(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-3305/2003
Punjab National Bank Branch Rudain, P.O. Rudain & others
Versus
Praveen jauhari Son of Late Sri Harish Chandra jauhari
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री एस0एम0 बाजपेयी, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :11.06.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-173/2002, प्रवीन जौहरी बनाम पंजाब नेशनल बैंक व अन्य में विद्वान जिला आयोग, बदायूं द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 31.10.2003 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवादी के दो चेक बैंक के स्तर से गुम हो जाने के कारण चेक में दर्शित राशि अंकन 26,718/-रू0 12 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने का आदेश पारित किया है।
3. अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुनने एवं पत्रावली के अवलोकन से यह स्थिति स्पष्ट होती है कि परिवादी द्वारा अंकन 26,718/-रू0 की राशि के दो चेक अपीलार्थी बैंक में जमा किये गये थे, जिन्हें क्लेयरेंस के लिए भेजा गया था, परंतु यह चेक परिवहन के दौरान गुम हो गये, इसलिए चेक की राशि परिवादी के खाते में जमा नहीं हो सकी, इसी आधार पर जिला उपभोक्ता आयोग ने चेक की राशि परिवादी को अदा करने का आदेश पारित किया है। यथार्थ में चेक में वर्णित राशि कभी भी चेक जारी करने वाले के खाते से आहरित नहीं हुई, चेक की राशि अभी भी चेक जारी करने वाले व्यक्ति के खाते मे जमा है, इसलिए चेक में वर्णित राशि के भुगतान का आदेश देने का वैधानिक औचित्य नहीं था। बैंक के स्तर से केवल चेक भेजने तथा क्लेयरेंस मंगाने के स्तर पर लापरवाही कारित हुई है। इसी लापरवाही के लिए बैंक को दोषी ठहराया जा सकता था तथा इस आशय का प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया जा सकता था कि जो चेक जमा किये गये हैं, उनकी राशि कभी भी प्राप्त नहीं हुई है इस प्रमाण पत्र के आधार पर परिवादी द्वारा पुन: चेक प्राप्त किया जा सकता है। चूंकि बैंक के स्तर से परिवहन के दौरान चेक गायब होने में लापरवाही बरती गयी है, इसलिए बैंक इस मद में अंकन 5,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति अदा करने के लिए उत्तरदायी है। अत: यह अपील तदनुसार उपरोक्त वर्णित सीमा तक स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि कि अपीलार्थी बैंक द्वारा आज से 15 दिन के अंदर परिवादी के पक्ष में एक प्रमाण पत्र इस आशय का जारी किया जायेगा कि उनके द्वारा जो चेक जमा किये गये थे, उनमें वर्णित राशि प्राप्त नहीं की जा सकी, इस प्रमाण पत्र को प्राप्त करने के बाद परिवादी द्वारा चेक जारी करने वाले व्यक्ति के समक्ष प्रस्तुत कर इसी राशि के दूसरे चेक प्राप्त किया जायेगा, परंतु चूंकि बैंक के स्तर से परिवहन के दौरान चेक गायब होने में लापरवाही बरती गयी है, इसलिए बैंक इस मद में अंकन 5,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति परिवादी को अदा करे। इस राशि को 3 माह के अंदर अदा करने पर कोई ब्याज देय नहीं होगा, परंतु 3 माह के पश्चात इस राशि पर बैंक द्वारा परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज देय होगा। इस पीठ के आदेश के द्वारा जो राशि परिवादी के खाते में जमा की गयी है, उसे बैंक वापस आहरित करने के लिए अधिकृत होगा, जिसमें से 5,000/-रू0 की राशि समायोजित की जायेगी।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्ताराण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2