राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या- 2126/2015
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता फोरम, उन्नाव द्वारा परिवाद संख्या-138/2013 में पारित आदेश दिनांक 27.05.2015 के विरूद्ध)
Shriram General Insurance Company Limited, E-8, EPIP, RIICO Industrial Area, Sitapura, Jaipur(Rajasthan)-302022, Branch Office 16, Chintal House, Station Road, Lucknow through its Manager.
..............अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
Praveen Kumar Gaur aged about 25 years S/o Late Sarisht Lal Gaur R/o Village- Yashoda Nagar, Safipur Garmeen, Unnao
..........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आनन्द भागर्व।
विद्वान अधिवक्ता ।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : -
दिनांक: 13.11.2017
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 138/2013 प्रवीण कुमार गौड़ बनाम श्री राम जनरल इं0कं0लि0 में जिला फोरम उन्नाव द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 27.05.2015 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है। आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद एकपक्षीय रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
"परिवादी श्री प्रवीन कुमार का परिवाद विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से इस प्रकार स्वीकार किया जाता है विपक्षी परिवादी को 16,859/-रूपये बीमा दावा के रूप में अदा करें। इसके अतिरिक्त मानसिक तथा शारीरिक कष्ट के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000/-रू0 तथा वाद व्यय के रूप में 2,500/-रू0 विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को देय होगा।"
जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील उपरोक्त परिवाद के विपक्षी श्री राम जनरल इं0कं0लि0 ने प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक कुमार के सहयोगी अधिवक्ता श्री आनन्द भागर्व उपस्थित हुए है। प्रत्यर्थी पर नोटिस का तामीला आदेश दिनांक 29.07.2016 के द्वारा पर्याप्त माना गया है और कई तारीखें दी गयी, परन्तु प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुनकर अपील का निस्तारण किया जा रहा है।
मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि मालवाहक पिकअप जिसका रजिस्ट्रेशन नम्बर यू0पी0 35 एच0 8655 है का वह पंजीकृत स्वामी है। उसका यह वाहन दिनांक 26.07.2012 को सफीपुर मियागंज रोड़ पर ग्राम सिद्धनाथ के पास पलट गया जिससे गाड़ी में क्षति हुई। उसके बाद प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी बीमा कम्पनी
को दुर्घटना की सूचना दी। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसका उपरोक्त वाहन कवर नोट संख्या-242068 के द्वारा दिनांक 22.03.2012 से दिनांक 21.03.2013 तक की अवधि हेतु बीमित था और दुर्घटना के समय वाहन चालक अरूण गौड चला रहा था जिसके पास वैध एवं प्रभावी लाइसेंस था। उपरोक्त कथन के साथ परिवाद प्रस्तुत करते हुए प्रत्यर्थी/परिवादी ने बीमा के एवज में अवशेष धनराशि 28,370/-रू0 ब्याज के साथ दिलाए जाने का अनुरोध किया है और साथ ही 20,000/-रू0 मानसिक तथा आर्थिक कष्ट हेतु तथा 5,000/-रू0 वादव्यय दिलाए जाने की मांग की है।
अपीलार्थी/विपक्षी को डाक से नोटिस भेजी गयी जो अदम तामील वापिस नहीं आयी। अत: एक मास के बाद उसपर नोटिस का तामीला पर्याप्त माना गया फिर भी वह उपस्थित नहीं हुआ है। अत: उसके विरूद्ध एकपक्षीय रूप से कार्यवाही करते हुए आक्षेपित निर्णय और आदेश जिला फोरम ने उपरोक्त प्रकार से पारित किया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि जिला फोरम के समक्ष प्रत्यर्थी/परिवादी ने गलत कथन के साथ परिवाद प्रस्तुत किया है और जिला फोरम ने अपीलार्थी की अनुपस्थिति में एकपक्षीय रूप से परिवाद पत्र के कथन पर विश्वास करते हुए आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है जो साक्ष्य और सत्यता के विरूद्ध है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि अपीलार्थी बीमा कम्पनी का कवर नोट 242068 जो परिवादी ने जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है वह अपीलार्थी बीमा कम्पनी का खोया हुआ कवर नोट है जिसके सम्बन्ध में अपीलार्थी बीमा
कम्पनी की शाखा कानपुर के मैनेजर ने पुलिस को रिपोर्ट दिनांक 06.04.2015 को दी है जिसमें खोये हुए कवर नोट का स्पष्ट उल्लेख है जिसमें प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत कवर नोट भी सम्मिलित है।
मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क पर विचार किया है। अपीलार्थी के अनुसार जिस कवर नोट के आधार पर प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है वह अपीलार्थी बीमा कम्पनी का खोया हुआ कवर नोट है और उसके सम्बन्ध में उसने पुलिस में सूचना दी है। इसके साथ ही उपरोक्त विवेचना से यह स्पष्ट है कि वर्तमान परिवाद अपीलार्थी बीमा कम्पनी की अनुपस्थिति में एकपक्षीय रूप से पारित किया गया है अत: अपीलार्थी बीमा कम्पनी के कथन एवं सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थतियों पर विचार करते हुए मैं इस मत का हूं कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश अपास्त कर पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाए कि वह अपीलार्थी बीमा कम्पनी को अपना लिखित कथन प्रस्तुत करने का अवसर दे और उसके बाद उभयपक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर परिवाद में पुन: निर्णय गुण-दोष के आधार पर पारित करे।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्त करते हुए पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि वह बीमा कम्पनी को इस निर्णय में हाजिरी हेतु निश्चित तिथि से 30 दिन के अन्दर अपना लिखित कथन प्रस्तुत करने का अवसर दे और उसके बाद उभयपक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर पुन: विधि के अनुसार निर्णय पारित करे।
उभयपक्ष जिला फोरम के समक्ष निश्चित तिथि दिनांक 20.12.2017 को उपस्थित हो। अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वादव्यय स्वयं वहन करेंगे। धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को वापिस की जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
सुधांशु श्रीवास्तव, आशु0
कोर्ट नं0-1