Uttar Pradesh

Muradabad-II

cc/21/2014

Shri Amit Kumar - Complainant(s)

Versus

Prathama Bank - Opp.Party(s)

25 Jun 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. cc/21/2014
 
1. Shri Amit Kumar
R/0 Hardaypur Post Ucha Gaon Police Station Kathghar Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Prathama Bank
Main Office Phase-II Ram Ganga Vihar Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि विपक्षीगण से उसे घरेलू सोलर लाइट हेतु मिलने वाली अनुदान राशि 7,200/- (सात हजार दो सौ रूपया) 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित दिलायी जाऐ। विपक्षी सं0-1 द्वारा वसूल किऐ गऐ अधिक ब्‍याज की वापसी और परिवाद व्‍यय दिलाऐ जाने की भी परिवादी ने प्रार्थना की।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी सं0-1 से प्रथमा सोलर ज्‍योति योजना के अन्‍तर्गत घरेलू सोलर लाइट लगवायी थी। परिवादी को बताया गया था कि इस पर केवल 5 प्रतिशत ब्‍याज लगाया जायेगा। सोलर की कीमत 27,500/- (सत्‍ताईस हजार पाँच सौ रूपया) बतायी गयी थी जिसमें से 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) विपक्षी सं0-1 को नकद अदा किऐ, शेष 25000/- (पच्‍चीस हजार रूपया) जमा करने के लिए परिवादी को 5 वर्ष का समय दिया गया। परिवादी प्रारम्‍भ में जमा किऐ गऐ 25,00/- रूपये के अतिरिक्‍त भिन्‍न-भिन्‍न तिथियों पर 12,000/- (बारह हजार रूपया) विपक्षी सं0-1 की शाखा में जमा कर चुका है। परिवादी के अनुसार भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार सोलर लाइट पर 7,200/- रूपया अनुदान मिलना था जिसे विपक्षी सं0-1 को परिवादी के खाते में जमा करना था, किन्‍तु विपक्षी सं0-1 ने यह अनुदान राशि परिवादी के खाते में जमा नहीं की। परिवादी ने यह भी कथन किया कि उसके द्वारा देय धनराशि पर 5 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भी नहीं लगाया जा रहा है। परिवादी ने अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से विपक्षीगण को नोटिस दिलवाया, किन्‍तु विपक्षीगण सुनवा नहीं हो रहे हैं जिस कारण उसे यह परिवाद योजित करने की आवश्‍यकता पड़ी। परिवादी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्‍वीकार किऐ जाने की प्रार्थना की।
  3.   विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-8/1 दाखिल किया गया जिसमें कहा गया कि उत्‍तरदाता बैंक ने परिवादी द्वारा देय धनराशि पर ब्‍याज की दर सही लगायी है। अनुदान/ छूट के सम्‍बन्‍ध में कथन किया गया है कि नियत अवधि में परिवादी को मिलने वाली छूट /अनुदान उसे उपलब्‍ध करा दी जाऐगी। अन्‍त में यह कहते हुऐ कि परिवादी को यदि किसी प्रकार की कोई शिकयत है तो विपक्षी के बैंक कार्यालय में आकर उसका समाधान करा सकता है। परिवाद को विपक्षीगण ने खारिज करने की प्रार्थना की।
  4.   परिवादी ने परिवाद के साथ सोलर लाइट से सम्‍बन्धित अपने बैंक खाते तथा सोलर लाइट के समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञापनों की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/7 लगायत 3/15 हैं।
  5.   परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-9/1 लगायत 9/3 दाखिल किया। विपक्षीगण की ओर से विपक्षी के शाखा प्रबन्‍धक श्री एन0यू0 सिद्दीकी ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-11/1 प्रस्‍तुत किया। साक्ष्‍य शपथ पत्र के साथ परिवादी के बैंक स्‍टेटमेन्‍ट तथा सोलर लाइट से सम्‍बन्धित बैंक को प्राप्‍त दिशा निर्देशों को दाखिल किया गया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-11/2 लगायत 11/5 हैं।
  6.   पक्षकारों ने अपनी-अपनी लिखित बहस दाखिल की।
  7.   दिनांक 17-06-2015 को परिवादी ने एक प्रार्थना पत्र कागज सं0-17/1 प्रस्‍तुत किया जिसके साथ उसने अपनी पासबुक की फोटो प्रति भी दाखिल की। प्रार्थना पत्र कागज सं0-17/1 में परिवादी ने कथन किया कि सोलर लाइट पर परिवादी को मिलने वाली सब्सिडी विपक्षीगण ने उसे दे दी है तथा विपक्षीगण ने उससे जो अधिक ब्‍याज लिया था वह भी परिवादी के खाते में जमा कर दिया गया है। इस प्रकार ब्‍याज और सब्सिडी के सन्‍दर्भ में परिवाद में मांगे गये अनुतोष और अनुतोष का अब कोई विवाद नहीं रह गया है। परिवादी के अनुसार विपक्षीगण ने इस मामले में अनुचित व्‍यापार पद्धति अपनायी है, उसे दृष्टिगत रखते हुए परिवाद में मांगे गये शेष अनुतोष उसे दिलाऐ जाऐ।
  8.   हमने परिवादी श्री अमित कुमार जो स्‍वयं अधिवक्‍ता हैं, के तथा विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
  9.   परिवादी का तर्क है कि विपक्षीगण ने उसे समय से सब्सिडी न देकर और अनुमन्‍य 5 प्रतिशत से अधिक ब्‍याज लगाकर अनुचित व्‍यापार प्रथा अपनायी है जिसके लिए परिवादी को क्षतिपूर्ति दिलायी जाऐ। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने उक्‍त तर्कों का प्रतिवाद किया और कहा कि विपक्षीगण द्वारा अनुचित व्‍यापार प्रथा अपनायी जाना परिवादी प्रमाणित नहीं कर पाया है। परिवादी अपने तर्कों के समर्थन में कोई तथ्‍य अथवा साक्ष्‍य भी इंगित नहीं कर पाया जस कारण विपक्षीगण द्वारा अनुचित व्‍यापार प्रथा अपनाया जाना प्रकट नहीं है। हम विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्कों से सहमत हैं।
  10.   घरेलू सोलर लाईट हेतु जारी किऐ जाने वाले ऋण पर सब्सिडी की अनुमन्‍यता और ब्‍याज की अदायगी के सम्‍बन्‍ध में प्रसारित दिशा निर्देशों की नकल पत्रावली में कागज सं0-11/3 लगायत 11/5 के रूप में विपक्षीगण की ओर से दाखिल की गयी है। परिवादी के लोन एकाउन्‍ट की नकल भी कागज सं0-11/2 के रूप में विपक्षीगण की ओर से दाखिल साक्ष्‍य शपथ पत्र के संलग्‍नक के रूप में दाखिल है। परिवादी यह इंगित नहीं कर पाया कि सब्सिडी की अदायगी के सम्‍बन्‍ध में विपक्षीगण ने कौन से दिशा निर्देशों का उल्‍लंघन किया है। वह यह भी नहीं दर्शा पाया कि उसे सोलर लाईट हेतु स्‍वीकृत ऋण के सापेक्ष किस प्रकार उससे ब्‍याज की अधिक राशि वसूल की गयी। अन्‍यथा भी परिवादी को सब्सिडी का लाभ विपक्षीगण ने दे दिया है और ब्‍याज की राशि भी उसके खाते में जमा कर दी है ऐसी दशा में अब विपक्षीगण द्वारा अभिकथित रूप से अनुचित व्‍यापार प्रथा अपनाया जाना प्रमाणित नहीं है।
  11.   परिवादी को परिवाद व्‍यय के रूप में 2,500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) विपक्षीगण से  दिलाया जाना हम उपयुक्‍त एवं  न्‍यायोचित समझते हैं। इस प्रकार 2,500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) की वसूली हेतु परिवादी के पक्ष में यह परिवाद हमारे अभिमत में स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                परिवाद विपक्षीगण से परिवाद व्‍यय के रूप में 2,500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) पाने का अधिकारी है। अनुातोष अ एवं अनुतोष ब के सन्‍दर्भ में परिवाद सारहीन हो चुका है। परिवाद व्‍यय के रूप में दिलायी गयी यह धनराशि परिवादी को एक माह में अदा कर दी जाये।

 

   (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)     (सुश्री अजरा खान)     (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य                 सदस्‍य              अध्‍यक्ष

    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     25.06.2015            25.06.2015          25.06.2015

     हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 25.06.2015 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

     (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)     (सुश्री अजरा खान)     (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य                 सदस्‍य                 अध्‍यक्ष

    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

      25.06.2015            25.06.2015             25.06.2015

 

 

 

 

 

 

 

 

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