( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या: 233/2018
(जिला उपभोक्ता आयोग, प्रथम लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या- 775/2005 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 09-10-2017 के विरूद्ध)
कृष्ण कुमार शर्मा पुत्र स्व0 बृजलाल शर्मा निवासी- 2051/5 इंदिरानगर, लखनऊ।
बनाम
- प्रबन्धक निदेशक, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम-04 ए, गोखले मार्ग, लखनऊ।
- चीफ जनरल मैनेजर, लखनऊ इलेक्ट्रिक सप्लाई, अण्डरटेकिंग यू०पी०पी०सी०एल० लखनऊ।
- अधिशाषी अभियन्ता, लखनऊ इलेक्ट्रिक सप्लाई खण्ड मुंशीपुलिया लखनऊ।
- उपखण्ड अधिकारी, सिटी इलेक्ट्रिक डिस्ट्रीब्यूशन खण्ड मुंशीपुलिया, लखनऊ।
- तहसीलदार सदर, जिला लखनऊ।
समक्ष-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार,अध्यक्ष।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- विद्वान अधिवक्ता श्री मुकेश मोहन निगम
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- विद्वान अधिवक्ता श्री इशार हुसैन
दिनांक : 07-12-2022
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माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी कृष्ण कुमार शर्मा द्वारा विद्वान जिला आयोग, प्रथम लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या- 775/2005 कृष्ण कुमार शर्मा बनाम मैनेजिंग डायरेक्टर, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम-04 ए, गोखले मार्ग, लखनऊ व अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक- 09-10-2017 के विरूद्ध इस आयोग के समक्ष योजित की गयी है।
विद्वान जिला आयोग के समक्ष परिवादी ने परिवाद विपक्षी द्वारा जारी वसूली कार्यवाही के विरूद्ध योजित किया है। जब वसूली प्रमाण पत्र दिनांक 11-11-2005 द्वारा तहसीलदार, सदर लखनऊ के माध्यम से कार्यवाही सुनिश्चित की जा रही थी तब परिवादी द्वारा परिवाद प्रस्तुत कर यह प्रार्थना की गयी कि विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवादी के विरूद्ध उक्त वसूली की कार्यवाही को स्थगित किया जाए।
विद्वान जिला आयोग ने समस्त तथ्यों का विस्तृत रूप से परीक्षण एवं परिशीलन करने के उपरान्त यह स्पष्ट रूप से उल्लिखित करते हुए परिवाद को निरस्त कर दिया कि विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा जो वसूली की कार्यवाही द्वारा तहसीलदार, सदर लखनऊ के माध्यम से नोटिस संख्या-857 जारी की गयी है उक्त वसूली प्रार्थना पत्र स्थगित करने व नोटिस को निरस्त करने का अधिकार जिला आयोग को प्राप्त नहीं है।
तदनुसार विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवाद पोषणीयता के आधार पर निरस्त किया गया जिसके विरूद्ध प्रस्तुत अपील योजित की गयी है।
मेरे द्वारा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का परिशीलन किया गया। अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री मुकेश मोहन निगम को सुना तथा प्रत्यर्थी/विपक्षीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री इशार हुसैन को सुना।
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उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्ताद्व्य को सुनने के उपरान्त मेरे द्वारा विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को पूर्णत: विधि अनुसार पाया गया जिसमें किसी प्रकार की अनियमितता उल्लिखित नहीं पायी गयी। यहॉं यह स्पष्ट किया जाता है कि जिस प्रार्थना पत्र/ अनुतोष हेतु अपीलार्थी/परिवादी द्वारा जिला आयोग/राज्य आयोग के सम्मुख परिवाद/अपील प्रस्तुत की गयी है उस प्रार्थना पत्र/अनुतोष हेतु विधि अनुसार सिविल न्यायालय में कार्यवाही करने हेतु परिवादी स्वतंत्र है तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
कृष्णा, आशु0 कोर्ट नं0-1