राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-484/2014
(जिला उपभोक्ता फोरम, लखीमपुर खीरी द्वारा परिवाद संख्या-186/2012 में पारित निर्णय दिनांक 17.01.2014 के विरूद्ध)
1.बजाज आटो लि0 4 राणा प्रताप मार्ग, सेकेन्ड फ्लोर, शालीमार
लोजिक्स, लखनऊ द्वारा एरिया मैनेजर।
2.ब्राइट इंडस्ट्रीज बजाज, नियर अरविन्द ट्रांसपोर्ट एल.आर.पी. लखीमपुर
परगना और जिला खीरी। .........अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम्
1. प्रहलाद पुत्र श्री गजोधर नियर आनन्द नगर, सलेमपुर कोनी थाना
कोतवाली, लखीमपुर परगना और जिला खीरी।
2. श्री राम ट्रांसपोर्ट फाइनेन्स कंपनी लि0 लखीमपुर खीरी। .......प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री चन्द्र भाल श्रीवास्तव, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस0के0 शर्मा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :श्री आर0डी0 क्रांति, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 30.11.2015
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम लखीमपुर-खीरी के परिवाद संख्या 186/2012 में पारित निर्णय एवं आदेश दि. 17.01.2014 के विरूद्ध योजित की गई है। जिला मंच ने निम्न आदेश पारित किया है:-
'' परिवादी का परिवाद विपक्षी संख्या 1 व 2 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी संख्या 1 व 2 को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादी को विवादित त्रुटिपूर्ण वाहन के स्थान पर नया उसी प्रकार का नया आटो रिक्शा एक माह के अंदर परिवादी को उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित करें तथा परिवादी द्वारा विवादित वाहन की मरम्मत में किये गये खर्च के रूप में मु0 25000/- तथा परिवादी को हुये मानसिक व शारीरिक कष्ट के लिए मु0 20000/- तथा वाद व्यय के रूप में मु0 5000/- अर्थात कुल मु0 50000/- भी इसी एक माह की अवधि में परिवादी को अदा करें।''
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने एक बजाज आटो रिक्शा विपक्षी संख्या 1 जो विपक्षी संख्या 2 का डीलर है, से दि. 16.12.2011 को क्रय किया। परिवादी के अनुसार वाहन को चलाने पर त्रुटियां आने लगीं ओर बार-बार वाहन खराब होने लगा। उसके
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द्वारा कंपनी के अधिकृत सर्विस सेन्टर पर जाकर दिखाया गया तब वहां पर इंजन खराब होने की बात बताई गई। उसके द्वारा वाहन को कंपनी के अन्य जनपदों में सर्विस सेन्टर लखनऊ, सीतापुर व शाहजहांपुर में मरम्मत कराई गई, जिसमें उसका काफी धन व्यय हुआ। उसकी दैनिक आमदनी का भी नुकसान हुआ। परिवादी ने विपक्षी संख्या 2 से इंजन बदलने का अनुरोध किया, जिस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। परिवादी का यह भी कथन है कि उसके द्वारा ऋण लेकर आटो रिक्शा अपने जीवनयापन के लिए खरीदा गया था।
पीठ ने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं साक्ष्यों का भलीभांति परिशीलन किया।
अपीलार्थी का कथन है कि परिवादी ने अपना परिवाद वारंटी अवधि व्यतीत हो जाने के बाद प्रस्तुत किया है। उसके द्वारा कपंनी के अधिकृत सर्विस सेन्टर से सर्विस नहीं कराई गई, उसके द्वारा वाहन का दुरूपयोग किया गया, जिससे वाहन खराब हुआ। परिवादी ने कोई ऐसा विशेषज्ञ साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है, जिससे सिद्ध हो कि वाहन में कोई मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट था।
प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसके द्वारा वाहन में खराबी को अधिकृत सर्विस सेन्टर से ठीक कराया गया और उस पर मरम्मत पर जो भी व्यय हुआ, उसका भुगतान उसके द्वारा किया गया था। प्रत्यर्थी द्वारा यह भी कहा गया कि कोई आटो विशेषज्ञ न उपलब्ध होने के कारण आटो विशेषज्ञ की आख्या उपलब्ध नहीं की जा सकी।
पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों से यह स्पष्ट है कि परिवादी/प्रत्यर्थी ने अपीलार्थी संख्या 2 के माध्यम से अपीलार्थी संख्या 1 की कम्पनी द्वारा निर्मित बजाज आटो रिक्शा दि. 16.12.20111 को खरीदा। परिवादी ने आटो रिक्शा वित्तीय ऋण लेकर अपने जीविकोपार्जन के लिए खरीदा। अपीलार्थी कोई ऐसा साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सके, जिससे यह सिद्ध हो कि परिवादी के पास क्रय किए गए आटो रिक्शा के अतिरिक्त कोई अन्य आटो रिक्शा हो, अत: परिवादी निश्चित रूप से उपभोक्ता की श्रेणी में आता है। पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य से यह भी स्पष्ट है कि समय-समय पर परिवादी अपना वाहन प्रत्यर्थी संख्या 2 के सर्विस सेन्टर पर विभिन्न मरम्मत कार्य के लिए ले जाता रहा। परिवादी ने वाहन लखीमपुर खीरी जनपद में क्रय किया था, अत: अपीलार्थीगणों का यह दायित्व था कि वह सर्विस सेन्टर की पूर्ण सुविधा लखीमपुर खीरी में ही उपलब्ध कराते। साक्ष्यों से यह स्पष्ट है कि परिवादी ने अपने
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वाहन की मरम्मत सीतापुर, शाहजहांपुर व लखनऊ में कराई है, यदि सर्विस सेन्टर की पूर्ण सुविधाएं जनपद लखीमपुर खीरी में उपलब्ध कराई गई होती तो परिवादी जिसने अपना जीविकोपार्जन के लिए आटो ऋण लेकर क्रय किया है वह दूसरे जनपदों में छोटी-छोटी मरम्मतों के लिए नहीं जाता। दि. 16.05.2012 की रसीद से स्पष्ट है कि वाहन ब्राइट इण्डस्ट्रीज सीतापुर के सर्विस सेन्टर पर ले गया, जहां पर मोबील आयॅल, डीजल फिल्टर, मोबिल फिल्टर आदि बदले गए। इससे यह स्पष्ट है कि अपीलार्थीगणों ने उचित सेवा प्रदान नहीं की, जो परिवादी को मिलनी चाहिए थी। सीतापुर, लखनऊ व शाहजहांपुर जाने में परिवादी का अनावश्यक धन भी खर्च हुआ और समय भी व्यतीत हुआ।
पत्रावली पर कोई ऐसा साक्ष्य नहीं है जिससे यह सिद्ध होता हो कि प्रश्नगत वाहन में कोई मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट हो या कोई ऐसा पार्ट जो बार-बार खराब हो रहा हो और जिसे मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट की श्रेणी में रखा जा सके। पत्रावली पर ब्राइट इण्डस्ट्रीज सीतापुर के बिल की फोटोप्रति प्रस्तुत की गई है। इस साक्ष्य से स्पष्ट है कि जो पार्टस बदले गए हैं वह नार्मल पार्टस हैं, जो किसी भी वाहन को अधिक चलने में खराब हो सकते हैं। जहां तक मोबिलऑयल, आयल फिल्टर इत्यादि का प्रश्न है, यह समय-समय पर एक निश्चित अवधि के बाद बदला जाना अनिवार्य होता है। इस साक्ष्य में चलाया गया किलोमीटर भी अंकित है, जिसमें यह दर्शाया गया है कि वाहन 12185 तक 13185 अंकित है, जिससे यह स्पष्ट है कि यह वाहन 12105 किलोमीटर तक सर्विस सेन्टर में ले जाने तक चला था जो कि आटो रिक्शा का सफलतापूर्वक चलना दिखाता है। यदि कोई मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट होता तो इतना अधिक किलोमीटर तक वाहन नहीं चल सकता था। परिवादी द्वारा कोई साक्ष्य भी प्रस्तुत नहीं किया है, जिससे यह सिद्ध होता हो कि वाहन में कोई मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट हो, परन्तु यह अवश्य है कि अपीलार्थीगणों को जो सेवाएं अपने उपभोक्ता को देनी चाहिए थी वह उनके द्वारा प्रदान नहीं की गई। वाहन क्रेता को दूसरे जनपदों में जाकर अपना वाहन ठीक कराना पड़ा जो निश्चित रूप से अपीलार्थी की सेवा में कमी को दर्शाता है। इन तथ्यों को भी ध्यान में रखते हुए कि प्रत्यर्थी ने ऋण लेकर एक वाहन अपने जीविकोपार्जन हेतु खरीदा और उसका वाहन बीच-बीच में खराब होता रहा। जनपद में अपीलार्थी का ठीक से कार्यरत सर्विस सेन्टर न होने के कारण परिवादी/प्रत्यर्थी संख्या 1 को अत्यंत कठिनाई हुई और उसे आर्थिक हानि उठानी पड़ी, अत: हम पाते हैं कि अपीलार्थीगणों को परिवादी के आटो रिक्शा को ठीक
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से मरम्मत कर सही दिशा में बिना किसी शुल्क के उपलब्ध कराना चाहिए। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिंक रूप से स्वीकार की जाती है तथा जिला मंच के निर्णय एवं आदेश दि. 17.01.2014 में इस आशय का संशोधन किया जाता है कि अपीलार्थी/विपक्षी संख्या 1 व 2 परिवादी द्वारा उपलब्ध/प्रस्तुत किए जाने पर त्रुटिपूर्ण वाहन की मरम्मत करके वाहन को सही दशा में नि:शुल्क उपलब्ध कराएंगे तथा परिवादी मानसिक व शारीरिक कष्ट के लिए रू. 20000/- तथा वाद व्यय के रूप में रू. 5000/- भी पाने का अधिकारी होगा।
पक्षकारान अपना-अपना अपील व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(चन्द्र भाल श्रीवास्तव) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-2