राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-५९०/२००९
(जिला मंच, मैनपुरी द्वारा परिवाद सं0-४५/२००७ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०६-०१-२००९ के विरूद्ध)
१. दी कमिश्नर, हाउसिंग बोर्ड, उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद, १०४, महात्मा गांधी मार्ग, लखनऊ।
२. ज्वाइंट कमिश्नर, हाउसिंग बोर्ड, पनकी रोड, कल्याणपुर, जिला कानपुर।
३. ऐस्टेट मैनेजमेण्ट आफिसर, आवास विकास परिषद, राधा रमण रोड, मैनपुरी।
.............. अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।
बनाम्
श्रीमती प्रेम कुमारी पत्नी स्व0 अरूण कुमार सिंह, स्टेशन रोड, जिला मैनपुरी।
............... प्रत्यर्थी/परवादिनी।
समक्ष:-
१. मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित :- श्री एन0एन0 पाण्डेय विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक : २०-०७-२०१८.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, मैनपुरी द्वारा परिवाद सं0-४५/२००७ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०६-०१-२००९ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी ने अपीलार्थी सं0-३ के कार्यालय में योजना संख्या-१ में आवास भूखण्ड हेतु चालान संख्या-१८२०७ से दिनांक ३१-०१-१९८६ को १,०००/- रू० जमा करके पंजीकरण कराया। उक्त पंजीकरण के आधार पर परिवादिनी को लगभग १५ वर्ष बाद भूखण्ड सं0-६/२ क्षेत्रफल २०० वर्ग मीटर आबंटित किया गया। परिवादिनी द्वारा इस भूखण्ड के सन्दर्भ में समस्त धनराशि ३,१९,८०७/- रू० जमा किया गया। अपीलार्थीगण द्वारा परिवादिनी के पक्ष में विक्रय पत्र निष्पादित किया गया। परिवादिनी ने प्रश्नगत भूखण्ड २०० वर्ग मीटर का न हो कर मौके पर मात्र १५० वर्गमीटर पाया जिसकी शिकायत परिवादिनी ने अपीलार्थीगण से की किन्तु अपीलार्थीगण द्वारा परिवादिनी को भूखण्ड नहीं दिया गया और न ही उसका पैसा वापस किया गया। अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया गया।
-२-
अपीलार्थीगण के कथनानुसार दिनांक ०२-११-२००४ को प्रश्नगत भूखण्ड के सम्पूर्ण क्षेत्रफल पर कब्जा दिया गया किन्तु परिवादिनी द्वारा समय पर निर्माण न करने के कारण प्रश्नगत भूखण्ड की ५० वर्ग मीटर भूमि भूखण्ड सं0-६/१ के स्वामी द्वारा कब्जा कर ली गई किन्तु यह मिलीभगत के कारण हुआ। परिवादिनी को अपीलार्थी द्वारा सम्पूर्ण भूखण्ड का कबज दिया गया।
विद्वान जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय द्वारा परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए अपीलार्थी सं0-३ को आदेशित किया गया कि वह परिवादिनी को ५० वर्गमीटर भूमि एक माह के अन्दर परिवादिनी को उपलब्ध कराये। उक्त भूमि न देने पर ५० वर्गमीटर भूमि का पैरसा जो परिवादिनी द्वारा अपीलार्थी के यहॉं जमा किया गया है उसमें से ५० वर्गमीटर का पैसा बनता हो उसे उपरोक्त अवधि में परिवादिनी को वापस करे। इसके अतिरिक्त अपीलार्थी द्वारा परिवादिनी को ५,०००/- रू० मानसिक क्लेश की मद में तथा २,०००/- रू० परिवाद व्यय के रूप में अदा किया जाय।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गई।
हमने अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री एन0एन0 पाण्डेय के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया। प्रत्यर्थी/परिवादिनी पर आदेश दिनांक २३-०२-२०१८ द्वारा नोटिस की तामील पर्याप्त मानी गई। प्रत्यर्थी/परिवादिनी की ओर से तर्क प्रस्तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि विद्वान जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि अपीलार्थी द्वारा प्रश्नगत भूखण्ड से सम्बन्धित सम्पूर्ण भूमि २०० वर्ग मीटर का कब्जा प्रत्यर्थी/परिवादिनी को विक्रय पत्र के निष्पादन के उपरान्त दिनांक ०२-११-२००४ को प्राप्त कराया गया। कब्जा प्राप्त करने के ०२ वर्ष बाद परिवादिनी द्वारा परिवाद योजित किया गया। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि वस्तुत: प्रत्यर्थी/परिवादिनी के प्रश्नगत भूखण्ड की कुछ भूमि पर अवैध रूप से भूखण्ड सं0-६/१ के स्वामी द्वारा कब्जा किया गया। अपीलार्थी की ओर से इस सन्दर्भ में
-३-
प्रश्नगत भूखण्ड के सन्दर्भ जारी आबंटन पत्र दिनांकित ०८-११-२००१ की फोटोप्रति पृष्ठ सं0-१० एवं कब्जा निर्गत किए जाने के सन्दर्भ में कब्जा प्रमाण पत्र की फोटोप्रति पृष्ठ सं0-११ के रूप में दाखिल किया गया है। कब्जा प्रमाण पत्र में भूखण्ड का क्षेत्रफल २०० वर्ग मीटर दर्शित है तथा भूखण्ड के सामने, पीछे तथा किनारे की भूमि की नाप भी दर्शित है। स्वयं प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने इस कब्जा प्रपत्र के निष्पादन से इन्कार नहीं किया है। ऐसी परिस्थिति में प्रश्नगत भूखण्ड से सम्बन्धित सम्पूर्ण भूमि का कब्जा प्राप्त करने के उपरान्त लगभग ०२ वर्ष बाद प्रश्नगत भूखण्ड की भूमि का क्षेत्रफल कम होने की शिकायत का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता। हमारे विचार से अपीलार्थी द्वारा सेवा में कोई त्रुटि किए जाना प्रमाणित नहीं है। अपील तद्नुसार स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच, मैनपुरी द्वारा परिवाद सं0-४५/२००७ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०६-०१-२००९ अपास्त किया जाता है।
अपील व्यय उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-२.