(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष्ा आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
पुनरीक्षण संख्या-26/2019
1. एयर इण्डिया लिमिटेड, एयर लाइन्स मकान नं0-113, गुरूद्वारा रकाबगंज रोड, नई दिल्ली 110001 ।
2. एयर इण्डिया लिमिटेड, 9 रानी लक्ष्मी बाई मार्ग अमीन काम्प्लेक्स निकट जेमिनी होटल हजरतगंज, लखनऊ 226001।
पुनरीक्षणकर्तागण/विपक्षीगण
बनाम
प्रखर सिंह पुत्र श्री अजय सिंह, निवासी मोहल्ला मोहादपुर, निकट होटल अवंतिका, गोरखपुर।
विपक्षी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्तागण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : श्री बी0के0 उपाध्याय,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : 05.08.2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-38/2017, प्रखर सिंह बनाम एयर इण्डिया में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, गोरखपुर द्वारा पारित आदेश दिनांक 20.03.2018/21.12.2018 के विरूद्ध यह पुनरीक्षण वाद प्रस्तुत किया गया। इस आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने समन की तामील होने के पश्चात 45 दिन की अवधि तक लिखित कथन प्रस्तुत न करने पर लिखित कथन दाखिल करने का अवसर समाप्त कर दिया है।
2. इस आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने विधि विरूद्ध आदेश पारित किया है। दिनांक 21.06.2017, 30.08.2017, 25.09.2017, 16.10.2017, 08.12.2017,
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20.03.2018 तथा दिनांक 21.12.2018 नियत की गई थीं, परन्तु कुछ परिस्थितियों के कारण लिखित कथन दाखिल नहीं हो सका। दिनांक 21.12.2018 को यह आदेश पारित किया गया कि विपक्षीगण की ओर से दिनांक 20.03.2018 को लिखित कथन प्रस्तुत करने हेतु प्रार्थना पत्र दिया गया था, जिसे निरस्त कर दिया गया। विपक्षीगण ने उक्त आदेश के रिकॉल हेतु प्रार्थना पत्र दिया गया, जिसे भी निरस्त कर दिया गया।
3. पुनरीक्षणकर्तागण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
4. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत विपक्षीगण को लिखित कथन 45 दिन के अन्दर प्रस्तुत किया जाना चाहिए। 45 दिन के पश्चात समयावधि बढ़ाए जाने का विवेकाधिकार किसी उपभोक्ता मंच/आयोग में निहित नहीं है। मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनेकों वादों में यह निर्धारित किया जा चुका है कि 45 दिन के पश्चात लिखित कथन शामिल मिसिल करने का आदेश देने का अधिकार उपभोक्ता मंच में निहित नहीं है। प्रस्तुत केस में भी लिखित कथन समयावधि से बाधित है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित आदेश विधिसम्मत रूप से पारित किया गया है, जिसमें हस्तक्षेप किए जाने की आवश्यकता नहीं है। प्रस्तुत पुनरीक्षण निरस्त होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत पुनरीक्षण निरस्त किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश
को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-1