राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-364/2015
(जिला उपभोक्ता फोरम, औरैया द्धारा परिवाद सं0-199/2013 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07.01.2015 के विरूद्ध)
सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया शाखा-मिहौली परगरा, तहसील वजिला औरैया द्वारा शाखा प्रबन्धक।
........... अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
1- प्रमोद कुमार गुप्ता पुत्र श्री सूरज प्रसाद गुप्ता, निवासी तिलकनगर, औरैया।
2- श्रीमती रामा देवी उर्फ रमाकान्ती पत्नी प्रमोद कुमार गुप्ता, निवासिनी तिलक नगर, औरैया।
……..…. प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री जफर अजीज
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री शिव प्रकाश गुप्ता
दिनांक : 07.10.2017
मा0 श्री रामचरन चौधरी, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
मौजूदा अपील जिला उपभोक्ता फोरम, औरैया द्धारा परिवाद सं0-199/2013 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07.01.2015 के विरूद्ध योजित की गई है, जिसमें जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
"परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध 10,33,778.00 रूपया की वसूली हेतु स्वीकार किया जाता है। इस धनराशि पर वादयोजन की तिथि 06.12.2013 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी देना होगा। विपक्षीगण उक्त धनराशि परिवादी को निर्णय के एक माह में अदा करें।"
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संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी एवं उसकी पत्नी राम देवी उर्फ रामकान्ती का संयुक्त बचत खाता 1632 प्रतिवादी सं0-1 सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया, शाखा मिहौली जिला औरैया में है एवं परिवादीगण को समाचार पत्र के माध्यम से पता चला कि सेण्ट्रल बैंक आफ इण्डिया की शाखा में कैशियर द्वारा गबन कर लिया गया है, इसलिए परिवादीगण ने दिनांक 08.6.2012 को प्रतिवादी सं0-1 के पास जाकर अपने खाते का मुआयना किया और स्टेटमेंट निकलवाया, तो पता चला कि उसके खाते में दिनांक 08.10.2011 को 9,00,000.00 रू0 की निकासी के बाद 9,99,386.00 रू0 शेष बचा था, इसके बाद परिवादीगण का ब्याज दिनांक 30.11.2011 को 32,186.00 रू0 उक्त खाते में चढाया गया तथा दिनांक 20.4.2012 को चेक द्वारा 1,15,700.00 रू0 जमा किया इस प्रकार उक्त खाता सं0-1632 में कुल जमा राशि रू0 11,47,272.00 होना चाहिए था, लेकिन स्टेटमेंट के आधार पर मात्र परिवादीगण के खाता में 1,08,494.00 शेष बचा है, यानि कि खाता सं0-1632 में से 10,28,778.00 रू0 का गबन कर लिया गया है एवं परिवादीगण के खाता सं0-1632 में से 10,28,778.00 रू0 का प्रतिवादीगण व उनके कर्मचारियों द्वारा गबन कर लिया गया है, जिसके फलस्वरूप परिवादीगण ने दिनांक 08.6.2012 को खाता सं0-1632 में गबन की राशि को दिलवाये जाने हेतु शाखा प्रबन्धक, शाखा मिहौली को प्रार्थना पत्र दिया और कई बार प्रतिवादीगण व उनके कर्मचारियों से सम्पर्क बनाया लेकिन परिवादीगण के रूपयों का भुगतान नहीं किया गया है। अत: परिवादीगण द्वारा प्रतिवादीगण से रू0 10,28,778.00 मय ब्याज तथा क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष परिवादी प्रस्तुत किया गया है।
प्रतिवादीगण की ओर से जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध किया गया है और यह कथन किया गया है कि खाता नं0-1632 जिसका नया खाता नं0-2289644974 जो कि प्रमोद कुमार गुप्ता एवं रामा कान्ती उर्फ रामा देवी के संयुक्त नाम से प्रतिवादी सं0-1 के यहॉ है, जिस खाते के माध्यम से खाताधारक अपना लेन-देन करते रहे हैं और कभी भी किसी प्रकार की कोई शियकात खाताधारक को प्रतिवादीगण से नहीं रही और न हुई खिलाफ इसके जो तथ्य परिवाद पत्र में
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अंकित किए गये हैं वह कतई गलत व निराधार है एवं परिवादीगण द्वारा अपने खाते का निरीक्षण दिनांक 08.10.2011 को किया गया, तो यह पाया गया कि उनके खाते में 11,47,272.00 रू0 होना चाहिए था, लेकिन स्टेटमेंट के आधार पर 1,08,494.00 रू0 शेष है, लिहाजा 1,28,778.00 रू0 का गबन कर लिया गया, उक्त सारे कथन परिवादी ने सोच समझकर बगैर किसी आधार के परिवाद पत्र में प्रदर्शित किए हैं इसी कारण यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि उक्त खाते का मुआयना बैंक में किसके द्वारा व किस आधार पर किया गया, स्पष्ट नहीं किया गया है, ऐसी स्थिति में परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में गलत तथ्य प्रदर्शित किए गए हैं। यह भी कहा गया है कि गंगा प्रसाद पुत्र श्री गुलजारी लाल प्रतिवादी सं0-1 के यहॉ यानि सेन्ट्रल बैंक आफ इण्डिया शाखा मिहौली में बतौर कैशियर सेवारत रहा, जो वर्तमान में निलंबित चल रहा है, ने अपनी सेवाकाल में बैंक की शाखा मिहौली में काफी हेरा-फेरी की तथा खातों में भी हेरा-फेरी व गलत इंद्राज करके गबन किया है, जिसकी बैंक अधिकारियों जैसे ही जानकारी हुई तो तुरन्त बैंक के उच्च अधिकारियों द्वारा जॉच कराई गयी और तत्काल प्रतिवादी सं0-1 के शाखा प्रबन्धक द्वारा तत्कालीन बैंक कैशियर गंगा प्रसाद के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई, जिस पर मुकदमा हुआ और न्यायालय सी0जे0एम0 औरैया में लम्बित है और इसके अलावा भी अन्य खातों में गड़बडी और पाई गई, जिसकी जॉच चल रही है। प्रतिवादीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि सम्बन्धित प्रविष्टियों के बावत व अन्य खातों के बावत बैंक की जॉच त्वरित गति से की जा रही है, जिससे कि बैंक ग्राहकों को किसी प्रकार का नुकसान व परेशानी न होने पावे और न ही किसी को इस घटना का अनुचित लाभ भी पहुंचे। अत: परिवादीगण का परिवाद निरस्त होने योग्य है।
इस सम्बन्ध में जिला उपभोक्ता फोरम के प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांकित 07.01.2015 तथा आधार अपील का अवलोकन किया गया एवं अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री जफर अजीज तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री शिव प्रकाश गुप्ता की बहस सुनी तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं लिखित बहस का भी अवलोकन किया गया है।
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आधार अपील में अपीलार्थी की ओर से यह कथन किया गया है कि धनराशि रमाकान्ती द्वारा विड्राल फार्म पर हस्ताक्षर करके 4,00,000.00 रू0 दिनांक 05.12.2011 को निकाली गयी एवं इसके अतिरिक्त 1,50,000.00 रू0 दिनांक 15.12.2011 को निकाले गए तथा 30,000.00 रू0 दिनांक 18.10.2011 को 70,000.00 रू0 एवं दिनांक 30.11.2011 को व 80,000.00 विड्राल द्वारा निकाले गये एवं जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा बगैर साक्ष्यों पर विचार किए हुए 10,33,778.00 रू0 के भुगतान हेतु कहा है, जो पूर्णत: गलत है और उसके द्वारा सेवा में कमी नहीं की गई है और जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा बिना किसी क्षेत्राधिकार एवं बिना किसी वाद कारण के आदेश पारित किया गया है, जो कि विधि सम्मत नहीं है तथा परिवादी, बैंक के खाते में किए गए कृत्य का अनुचित लाभ लेकर बैंक से पैसा वसूलना चाहता है, जबकि परिवादी के खाते से किसी प्रकार की हेरा-फेरी नहीं हुई है, अत: जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित आदेश निरस्त किए जाने योग्य है।
जिला उपभोक्ता फोरम ने अपने आक्षेपित निर्णय और आदेश में उल्लेख किया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के खाते में दिनांक 08.10.2011 को 9,99,376.00 जमा थे, जिसमें से दिनांक 18.10.2011 को 3,00,000.00 रू0, दिनांक 18.11.2011 को 2,00,000.00 रू0, दिनांक 30.11.2011 को 1,00,000.00 एवं 70,000.00 और दिनांक 15.12.2012 को 4,00,000.00 रू0, दिनांक 31.12.2012 को 1,50,000.00 रू0 तथा दिनांक 20.4.2012 को 80,000.00 रू0 निकालना दर्शाया गया है, जबकि इस निकासी की कोई प्रविष्टि पासबुक में नहीं है। जिला उपभोक्ता फोरम ने अपने आक्षेपित निर्णय मे यह भी उल्लेख किया है कि आपीलार्थी/विपक्षी बैंक ने ऐसा कोई आहरण फार्म भी दाखिल नहीं किया गया है, जिसके द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी ने धनराशि निकाली हो, परन्तु अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षी बैंक के विद्वान अधिवक्ता ने प्रत्यर्थी/परिवादीगण के खाते से निकाली गई धनराशि के सम्बन्ध में विड्राल फार्म को दिखाया है और उनकी फोटो प्रति अपील की पत्रावली में दाखिल की है।
चूंकि अपीलार्थी/विपक्षी बैंक ने जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष विड्राल फार्म प्रस्तुत नहीं किया है, जिससे अभी तक परिवादी के
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निस्तारण में विलम्ब हुआ है, ऐसी स्थिति में हम इस मत के हैं कि प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण अपीलार्थी/विपक्षी बैंक से रू0 20,000.00 दिलाया जाना उचित है।
ऐसी स्थिति में हम यह पाते हैं कि अपील स्वीकार करते हुए पत्रावली को जिला उपभोक्ता फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित किया जाए कि वह अपीलार्थी/विपक्षी बैंक द्वारा विड्राल फार्म प्रस्तुत करने पर उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर पुन: परिवाद में अग्रिम कार्यवाही यथाशीघ्र सुनिश्चित करें और परिवाद का निस्तारण विधि के अनुसार करें।
आदेश
वर्तमान अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 07.01.2015 को 20,000.00 रू0 हर्जे पर अपास्त करते हुए पत्रावली जिला उपभोक्ता फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि वह अपीलार्थी/विपक्षी बैंक द्वारा विड्राल फार्म प्रस्तुत करने पर उसके बाद उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर परिवाद में पुन: निर्णय विधि के अनुसार पारित करें।
उभय पक्ष जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष दिनांक 13.11.2017 को उपस्थित हों।
अपीलार्थी/विपक्षी बैंक द्वारा धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत इस अपील में जमा की गई धनराशि से उपरोक्त हर्जा की धनराशि बीस हजार रूपया का भुगतान प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण को करके अवशेष धनराशि सम्पूर्ण धनराशि पर अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी/विपक्षी बैंक को नियमानुसार वापस कर दी जाएगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (रामचरन चौधरी) (संजय कुमार)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य
हरीश आशु., कोर्ट सं0-1