जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर
समक्ष: श्री राकेश कुमार माथुर - अध्यक्ष
श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य
परिवाद सॅंख्या: 54/2014
सचिन नैन पुत्र विनोद नैन आयु 18 वर्ष, निवासी मकान नंबर 663, वी.पी.ओ.-खारीया, तह. रानीया, जिला सिरसा (हरियाणा)
परिवादी
ं बनाम
प्रताप विश्वविद्यालय जरिए डायरेक्टर/प्रबंधक/आॅथोराइज , पता सुन्दरपुरा (चंदवाजी), दिल्ली - मुम्बई हाईवे, जयपुर (राज0)
विपक्षी
अधिवक्तागण :-
श्री मनमन्दिर सिंह - परिवादी
परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 09.12.13
आदेश दिनांक: 18.02.2015
परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी के जयुपर स्थित प्रातप विश्वविद्यालय के कार्यालय को बी.टेक में अध्ययन के लिए एक डी.डी.सॅंख्या 699361 दिनांकित 28.06.2012 राशि 68700/- रूपए का अपने मित्र के जरिए भिजवाया जो विपक्षी को प्राप्त जिसकी रसीद विपक्षी ने 1026 दिनांकि 29.06.2012 परिवादी के पक्ष में जारी की लेकिन विपक्षी द्वारा सूचित किया गया कि प्रवेश जब तक नहीं माना जाएगा जब तक कि परिवादी स्वयं आकर रजिस्ट्रेशन फार्म नहीं भरता है । परिवादी का कथन है कि जब वह रजिस्ट्रेशन फार्म से सम्बन्धित कार्यवाही के लिए विपक्षी के विश्वविद्यालय में आता तो देखा कि विद्यालय में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है । परिवादी का कथन है कि अध्ययन के लिए आने पर उसकी माता की तबीयत खराब हो गई इसलिए उसने अपने निवास स्थान पर लौट जाने का निश्चय किया तथा विपक्षी विश्वविद्यालय को प्रार्थना पत्र द्वारा सूचित किया कि वह अपनी माता की तबीयत खराब हो जाने के कारण तथा इकलौता पुत्र होने के कारण मजबूरीवश विपक्षी के यहां अध्ययन नहीं कर सकता इस कारण जमा राशि 68700/- रूपए वापिस लौटा दी जावे क्योंकि अभी तक रजिस्ट्रेशन फार्म नहीं भरा है ना ही विपक्षी के यहां अध्ययन से सम्बन्धित लाभ ही प्राप्त किया है । विपक्षी ने प्रवेश प्रकिया समाप्त हो जाने पर राशि वापिस लौटाने का विश्वास दिलवाया परन्तु लगातार सम्पर्क करने पर भी समय ही दिया जाता रहा । दिसम्बर 2012 में परिवादी ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर परन्तु राशि नहीं लौटाई गई । परिवादी का कथन है कि विपक्षी बहाना बनाता रहा परन्तु राशि नहीं लौटाई गई । दिनांक 22.09.2013 को विधिक नोटिस विपक्षी को जरिए अधिवक्ता दिलवाया गया परन्तु उसकी राशि नहीं लौटाई गई । परिवादी ने 68700/- रूपए सहित मानसिक संता पके 25000/-रूपए व परिवाद व्यय 5000/-रूपए दिलवाए जाने का निवेदन किया है ।
विपक्षी की ओर से परिवाद का कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया है ना ही कोई मंच के समक्ष उपस्थित आया है ।
मंच द्वारा परिवादी के अधिवक्ता की बहस सुनी गई एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
परिवादी ने परिवाद के समर्थन में स्वयं का शपथ-पत्र, 68700/- रूपए जमा करवाने की रसीद दिनांक 29.06.2012, अधिवक्ता नोटिस की काॅपी प्रस्तुत की है ।
परिवाद के कथन व प्रस्तुत साक्ष्य का विपक्षी की ओर से कोई खण्डन नहीं किया गया है ऐसी स्थिति में इन पर अविश्वास किए जाने का मंच के पास कोई आधार नहीं है ।
प्रस्तुत प्रकरण में, खण्डन के अभाव में, परिवादी यह प्रमाणित कर सका है कि उसने दिनंाक 29.06.2012 को विपक्षी के यहां जरिए डी डी 68700/- रूपए जमा करवाए थे लेकिन उसने विपक्षी के यहां अध्ययन नहीं किया ना ही प्रवेश से सम्बन्धि अन्य कोई कार्यवाही की परन्तु फिर भी विपक्षी ने उसकी राशि वापिस नहीं लौटाई और इस प्रकार विपक्षी ने अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस अपनाते हुए सेवादोष कारित किया है । जिससे परिवादी को आर्थिक हानि के साथ-साथ मानसिक संताप होना स्वभाविक है ।
अत: इस समस्त विवेचन के आधार पर परिवादी का यह परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार कर आदेश दिया जाता है कि विपक्षी आज से एक माह की अवधि मंे परिवादी को 68700/- रूपए अक्षरे अडसठ हजार सात सौ रूपए दिनांक 29.06.2012 से 12 प्रतिशत वार्षिक की ब्याज दर सहित अदा करेगा। इसके अलावा परिवादी को कारित मानसिक संताप व आर्थिक हानि की क्षतिपूर्ति के लिए उसे 5,000/- रूपए अक्षरे पांच हजार रूपए एवं परिवाद व्यय 1500/- रूपए अक्षरे एक हजार पांच सौ रूपए अदा करेेेगा। आदेश की पालना आज से एक माह की अवधि में कर दी जावे अन्यथा परिवादी उक्त क्षतिपूर्ति एवं परिवाद व्यय की राशि पर भी आदेश दिनांक से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज पाने का अधिकारी होगा । परिवादी का अन्य अनुतोष अस्वीकार किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 18.02.2015 को लिखाकर सुनाया गया।
( ओ.पी.राजौरिया ) (राकेश कुमार माथुर)
सदस्य अध्यक्ष