(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-133/2007
पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0, द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर विक्टोरिया पार्क, मेरठ तथा एक अन्य।
अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
श्री प्रफुल्ल कुमार पुत्र श्री महावीर प्रसाद, निवासी-मोहल्ला कायस्थान, तहसील चंदौसी, जिला मुरादाबाद।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से : श्री इसार हुसैन, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक: 24.08.2021
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-266/2005, प्रफुल्ल कुमार बनाम पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0 तथा एक अन्य में विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग, द्वितीय मुरादाबाद द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07.12.2006 के विरूद्ध यह अपील योजित की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया गया है कि एक माह के अन्दर परिवादी द्वारा आंशिक रूप से भुगतान की गई धनराशि को समायोजित करते हुए मीटर रीडिंग के अनुसार सरचार्ज सहित सही बिल बनाकर परिवादी को प्रेषित किया जाए, जिसे परिवादी नियमानुसार अदा करे। परिवादी विपक्षीगण से अंकन 1,000/- रूपये परिवाद व्यय भी प्राप्त करने का अधिकारी है।
2. इस निर्णय/आदेश को अपील में इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग ने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर निर्णय
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पारित किया है। चूंकि परिवादी द्वारा उपभोग की गई विद्युत के शुल्क का निर्धारण किया गया था, इस निर्धारण के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत परिवाद संधारणीय नहीं था।
3. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से पर्याप्त तामील के बावजूद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: केवल अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
4. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपने तर्क के समर्थन में नजीर यू0पी0 पावर कारपोरेशन लि0 तथा अन्य बनाम अनीस अहमद III (2013) CPJ 1 (SC) प्रस्तुत की गई है, जिसमें व्यवस्था दी गई है कि विद्युत उपभोग के शुल्क का निर्धारण लोक सेवक द्वारा किया जाता है, जो एक अर्द्ध न्यायिक निर्णय है और तदनुसार उपभोक्ता विवाद की श्रेणी में नहीं आता है। अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि निर्धारण के विरूद्ध विद्युत अधिनियम के अन्तर्गत अपील का प्रावधान है, इसलिए परिवादी द्वारा परिवाद प्रस्तुत करने के बजाय विद्युत अधिनियम के अन्तर्गत अपील प्रस्तुत की जानी चाहिए थी। तदनुसार अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 07.12.2006 अपास्त किया जाता है तथा संधारणीय न होने के कारण परिवाद निरस्त किया जाता है।
पक्षकार अपना-अपना व्यय स्वंय वहन करेगें।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुशील कुमार) (विकास सक्सेना)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-3