Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/471

S B I - Complainant(s)

Versus

Prakash Singh Negi - Opp.Party(s)

Anshumali Sood

14 May 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/471
( Date of Filing : 15 May 2013 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. S B I
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Prakash Singh Negi
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vikas Saxena PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 14 May 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

मौखिक

अपील सं0-471/2013

 

(जिला उपभोक्‍ता आयोग (द्वितीय), मुरादाबाद द्वारा परिवाद सं0-44/2011 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 08-02-2013 के विरूद्ध)

 

स्‍टेट बैंक आफ इण्डिया, मुरादाबाद ब्रान्‍च, सिविल लाइन्‍स, मुरादाबाद द्वारा ब्रान्‍च मैनेजर।                                   ....................अपीलार्थी/विपक्षी।

बनाम

प्रकाश सिंह नेगी, सहायक नाजिर डाक, जिला कोर्ट, मुरादाबाद।

                                          ....................प्रत्‍यर्थी/परिवादी।

समक्ष:-

1. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री अंशुमाली सूद विद्वान अधिवक्‍ता।  

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं।

 

दिनांक :- 14-05-2024.

 

मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

यह अपील, उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्‍तर्गत, जिला उपभोक्‍ता आयोग (द्वितीय), मुरादाबाद द्वारा परिवाद सं0-44/2011 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 08-02-2013 के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में परिवाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी बचत खाता सं० 10896472729 का ए०टी०एम० सुविधायुक्त धारक था। परिवादी ने दिनांक 9-9-10 को विपक्षी के लिपिक से पासबुक एन्ट्री का अनुरोध किया। विपक्षी के लिपिक ने खाते से सम्बन्धित पासबुक में जमा एवं आहरित धनराशि की प्रविष्टि अंकित की, तब परिवादी को ज्ञात हुआ कि उसके खाते से 30,000/- रू0 दिनांक 6-9-10 को ए०टी०एम० के माध्यम से आहरित करने सम्बन्धी प्रविष्टि पासबुक में अंकित की गई है। पासबुक को देखकर परिवादी तत्काल विपक्षी के शाखा प्रबन्‍धक से मिला और अनुरोध किया कि दिनांक 6-9-10 को रू0 30,000/- ए०टी०एम० के माध्यम से आहरित करना दर्शाया गया है जो पूर्णतया गलत है। तत्काल मामले की जाँच कर परिवादी के खाते में 30,000/-रू० जमा कराये जायें, तब विपक्षी के शाखा प्रबन्‍धक ने कहा कि लिखित में परिवाद करें। परिवादी ने लिखित परिवाद दिनांक 22-9-10,    5-10-10, 18-11-10 एवं अन्य मौखिक परिवादों के माध्यम से विपक्षी से अनुरोध किया कि जाँच कर तत्काल 30,000/-रू० उसके खाते में जमा कराये जायें, परन्तु विपक्षी के शाखा प्रबन्‍धक ने दिनांक 10-3-11 को उक्त धनराशि जमा करने से साफ इंकार कर दिया। अतः परिवादी द्वारा प्रश्‍नगत परिवाद विद्वान जिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

विपक्षी की ओर से जबाव दावा विद्वान जिला आयोग के समक्ष दाखिल किया गया, जिसमें परिवाद के अधिकांश कथनों को अस्वीकार किया गया। विशेष कथन में कहा गया कि परिवादी ने ही ए०टी०एम० नं0-5 से 10.05 ए.एम. पर 10,000/- रू0 निकाले और शिकायतकर्ता ने एटीएम नं0-1 से 10.06 ए.एम. पर 30,000/- रू0 निकाले। परिवादी का यह कथन झूठा है कि उसके खाते से एटीएम से 30,000/- रू0 किसी अन्य व्यक्ति ने निकाल लिये हैं। ए.टी.एम. से धन की निकासी बिना ए.टी.एम. कार्ड तथा गोपनीय पिन नम्बर के नहीं की जा सकती है। परिवादी ने फोरम के समक्ष सत्य तथ्‍य नहीं रखे हैं और अनुचित लाभ प्राप्त करना चाहता है। अतः परिवाद व्यय सहित खारिज होने योग्य है।

विद्वान जिला आयोग ने दोनों पक्षों को सुनने तथा दोनों पक्षों के साक्ष्‍यों का विश्‍लेषण करने के उपरान्‍त निम्‍नलिखित आदेश पारित किया :-

 '' परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह 30,000/- रूपये व उस पर परिवाद दायर करने के दिनांक से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 6 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज सहित भुगतान करे। इसके अतिरिक्‍त परिवादी विपक्षी से 2000/- रू0 वाद व्‍यय भी प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा। ''  

अपीलार्थी ने अपील में मुख्‍य रूप से यह आधार लिए गए हैं कि प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश मनमाना, कपोल कल्पित तथा अवैध है। परिवादी के एटीएम से बिना उचित एवं वैध कार्ड तथा गोपनीय पिन नम्‍बर के कोई भी धनराशि आहरित नहीं की जा सकती है। परिवादी के अस्‍पष्‍ट कथनों के आधार पर बिना किसी उचित साक्ष्‍य के प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है। परिवादी ने वास्‍तविक तथ्‍यों को नहीं बताया है। परिवादी द्वारा ऐसा कोई साक्ष्‍य नहीं दिया गया है, जिससे यह स्‍पष्‍ट हो सके कि बैंक की एटीएम मशीन में कोई गड़बड़ी थी अथवा वास्‍तव में बैंक की किसी त्रुटि के कारण धनराशि आहरित हुई है। एटीएम रिपोर्ट जो अपील के साथ प्रस्‍तुत की गई है, में स्‍पष्‍ट रूप से दर्शाया गया है कि एटीएम से 30,000/- रू0 की निकाले गए हैं। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश बिना विधिक मस्तिष्‍क का प्रयोग किए हुए पारित किया गया है। अत: निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।  

हमारे द्वारा केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा पत्रावली का सम्‍यक् रूप से परिशीलन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।

परिवादी का कथन हे परिवादी ने दिनांक 06-09-2010 को एटीएम मशीन से धनराशि नहीं निकाली थी, जबकि उसकी पासबुक में 30,000/- रू0 का आहरण दर्शाया गया है, जो एटीएम मशीन की गलती से हुआ है।

प्रस्‍तुत मामले में एटीएम मशीन के माध्‍यम से कोई धनराशि आहरित नहीं की गयी, इसका कोई साक्ष्‍य परिवादी द्वारा नहीं दिया गया है, जबकि परिवादी के बैंक खाते में उक्‍त धनराशि का आहरण दर्शाया गया है। इस सम्‍बन्‍ध में अपीलार्थी की ओर से मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय स्‍टेट बैंक आफ इण्डिया बनाम के0के0 भल्‍ला, II (2011) CPJ 106 (NC) प्रस्‍तुत किया गया है, जिसके तथ्‍य प्रस्‍तुत मामले के तथ्‍यों के समान हैं। उक्‍त निर्णय के प्रस्‍तर-8 तथा 9 में मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि विवादित नहीं था कि परिवादी को खाते के संचालन के सम्‍बन्‍ध में एटीएम कार्ड जारी किया गया था। परिवादी से अपेक्षा की जाती थी कि वह एटीएम कार्ड को पूर्ण सुरक्षा में गोपनीयता के साथ रखे। इसके अतिरिक्‍त परिवादी ही गोपनीय एटीएम पिन की जानकारी रखता था। तकनीकी दृष्टि से यह सम्‍भव नहीं है कि बिना परिवादी के ज्ञान के एटीएम कार्ड का प्रयोग करते हुए धनराशि आहरित की गई है।

इलैक्‍ट्रानिक माध्‍यम से बैंकिंग संव्‍यवहार होने पर अप्राधिकृत रूप से किए गए संव्‍यवहार के सम्‍बन्‍ध में रिजर्व बैंक आफ इण्डिया द्वारा निर्गत सर्कुलर संख्‍या-DBRNo.LegBC.78/09.07.005/2017-18 Dated July 06, 2017 इस सम्‍बन्‍ध में प्रासंगिक है, जिसके प्रस्‍तर-6 में यह प्रावधान दिया गया है कि यदि बैंक के कर्मचारी की लापरवाही अथवा छल से कोई संव्‍यवहार परिवादी के विरूद्ध हो जाता है तो ऐसे में परिवादी का उत्‍तरदायित्‍व शून्‍य होगा तथा यदि किसी तृतीय पक्ष का छल स्‍पष्‍ट हो जाता है और इसकी सूचना 03 दिन के अन्‍दर उपभोक्‍ता द्वारा बैंक को दे दी जाती है तो ऐसी दशा में परिवादी को पूर्ण धनराशि का भुगतान बैंक द्वारा किया जाएगा।

प्रस्‍तर-6 निम्‍नलिखित प्रकार से है :-

6. A customer’s entitlement to zero liability shall arise where the unauthorised transaction occurs in the following events:

(i) Contributory fraud/ negligence/ deficiency on the part of the bank (irrespective of whether or not the transaction is reported by the customer).

(ii) Third party breach where the deficiency lies neither with the bank nor with the customer but lies elsewhere in the system, and the customer notifies the bank within three working days of receiving the communication from the bank regarding the unauthorised transaction.

 

इसी प्रकार उक्‍त सर्कुलर के प्रस्‍तर-7 में यह प्रावधान दिया गया है कि यदि उपभोक्‍ता की लापरवाही के कारण संव्‍यवहार होता है तो सम्‍पूर्ण दायित्‍व उपभोक्‍ता का ही होगा।

प्रस्‍तर-7 निम्‍नलिखित प्रकार से है :-

7. A customer shall be liable for the loss occurring due to unauthorised transactions in the following cases:

(i) In cases where the loss is due to negligence by a customer, such as where he has shared the payment credentials, the customer will bear the entire loss until he reports the unauthorised transaction to the bank. Any loss occurring after the reporting of the unauthorised transaction shall be borne by the bank.

प्रस्‍तुत मामले में परिवादी द्वारा मात्र आक्षेप लगाया गया है कि उसके द्वारा एटीएम से दिनांक 06-09-2010 को 30,000/- रू0 निकासी का संव्‍यवहार नहीं किया गया है। स्‍वयं परिवादी ने स्‍वीकार किया है कि दिनांक 09-09-2010 को पासबुक में प्रविष्टि होने पर उसे इस तथ्‍य की जानकारी हुई, जिससे यह भी स्‍पष्‍ट होता है कि कथित रूप से 03 दिन के उपरान्‍त ऐसे किसी संव्‍यवहार की जानकारी बैंक को दी गई थी। साक्ष्‍य से ऐसा कोई तथ्‍य साबित नहीं होता है कि परिवादी द्वारा एटीएम से निकासी नहीं की गई हो और किसी अन्‍य व्‍यक्ति द्वारा यह संव्‍यवहार किया गया हो अथवा परिवादी ने एटीएम कार्ड का अनाधिकृत प्रयोग के लिए किसी व्‍यक्ति को कार्ड को शेयर नहीं किया हो एवं कार्ड का गोपनीय पिन नम्‍बर भी शेयर नहीं किया गया हो। मात्र परिवादी के आक्षेप के आधार पर यह मान लेना उचित नहीं है कि पासबुक में जो 30,000/- रू0 की निकासी का इन्‍द्राज हुआ, वह गलत था और वास्‍तव में परिवादी द्वारा कोई भी धनराशि उक्‍त तिथि को निकाली नहीं गई  हो। अत: मात्र आक्षेप के आधार पर परिवादी को कोई अनुतोष दिलाया जाना उचित नहीं है।

विद्वान जिला आयोग के निर्णय से स्‍पष्‍ट होता है कि उनके द्वारा परिवादी को इस आधार पर अनुतोष प्रदान किया गया है कि परिवादी ने एटीएम कार्ड को समय  10:5:46 पर 10,000/- रू0 के आहरण हेतु प्रयोग किया, इसके 57 सेकण्‍ड के उपरान्‍त 10:6:43 पर 30,000/- रू0 की निकासी हुई। विद्वान जिला आयोग के मतानुसार 57 सेकण्‍ड में यह संव्‍यवहार सम्‍भव नहीं है। इसके अतिरिक्‍त विद्वान जिला आयोग द्वारा एटीएम मशीन की त्रुटि मानी गई है, किन्‍तु उक्‍त निष्‍कर्ष उचित प्रतीत नहीं होता, क्‍योंकि 57 सेकण्‍ड का समय एक लम्‍बा अन्‍तराल है और 57 सेकण्‍ड में एक ही एटीएम कार्ड से दूसरा संव्‍यवहार सम्‍भव है। अत: ऐसी दशा में यह निष्‍कर्ष उचित प्रतीत नहीं होता है।

मामले के सम्‍पूर्ण तथ्‍य एवं परिस्थितियों को देखते हुए यह पीठ इस मत की है कि परिवादी अपने कथन को साबित नहीं कर सका है और इस कारण अपीलार्थी बैंक के विरूद्ध क्षतिपूर्ति का आदेश दिया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है। अत: प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश अपास्‍त करते हुए वर्तमान अपील स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

आदेश

वर्तमान अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग (द्वितीय), मुरादाबाद द्वारा परिवाद सं0-44/2011 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 08-02-2013 अपास्‍त किया जाता है।  

अपील व्‍यय उभय पक्ष अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

अपीलार्थी द्वारा यदि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्‍तर्गत यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो वह सम्‍पूर्ण धनराशि मय अर्जित ब्‍याज के अपीलार्थी को विधि अनुसार शीघ्रातिशीघ्र वापस अदा कर दी जाए।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

      वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

        (सुधा उपाध्‍याय)                       (विकास सक्‍सेना)

            सदस्‍य                                  सदस्‍य                    

 

दिनांक :- 14-05-2024.

                    

 

 

प्रमोद कुमार,

वैय0सहा0ग्रेड-1,

कोर्ट नं.-2.        

 

  

             

 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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