णय में खण्डित किया जाना उचित है। निर्णय तदनुसार परिवर्तित किये जाने योग्‍य एवं अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

 

  •  

अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वे 21,000/- रूपये प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को वापस करें तथा इस धनराशि पर दिनांक 25.11.2008 से वास्‍तविक अदायगी तक 06 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज भी अदा करें। 

उभय पक्ष अपीलीय वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

              आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

 

       (विकास सक्‍सेना)                        (डा0 आभा गुप्‍ता)

           सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

         संदीप, आशु0 कोर्ट नं0-3

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. DR. ABHA GUPTA]
MEMBER
 

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