Uttar Pradesh

StateCommission

A/167/2018

Oriental Bank Of Commerce - Complainant(s)

Versus

Praduman Singh - Opp.Party(s)

Saket Srivastava

16 Jul 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/167/2018
( Date of Filing : 29 Jan 2018 )
(Arisen out of Order Dated 07/12/2017 in Case No. C/159/2016 of District Varanasi)
 
1. Oriental Bank Of Commerce
Varanasi
...........Appellant(s)
Versus
1. Praduman Singh
Varanasi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 16 Jul 2018
Final Order / Judgement

सुरक्षि‍त

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

 

                                                                                        अपील संख्‍या 167/2018

 

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्‍या- 159/2016 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07-12-2017 के विरूद्ध)

 

ओरियण्‍टल बैंक आफ कामर्स द्वारा चीफ मैनेजर आर.आर.एल. क्‍लस्‍टर लखनऊ।

                                                                                                                                        अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

श्री प्रद्युम्‍न सिंह, पुत्र स्‍व0 श्री सत्‍य नारायण सिंह,  निवासी एस-2 639 ए-1ए, केन्‍द्रीय जल आयोग के सामने सिकरौली सेन्‍ट्रल जेल रोड, वाराणसी 221002

                                                                                                                                           प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

 माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

 माननीय श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्‍ता, श्री साकेत श्रीवास्‍तव

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित:   विद्वान अधिवक्‍ता, श्री अरूण कुमार श्रीवास्‍तव

 

दिनांक- 27.08.2018          

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

                                                                                                      निर्णय

 

परिवाद संख्‍या 159 सन् 2016 प्रद्युम्‍न सिंह बनाम ओरियण्‍टल बैंक आफ कामर्स व दो अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, वाराणसी द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 07-12-2017 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

 

2

 

आक्षे‍पि‍त निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

"प्रस्‍तुत परिवाद आज्ञप्‍त किया जाता है। विपक्षीगण को संयुक्‍त रूप से तथा पृथक-पृथक आदेश दिया जाता है कि‍ परिवादी के प्रश्‍नगत एफ०डी०आर० की दिनांक 27-03-1998 को परिपक्‍वता धनराशि मु० 48,555/- दिनांक     27-03-1998 से सावधि योजना में अब  तक निवेशित मानते हुए संगत वर्षों में सावधि जमा पर जो ब्‍याज की दर से रही है उसकी गणना करते हुए परिपक्‍व धनराशि का भुगतान इस निर्णय की तिथि से एक माह के अन्‍दर करें। इसके अतिरिक्‍त सेवा में कमी के लिए क्षतिपूर्ति मु० 5000/- रू० तथा वाद व्‍यय मु० 2000/- रू० का भी भुगतान उक्‍त निर्धारित अवधि में करें। उपरोक्‍तानुसार निर्धारित अवधि में भुगतान न करने पर समस्‍त देय धनराशि पर विपक्षी बैंक द्वारा निर्णय की तिथि से आइन्‍दा भुगतान की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से चक्रवृद्धि ब्‍याज परिवादी को अदा करना होगा।"

जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्‍ध होकर परिवाद विपक्षी, ओरियण्‍टल बैंक आफ कामर्स ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री साकेत श्रीवास्‍तव और प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अरूण कुमार श्रीवास्‍तव उपस्थित आए हैं।

हमने उभय पक्ष के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत

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किया है कि वह एक वरिष्‍ठ नागरिक हैं और अपनी सेवा के दौरान विपक्षी संख्‍या-1 ओरियण्‍टल बैंक आफ कामर्स की शाखा नीचीबाग वाराणसी में दिनांक 27 दिसम्‍बर 1995 को 36,410/- रू० सावधि खाता में निवेश किया जिसका एफ०डी०आर० नं० 571375/1429/95 है। यह धनराशि 27 माह के लिए 13 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के तिमाही संयोजन की शर्त पर जमा थी और इसकी परिपक्‍वता तिथि दिनांक  27 मार्च 1998 थी। परिपक्‍वता तिथि पर कुल देय धनराशि  48,555/- रू० थी।

परिवाद पत्र के अनुसार अवकाश ग्रहण करने के उपरान्‍त प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने विपक्षी संख्‍या-1 की शाखा में जाकर मूल एफ०डी०आर० के पुष्‍त पर अपना हस्‍ताक्षर कर मूल एफ०डी०आर० की परिपक्‍व धनराशि को पुन: 36 माह की अवधि के नवीनीकरण हेतु दिनांक 07 नवम्‍बर 2008 को जमा किया। परन्‍तु उपरोक्‍त्‍ एफ०डी०आर० का नवीनीकरण कर विपक्षी बैंक द्वारा नया एफ०डी०आर० जारी नहीं किया गया। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने विपक्षी बैंक की शाखा विपक्षी संख्‍या-1 से सम्‍पर्क किया तो बताया गया कि मूल एफ०डी०आर०

शाखा में नहीं मिल रहा है। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दिनांक 21-जनवरी 2009 को प्रार्थना पत्र दिया। तब विपक्षी बैंक की शाखा विपक्षी संख्‍या-1 ने यह जानकारी दिया कि‍ प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा दिनांक 07 नवम्‍बर 2008 को मूल एफ०डी०आर० शाखा में कार्यरत कर्मचारी श्री हरिशंकर तिवारी को प्राप्‍त कराया है। इसके अलावा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को और कोई जानकारी नहीं दी गयी। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने पुन: अनुस्‍मारक पत्र दिनांक 30 मार्च 2009 को दिया और विपक्षी बैंक की शाखा विपक्षी संख्‍या-1 से सम्‍पर्क किया तथा मूल एफ०डी०आर० की तलाश कर उसके नवीनीकरण का अनुरोध किया। परन्‍तु

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विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने 2 मार्च 2016 को विपक्षी बैंक के मुख्‍य प्रबन्‍धक से मिलकर एफ०डी०आर० के नवीनीकरण का अनुरोध किया और साथ ही क्षेत्रीय कार्यालय को पत्र प्रेषित किया। तब विपक्षी संख्‍या-1 ने पत्र दिनांक 08 अप्रैल 2016 से प्रत्‍यर्थी/परिवादी को सूचित किया कि मूल एफ०डी०आर० की तलाश की जा रही है, जल्‍द ही उसके सन्‍दर्भ में अवगत कराया जाएगा। परन्‍तु कई माह बीतने के बाद भी कोई सूचना प्रत्‍यर्थी/परिवादी को नहीं दी गयी। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने पुन: पत्र दिनांक 12 जुलाई 2016 को विपक्षी बैंक के मुख्‍य प्रबन्‍धक को प्रेषित किया और उसकी प्रति बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय विपक्षी संख्‍या-2 व कारपोरेट कार्यालय विपक्षी संख्‍या-3 को प्रेषित किया। फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हुयी, तब विवश होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद पत्र पर जिला फोरम ने डाक द्वारा विपक्षीगण को नोटिस भेजी तब विपक्षीगण की ओर से वकालतनामा प्रस्‍तुत किया गया और परिवाद पत्र में धारा 24-क(2) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की बाधा के सम्‍बन्‍ध में आपत्ति दाखिल की गयी परन्‍तु पुन: विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अत: जिला फोरम द्वारा परिवाद की कार्यवाही अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से की गयी है और आक्षेपित निर्णय और आदेश उपरोक्‍त प्रकार से पारित किया गया है।

अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि‍ जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 07-12-2017 विधि विरूद्ध और त्रुटिपूर्ण है तथा संगत बिन्‍दुओं पर विचार किये बिना पारित किया गया है। अत: परिवाद निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

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अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि‍ प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद में मियाद बाधक है और जिला फोरम ने परिवाद प्रस्‍तुत करने में हुए विलम्‍ब को क्षमा किये बिना परिवाद ग्रहण कर आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है जो धारा 24-क(2) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम का उल्‍लंघन है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि‍ प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद में कदापि मियाद बाधक नहीं है। जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी बैंक नोटिस तामीला के बाद उपस्थित होकर अनुपस्थित हो गया है और कोई लिखित कथन प्रस्‍तुत कर परिवाद का विरोध नहीं किया है अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षीगण बैंक के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से कार्यवाही कर जो आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है वह उचित और विधि सम्‍मत है। उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

परिवाद पत्र के कथन से यह स्‍पष्‍ट है कि‍ प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने 07 नवम्‍बर 2008 को विपक्षी बैंक की शाखा विपक्षी संख्‍या-1 में मूल एफ०डी०आर० जमा किया है और उसकी पुष्‍त पर हस्‍ताक्षर किया। जिला फोरम के निर्णय से स्‍पष्‍ट है कि‍ प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने जिला फोरम के समक्ष एफ०डी०आर० की फोटोप्रति प्रस्‍तुत की है जिसकी पुस्‍त पर उसका हस्‍ताक्षर है और मूल एफ०डी०आर० की परिपक्‍वता के नवीनीकरण का उल्‍लेख है। जिला फोरम के निर्णय से स्‍पष्‍ट है कि मूल एफ०डी०आर० जमा कर दिनांक 07-11-2008 से पुन: 36 माह की अवधि हेतु नवीनीकरण एफ०डी०आर० की फोटोप्रति में अंकित है।  परिवाद पत्र एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी के शपथ पत्र से स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी

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बैंक की शाखा विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा नवीनीकृत एफ०डी०आर० नहीं दिया गया है और उसके लिए प्रत्‍यर्थी/परिवादी बराबर अपीलार्थी बैंक से सम्‍पर्क करता रहा है और अपनी शिकायत दर्ज कराया है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह उल्‍लेख किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने कागज संख्‍या 11 पत्रावली में दाखिल किया है जिससे स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी 02 मार्च 2009 को मुख्‍य प्रबन्‍धक से मिला और मूल एफ०डी०आर० के नवीनीकरण का अनुरोध किया और उसकी प्रति क्षेत्रीय प्रबन्‍धक को भी उचित कार्यवाही के लिए प्रेषित किया तब अपीलार्थी बैंक की शाखा विपक्षी संख्‍या-1 ने 08 अप्रैल 2016 को प्रत्‍यर्थी/  परिवादी को सूचित किया कि मूल एफ०डी०आर० की तलाश की जा रही है और जल्‍द ही उसके सन्‍दर्भ में अवगत कराएंगे। जिला फोरम ने उल्‍लेख किया है कागज संख्‍या 12 भी इस सन्‍दर्भ में प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दाखिल किया है। इस प्रकार यह स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी बैंक की शाखा विपक्षी संख्‍या 1 ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी का मूल एफ०डी०आर० तलाशने और उसे उपलब्‍ध कराने हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 08 अप्रैल 2016 तक उसे आश्‍वासन दिया फिर भी उसे प्रत्‍यर्थी/परिवादी को उपलब्‍ध नहीं कराया है। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने जिला फोरम के समक्ष दिनांक 31 अगस्‍त 2016 को परिवाद प्रस्‍तुत किया है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद धारा 24-क(2) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत निर्धारित समय सीमा के बाहर नहीं कहा जा सकता है। अत: परिवाद में कालबाधा के सन्‍दर्भ अपीलार्थी बैंक की ओर से उठायी गयी आपत्ति स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है। अपीलार्थी बैंक के पत्र दिनांक 08 अप्रैल 2016 के आधार पर जिला फोरम का निष्‍कर्ष उचित व विधि सम्‍मत है।

 

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 परिवाद पत्र के कथन एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत शपथपत्र एवं पूर्व एफ०डी०आर० की फोटोप्रति से स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपना पूर्व एफ०डी०आर० अपीलार्थी बैंक की  शाखा विपक्षी संख्‍या-1 के यहॉं प्रस्‍तुत किया है और 07 नवम्‍बर 2008 को एफ०डी०आर० की परिवक्‍वत धनराशि को पुन: 36 माह के अवधि हेतु नवीनीकरण किये जाने का अनुरोध किया है। परन्‍तु नवीनीकृत एफ०डी०आर० अपीलार्थी बैंक के कर्मचारियों द्वारा नहीं दिया गया है। इसके साथ ही अपीलार्थी बैंक द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पूर्व एफ०डी०आर० जिसकी परिपक्‍वता तिथि दिनांक 27 मार्च 1998 थी और परिपक्‍वता धनराशि 48,555/- थी का भुगतान प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान किया जाना अपीलार्थी बैंक  दर्शित कर सका है।

जिला फोरम के निर्णय से स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी बैंक की ओर से जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्‍तुत कर परिवाद का विरोध नहीं किया गया है। अत: जिला फोरम ने परिवाद की कार्यवाही अपीलार्थी बैंक के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से की है।

परिवाद पत्र के कथन एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत शपथपत्र का खण्‍डन अपीलार्थी बैंक द्वारा न किये जाने के कारण परिवाद पत्र के कथन पर विश्‍वास न करने का कोई उचित और युक्तिसंगत कारण नहीं दिखता है। जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय से स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी बैंक की ओर से जिला फोरम के समक्ष वकालतनामा  दाखिल किया गया है और परिवाद में मियाद बाधक होने के सम्‍बन्‍ध में आपत्ति प्रस्‍तुत की गयी है परन्‍तु उसके बाद कोई उपस्थित नहीं हुआ है और कोई लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में जिला फोरम द्वारा अपीलार्थी बैंक अर्थात विपक्षीगण के विरूद्ध

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एकपक्षीय रूप से कार्यवाही किया जाना उचित और विधि सम्‍मत है और उपरोक्‍त विवेचना से स्‍पष्‍ट है कि परिवाद में कदापि मियाद बाधक नहीं है।

 सम्‍पूर्ण तथ्‍यों, साक्ष्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए हम इस मत के हैं कि जिला फोरम ने जो प्रत्‍यर्थी/परिवादी के एफ०डी०आर० दिनांक    27-03-1998 की परिपक्‍वता धनराशि सावधि योजना में जमा मानते हुए सावधि जमा पर देय ब्‍याज सहित अदा करने हेतु अपीलार्थी बैंक को आदेशित किया है वह उचित और युक्तिसंगत है।

 जिला फोरम ने जो प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी बैंक की  सेवा में कमी हेतु 5000/- रू० क्षतिपूर्ति और 2000/- रू० वाद व्‍यय दिलाया है वह उचित है। उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं दिखती है।

      जिला फोरम ने उपरोक्‍त आदेशित धनराशि एक माह के अन्‍दर अदा न किये जाने पर अपीलार्थी बैंक को निर्णय की तिथि से अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से चक्रवृद्धि ब्‍याज अदा करने हेतु आदेशित किया है, हमारी राय में जिला फोरम का यह आदेश उचित नहीं है। हमारी राय में जिला फोरम द्वारा पारित आदेश संशोधित करते हुए अपीलार्थी बैंक को आदेशित किया जाना उचित है कि अपीलार्थी बैंक प्रत्‍यर्थी/परिवादी के एफ०डी०आर० दिनांक 27-03-1998  पर दिनांक 07-11-2008 को देय धनराशि सावधि योजना में निवेशित मानते हुए यह धनराशि सावधि जमा पर देय ब्‍याज की दर से दिनांक 07-11-2008 से  भुगतान की तिथि तक ब्‍याज सहित प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान करें। अत: जिला फोरम का आदेश तदनुसार संशोधित किया जाना उचित है।

 

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उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय व आदेश संशोधित करते हुए अपीलार्थी बैंक को आदेशित किया जाता है कि अपीलार्थी बैंक प्रत्‍यर्थी/परिवादी के प्रश्‍नगत एफ०डी०आर० जिसकी परिपक्‍वता तिथि दिनांक 27-03-1998 है की  07-11-2008 को देय धनाराशि दिनांक 07-11-2008 से सावधि योजना में निवेशित मानते हुए यह धनराशि सावधि जमा योजना में देय ब्‍याज की दर से अदायगी की तिथि तक ब्‍याज सहित प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा करें। इसके साथ ही अपीलार्थी बैंक प्रत्‍यर्थी/परिवादी को जिला फोरम द्वारा प्रदान की गयी क्षतिपूर्ति की धनराशि 5000/- रू० और वाद व्‍यय की धनराशि 2000/- रू० भी अदा करें।

अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेगें।                

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                             (महेश चन्‍द)                

        अध्‍यक्ष                                                             सदस्‍य                                             

         

 

कृष्‍णा, आशु0

कोर्ट नं01

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

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