राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-657/2012
(जिला उपभोक्ता फोरम, बांदा द्वारा परिवाद संख्या-१८६/२००९ में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-२९/०२/२०१२ के विरूद्ध)
आराधना इण्डेन गैस सर्विस डीसीडीएफ कम्पाउण्ड सिविल लाईन्स बांदा द्वारा प्रोपराईटर आराधना शर्मा।
.............अपीलार्थी.
बनाम
- श्री प्रकाश द्विवेदी पुत्र शिव प्रताप द्विवेदी निवासी कंचनपुरा निकट रेलवे क्रासिंग सिटी एवं शहर बांदा।
- इंडियन आयल कारपोरेशन ५ फ्लोर इंदिरा भवन इलाहाबाद द्वारा मैनेजर।
- यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस कं0लि0 पीली कोठी बांदा द्वारा ब्रांच मैनेजर।
..............प्रत्यर्थीगण
समक्ष:-
- माननीय श्री राज कमल गुप्ता, पीठा0सदस्य।
- माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित: श्री ए0के0 राय विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:...20/09/2017
माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता फोरम, बांदा द्वारा परिवाद संख्या-१८६/२००९ में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-२९/०२/२०१२ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में विवाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी, अपीलकर्ता एलपीजी गैस कनेक्शन का उपभोक्ता है और उसका एलपीजी गैस कनेक्शन सं0-३२९९८४७ है। इस गैस कनेक्शन पर दो घरेलू सिलेण्डर की सुविधा प्राप्त है। परिवादी/प्रत्यर्थी ने अपीलकर्ता से दिनांक ०१/०२/२००९ को एक गैस सिलेण्डर का रिफिल प्राप्त किया जिसकी रसीद सं0-एसआर नं0१८३१३४ व सीएम/एल८४१८८८३ अंकित है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने दिनांक १०/०२/२००९ को अपनी रसोई से गैस के चूल्हे में लगाने के लिए उक्त गैस सिलेण्डर की कैप खोली तो उसमें रेगूलेटर लगाने से पूर्व ही सिलेण्डर से गैस का रिसाव होने लगा तथा अत्यधिक गैस के रिसाव से आग लग गयी। परिवादी के अनुसार करीब रू0 ५००००/- का घरेलू सामान जल गया। स्थानीय लोगों ने फायर ब्रिगेड को सूचना दी। फायर ब्रिगेड के आने पर आग पर काबू पा लिया अन्यथा अत्यधिक क्षति होती। प्रत्यर्थी/परिवादी ने विपक्षी से रू0 ५००००/- की क्षतिपूर्ति की मांग की । अपीलकर्ता ने प्रत्यर्थी/परिवादी की इस मांग की पूर्ति करने से इनकार कर दिया गया जिससे क्षुब्ध होकर उपरोक्त उल्लिखित परिवाद जिला मंच बांदा के विरूद्ध योजित किया गया।
उक्त परिवाद का अपीलकर्ता द्वारा प्रतिवाद किया गया।
उभय पक्षों द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों का परिशीलन करने एवं विद्वान अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद निम्न आदेश पारित किया गया-
‘’ परिवादी का परिवाद विपक्षी सं0-1 व 2 के विरूद्ध संयुक्त व प्रथक-प्रथक रूप से रू0 २८०००/-(अट्ठाईस हजार रूपये) घरेलू सामान जलने की क्षतिपूर्ति, रू0 १५००/- (एक हजार पांच सौ रूपये) मानसिक कष्ट की क्षतिपूर्ति और रू0 ५००/-(पांच सौ रूपये) परिवाद व्यय अर्थात कुल रू0 ३००००/-(तीस हजार रूपये) के लिए स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0-3 का क्षतिपूर्ति अदा करने का कोई उत्तरदायित्व नहीं है। विपक्षी सं0-1 व 2 को उपरोक्त कुल धनराशि अदा करने हेतु एक माह का समय प्रदान किया जाता है अन्यथा परिवादी को नियमानुसार धनराशि वसूल करने का अधिकार होगा। ‘’
इस आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
अपीलकर्ता की ओर कोई उपस्थित नहीं हुआ। प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री ए0के0 राय उपस्थित हैं। उनके तर्कों को सुना गया एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों एवं अभिलेखों का परिशीलन करने के उपरांत यह पीठ इस मत की है कि प्रश्नगत आदेश में फायर ब्रिगेड की रिपोर्ट के अनुसार रू0 २८०००/-की क्षति आंकलित की गयी है और उसे प्रश्नगत आदेश द्वारा अनुमन्य किया गया है। इसके अतिरिक्त प्रत्यर्थी/परिवादी को रू0 १५००/- मानसिक कष्ट एवं परिवाद व्यय के रूप में रू0 ५००/- अनुमन्य किए गए हैं। इस प्रकार कुल रू0 ३००००/- का भुगतान अपीलकर्ता द्वारा परिवादी को किए जाने का आदेश दिया गया है। प्रश्नगत आदेश का परिशीलन करने से यह स्पष्ट नहीं होता कि विद्वान जिला मंच ने रू0 २८०००/- क्षति का आकलन किस आधार पर किया क्योंकि जिस फायर ब्रिगेड की रिपोर्ट का उल्लेख प्रश्नगत आदेश में किया गया है, वह रिपोर्ट पत्रावली में नहीं है। यह भी आश्चर्यजनक है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा रू0 ५००००/- क्षति का उल्लेख किया गया है वह किस आधार पर किया गया है। जले हुए सामान की कोई सूची जिला मंच के समक्ष दाखिल नहीं की गयी है। आग लगने से किस व्यक्ति को शारीरिक क्षति हुई इसका भी कोई उल्लेख प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा नहीं किया गया है। जहां तक इण्डेन आयल कारपोरेशन पर किसी प्रकार भार अधिरोपित किए जाने का प्रश्न है। इस संबंध में इण्डेन आयल कारपोरेशन के स्पष्ट निर्देश हैं कि यदि गैस सिलेण्डर स्थापित करते समय दुर्घटना होती है तो इण्डेन आयल कारपोरेशन केवल उस स्थिति में ही उत्तरदायी होगा जब सम्बन्धित अधिकृत गैस विक्रेता का कोई कर्मचारी अपनी निगरानी में उपभोक्ता के चूल्हे पर गैस का सिलेण्डर स्थापित करे, किन्तु इस प्रकरण में उपभोक्ता के गैस संयोजन के समय गैस विक्रेता का कोई प्रतिनिधि नहीं था, इसलिए यह उत्तरदायित्व इण्डेन आयल कारपोरेशन पर नहीं अधिरोपित किया जा सकता है। इसलिए प्रश्नगत आदेश में विद्वान जिला मंच अपीलार्थी गैस वितरक के साथ-साथ द्वारा इडियन आयल कारपोरेशन पर संयुक्त रूप से क्षतिपूर्ति का उत्तरदायित्व निर्धारित करके त्रुटि की है। जहां तक प्रत्यर्थी सं0-1 पर किसी प्रकार का उत्तरदायित्व क्षतिपूर्ति अधिरोपित करने का प्रश्न है, वह भी इस प्रकरण में अनुमन्य नहीं की जा सकती है, क्योंकि आग लगने से हुई क्षति का कोई स्पष्ट विवरण प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा नहीं दिया गया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह भी कहा है कि जिस समय गैस का सिलेण्डर स्थापित किया जा रहा था उसी समय स्टोव रसोई में अलग से जल रहा था। गैस के सिलेण्डर की कैप खोलते ही गैस का रिसाव हुआ और जलते हुए स्टोव के कारण घर में आग लग गयी। इससे यह प्रदर्शित होता है कि आग लगने के लिए प्रत्यर्थी/परिवादी ही स्वयं दोषी है क्योंकि एलपीजी गैस एक अत्यंत ज्वलनशील पदार्थ है और गैस सिलेण्डर के पास जलते हुए सामान रखना निषिद्ध है। यदि किसी सिलेण्डर के पास कोई जलता हुआ स्टोव रखा गया है और उसके कारण सिलेण्डर में आग लगी है उसके लिए प्रत्यर्थी/परिवादी ही दोषी है। इसके लिए गैस वितरक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। अपीलकर्ता की अपील में बल प्रतीत होता है। तदनुसार अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता फोरम, बांदा द्वारा परिवाद संख्या-१८६/२००९ में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-२९/०२/२०१२ अपास्त किया जाता है।
उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उभयपक्षों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाए।
(राज कमल गुप्ता) (महेश चन्द)
पीठा0सदस्य सदस्य
सत्येन्द्र, आशु0 कोर्ट नं0-5