(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-190/2014
(जिला आयोग, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्या-313/2010 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 01.01.2014 के विरूद्ध)
1. बजाज आटो लिमिटेड, आकुर्डि, पूणे, महाराष्ट्र 411035।
2. प्रोपराइटर सुभाष ट्रैक्टर (बजाज डिवीजन), बैंक रोड, गोलघर, गोरखपुर।
अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
प्रमोद कुमार राव पुत्र स्व0 तेज प्रताप राव, निवासी सहारा स्टेट, थाना खोराबार, जिला गोरखपुर।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार , सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री अम्बरीश कौशल श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री ए.के. श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 31.03.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-313/2010, प्रमोद कुमार राव बनाम प्रोपराइटर सुभाष ट्रैक्टर तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, गोरखपुर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 01.01.2014 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी संख्या-1 को निर्देशित किया है कि परिवादी को अंकन 64,718/-रू0 की क्षतिपूर्ति की अदायगी की जाए।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने एक बजाज एवेन्जर वाहन 200 डीटीएस-1 मोटर साइकिल दिनांक 21.09.2009 को बीमा एवं पंजीयन शुल्क सहित अंकन 65,239/-रू0 में क्रय की थी। क्रय करने के तुरंत पश्चात इस वाहन में स्टार्टिंग प्राबलम आने लगी। सेल्फ से भी स्टार्ट नहीं होती थी। धीरे-धीरे समस्या बढ़ती गई। दिनांक 04.11.2009 को विपक्षी संख्या-1 के अधिकृत सर्विस सेंटर पर वाहन को दिखाया और दो-तीन दिन के लिए वाहन अपने यहां रखा और कहा कि वाहन ठीक हो गया है, लेकिन पुन: स्टार्टिंग प्राबलम आने लगी। पुन: दिखाने पर उत्पादन संबंधी दोष बताया गया। इसके बाद इंजन गरम होने लगा तथा तेज आवाज आने लगी, इसलिए परिवादी ने दूसरी गाड़ी देने के लिए अनुरोध किया तथा इंकार पर उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया।
3. विपक्षीगण का कथन है कि वाहन क्रय करने के पश्चात परिवादी प्रथम बार 11 माह बाद सर्विस सेंटर पर अपने वाहन को लेकर आए थे, उस समय वाहन 2681 किलोमीटर चल चुका था। मोटर साइकिल की बैट्री चेक करने पर पाया गया कि दो दिन गाड़ी खड़ी रहने के कारण सेल्फ कार्य नहीं कर रहा है। सेल्फ के कार्य न करने के कारण स्टार्टिंग प्राबलम पायी गयी, जिसका समाधान कर दिया गया।
4. दोनों पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि चूंकि परिवादी विकलांग है, उसे सेल्फ स्टार्ट वाला वाहन चाहिए था और जो वाहन क्रय किया गया था, उसमें केवल सेल्फ स्टार्ट की व्यवस्था थी, इसमें किक नहीं लगाई गई थी, इसलिए अधिक कीमत निर्धारित की गई थी और चूंकि सेल्फ स्टार्ट नहीं हो रहा है, इसलिए वाहन की कीमत परिवादी को वापस लौटाए जाने का आदेश पारित किया गया।
5. इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि विद्वान जिला आयोग ने तथ्य एवं विधि के विपरीत निर्णय पातिर किया है। परिवादी द्वारा क्रय किए गए वाहन में सेल्फ स्टार्ट की मामूली कमी थी, जिसे दुरूस्त कर दिया गया था। यह वाहन 2681 किलोमीटर चल चुका था। यह वाहन दो दिन तक खड़ा रहा, इसलिए सेल्फ स्टार्टिंग की प्राबलम आई थी।
6. अपीलार्थीगण एवं प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
7. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि वाहन 11 माह पश्चात दिखाया गया, जो कमी मौजूद थी, वह दुरूस्त कर दी गई तथा वाहन दो दिन खड़ा रहने के कारण सेल्फ स्टार्ट नहीं हो रहा था। यह दोनों तर्क स्वंय में विरोधाभाषी हैं। सेल्फ स्टार्ट की मामूली कमी पायी गयी। दो दिन तक वाहन खड़ा रहने पर सेल्फ स्टार्ट की समस्या नहीं आनी चाहिए। कोई भी वाहन घर में खड़ा रह सकता है। वाहन दो दिन खड़ा रहने मात्र से यदि सेल्फ स्टार्टिंग की समस्या आने लगे तब कोई भी वाहन स्टार्ट नहीं हो पाएगा। विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय में स्पष्ट उल्लेख किया है कि दिनांक 29.06.2010 को भी वाहन गैराज में ले जाया गया था, जिसमें बैट्री एवं चार्जर खराब होने का तथ्य अंकित है, इसलिए यह कथन सत्य नहीं है कि वाहन की उचित सर्विस नहीं कराई गई थी। चूंकि परिवादी विकलांग है, इसलिए उसके पास सेल्फ स्टार्ट के अलावा अन्य कोई वाहन रखने का विकल्प नहीं है। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई अवसर नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
अपील प्रस्तुत करते समय अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित विधि अनुसार संबंधित जिला आयोग को निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय एवं आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2