(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-570/2010
Executive Engineer, Electricity Distribution Division, & others
Versus
Pramod Kumar Jain S/O Late Sri Ratan Lal Jain
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित: श्री इसार हुसैन, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :25.07.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-28/2009, प्रमोद कुमार जैन बनाम अधिशाषी अभियन्ता विद्युत तिवरण खण्ड व अन्य में विद्वान जिला आयोग बागपत द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 03.03.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थीगण के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए वादी के पक्ष में 20,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति एवं 5,000/-रू0 वाद व्यय का आदेश पारित किया है, जिसमें से 2,100/-रू0 जमानत धनराशि समायोजित होने के बाद तथा बिल की धनराशि अंकन 6,465/-रू0 भी समायोजित करते हुए अंकन 18,535/-रू0 अदा करने का आदेश दिया गया है।
3. पत्रावली के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी द्वारा अपने विद्युत कनेक्शन को स्थायी रूप से विच्छेदन करने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया। दिनांक 23.06.2008 को विद्युत कनेक्शन स्थायी रूप से विच्छेदित कर दिया गया, परंतु अंतिम बिल नहीं बनाया गया। इसी प्रकार जमानत राशि के 2,100/-रू0 भी समायोजित नहीं किया गया और इसका स्थायी विच्छेदन के बावजूद तीन विद्युत बिल जारी कर दिया गया। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा निष्कर्ष दिया गया है कि विद्युत विभाग के कर्मचारियों के स्तर से अत्यधिक लापरवाही कारित की गयी है और वादी को पीडि़त एवं प्रताडि़त किया गया है। इसी निष्कर्ष के पश्चात उपरोक्त वर्णित आदेश पारित किया गया।
4. अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने इस बिन्दु पर विचार नहीं किया कि परिवादी पर स्थायी विच्छेदन की तिथि से पूर्व के बिल बकाया थे, इसलिए अपीलार्थी के विरूद्ध क्षतिपूर्ति का आदेश पारित नहीं किया जा सकता था।
5. जिला उपभोक्ता आयोग के निर्णय के अवलोकन से जाहिर होता है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने इस बिन्दु पर विचार किया है कि स्थायी विच्छेदन के पूर्व का एक बिल बकाया था तथा परिवादी द्वारा अंकन 2,100/-रू0 सिक्योरिटी के रूप में जमा किये गये थे। परिवादी ने इस राशि को समायोजित कर अवशेष राशि जमा करने का अनुरोध किया था, परंतु विद्युत विभाग द्वारा इस अनुरोध पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी और तत्समय अवशेष राशि जमा नहीं करायी गयी। अत: इस कार्य में भी विद्युत विभाग की लापरवाही दर्शित होती है। परिवादी द्वारा अपने स्तर से कोई त्रुटि नहीं की गयी। परिवादी आशयपूर्वक किसी बिल का डिफाल्टर नहीं रहा है, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित किया जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2