(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-34/2011
जय हनुमान ट्रैक्टर्स बनाम परशु राम पुत्र श्री मेहरवान
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक: 28.10.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-471/2002, परशुराम बनाम जय हनुमान ट्रैक्टर्स में विद्वान जिला आयोग, कन्नौज द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23.09.2011 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री विजय कुमार यादव को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
विद्वान जिला आयोग ने अंकन 25,000/-रू0 वापस लौटाने का आदेश इस आधार पर पारित किया है कि विद्वान जिला आयोग को यह प्रतीत हुआ कि परिवादी से अंकन 25,000/-रू0 बलपूर्वक प्राप्त किए गए हैं, इस आधार पर परिवादी ने विपक्षी से सर्विस नहीं कराई या विपक्षी द्वारा सर्विस नहीं की गई।
विद्वान जिला आयोग के उपरोक्त दोनों निष्कर्ष मात्र संभावना एवं कल्पना पर आधारित हैं। अंकन 25,000/-रू0 को वसूलने के संबंध में कोई निष्कर्ष नहीं है, केवल इस आशय की कल्पना की गई है कि अंकन 25,000/-रू0 वसूल किए जा सकते हैं और इसी प्रकार फ्री सर्विस कराने या न कराने के संबंध में भी एक अनुमान लगाया गया है। अत: संभावना एवं अनुमान पर आधारित निर्णय/आदेश स्थिर रहने योग्य नहीं है। अत: प्रश्नगत निर्णय/आदेश परिवर्तित होने योग्य है।
तदनुसार प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 23.09.2011 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी द्वारा जो ट्रैक्टर विपक्षी से दिनांक 22.8.2001 को अंकन 2,50,000/-रू0 अदा करके क्रय किया गया था, उस ट्रैक्टर की संविदा के अनुसार बकाया फ्री सर्विस विपक्षी/अपीलार्थी द्वारा इस निर्णय/आदेश के पारित हो जाने के पश्चात की जाएगी और परिवादी को यह अधिकार होगा कि वह शेष दो फ्री सर्विस के लिए प्रश्नगत ट्रैक्टर को विपक्षी/अपीलार्थी के गैराज में प्रस्तुत करे और विपक्षी/अपीलार्थी शेष दो फ्री सर्विस करके ट्रैक्टर को दुरूस्त करे।
प्रस्तुत अपील उपरोक्तानुसार अंतिम रूप से निस्तारित की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2