Uttar Pradesh

StateCommission

A/76/2021

Ex. Engg Electricity Distribution Division - Complainant(s)

Versus

Prem Pal - Opp.Party(s)

Mohan Agarwal

29 Jun 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/76/2021
( Date of Filing : 04 Feb 2021 )
(Arisen out of Order Dated 18/11/2020 in Case No. C/2018/122 of District Firozabad)
 
1. Ex. Engg Electricity Distribution Division
Sikohabad Firozabad
...........Appellant(s)
Versus
1. Prem Pal
s/o Hoti Lal R/o nagla Singh Post Uresar, Thana Eka Distt-Firozabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 29 Jun 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-76/2021

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, फिरोजाबाद द्धारा परिवाद सं0-122/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.11.2020 के विरूद्ध)

1- एक्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर, इलैक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन डिवीजन, शिकोहाबाद, फिरोजाबाद।

2- सुपरिण्‍टेडिंग इंजीनियर, इलैक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन सर्किल, फिरोजाबाद।

3- एक्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर, इलैक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन डिवीजन, जसराना जिला फिरोजाबाद।

                                              ........... अपीलार्थी/विपक्षीगण

बनाम          

प्रेमपाल पुत्र श्री होती लाल, निवासी नगला सिंह, पोस्‍ट उडेसर, थाना एका, जिला फिरोजाबाद।

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष         

अपीलार्थीगण के अधिवक्‍ता   : श्री मोहन अग्रवाल

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता        : श्री विनय प्रताप सिंह राठौर

दिनांक :- 29.6.2022

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षीगण विद्युत विभाग द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद सं0-122/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.11.2020 के विरूद्ध योजित की गई है।

     संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी जो कि गॉव नगला सिंह का निवासी है, को यह कहते हुए कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के निवास स्‍थल पर अपीलार्थी/विद्युत विभाग द्वारा बिजली

-2-

का पोल लगाकर व बिजली का केबिल/तार खींचकर उपरोक्‍त विद्युत पोल व तार से बिजली का कनेक्‍शन दिया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विद्युत विभाग द्वारा अवैध वसूली नोटिस दिनांकित 05.02.2018 धनराशि रू0 37,773.00 के विरूद्ध जिला उपभोक्‍ता आयोग, फिरोजाबाद के सम्‍मुख परिवाद सं0-122/2018 प्रस्‍तुत किया गया।

     परिवाद पत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा यह विवरण अंकित किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के निवास स्‍थल पर बिजली का कनेक्‍शन विद्युत पोल व तार से नहीं दिया गया, न ही प्रत्‍यर्थी/परिवादी के घर पर बिजली का मीटर व कनेक्‍शन का तार लगाया गया, साथ ही प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा कभी भी विद्युत का उपयोग अथवा उपभोग नहीं किया गया। परिवाद पत्र में यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी/विद्युत विभाग द्वारा गुमराह कर राशन कार्ड के आधार पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को कनेक्‍शन जारी किये जाने की कार्यवाही अंकित की गई।

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विद्युत विभाग के विरूद्ध उपभोक्‍ता सेवा नियमावली के प्राविधानों को दृष्टिगत रखते हुए यह कथन किया कि अपीलार्थी/विद्युत विभाग द्वारा तानाशाही रवैया अपनाते हुए प्रत्‍यर्थी/परिवादी के गॉव नगला सिंह में कभी भी विद्युत पोल व तार तथा बिजली के मीटर का  न तो निरीक्षण किया, न ही किसी प्रकार की समस्‍या का निराकरण व निस्‍तारण करने का प्रयास ही किया, अत्एव अपीलार्थी/विद्युत विभाग का तानाशाही पूर्ण रवैया न सिर्फ मनमाना वरन अविधिक है जबकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा विद्युत का प्रयोग अथवा उपभोग कदापि नहीं किया गया है।

    

-3-

उपरोक्‍त परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा स्‍थलीय निरीक्षण हेतु एडवोकेट कमिश्‍नर की नियुक्ति किया जाना उपयुक्‍त समझा गया, तद्नुसार विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा श्री भूपेन्‍द्र शर्मा, अधिवक्‍ता को स्‍थलीय निरीक्षण हेतु एडवोकेट कमिश्‍नर के रूप में नामित किया गया।

     जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपीलार्थी/विद्युत विभाग द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद अनुचित आधार पर प्रस्‍तुत किया जाना इंगित किया गया तथा यह कथन किया गया कि वास्‍तव में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को परिवाद व्‍यवहार न्‍यायालय के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया जाना चाहिए था, न कि जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह पाया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी विद्युत कनेक्‍शन लिए जाने से इंकार कर रहा है जबकि अपीलार्थी/विद्युत विभाग द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को उपभोक्‍ता की परिधि में लाने का प्रयास किया गया तथा यह कथन किया गया कि गॉव नगला सिंह में वर्ष-2009 में ही अपीलार्थी/विद्युत विभाग द्वारा पोल स्‍थापित किये गये थे तथा विद्युत आपूर्ति प्रारम्‍भ की गई थी, अत्एव प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन असत्‍य है।

     विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रकरण में इंगित तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए निम्‍न बिन्‍दुओं का परीक्षण करने हेतु दोनों पक्षों को अवसर प्रदान किया गया:-

1- क्‍या परिवादी उपभोक्‍ता है ?

2- क्‍या इस फोरम को इस प्रकरण की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त है ?

3- क्‍या विपक्षी ने परिवादी की सेवा में कमी की है ?

4- परिवादी किस अनुतोष को पाने का अधिकारी है ?

-4-

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उपरोक्‍त बिन्‍दुओं का सम्‍यक विस्‍तार पूर्वक विवेचन किया गया तथा समस्‍त बिन्‍दुओं पर अपना निष्‍कर्ष प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश में अंकित किया गया। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा एडवोकेट कमिश्‍नर श्री भूपेन्‍द्र शर्मा द्वारा प्रस्‍तुत रिपोर्ट का समुचित परीक्षण एवं परिशीलन किया, जो मेरे दृष्टिकोण से उपरोक्‍त एडवोकेट कमिश्‍नर की रिपोर्ट को इस निर्णय का भाग बनाया जाना आवश्‍यक प्रतीत होता है, जो निम्‍नवत है:-

श्रीमान जी,

     अनुरोध है कि माननीय जिला आयोग फिरोजाबाद के आदेशानुसार दिनांक 13 अक्‍टूबर 2020 के अनुपालन में माननीय जिला आयोग द्वारा मुझे उक्‍त विवाद से सम्‍बन्धित स्‍थल पर जाकर विद्युत आपूर्ति आदि के सम्‍बन्‍ध में निरीक्षण कर अपनी आख्‍या माननीय आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत करने के लिए नियुक्‍त किया गया था, अत: मैं दिनांक 21 अक्‍टूबर 2020 दोप. 2 बजे निरीक्षण स्‍थल पर उभय पक्षकारों के अधिवक्‍ताओं को अपनी निरीक्षण की पूर्व सूचना देने के पश्‍चात निरीक्षण स्‍थल पर पहुंचा वहॉ पर परिवादी प्रेमपाल तथा विपक्षी विद्युत विभाग की ओर से अवर अभियंता श्री महेश चन्‍द्र व तीन लाईनमैन मुरारी, हरिओम, रामवीर उपस्थित मिले।

     यह कि इसके पश्‍चात मैंने मौके पर अपना निरीक्षण कार्य प्रारम्‍भ किया परिवादी का मुख्‍य गेट पूरव दिशा में है तथा परिवादी के मकान के बाहर लगभग 15 मीटर की दूरी पर विद्युत पोल लगा हुआ है तथा इस पोल पर विद्युत की फाईवर केबल विभाग द्वारा खिची हुई है, उक्‍त पोल से कोई केबल या तार (कटिया) परिवादी के मकान में लगे विद्युत मीटर में नहीं आई हुई थी, मैंने परिवादी के मकान के अन्‍दर जाकर बिजली‍ फिटिंग को देखा तो पाया

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कि मकान के अन्‍दर कोई विद्युत फिटिंग या पंखा तथा विद्युत चलित उपकरण इत्‍यादि नहीं लगा हुआ है, मीटर देखने से खराब प्रतीत हो रहा था उसमें किसी प्रकार की डिस्‍प्‍ले न होने के कारण रीडिंग लेने लायक नहीं था, इस प्रकार मैंने अपना कार्य समाप्‍त किया आख्‍या श्रीमान जी की सेवा में प्रस्‍तुत है।

विशेष टिप्‍पणी:- निरीक्षण के दौरान विद्युत विभाग की घोर लापरवाही प्रतीत होती है क्‍योंकि सभी कनेक्‍शन सन् 2010 के हैं जबकि विद्युत मीटर वर्षों से खराब चल रहे हैं।

दिनांक 28 अक्‍टूबर 2020                    भवदीय

                                 भूपेन्‍द्र शर्मा (एडवोकेट कमिश्‍नर)

उपरोक्‍त एडवोकेट कमिश्‍नर की स्‍थलीय निरीक्षण रिपोर्ट के परिशीलन से यह तथ्‍य निर्विवादित रूप से स्‍पष्‍ट पाया गया कि एडवोकेट कमिश्‍नर द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के मकान के बाहर लगभग 15 मीटर की दूरी पर विद्युत पोल लगा हुआ पाया गया। यह भी तथ्‍य उल्लिखित किया गया है कि उपरोक्‍त विद्युत पोल पर फाईवर केबल अपीलार्थी/विद्युत विभाग द्वारा खींची गई है तथा उपरोक्‍त पोल से कोई भी के‍बल या तार अथवा कटिया प्रत्‍यर्थी/परिवादी के निवास स्‍थल/घर में लगे हुए विद्युत मीटर तक नहीं पाई गई। एडवोकेट कमिश्‍नर द्वारा यह तथ्‍य भी उल्लिखित किया गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के मकान के अन्‍दर भी उनके द्वारा जाकर निरीक्षण किया गया तब यह पाया कि उपरोक्‍त मकान में बिजली फिटिंग की एक भी सुविधा नहीं पाई गई, न ही कोई विद्युत फिटिंग या पंखा अथवा विद्युत चलित उपकरण ही लगा हुआ पाया गया। यह तथ्‍य भी उल्लिखित किया गया कि उनके द्वारा मीटर देखने से यह पाया गया कि मीटर खराब था उसमें किसी प्रकार की डिस्‍प्‍ले भी नहीं

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हो रही थी, जिसके कारण खराब मीटर की रीडिंग/विवरण भी नहीं लिया जा सकता था।

     उपरोक्‍त समस्‍त तथ्‍यों को विचारित करने के उपरांत तथा एडवोकेट कमिश्‍नर की उपरोक्‍त कमिश्‍नर रिपोर्ट में अपीलार्थी/विद्युत विभाग द्वारा किसी प्रकार की कोई त्रुटि भी अंकित नहीं की गई, जबकि निर्विवादित रूप से एडवोकेट कमिश्‍नर द्वारा स्‍थलीय निरीक्षण के समय अपीलार्थी/विद्युत विभाग की ओर से अवर अभियंता श्री महेशचन्‍द्र व तीन लाइनमैन मुरारी, हरीओम व रामवीर स्‍वयं उपस्थित थे, जिनके द्वारा भी उपरोक्‍त रिपोर्ट में किसी प्रकार की कोई विसंगति अथवा अनुचित तथ्‍य के बारे में न तो कोई साक्ष्‍य न ही शपथपत्र प्रस्‍तुत किया गया।

     समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए मेरे विचार से जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित आदेश पूर्णत: उचित है तथा प्रस्‍तुत अपील बलहीन है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश तथ्‍यों पर स्‍पष्‍टत: आधारित है, जिसमें किसी प्रकार की कोई त्रुटि भी अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा इंगित नहीं की जा सकी है, न ही पाई गई, अत्एव प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                                                             (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                    

                                                                   अध्‍यक्ष                                                                                                                

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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