(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1983/2023
नदीम इरफान पुत्र स्व0 श्री इरफान उल्लाह
बनाम
प्रवर डाक अधीक्षक महोदय, फैजाबाद, जिला अयोध्या तथा चार अन्य
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : सुश्री शहनाज फातिमा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 18.12.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0-121/2023, नदीम इरफान बनाम प्रवर डाक अधीक्षक तथा अन्य में विद्वान जिला आयोग, अयोध्या द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 7.11.2023 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी की विद्वान अधिवक्ता सुश्री शहनाज फातिमा को अपील की ग्राह्यता के बिन्दु पर सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का परिशीलन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने ग्राह्यता के आधार पर परिवाद को खारिज किया है।
3. निर्णय/आदेश के अवलोकन से ज्ञात होता है कि प्रवर
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डाक अधीक्षक, डाक घर अयोध्या मण्डल, अयोध्या द्वारा अब्दुल कय्यूम के नाम एक आर्टिकल प्रेषित किया गया था, जब डाक विभाग का कर्मचारी अब्दुल कय्यूम के निवास पर पहुँचा तब ज्ञात हुआ कि प्राप्तकर्ता की मृत्यु हो चुकी है, इसलिए पत्र वापस कर दिया गया। परिवादी द्वारा परिवाद इस आधार पर प्रस्तुत किया गया कि अब्दुल कय्यूम उसके मामा थे और वह उनका वारिस है। परिवादी ने डाक विभाग के पत्र को प्राप्त करने का प्रयास किया, उनके द्वारा आधार कार्ड, पैन कार्ड एवं मृत्यु प्रमाण पत्र भी दिखाया, लेकिन डाक परिवादी को उपलब्ध नहीं करायी गयी, परन्तु सम्पूर्ण परिवाद पत्र के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी द्वारा उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया गया, इसलिए डाक कर्मचारी के पास यह विश्वास करने का कोई कारण नहीं था कि परिवादी डाक प्राप्तकर्ता का वैध उत्तराधिकारी है। अत: विपक्षीगण द्वारा अब्दुल कय्यूम के नाम पर जारी आर्टिकल को वापस लौटाने में कोई अवैधता कारित नहीं की गयी है और परिवादी के प्रति किसी प्रकार की सेवा में कमी नहीं की गयी है। परिवादी कभी भी विपक्षीगण का उपभोक्ता नहीं रहा है, इसलिए उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं था। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा ग्राह्यता के बिन्दु पर पारित किया गया निर्णय/आदेश विधिसम्मत है, इसमें कोई त्रुटि नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील ग्राह्यता के बिन्दु पर ही निरस्त होने योग्य है।
आदेश
4. प्रस्तुत अपील ग्राह्यता के बिन्दु पर ही निरस्त की जाती है।
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उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-1