Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/462

Bajrang Cold Storage - Complainant(s)

Versus

Praveen Kumar - Opp.Party(s)

O P Duvel

11 Apr 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/462
( Date of Filing : 06 Mar 2012 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Bajrang Cold Storage
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Praveen Kumar
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vikas Saxena PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. DR. ABHA GUPTA MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 11 Apr 2022
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 

अपील सं0- 462/2012

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, महामाया नगर द्वारा परिवाद सं0- 66/2008 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07.02.2012 के विरुद्ध)

 

बजरंग शीतगृह प्रा0लि0 विर्रा पोस्‍ट के0जी0डब्‍लू0 सासनी जिला महामायानगर (हाथरस) द्वारा डायरेक्‍टर रमेश चन्‍द्र वर्मा।

                                           ..........अपीलार्थी

                           बनाम

प्रवीन कुमार पुत्र श्री अशोक कुमार नि0 बॉंधनू शिकोहाबाद पोस्‍ट के0जी0डब्‍ल्‍यू0 सासनी- हाथरस जिला महामायानगर।

                                             ..........प्रत्‍यर्थी

समक्ष:-

    माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

    माननीया डॉ0 आभा गुप्‍ता, सदस्‍य 

 

अपीलार्थी की ओर से      : श्री ओ0पी0 दुवेल,

                        विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से       : कोई नहीं।

 

दिनांक:- 11.05.2022

 

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय

1.        परिवाद सं0- 66/2008 प्रवीन कुमार बनाम शीतगृह स्‍वामी, बजरंग शीतगृह प्रा0लि0 में जिला उपभोक्‍ता आयोग, महामाया नगर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 07.02.2012 के विरुद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

2.        संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी के शीतगृह में दि0 11.03.2008 को 156 पैकेट जूट के रखे थे सुगर फ्री आलू के पैकेट को अपीलार्थी/विपक्षी ने अलग चैम्‍बर में रखा था। जूट वाले पैकेटों के आलुओं को अलग चैम्‍बर में रखा गया। आलू रखने का भाड़ा 55/-रू0 व बोरा की कीमत 17/-रू0 तय की थी। अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के सुगर फ्री आलू वाले चैम्‍बर में पर्याप्‍त मात्र में गैस छोड़ी जो सुरक्षित बना रहा, जिसे प्रत्‍यर्थी/परिवादी ले गया। जूट के पैकेटों वाले चैम्‍बर में गैस कम छोड़ी जिससे 156 बोरी आलू के खराब हो गए। दि0 30.06.2008 को एक बोरी आलू निकलवाया तो उसमें सड़न की गंध थी जिसकी शिकायत अपीलार्थी/विपक्षी से की। प्रत्‍यर्थी/परिवादी को सही मात्रा में गैस छोड़ने का आश्‍वासन दिया गया, लेकिन पूरी गैस नहीं छोड़ी गई। उसे इस तथ्‍य की जानकारी दि0 15.10.2008 को हुई जब वह अपना आलू निकालने के लिए गया। अपीलार्थी/विपक्षी की लापरवाही से प्रत्‍यर्थी/परिवादी का आलू खराब हो गया, जिससे व्‍यथित होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।              

3.        अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा अपने वादोत्‍तर में कथन किया गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा शीतगृह में निम्‍नलिखित प्रकार से आलू भण्‍डारित किया गया था:- दि0 29.02.2008 को 100 पैकेट बीज के, दि0 01.03.2008 को 95 पैकेट मोटा सुगर फ्री आलू, दि0 11.03.2008 को 156 पैकेट आलू बीज, दि0 11.03.2008 को 122 पैकेट आलू मोटा रखा था। इस प्रकार 256 पैकेट बीज के आलू भण्‍डारित किए गए। काश्‍तकार कोई सीड ब्रीडिंग का कार्य नहीं करता, अत: यह नहीं माना जा सकता कि 156 पैकेट काश्‍तकार के बीज आलू कीमती थे। आलू को किस प्रकार के चैम्‍बर में रखना है यह काश्‍तकार ही तय करता है। पैकेट रखने का भाड़ा 54/-रू0 था। चैम्‍बर में गैस पूरी छोड़ी गई थी। यदि गैस कम छोड़ी जाती तो 40000 बोरी खराब हो जाती। यदि आलू सड़ा होता तो दि0 18.11.2008 को व्‍यापारी कैसे आलू को खरीदता। वास्‍तविकता यह है कि जब प्रत्‍यर्थी/परिवादी आलू निकालने आया तो उसकी कीमत बहुत गिर चुकी थी इसलिए आलू नहीं उठाये। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दि0 15.10.2008, दि0 03.10.2008 व दि0 08.10.2008 को किस रेट से आलू बेचे थे प्रत्‍यर्थी/परिवादी से रसीद मांगी जाए। दि0 12.11.2008 के परिप्रेक्ष्‍य में यह मानते हुए कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपने आलू नहीं ले जाना चाहता है, अत: उसका मूल्‍य 6,080/-रू0 में बेच दिया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी पर भाड़े आदि का किराया 11,076/-रू0 निकलता है। 6,080/-रू0 समायोजित करने के उपरांत 4,996/-रू0 शेष हैं। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने झूठे कथनों के साथ परिवाद प्रस्‍तुत किया है जो निरस्‍त होने योग्‍य है।     

4.        विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया है कि वह धनराशि अंकन 8,268/-रू0 निर्णय की तिथि से 30 दिन के अन्‍दर अदा करेगा। इसके अतिरिक्‍त अपीलार्थी/विपक्षी, प्रत्‍यर्थी/परिवादी को वाद व्‍यय के रूप में 2,000/-रू0 अदा करेगा, जिससे व्‍यथित होकर अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

5.        अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री ओ0पी0 दुवेल को सुना गया। प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया गया।

6.        इस वाद में उभयपक्ष के मध्‍य विवाद का प्रश्‍न यह है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी शीतगृह में आलुओं का रखा जाना दोनों पक्षों को स्‍वीकार है कि अपीलार्थी/विपक्षी का कथन यह है कि आलू की निकासी के समय आलू का रेट इतना अधिक गिर गया था कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने इसे वापस लेना उचित नहीं समझा, अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी का आलू शीतगृह द्वारा बेच दिया गया। बेचे गये आलू के मूल्‍य में से भाड़े आदि का किराया समायोजित करने के उपरांत धनराशि देना अपीलार्थी/विपक्षी ने स्‍वीकार किया।

7.        विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा आलू न निकालने के सम्‍बन्‍ध में साक्ष्‍य की विवेचना करते हुए यह निष्‍कर्ष दिया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा बेचे गए आलू की रसीद आदि प्राप्‍त नहीं की गई है। आलुओं की निकासी के सम्‍बन्‍ध में  अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से गेटपास की छायाप्रति प्रस्‍तुत की गई, जिस पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कोई हस्‍ताक्षर नहीं पाये गए। इस प्रकार प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा आलू की निकासी होना भी साबित नहीं होता है।

8.        उपरोक्‍त साक्ष्‍य का अवलोकन करते हुए विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने वर्ष 2008 की आलू के रेट 250/-रू0 प्रति कुन्‍तल के हिसाब से आलू का भाव प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिलवाया जाना उचित पाया और इसमें से आलुओं का भाड़ा एवं बोरे की कीमत काटकर शेष धनराशि आज्ञप्‍त की। निष्‍कर्ष में कोई त्रुटि नहीं प्रतीत होती है।

9.        अपीलार्थी की ओर से आपत्ति यह भी उठायी गई कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने आलू का रेट अत्‍यधिक लगाया है जब कि वर्ष 2008 में आलुओं का रेट गिर जाने के कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दी जाने वाली धनराशि अत्‍यधिक है। इस कारण विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग का निष्‍कर्ष उचित नहीं है। अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से वर्ष 2008 में आलुओं के रेट अथवा इस सम्‍बन्‍ध में उद्यान अधिकारी की कोई रिपोर्ट इत्‍यादि प्रस्‍तुत नहीं की गई। इस सम्‍बन्‍ध में केन्‍द्रीय सरकार के वेबसाइट Desagri.gov.in में प्रदान किए गए कृषि उत्‍पादों के मूल्‍यों की सूची का अवलोकन करने से स्‍पष्‍ट होता है कि वर्ष 2008 में मा0 केन्‍द्रीय सरकार द्वारा जारी आलू की सपोर्ट प्राइस 257/-रू0 दी गई है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने 250/-रू0 प्रति कुन्‍तल आलुओं का मूल्‍य रखा है जो केन्‍द्रीय सरकार द्वारा जारी न्‍यूनतम सपोर्ट प्राइस से कम ही है। उक्‍त वेबसाइट के एग्रीकल्‍चर प्राइस इन इंडिया 2008-09 कृषि उत्‍पादों की तालिका सं0- 2.22 में उ0प्र0 में वर्ष 2008 में मैनपुरी 266/-रू0 तथा मैनपुरी सफेद आलू का दाम 266/-रू0 अंकित है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा आलुओं की दर निश्चित की गई है जो उचित प्रतीत होती है। उक्‍त मामला हाथरस जनपद का है एवं इस इलाके में किस्‍म मैनपुरी सफेद आलू का मूल्‍य जो दिलवाया गया है वह उचित है, अत: प्रश्‍नगत निर्णय में कोई त्रुटि प्रतीत नहीं होती है। तदनुसार प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश पुष्‍ट होने योग्‍य एवं अपील निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।       

                          आदेश

10.       अपील निरस्‍त की जाती है। प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश की पुष्टि की जाती है।                 ‍              

          अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          अपील में धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित इस निर्णय व आदेश के अनुसार जिला उपभोक्‍ता आयोग को निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जावे।  

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                            

   (विकास सक्‍सेना)                           (डॉ0 आभा गुप्‍ता)           

       सदस्‍य                                    सदस्‍य           

 

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0-3

 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. DR. ABHA GUPTA]
MEMBER
 

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