Uttar Pradesh

StateCommission

A/456/2016

Piaggio Vehicle Pvt Ltd - Complainant(s)

Versus

Prem Naryan Lal Srivastava And Oth. - Opp.Party(s)

Shiv Kumar

08 Nov 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/456/2016
(Arisen out of Order Dated 27/01/2016 in Case No. C/04/2014 of District Basti)
 
1. Piaggio Vehicle Pvt Ltd
Pune
...........Appellant(s)
Versus
1. Prem Naryan Lal Srivastava And Oth.
Basti
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 08 Nov 2017
Final Order / Judgement

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

 

                                                                                        अपील संख्‍या- 456/2016

 

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, बस्‍ती द्वारा परिवाद संख्‍या- 04/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27-01-2016 के विरूद्ध)

 

पियाजियो व्‍हीकल प्राइवेट लि0 स्‍काई वन फ्लोर-9 कल्‍याणी नगर, पूने-6 द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर

अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

1- प्रेम नारायण लाल श्रीवास्‍तव पुत्र श्री राम चन्‍द्र लाल श्रीवास्‍तव, निवासी ग्राम व पोस्‍ट बाधा नाला, पुलिस स्‍टेशन छावनी तहसील, हरैया जिला बस्‍ती।

2- मैनेजर एस0आई0एस0 आटो मोबाइल्‍स, निकट जनता होटल, कचेहरी रोड, बस्‍ती सदर, जिला बस्‍ती, पिन 272001.

3- ब्रांच मैनेजर, पूर्वांचल ग्रामीण बैंक, विक्रम ज्‍योति बस्‍ती, जिला बस्‍ती।

                                                                                                                                                                 प्रत्‍यर्थी/परिवादी

 

समक्ष:-

 माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :   विद्वान अधिवक्‍ता, श्री शिव कुमार

प्रत्‍यर्थी सं० 1 की ओर से उपस्थित :  विद्वान अधिवक्‍ता, श्री टी0एच0 नकवी

 

दिनांक: 22-12-2017

 

 माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

                                                                                                       निर्णय

 

परिवाद संख्‍या 04 सन् 2014 प्रेम नरायण लाल श्रीवास्‍तव  बनाम पियाजिओ व्‍हीकल प्राइवेट लि0 व दो अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, बस्‍ती द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक    27-01-2016 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

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आक्षे‍पि‍त निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुये निम्‍न आदेश पारित किया है:- ‍  

     "परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण संख्‍या 1 व 2 को यह निर्देश दिया जाता है कि परिवादी के द्वारा क्रय किये गये प्रश्‍नगत  वाहन जो परिवादी के अनुसार चलने की स्थिति में नहीं है, को बदल कर उसके स्‍थान पर नया पियाजिओ वाहन इस आदेश की तिथि से 60 दिन के अन्‍दर परिवादी को उपलब्‍ध करा दें। इसके अतिरिक्‍त परिवादी को हुए मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में 10,000/- एवं परिवाद व्‍यय के रूप में 5,000/- रू० का भुगतान विपक्षी संख्‍या 1 व 2 संयुक्‍त एवं पृथक-पृथक रूप से परिवादी को भुगतान कर दें। यदि उपरोक्‍त निर्धारित अवधि में क्षतिपूर्ति  एवं वाद की धनराशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो उपरोक्‍त दोनों राशियों पर आदेश की तिथि से भुगतान की तिथि तक 07 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज देय होगा।"

जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी संख्‍या-1 पियाजियो व्‍हीकल प्राइवेट लि0 ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री शिव कुमार और प्रत्‍यर्थी/परिवादी संख्‍या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री टी0एच0 नकवी उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी 2 और 3 की ओर से नोटिस तामीला पर्याप्‍त माने जाने के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-3 की ओर से स्‍थगन प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किया गया है। प्रत्‍यर्थी संख्‍या 3 की ओर से प्रस्‍तुत स्‍थगन प्रार्थना पत्र इस आधार पर निरस्‍त कर दिया गया है कि‍ प्रत्‍यर्थी संख्‍या-3 मात्र औपचारिक पक्षकार हैं।

    

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 मैंने अपीलार्थी और प्रत्‍यर्थी संख्‍या 1 के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षे‍पि‍त निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

     अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने अपने पुत्र के जीविकोपार्जन हेतु दिनांक 30-01-2012 को विपक्षी संख्‍या 1 पियाजिओ कम्‍पनी की फोर व्‍हीलर एम०बी०एक्‍स० चेचिस नम्‍बर 0000 जी०वी०एम०जे० 827764, इंजन नम्‍बर पी०ओ०एच० 4038499  सी०आर०बाक्‍स नम्‍बर टी०जे० 50008259 बैटरी नम्‍बर 2 एच 350324 रंग, लाल 3,85,000/- रू० में विपक्षी संख्‍या 2 से क्रय किया। परिवादी से विपक्षी संख्‍या 2 ने 1,00,000/- रू० नगद लिया तथा शेष धनराशि 2,85,000/- रू० विपक्षी     संख्‍या 3 शाखा प्रबन्‍धक, पूर्वांचल ग्रामीण बैंक, विक्रमजोत बस्‍ती, के द्वारा फाइनेंस किया गया। इसके साथ ही विपक्षी संख्‍या 2 ने परिवादी से गाड़ी का परमिट, पंजीकरण व इंश्‍योरेंश हेतु अलग से धनराशि लिया है।

     परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि विपक्षी संख्‍या 2 के द्वारा जो पंजीयन प्रमाण पत्र उपलब्‍ध कराया गया है उसमें वाहन के लाल रंग के स्‍थान पर काला-पीला रंग अंकित कर पंजीकरण के कागजात उपलब्‍ध कराए गये हैं।

     परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि वाहन क्रय करने के तीन महीने बाद से ही उसमें खराबी आना शुरू हो गयी। विपक्षी संख्‍या 2 ने तीन-चार सर्विसिंग किया उसके बाद विपक्षी संख्‍या 2 व उनके अधिकृत कर्मचारियों ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी का वाहन यह कह कर लौटा दिया कि इस गाड़ी

 

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का सामान उपलब्‍ध नहीं है, इसलिए इसकी सर्विसिंग या खराबी को दूर नहीं किया जा सकता है।

     परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि विपक्षी द्वारा दिये गये वाहन में निर्माण संबंधी दोष होने के कारण और उसके स्‍पेयर पार्ट्स उपलब्‍ध न होने के कारण विपक्षी संख्‍या 2 द्वारा उचित सामाधान नहीं किया जा सका जिससे प्रत्‍यर्थी/परिवादी को घोर आर्थिक क्षति हुयी है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने विपक्षी संख्‍या 2 से वाहन नम्‍बर यू0पी0 51 टी/8017 वापस कर उसके स्‍थान पर नया वाहन देने का निवेदन किया परन्‍तु उसने कोई ध्‍यान नहीं दिया, जबकि वाहन में त्रुटि वारंटी अवधि में ही उत्‍पन्‍न हुयी है।

     परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने विपक्षी संख्‍या 2 को पंजीकृत डाक से नोटिस दिया जिसे लेने से उसने इन्‍कार कर दिया और वाहन में आयी खराबी ठीक नहीं कराया न ही उसके स्‍थान पर दूसरा वाहन दिया। अत: विवश होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

     जिला फोरम के समक्ष विपक्षी संख्‍या 2 ने लिखित कथन प्रस्‍तुत कर कहा है कि परिवादी ने विपक्षी संख्‍या 1 द्वारा निर्मित वाहन विपक्षी संख्‍या 3 से ऋण लेकर अच्‍छी हालत में क्रय किया था। उसमें कोई खराबी नहीं थी। लिखित कथन में विपक्षी संख्‍या 2 ने कहा है कि पंजीकरण से संबंधित कार्य परिवहन कार्यालय द्वारा किया जाता है। विपक्षी द्वारा जारी कागजात में वाहन का रंग लाल लिखा हुआ है। टैक्‍सी में वाहन का रंग आधा काला, आधा पीला होता है। वाहन का टैक्‍सी में पंजीकरण होने के कारण या अन्‍य किसी परिस्थितिवश परिवहन अधिकारियों द्वारा वाहन का रंग काला-पीला अंकित किया गया है। इसके लिए विपक्षी संख्‍या 2 उत्‍तरदायी नहीं है। विपक्षी संख्‍या 2 ने अपने लिखित कथन में कहा है कि वाहन पर एक वर्ष अथवा 36,000

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किलो मीटर संचालन तक जो पहले हो, वारण्‍टी दी गयी थी। लिखित कथन में विपक्षी संख्‍या 2 ने यह भी कहा है कि निर्माता कम्‍पनी ने सर्विस सेन्‍टर एवं बाजार में अपने द्वारा निर्मित वाहन के स्‍पेयर पार्ट्स प्रत्‍येक जगह उपलब्‍ध करा रखे हैं। परिवादी द्वारा क्रय किये गये वाहन में किसी प्रकार का दोष या खराबी नही थी। वाहन का प्रयोग कर प्रत्‍यर्थी/परिवादी अत्‍यधिक लाभ अर्जित कर रहा है। लिखित कथन में विपक्षी संख्‍या 2 ने कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्षी संख्‍या 3 के ऋण की अदायगी से बचने के लिए वाहन में खराबी का बहाना बनाकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

     लिखित कथन में विपक्षी संख्‍या 2 की ओर से कहा गया है कि वाहन में खराबी आना कई परिस्थितियों पर निर्भर करता है जिसमें वाहन में प्रयोग किया गया इंजन ऑयल, फ्यूल, वाहन चलाने का ढंग और सड़कों की दशा महत्‍वपूर्ण हैं। इन परिस्थितियों में खराबी आने पर निर्माता अथवा विक्रेता उत्‍तरदायी नहीं हो सकता है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के वाहन की तीन-चार सर्विसिंग की गयी है तब वाहन की स्थिति अच्‍छी थी। वाहन में किस प्रकार की खराबी आयी इसका कोई विवरण परिवादी ने परिवाद पत्र में नहीं दिया है और न ही परिवाद प्रस्‍तुत करने से पूर्व वाहन में आयी किसी खराबी के बारे में  विपक्षी संख्‍या 2 से शिकायत की है।

     लिखित कथन में विपक्षी संख्‍या 2 की ओर से यह भी कहा गया है कि वाहन वाणिज्यिक उद्देश्‍य के लिए क्रय किया गया है और उसका पंजीयन भी व्‍यवसायिक उद्देश्‍य के लिए कराया गया है, इसलिए परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी में  नहीं आता है और परिवाद पोषणीय नहीं है।

     विपक्षी संख्‍या 3 ने भी अपना लिखित कथन में जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है जिसमें कहा है कि परिवादी ने विपक्षीगण संख्‍या 1 और 2 के

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द्वारा जारी कोटेशन प्रस्‍तुत किया तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी के आवेदन पर उसे 2,85,000/- का ऋण स्‍वीकृत किया गया है। लिखित कथन में विपक्षी संख्‍या 3 ने कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने ऋण लेते समय ऋण से संबंधित समस्‍त प्रलेखों  को समझकर हस्‍ताक्षर किया है। उसे ऋण की अदायगी पॉंच वर्षों में करनी है। वाहन के खराब होने आदि से उसका कोई सम्‍बन्‍ध नहीं है।

     जिला फोरम के समक्ष विपक्षी संख्‍या 1 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है और न ही लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है।

     जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त अपने आक्षे‍पित निर्णय और आदेश में यह उल्‍लेख किया है कि‍  विपक्षीगण का यह दायित्‍व है कि उनके विरूद्ध परिवाद दाखिल होने पर यदि वाहन में खराबी आने की सूचना नहीं भी दी गयी थी फिर भी विपक्षीगण को वाहन की जांच किसी विशेषज्ञ से कराकर जांच आख्‍या दाखिल करना चाहिए था लेकिन विपक्षीगण द्वारा ऐसा नहीं किया गया है क्‍योंकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के द्वारा आरोप लगाने के पश्‍चात ही इस बात को सिद्ध करने का भार विपक्षी पर चला जाता है। लेकिन विपक्षीगण की ओर से ऐसा कोई प्रमाणत्र दाखिल नहीं किया गया है कि वाहन में कोई खराबी नहीं थी। अत: जिला फोरम ने वाहन में निर्माणीय संबंधी त्रुटि मानते हुए परिवाद स्‍वीकार कर उपरोक्‍त प्रकार से आदेश पारित किया है।

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षे‍पित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के विरूद्ध है। वाहन में तकनीकी त्रुटि मानने हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने कोई संतोषजनक प्रमाण प्रस्‍तुत नहीं  किया  है,  न  ही  वाहन  का  तकनीकी  परीक्षण  कराया है। अत:

 

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जिला फोरम द्वारा पारित आक्षे‍पित निर्णय और आदेश अपास्‍त किये जाने योग्‍य है।

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षे‍पित निर्णय और आदेश विधि अनुकूल है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रश्‍नगत वाहन क्रय किये जाने के तीन महीने बाद ही वाहन में खराबी आना शुरू हुयी है और प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने वाहन की सर्विसिंग कराया है फिर भी त्रुटि दूर नहीं हुयी है। अंत में कम्‍पनी बन्‍द होने और स्‍पेयर पार्ट्स उपलब्‍ध न होने के कारण वाहन का ठीक किया जाना सम्‍भव नहीं हुआ है।

     मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

     जिला फोरम के आक्षे‍पित निर्णय और आदेश से यह स्‍पष्‍ट है कि‍ जिला फोरम के समक्ष वाहन में निर्माण संबंधी त्रुटि का कोई प्रमाण या रिपोर्ट प्रस्‍तुत नहीं की गयी है और न ही वाहन का कोई तकनीकी परीक्षण कराया गया है। अपील की सुनवाई के समय भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता वाहन में निर्माण संबंधी त्रुटि का कोई प्रमाण या रिपोर्ट प्रस्‍तुत नहीं कर सके हैं। वाहन में निर्माण संबंधी कथित त्रुटि के निर्धारण हेतु वाहन का सक्षम व्‍यक्ति से तकनीकी परीक्षण कराकर धारा 13 (4) iv उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत आख्‍या प्राप्‍त किया जाना परिवाद के सही और उचित निर्णय हेतु आवश्‍यक है।

     अपीलार्थी/विपक्षी जिला फोरम के समक्ष नोटिस के तामीला के बाद भी उपस्थित नही हुए हैं। अत: सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्‍त कर पत्रावली जिला फोरम को पुन: निर्णय हेतु प्रत्‍यावर्तित किया

 

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जाना उचित एवं आवश्‍यक है। परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी को क्षतिपूर्ति हेतु हर्जा दिलाया जाना आवश्‍यक है।

     उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 7,500/- रू० हर्जा अदा करने पर अपास्‍त किया जाता है  तथा पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्‍यावर्तित की जाती है कि वह धारा 13 (4) iv उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत वाहन का तकनीकी परीक्षण सक्षम व्‍यक्ति से कराकर वाहन में निर्माण संबंधी त्रुटि के सम्‍बन्‍ध में आख्‍या प्राप्‍त करें और उसके बाद उभय पक्ष को साक्ष्‍य और सुनवाई का अवसर देकर  पुन: विधि के अनुसार यथाशीघ्र निर्णय पारित करें। जिला फोरम को यह भी निर्देशित किया जाता है कि‍ वह अपीलार्थी/विपक्षी को इस निर्णय में हाजिरी हेतु निश्चित तिथि से 30 दिन का समय लिखित कथन प्रस्‍तुत करने हेतु प्रदान करें और इस अवधि में यदि उसके द्वारा लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया जाता है तो लिखित कथन प्रस्‍तुत करने का अवसर समाप्‍त करते हुए परिवाद की अग्रिम कार्यवाही विधि के अनुसार की जाएगी।

     उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 24-01-2018 को उपस्थित हों।

     अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत अपील में अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि व उस पर अर्जित ब्‍याज से प्रत्‍यर्थी/परिवादी को उपरोक्‍त हर्जे की धनराशि 7,500/- रू० अदा की जाएगी और अवशेष धनराशि अपीलार्थी को वापस की जाएगी।

        

                                                                          (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

अध्‍यक्ष

            

कृष्‍णा, आशु0

कोर्ट 01

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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