Uttar Pradesh

StateCommission

A/2000/2229

Allahabad Bank - Complainant(s)

Versus

Prem Nath - Opp.Party(s)

Deepak Mehrotra

22 Feb 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2000/2229
( Date of Filing : 08 Sep 2000 )
(Arisen out of Order Dated 19/05/2000 in Case No. C/07/1999 of District Sonbhadra)
 
1. Allahabad Bank
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Prem Nath
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 22 Feb 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-2229/2000

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, सोनभद्र द्धारा परिवाद सं0-07/1999 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19.5.2000 के विरूद्ध)

ब्रांच मैनेजर, इलाहाबाद बैंक, ब्रांच दुरावल खुर्द, पोस्‍ट राजपुर, जिला सोनभद्र।

........... अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम         

1- प्रे‍म नाथ पुत्र श्री मंगरू, निवासी पेटराही, पोस्‍ट वैनी मिश्र, परगना बरहर, जिला सोनभद्र।

............प्रत्‍यर्थी/परिवादी

2- डीलर श्री रमाशंकर पुत्र छोटई, निवासी ईनम (ढाबा) पोस्‍ट राजपुर, जिला सोनभद्र।

............प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता  :- श्री दीपक मेहरोत्रा के सहयोगी श्री मनोज कुमार

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता   :- कोई नहीं।

दिनांक :-22.02.2022

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/ ब्रांच मैनेजर, इलाहाबाद बैंक द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, सोनभद्र द्वारा परिवाद सं0-07/1999 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19.5.2000 के विरूद्ध योजित की गई है।

प्रस्‍तुत अपील विगत लगभग 22 वर्षों से इस न्‍यायालय के सम्‍मुख लम्बित है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री दीपक मेहरोत्रा के सहयोगी श्री मनोज कुमार अधिवक्‍ता उपस्थित है। प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता अनुपस्थित है। प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलबध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

-2-

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी का चयन स्‍पेशल कम्‍पोनेंट प्रोग्राम के अन्‍तर्गत हुआ, चूंकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा उपरोक्‍त हेतु आवेदन पत्र ऋण प्राप्‍त करने हेतु सर्विस एरिया अन्‍तर्गत इलाहाबाद बैंक दुरावल के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया था, साथ ही प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा शपथपत्र भी दिया गया, क्‍योंकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी एक गरीब एवं अशिक्षित व्‍यक्ति था, जिसे उपरोक्‍त प्रोग्राम/कार्यक्रम के बारे में समुचित प्रक्रिया की जानकारी नहीं थी, अत्एव उसके द्वारा दिये गये आवेदन के अनुसार यद्यपि बैंक ने ऋण तो जारी किया गया पर उपरोक्‍त ऋण कुल धनराशि रू0 15,000.00 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्राप्‍त नहीं कराया गया, जिस हेतु परिवाद पत्र जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

अपीलार्थी/विपक्षी बैंक द्वारा लिखित रूप से यह कथन किया गया सारी औपचारिकतायें पूर्ण होने के पश्‍चात ब्रांच मैनेजर, इलाहाबाद बैंक द्वारा ऋण स्‍वीकृत किया गया तथा यह कि लाभार्थी/परिवादी के संतुष्टि में प्रमाण पत्र देने के पश्‍चात, साथ ही सहायक विकास अधिकारी समाज कल्‍याण रावर्टसगंज के बिल प्रमाणित होने के बाद ही प्रत्‍यर्थी/परिवादी को चेक दिया गया, अत्एव अपीलार्थी द्वारा किसी प्रकार की कोई अनियमितता नहीं है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा यह कि आरोप एवं पूर्ण औपचारिकता की सत्‍यता के सम्‍बन्‍ध में प्रमाणिकता कैसे आंकी जाये, यर्थाथ का समावेश करते हुए जनपद सोनभद्र के अन्‍तर्गत 95 प्रतिशत से ऊपर आई0आर0डी0पी0 एवं स्‍पेशल कम्‍पोनेंट कार्यक्रम के अन्‍तर्गत लाभार्थियों को दी गई सामग्री व लाभार्थियों के द्वारा सामान क्रय की गई धनराशि के सम्‍बन्‍ध में जानकारी प्राप्‍त की तथा यह कि बैंक के द्वारा प्राप्‍त करायी गई जानकारी से यह ज्ञात हुआ कि उपरोक्‍त

-3-

कार्यक्रम से सम्‍बद्ध लाभार्थी सहित शासकीय अनुदान एवं स्‍वीकृत ऋण का अनुचित बटवारा दृष्टिगत हुआ। जिसमें न सिर्फ अनिमित्‍ताओं में अपीलार्थी बैंक की सहभागिता एवं संरक्षण पाया गया, साथ ही विभागीय अधिकारियों की भी संलिप्‍ता दर्शित हुई। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा इस तथ्‍य को भी सुसंगत पाया कि ऋण व्‍यवस्‍था के तहत ब्‍लॉक एवं बैंक का यह दायित्‍व बनता है कि वे लाभार्थी के कारोबार एवं उसकी आर्थिक स्थिति का स्‍थलीय समीक्षा करें तथा यदि ऐसा किया गया है तो इस आशय की कोई प्रति न्‍यायालय के समक्ष प्राप्‍त कराये, जैसा कि करने में अपीलार्थी बैंक असफल रहा।

अपीलार्थी बैंक द्वारा परिवादी के विरूद्ध अनुचित लाभ के सम्‍बन्‍ध में किसी प्रकार की कोई सूचना पुलिस अथवा अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारीगण को न प्राप्‍त कराया जाना भी अपीलार्थी द्वारा की गई अनिमित्‍ता की श्रेणी में आता है तथा समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए विद्वान जिला उपभोक्‍ता अयोग द्वारा परिवाद को स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया:-

"उपरोक्‍त वाद के सम्‍बन्‍ध में यह निर्णय लिया जाता है कि मौजूदा समय में मैं सूद हित ऋण अदायगी सम्‍पूर्ण धनराशि का भुगतान 1/3 तत्‍कालिन शाखा प्रबन्‍धक इलाहाबाद बैंक दुरावल, 1/3 भुगतान सहायक तत्‍कालीन समाज कल्‍याण अधिकार, विकास खण्‍ड रावर्टसगंज एवं 1/3 धनराशि परिवादी (लाभार्थी) प्रेमनाथ जमा करे।"

जिला उपभोक्‍ता आयोग के उपरोक्‍त निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

मेरे द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का परीक्षण एवं परिशीलन किया गया तथा निर्णय/आदेश का परिशीलन किया गया। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को

-4-

सुनने के पश्‍चात मैं विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय से पूर्णत: सहमत हॅू, जिसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है। तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है। अपीलार्थी उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन 30 दिन की अवधि में करना सुनिश्चित करें।

अपील में उभय पक्ष अपना अपना वाद व्‍यय स्‍वयं बहन करेगें।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                                        (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)               

                                         अध्‍यक्ष                                                                                                             

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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