Uttar Pradesh

StateCommission

RP/22/2017

Dakshinachal Vidyut Vitran Nigam Ltd - Complainant(s)

Versus

Prahlad Bhatnagar - Opp.Party(s)

Deepak Mehrotra

27 Jul 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Revision Petition No. RP/22/2017
(Arisen out of Order Dated 21/03/2016 in Case No. C/113/2016 of District Jhansi)
 
1. Dakshinachal Vidyut Vitran Nigam Ltd
Vidyut Vitran Khand Pratham Sukwan Dukwan Colony Civil LinesJhansi
...........Appellant(s)
Versus
1. Prahlad Bhatnagar
S/O Sri Harish Chandra R/O House No. 12 Bangla Ghat Jhansi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Petitioner:
For the Respondent:
Dated : 27 Jul 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

पुनरीक्षण सं0- 22/2017

                                   (मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, झांसी द्वारा परिवाद सं0- 113/2016 में पारित आदेश दि0 21.03.2016 के विरूद्ध)

Adhisashi Abhiyanta, Dakshinachal vidyut vitran nigam limited, Vidyut vitran khand-pratham,  Sukwan- Dukwan colony, civil lines, Jhansi.

                                                                            …… Revisionist/O.Party                                                    

Versus

Prahlad Bhatnagar, son of  Sri Harish chandra, resident of  House No. 12, Bangla Ghat, Jhansi.                                                                      

                                                                               ……Respondent/Complainant   

समक्ष:-                       

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष। 

पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा, विद्वान   

                                                              अधिवक्‍ता।

विपक्षी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।  

दिनांक:-  27.07.2017

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष  द्वारा उद्घोषित

                                                     

निर्णय    

  परिवाद सं0- 113/2016 प्रहलाद भटनागर बनाम विद्युत विभाग में जिला फोरम, झांसी द्वारा पारित आदेश दि0 21.03.2016 के विरूद्ध यह पुनरीक्षण याचिका परिवाद के विपक्षी अधिशासी अभियंता दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की ओर से धारा 17 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

  आक्षेपित आदेश के द्वारा धारा 13(3)बी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत जिला फोरम ने आदेश पारित करते हुए परिवाद के विपक्षी जो वर्तमान पुनरीक्षण याचिका के याची हैं को राजस्‍व निर्धारण में निर्धारित धनराशि 16,058/- एवं शमन शुल्‍क की वसूली से निषिद्ध किया है साथ ही इस धनराशि हेतु परिवादी जो पुनरीक्षण याचिका में विपक्षी है का विद्युत कनेक्‍शन विच्‍छेदित करने से भी मना किया है।

  पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उसके विद्वान अधिवक्‍ता श्री दीपक मेहरोत्रा उपस्थित आये हैं। विपक्षी की ओर से नोटिस का तामीला पर्याप्‍त माने जाने के बाद भी कोई उपस्थित नहीं आया है। अत: पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता को सुनकर पुनरीक्षण याचिका का निस्‍तारण किया जा रहा है।

  पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम के समक्ष परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा सिविल अपील सं0- 5466/2012 यू0पी0 पावर कार्पोरेशन लि0 व अन्‍य बनाम अनीस अहमद में प्रतिपादित सिद्धांत के आधार पर ग्राह्य नहीं है। अत: परिवाद पर संज्ञान लेकर जिला फोरम ने जो आदेश पारित किया है वह अधिकार रहित और विधि विरूद्ध है।           

  मैंने पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क पर विचार किया है। परिवाद पत्र के कथन से ही स्‍पष्‍ट है कि विद्युत विभाग द्वारा विपक्षी/परिवादी के विद्युत मीटर में टैम्‍परिंग पायी गई है, जिसके आधार पर राजस्‍व निर्धारण कर शमन शुल्‍क सहित 24,058/-रू0 की धनराशि निर्धारित की गई है और उसकी वसूली हेतु विद्युत विभाग द्वारा कार्यवाही की जा रही है। विपक्षी/परिवादी ने परिवाद में विद्युत विभाग द्वारा मीटर की जांच एवं राजस्‍व निर्धारण को नियम विरूद्ध बताया है। मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने उपरोक्‍त सिविल अपील सं0- 5466/2012 में स्‍पष्‍ट रूप से निम्‍न मत व्‍यक्‍त किया है:-

“A “Complaint” against the assessment made by assessing officer under section 126 or against the offences committed under sections 135 to 140 of the Electricity act, 2003 is not maintainable before a consumer Forum.”

  मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय के उपरोक्‍त निर्णय में प्रतिपादित सिद्धांत से स्‍पष्‍ट है कि विद्युत विभाग द्वारा मीटर टैम्‍परिंग के आधार पर किये गये राजस्‍व निर्धारण के संदर्भ में परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत ग्राह्य नहीं है।

  उल्‍लेखनीय है कि धारा 126 विद्युत अधिनियम के अंतर्गत राजस्‍व निर्धारण किये जाने का प्राविधान है और राजस्‍व निर्धारण के विरूद्ध आपत्ति का भी प्राविधान उक्‍त अधिनियम की धारा 127 में है। अत: मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा उपरोक्‍त अपील में प्रतिपादित सिद्धांत के आधार पर विपक्षी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद जिला फोरम के समक्ष ग्राह्य नहीं है। अत: जिला फोरम ने जो आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है वह विधि विरूद्ध है और अपास्‍त किये जाने योग्‍य है।

  अत: पुनरीक्षण याचिका स्‍वीकार करते हुए जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्‍त किया जाता है और जिला फोरम को आदेशित किया जाता है कि उपरोक्‍त अपील सं0- 5466/2012 यू0पी0 पावर कार्पोरेशन लि0 व अन्‍य बनाम अनीस अहमद में मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत के आधार पर वाद की ग्राह्यता के सम्‍बन्‍ध में विचार कर आदेश पारित करें।

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

                                                        अध्‍यक्ष

शेर सिंह आशु0,

कोर्ट नं0-1

              

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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