राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-3137/1999
(जिला फोरम, मेरठ द्वारा परिवाद संख्या-62/1998 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07-09-1999 के विरूद्ध)
मेरठ विकास प्राधिकरण, मेरठ द्वारा सचिव।
अपीलार्थी/विपक्षी बनाम
प्रकाश चन्द्र अग्रवाल, निवासी 118, प्रथ्वी राज पुरी, लाल कुर्ती, मेरठ।
प्रत्यर्थी/अपीलार्थी
समक्ष :-
1- मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
1- अपीलार्थी की ओर से उपस्थित - श्री सर्वेश कुमार शर्मा।
2- प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित - कोई नहीं।
दिनांक : 07-09-2015
मा0 श्री राम चरन चौधरी,पीठासीन सदस्या द्वारा उदघोषित निर्णय
अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री सर्वेश कुमार शर्मा उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं। विद्धान जिला मंच, मेरठ द्वारा पारित आदेश दिनांक 07-09-1999 में विपक्षी को आदेशित किया गया कि वह भवन संख्या-बी0एच0-109 के ऊपर से हाइटैंशन बिजली की लाईन निर्णय की तिथि से तीन माह के अंदर हटा ले अन्यथा विपक्षी परिवादी को उसके द्वारा जमा की गयी राशि जमा करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 15 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करेगा। विपक्षी परिवादी को 500/-रू0 वाद व्यय भी अदा करेगा, से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी की पल्लवपुरम योजना फेस-प्रथम में भवन संख्या-बी0एच0109 अर्द्धनिर्मित आवंटित कराने के लिए दिनांक 27-02-1993 को आवेदन किया। और 79,800/-रू0 जमा किये। तथा अन्य धनराशि भी विपक्षी द्वारा जमा करायी गयी। परिवादी जब भवन का कब्जा लेने गया तो उसे बहुत दुख हुआ क्योंकि भवन के ऊपर से हाईटैंशन लाईन गयी थी। विपक्षी से शिकायत करने पर उनके द्वारा हाईटैंशन लाईन हटवाने का आश्वासन दिया गया किन्तु हाईटैंशन लाईन नहीं हटायी गयी। इसलिए परिवादी ने अपनी जमा धनराशि मय ब्याज सहित वापस मांगी एवं क्षतिपूर्ति की भी मांग की है।
विपक्षी की ओर से यह गया कि अर्द्धनिर्मित जैसा था वैसा के आधार पर नीलामी द्वारा परिवादी को बेचा गया था और परिवादी भवन को जैसा है वैसा लेने हेतु बाध्य है और यह कहा गया कि परिवादी अपनी जमा धनराशि वापस पाने का अधिकारी नहीं है।
हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को विस्तारपूर्वक सुना तथा पत्रावली का सम्यक अवलोकन किया।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि उसके द्वारा जिला मंच के आदेश का पालन कर दिया गया है और अब कुछ लेना-देना शेष नहीं रह गया है।
वर्णित परिस्थिति में हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते है कि चूंकि इस प्रकरण में अपीलार्थी द्वारा जिला मंच के आदेश का पालन कर दिया गया है और अब इस केस में कुछ लेना-देना शेष है। तद्नुसार अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वंय वहन करेंगे।
( राम चरन चौधरी )
पीठासीन सदस्य
प्रदीप मिश्रा कोर्ट नं0-5