(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1306/2011
हिन्दुस्तान कोका कोला बिवरेजेस प्राइवेट लिमिटेड
बनाम
प्रेम नारायण सिंह तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री विवेक निगम,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित: श्री अम्बरीश सहगल,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 03.07.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-212/2007, प्रेम नारायण सिंह बनाम महेश्वर सुपर स्टोर तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, गाजियाबाद द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 15.6.2011 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी संख्या-1 के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी संख्या-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा दिनांक 4.6.2007 को पेप्सी और लिमका की बोतल क्रय की गई। 5 बोतल ठीक थी, लेकिन एक बोतल में किसी बाहरी पदार्थ का टुकड़ा पड़ा हुआ था और सड़ा हुआ था। इस बोतल के ऊपर दिनांक 15.5.2007 की तारीख अंकित थी तथा 22:33 के अलावा बी.एन. 989 ए. लिखा हुआ था। इस बोतल को
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सुरक्षित रख लिया गया। यह प्रदूषित पदार्थ विक्रय करने के लिए विपक्षी जिम्मेदार है, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. विपक्षी संख्या-1 ने लिखित कथन में स्वीकार किया है कि परिवादी को दिनांक 4.6.2007 को तीन बोतल लिमका और तीन बोतल पेप्सी विक्रय की गई थी। यह भी स्वीकार किया गया कि खरीदने के बाद एक बोतल लेकर दिखाया, जिसमें कुछ सड़ा हुआ पदार्थ पड़ा हुआ था।
4. विपक्षी संख्या-2 ने कथन किया कि परिवादी ने बिल दाखिल नहीं किया है, इसलिए यह ज्ञात नहीं है कि सील बंद बोतल क्रय की गई थी।
5. सभी पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-1 के स्तर से बोतल क्रय करना, उन बोतल में से एक बोतल में बाहरी पदार्थ, जो खुली आंखों से साफ दिखाई दे रहा था, मौजूद होना साबित है। तदनुसार अंकन 25 हजार रूपये क्षतिपूर्ति एवं अंकन 05 हजार रूपये परिवाद व्यय अदा करने का आदेश पारित किया गया।
6. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि बोतल को कोर्ट में पेश नहीं किया गया, जबकि लिखित कथन में स्वंय स्वीकार किया गया है कि बोतल कोर्ट में पेश हुई है। आगे यह बहस की गई कि परिवादी द्वारा अपीलार्थी से माल क्रय किया गया, इसकी कोई रसीद दाखिल नहीं की गई। यह प्रश्न कभी भी विद्वान जिला आयोग के समक्ष उठाया नहीं गया, इसलिए अपील के स्तर पर इस प्रश्न को नहीं उठाया जा सकता। विद्वान जिला आयोग का यह निष्कर्ष विधिसम्मत है कि जब सीसे की बोतल में किसी बाहरी पदार्थ को खुली आंखों से देखा जा सकता हो तब केमिकल एग्जामनर की रिपोर्ट पेश होना आवश्यक नहीं है। इस प्रकार विद्वान जिला आयोग द्वारा दिए गए निष्कर्ष में हस्तक्षेप करने का
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पर्याप्त आधार नहीं है, परन्तु चूंकि बोतल का उपभोग नहीं किया गया, उसके कोई विपरीत परिणाम सामने नहीं आए, इसलिए अंकन 25 हजार रूपये क्षतिपूर्ति के स्थान पर अंकन 10 हजार रूपये की क्षतिपूर्ति किया जाना उचित है। तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 15.6.2011 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में अंकन 25,000/-रू0 (पच्चीस हजार रूपये) के स्थान पर अंकन 10,000/-रू0 (दस हजार रूपये) देय होगा। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3