जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जशपुर (छ0ग0)
प्रकरण क्रमांक :-CC/14/2015
प्रस्तुति दिनांक :- 23/09/2015
सतीश कुमार भगत आ. जयधर राम, जाति-उरांव,
उम्र लगभग 40 वर्ष, नि. ग्राम-मनोरा, तह-मनोरा,
जिला-जशपुर (छ.ग.) ..................परिवादी /आवेदक
( विरूद्ध )
प्रगति एसोसयिट्स शॉप नंबर-05
आनंद भवन, मेन रोड पण्डरी,
रायपुर छ.ग. .........विरोधी पक्षकार/अनावेदक
///आदेश///
( आज दिनांक 26/08/2016 को पारित)
1. परिवादी/आवेदक ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद विरूद्ध पक्षकार/अनावेदक के विरूद्ध क्रय मशीन में दोष होने एवं सेवा में कमी करने के आधार पर 1,93,000/-रू. मय 12 ब्याज, उक्त रकम से मासिक आय की क्षतिपूर्ति 2,88,000/-रू., मार्जिन मनी 10,000/-रू. मार्जिन मनी पर देय ब्याज 1,800/-रू., मकान किराया 36,000/-रू., मशीन के यांत्रिक त्रुटि पर व्यय 20,000/-रू. शारीरिक एवं मानसिक क्षति 2,00,000/-रू. कुल 7,48,800/-रू.एवं अन्य अनुतोष दिलाए जाने हेतु दिनांक 23.09.2015 को प्रस्तुत किया है।
2. स्वीकृत तथ्य यह है कि-
1. परिवादी/आवेदक ने दोना पत्तल निर्माण करने हेतु प्रधानमंत्री रोजगार योजनांतर्गत छ.ग. ग्रामीण बैंक की शाखा मनोरा से वित्तीय सहायता प्राप्त किया था।
2. परिवादी /आवेदक ने अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार से थ्नससल ंनजवउंजपब उंबीपदम;कवनइसम कमलद्ध ंदक निससल ेमउप ंनजवउंजपब उंबीपदम ;ेपदहसम कलमद्ध मशीन 1,93,000/-रूपये में क्रय किया था।
3. अ. परिवाद के निराकरण के लिए आवश्यक तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी/आवेदक स्वयं के जीविकोपार्जन हेतु दोना एवं पत्तल निर्माण करने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार योजनांतर्गत छ.ग. ग्रामीण बैंक की शाखा मनोरा से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए ऋण राशि प्राप्त किया और स्वयं के खाते से बैंक चेक के पे आर्डर के माध्यम से दिनांक 23.03.2014 को 1,93,000/-रू. अनावेदक को फुल्ली आटोमेटिक मशीन तथा फुल्ली सेमी आटोमेटिक मशीन क्रय किए जाने हेतु अदा किया, किंतु अनावेदक द्वारा मशीन समय पर नहीं दिया गया मशीन जल्द भेजने का मात्र आश्वासन ही दिया जाता रहा । अनावेदक द्वारा लगभग 9 माह के पश्चात अत्यधिक विलंब से माह दिसंबर के अंतिम दिवस अर्थात 31.12.2014 को एक असेंबल मशीन भेजकर फिट कराया, जिसके कल पुर्जे देखने से ही पुराने लग रहे थे, जिसे फिट करने के पश्चात् मशीन सही ढंग से नहीं चला जिसे अनावेदक द्वारा भेजे गए इंजीनियर ने चलते चलते ठीक हो जाएगा कहा गया, किंतु मशीन की मोटर एक सप्ताह के बाद गर्म होने लगा, जिसके कारण मशीन को बार-बार बंद करना पड़ता था, जिसके कारण उत्पादन शुरू नहीं किया जा सका। जिसकी जानकारी अनावेदक को दी गई, किंतु अनावेदक न तो सर्विस देने आया और न ही किसी को भेजा। मशीन में लगातार यांत्रिकी खराबी तथा अन्य परेशानियों के कारण दोना पत्तल का उत्पादन नहीं किया जा सका।
ब. परिवादी अनावेदक से बार-बार नई मशीन दिलाए जाने की आग्रह करता रहा, किंतु अनावेदक द्वारा मात्र आश्वासन दिया जाता रहा तथा अंतिम बार आग्रह किए जाने पर अनावेदक द्वारा साफ इंकार करते हुए धमकी दिया गया, तब परिवादी के द्वारा अनावेदक के विरूद्ध थाना पंडरी जिला रायपुर के समक्ष शिकायत दर्ज करायी गई जिस पर थाना प्रभारी के सामने अनावेदक नया मशीन देने अथवा राशि मय ब्याज के वापस करने का वायदा किए पर अनावेदक को छोड़ते हुए न्यायालय की शरण में जाने की सलाह दी गई। उक्त पुलिस हस्तक्षेप अयोग्य अपराध की सूचना दिनांक 18.04.2015 है। परिवादी ने अधिवक्ता नोटिस दिनांक 17.06.2015 को दिया, जिसका कोई जवाब नहीं दिया गया अपितु उक्त राशि का भुगतान जल्द ही किए जाने का आश्वासन दिया गया था। इस प्रकार अनावेदक द्वारा सेवा में कमी किए जाने से परिवादी को आर्थिक,मानसिक एवं शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अतः परिवादी/आवेदक ने यह परिवाद प्रस्तुत कर अनावेदक से 1,93,000/-रू. मय 12 ब्याज, उक्त रकम से मासिक आय की क्षतिपूर्ति 2,88,000/-रू., मार्जिन मनी 1,00,000/-रू. मार्जिन मनी पर देय ब्याज 1,800/-रू., मकान किराया 36,000/-रू., मशीन के यांत्रिक त्रुटि पर व्यय 20,000/-रू. शारीरिक एवं मानसिक क्षति 2,00,000/-रू. एवं अन्य अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना किया है।
4. .अ. अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार ने प्रारंभिक आपत्ति किया है कि अनावेदक विरूद्ध पक्षकार की जशपुर छ.ग. में कोई शाखा नहीं है। उक्त मशीन जशपुर में विक्रय नहीं की गई है। परिवाद पत्र की कण्डिका 5 से परिवादी ने थाना प्रभारी पण्डरी जिला रायपुर में शिकायत किया था । मशीन खरीदी के संबंध में कोई वारंटी/गारंटी प्रदान नहीं किया है। उक्त परिस्थिति में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम अंतर्गत प्रस्तुत परिवाद पोषणीय नहीं है तथा जवाब दावा प्रस्तुत कर स्वीकृत तथ्य को छोड़ शेष तथ्यों से इंकार करते हुए यह अभिकथन किया है कि अनावेदक द्वारा दिनांक 15.01.2014 को परिवादी को जो कोटेशन प्रदान किया गया था वह 2,52,400/-रू. का था। जिसके परिप्रेक्ष्य में परिवादी द्वारा अनावेदक को मात्र 1,93,000/-रू. प्रदान किए जाने के कारण अनावेदक को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ा तथा आर्थिक हानि उठानी पड़ी क्योंकि परिवादी द्वारा प्रदत्त रकम अनुसार मशीनों में परिवर्तन करना पड़ा। अनावेदक द्वारा अपने टेक्निशियन को भेजा गया था, जिसके द्वारा मशीन पूर्ण चलाकर दिनांक 31.12.2014 को संतुष्टि प्रमाण पत्र परिवादी द्वारा हस्ताक्षर कर अनावेदक के कर्मचारी को दिया गया।
ब. अनावेदक का कोई शाखा जशपुर में नहीं है। अनावेदक द्वारा परिवादी से मशीन की जशपुर छ.ग. में पहुॅंचकर सेवा देने का या मशीन में खराबी आने के कारण भवन का किराया देने का बिजली का बिल देने का तथा व्यवसाय के संबंध में हानि व शारीरिक व मानसिक पीड़ा की क्षति देने का कोई अनुबंध नहीं किया गया था। इस प्रकार अनावेदक ने किसी प्रकार की कोई सेवा में कमी नहीं किया है। अतः परिवादी का परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने का निवेदन किया है।
5. परिवाद पर विस्तार से सुना गया। अभिलेखगत सामग्री का परिशीलन किया गया है ।
6. विचारणीय प्रश्न यह है कि :-
1. क्या अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार के विरूद्ध प्रस्तुत यह परिवाद इस फोरम को सुनने की सुनवाई क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है ?
2. क्या अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार द्वारा परिवादी को प्रदान की गई दोना-पत्तल निर्माण की मशीन में दोष है ?
3. क्या अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार ने दोष दूर करने के लिए कोई सेवा नहीं दिया द्वारा परिवादी/आवेदक के विरूद्ध सेवा में कमी किया है ?
निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रश्न क्रमांक 1 का सकारण निष्कर्ष :-
7. परिवादी ने परिवाद के समर्थन में सूची अनुसार दस्तावेज प्रगति एशोसिएट्स द्वारा प्रदत्त कोटेशन दस्तावेज क्रमांक 1, परिवादी के ई.डी.पी. ट्रेंनिंग (लोन दिए जाने हेतु) दस्तावेज क्रमांक 2, छ.ग.ग्रामीण बैंक शाखा मनोरा द्वारा राशि स्वीकृत पत्रक पत्र क्रमांक स्.छव.ध्क्प्ब्ध्02ध्13-14 दिनांक 16.01.2004 दस्तावेज क्रमांक 3, छ.ग.ग्रामीण बैंक द्वारा अनावेदक के पत्र में जारी 1,93,000/-रू. का बैंक चेक पे आर्डर दिनांक 21.03.2014 दस्तावेज क्रमांक 4,उक्त मशीन हेतु प्राप्त रकम का पावती अभिस्वीकृति जो प्रगति एशोसिएट्स द्वारा प्रदाय किया गया है दिनांक 23.03.2014 दस्तावेज क्रमांक 5, पुलिस हस्तक्षेप अयोग्य अपराध की सूचना दिनांक 18.04.2015 दस्तावेज क्रमांक 6, पुलिस स्टेशन पण्डरी में दर्ज सूचना दिनांक 18.04.2015 दस्तावेज क्रमांक 7, श्री जय बालाजी रोड केरियर को मशीन एवं कच्चा माल का अदायगी राशि की पावती दतावेज क्रमांक 8, स्टेटमेंट ऑफ एकाउंट दस्तावेज क्रमांक 9, 10 एवं 11,दिनांक 01.02.2014 के मकान किराया सहमतिनामा दस्तावेज क्रमांक 12, दिनांक 17.06.2015 को प्रेषित नोटिस एवं पोस्ट ऑफिस के पावती दस्तावेज क्रमांक 13 एवं 14 प्रस्तुत किया है।
8. अनावेदक ने जवाब दावा के समर्थन में श्रीकुमार वर्मा, प्रोप्राईटर प्रगति एसोसिएट्स का शपथ पत्र एवं सूची अनुसार दस्तावेज कोटेशन प्रगति एशोसिएट्स दस्तावेज क्रमांक 1, मशीन प्राप्ति रसीद दस्तावेज क्रमांक 2 प्रस्तुत किया है।
9. परिवाद पत्र में अनावेदक का पता मेन रोड पंडरी रायपुर उल्लेखित है, से स्पष्ट है कि अनावेदक जिला जशपुर के स्थानीय क्षेत्राधिकार अंतर्गत कार्यरत या व्यापार करने का तथ्य नहीं है, जैसा कि उसने जशपुर जिला में उसकी कोई शाखा नहीं होना बताया है।
10. परिवादी ने अनावेदक से दोना पत्तल निर्माण करने के लिए मशीन क्रय करने के लिए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक शाखा मनोरा जिला जशपुर से वित्तीय सहायता 1,93,000/-रू. का प्राप्त किया था, जिसका दस्तावेज क्रमांक 2,3 एवं 4 प्रस्तुत किया है। इसी प्रकार अनावेदक का रसीद दस्तावेज क्रमांक 5 चेक द्वारा राशि प्रदान किए जाने से संबंधित है।
11. अनावेदक द्वारा दिए जवाब की कण्डिका 4 में अनावेदक से क्रय किए गए दोना पत्तल निर्माण का स्थापित करने के लिए टेक्निशियन भेजा गया था तथा मशीन को परिवादी ने बी.एस.टीर्की से मकान किराया में लेकर ग्राम मनोरा में स्थापित किया तथा मशीन के यांत्रिक त्रुटि आने के संबंध में अनावेदक को शिकायत किया जाना बताया है। इस प्रकार मशीन की यांत्रिक त्रुटि मनोरा जिला जशपुर में होने से वादकारण उत्पन्न होने के आधार पर अनावेदक के विरूद्ध जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम जशपुर में परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
12. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 11 (2) एवं (सी) अनुसार परिवाद के लिए वाद हेतुक जहॉं पूर्णतः या भागतः पैदा हुआ उस स्थान पर परिवाद किया जा सकता है। प्रस्तुत परिवाद के लिए अंशतः वादकारण जिला जशपुर के जिला उपभोक्ता फोरम के स्थानीय क्षेत्राधिकार अंतर्गत उत्पन्न हुआ है। उपरोक्त तथ्य से स्पष्ट हुआ है, अतः हम पाते हैं कि अनावेदक के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद इस जिला फोरम द्वारा सुनवाई योग्य है, तद्नुसार विचारणीय प्रश्न क्रमांक 1 का निष्कर्ष ’’हॉं’’ में देते हैं।
विचारणीय प्रश्न क्रमांक 2 एवं 3 का सकारण निष्कर्ष :-
13. परिवादी ने दस्तावेजी प्रमाण द्वारा प्रमाणित किया है कि उसने अनावेदक से दोना पत्तल निर्माण करने के लिए मशीन हेतु 1,93,000/-रू. का ऋण प्राप्त कर तथा 10,000/-रूपये मार्जिन मनी का बैंक के माध्यम से कुल 2,03,000/-रूपये भुगतान किया था, जिसमें अनावेदक ने थ्नससल ।नजवउंजपब उंबीपदम ;कवनइसम कलमद्ध ंदक निससल ेमउप ंनजवउंजपब उंबीपदम ;ेपदहसमकलमद्ध (फुल्ली आटोमेटिक मशीन डबल डाई एवं फुल्ली सेमी आटोमेटिक सिंगल डाई मशीन ) विक्रय हेतु राशि प्राप्त किया था जिसका दस्तावेज क्र.2 से 5 बैंक खाता स्टेटमेंट दस्तावेज 7, 8 एवं 10 प्रस्तुत किया है तथा मशीन को टेक्निशियन के द्वारा फीट कराया गया था। उक्त मशीन फिट करने के पश्चात सही ढंग से नहीं चला जिसमें यांत्रिक त्रुटि आने लगा एक सप्ताह के बाद गर्म होने लगा, जिसके कारण मशीन को बार-बार बंद करना पड़ता था, जिसकी शिकायत अनावेदक से की गई, किंतु उसने कोई ध्यान नहीं दिया, तब उसने दस्तावेज क्रमांक 14 का नोटिस अनावेदक को भिजवाया था। जिसकी रसीद दस्तावेज क्रमांक 13 प्रस्तुत किया है। इस प्रकार परिवादी ने अनावेदक से ली गई मशीन में यांत्रिक खराबी होकर दोष होना बताया है।
14. अनावेदक ने जवाब में उक्त तथ्य को मात्र इंकार किया है मशीन की जांच कर सही पाया था बताने वाला कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है। अनावेदक के अनुसार कोटेशन क्रमांक 256 दिनांक 15.01.2014 द्वारा 2,52,042/-रू. मशीन एवं सामान का मूल्य बताया था, जिसे विरूद्ध परिवादी द्वारा दिए 1,93,000/-रू. में ही दोना पत्तल निर्माण करने की मशीन में परिवर्तन कर परिवादी को दिया गया, फलस्वरूप परिवादी को दिया गया मशीन ठीक ढंग से चले, उसमें काई खराबी न हो, कोई खराबी या समस्या हो तो उसका निराकरण समय पर करने का दायित्व भी मशीन विक्रेता अनावेदक की प्रथम दृष्टया है। परिवादी ने बताया है कि दिनांक 31.12.2014 को टेक्निशियन द्वारा मशीन को चला कर परिवादी को दिया गया, जिसके एक सप्ताह के भीतर ही मशीन गरम होने लगा तथा मशीन में यांत्रिकी त्रुटि के कारण दोना-पत्तल का उत्पादन नहीं किया जा सका। परिवादी द्वारा उक्त की शिकायत करने तथा विधिक सूचना दिए जाने के बाद भी परिवादी को विक्रय की गई मशीन के दोष/त्रुटि को सुधार करने के लिए अनावेदक की ओर से कोई प्रयास नहीं किया गया। उपरोक्त स्थिति में परिवादी की ओर से अभिलेख पर लाए सामग्री से हम यह तथ्य प्रमाणित होना पाते हैं कि अनावेदक द्वारा परिवादी को विक्रय की गई फुल्ली आटोमेटिक मशीन डबल डाई एवं फुल्ली सेमी आटोमेटिक सिंगल डाई मशीन में दोष था जिसे अनावेदक द्वारा सुधार कर नहीं दिया गया, से सेवा में कमी की गई।
15. इस प्रकार अभिलेखगत सामग्री में प्रस्तुत साक्ष्य से अनावेदक के विरूद्ध विचारणीय प्रश्न क्रमांक 2 एवं 3 को परिवादी द्वारा प्रमाणित किया गया होना हम पाते हैं, तद्नुसार निष्कर्ष ’’प्रमाणित’’ में होना देते हैं।
16 परिवादी ने अनावेदक के विरूद्ध प्रस्तुत परिवाद में अनावेदक को दी गई 1,93,000/-रू. 12 प्रतिशत ब्याज सहित दिलाए जाने, उक्त राशि पर आय उपार्जन हेतु अन्य साधन में लगाने से लगभग 2,88,000/-रू. तक संभावित आय होती, से उक्त आय की मार्जिन मनी 10,000/-रू. तथा उक्त पर ब्याज 1,800/-रू. मासिक, मकान किराया 2,000/-रू. से 18 माह का 36,000/-रू. एवं मशीन की यांत्रिक त्रुटि में किए गए 20,000/-रू. के साथ ही मानसिक क्षति के रूप में 2,00,000/-रू. दिलाए जाने का निवेदन किया है।
17. परिवादी ने अन्य साधन में लगाने से आय उपार्जन होने की संभावना पर 2,88,000/-रूपये मांग किया है। वास्तविक व संभावना में अंतर होता है। वास्तविक क्षति राशि की पृथक से मांग किया है। किराया में कमरा लेने का कोई लिखित दस्तावेज प्रस्तुत नहीं है। दस्तावेज क्र.12 विधिवत् प्रमाणित नहीं की गई है। फलस्वरूप उक्त मद में प्रतिकर/क्षति दिलाये जाने योग्य उपयुक्त नहीं होना हम पाते हैं।
18. अनावेदक के विरूद्ध परिवाद में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 अंतर्गत यह परिवाद प्रस्तुत किया है, जिसमें उक्त अधिनियम की धारा 14 के अनुसार अनावेदक को निर्देश दिया जाना उपयुक्त पाते हैं तथा परिवाद स्वीकार करने योग्य पाते हुए स्वीकार कर निम्नलिखित निर्देश देते हैंंः-
अ. अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार परिवादी को क्रय किए गए (फुल्ली आटोमेटिक मशीन डबल डाई एवं फुल्ली सेमी आटोमेटिक सिंगल डाई मशीन) को सुधार कर उसका दोष दूर कर परिवादी को एक माह भीतर तक प्रदान कराए ।
या
परिवादी को प्रदान की गई उक्त मशीन का दोष दूर नहीं हो सके तो प्रदाय किए गए मशीन को बदलकर दूसरा नया मशीन एक माह के भीतर उपलब्ध करावे।
या
अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार मशीन को बदलकर नहीं दे सकने की स्थिति में मशीन का लिया गया मूल्य 2,03,000/-रू. (दो लाख तीन हजार रूपये) एक माह के भीतर परिवादी को वापस करेगा।
ब. अनावेदक द्वारा परिवादी को मशीन की मूल्य वापस करने की दशा में परिवाद प्रस्तुति दिनांक 23.09.2015 से अदायगी दिनांक तक 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज का भी भुगतान करेगा।
स. अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार मानसिक क्षति का 20,000/-रू. (बीस हजार रूपये) 1 माह के भीतर परिवादी को भुगतान करेगा।
द. अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार, परिवादी को परिवाद व्यय 2,000/-रू. (दो हजार रूपये) का भुगतान 30 दिन के भीतर करेगा।
(श्रीमती अनामिका नन्दे) (संजय कुमार सोनी) (बी0पी0पाण्डेय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रति. जिला उपभोक्ता विवाद प्रति. जिला उपभोक्ता विवाद प्रति.
फोरम जशपुर (छ0ग0) फोरम जशपुर ़(छ.ग.) फोरम जशपुर (छ0ग0)