राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
विविध वाद सं0-59/2024
आलोक श्रीवास्तव बनाम प्रेम शान्ति डेवलपर्स प्रा0लि0
15-03-2024 :-
मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
पुकार करवाई गई।
हमारे द्वारा आवेदक/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री रोहित चन्द्रा एवं विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता श्री ललित किशोर तिवारी को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
आवेदक/परिवादी द्वारा यह प्रकीर्ण प्रार्थना पत्र इस आशय से दिया गया है कि परिवादी वर्तमान में अमेरिका में रह रहा है] जो जून, 2024 के अन्तिम सप्ताह में लौटेगा, उसके पश्चात् संशोधन प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने की अनुमति प्रदान की जाये। प्रार्थना पत्र में यह प्रार्थना भी की गयी है कि उभय पक्ष की अन्तिम बहस सुने जाने के उपरान्त आवश्यक संशोधन के लिए परिवादी को समय दिया जाये।
विपक्षी की ओर से कहा गया कि इस मामले में चूँकि मूल परिवाद सं0-210/2018 पत्रावली निर्णय हेतु सुरक्षित है, अत: इस स्तर पर संशोधन सम्भव नहीं है। अत: इस प्रकीर्ण प्रार्थना पत्र को निरस्त किया जाये।
स्वयं परिवादी ने स्वीकार किया है एवं दोनों पक्षों को यह तथ्य स्वीकार है कि परिवाद सं0-210/2018 में समस्त सुनवाई होने के उपरान्त अन्तिम बहस भी सुनी जा चुकी है और परिवाद अब निर्णय हेतु सुरक्षित है। अत: इस स्तर पर अन्य कोई कार्यवाही सम्भव नहीं है।
इस सम्बन्ध में मा0 सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय, अर्जुन सिंह बनाम महेन्द्र कुमार व अन्य, ए0आई0आर0 1964 एससी 993, का उल्लेख करना उचित होगा। इस निर्णय में मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने यही निर्णीत किया है कि यदि कोई वाद अन्तिम बहस के उपरान्त निर्णय हेतु सुरक्षित है, तो न्यायालय को अब केवल निर्णय पारित करने का ही अधिकार है एवं निर्णय पारित करने के पूर्व किसी अन्य कार्यवाही का कोई अधिकार नहीं है।
चूँकि मूल परिवाद सं0-210/2018 आलोक श्रीवास्तव बनाम प्रेम शान्ति डेवलपर्स प्रा0लि0, अन्तिम सुनवाई के उपरान्त निर्णय हेतु सुरक्षित है, अत: मा0 सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त निर्णय के प्रकाश में इस स्तर पर अन्य कोई कार्यवाही किया जाना न्यायोचित नहीं है।
तदनुसार वर्तमान प्रकीर्ण प्रार्थना पत्र इस स्तर पर निरस्त किया जाता है।
(विकास सक्सेना) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-1,
कोर्ट नं0-2.