( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या : 1313/2022
राजेश जायसवाल मेसर्स जायसवाल ट्रेडर्स 56ए, शिवचरन लाल रोड, इलाहाबाद।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
श्री प्रदीप कुमार पुत्र श्री अवध नारायण निवासी कोटवा, पोस्ट हनुमानगंज जनपद इलाहाबाद।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
दिनांक : 05-08-2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-231/2006 श्री प्रदीप कुमार बनाम राजेश जायसवाल मेसर्स जायसवाल ट्रेडर्स में जिला आयोग, इलाहाबाद द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित 14-09-2011 के विरूद्ध प्रस्तुत अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख योजित की गयी है।
आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्नलिखित निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है :-
‘’ परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध अंशत: आज्ञप्त किया जाता है। विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि परिवादी को उसी गुणवत्ता का दूसरा पाइप 02 माह के अंदर दें अथवा पाइप का मूल्य रू0 54,212.44/-पैसे 08 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित वाद दायर करने की तिथि से अंतिम अदायगी तक परिवादी को अदा करें। मानसिक संत्रास हेतु 1,000/-रू0 व वाद व्यय हेतु 500/-रू0 भी परिवादी को विपक्षी अदा करे।‘’
जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी की ओर से यह अपील इस न्यायालय के सम्मुख योजित की गयी है।
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अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री अतुल कीर्ति उपस्थित आए जब कि प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है विद्धान जिला आयोग के समक्ष अपीलार्थी अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं कर सका था और जिला आयोग द्वारा एकपक्षीय रूप से निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है जो विधि विरूद्ध है अत: उसे सुनवाई का एक अवसर प्रदान किया जावे।
दिनांक 23-02-2023 को पीठ संख्या-1 (मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष एवं मा0 सदस्य की पीठ द्वारा सुनवाई करते हुए निम्न विस्तृत आदेश पारित किया गया था :-
23-02-2023
‘’पुकार की गयी। प्रत्यर्थी को प्रेषित नोटिस निम्न आख्या के अनुसार वापस प्राप्त हुई है :-
‘’इस नाम तथा वल्दियत के कोटवा में कई लोग हैं, अत: जाति अथवा मोबाइल नम्बर लिखकर भेजें, के साथ वापस प्राप्त।‘’
तदनुसार अपीलार्थी द्वारा प्रत्यर्थी को दस्ती माध्यम से नोटिस 06 सप्ताह की अवधि में प्राप्त करायी जावे। प्रस्तुत अपील को पुन: दिनांक 23-06-2023 को सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया जावे। पूर्व में पारित स्थगन आदेश अगली निश्चित तिथि तक प्रभावी रहेगा।‘’
दिनांक 23-06-2023 को पीठ संख्या-1 (मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष, मा0 सदस्य श्री राजेन्द्र सिंह एवं मा0 सदस्य श्री सुशील कुमार) द्वारा निम्न विस्तृत आदेश पारित किया गया था :-
‘’23.6.2023
पुकार की गई। प्रत्यर्थी पर दस्ती माध्यम से नोटिस तामीला का अपेक्षित प्रयास किया गया परन्तु विपक्षी का लिखित पते पर कोई पता नही चलने के कारण अपीलार्थी द्वारा प्रार्थना पत्र इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत करते हुये यह कथन किया है कि विपक्षी का उल्लिखित पते पर पता नही चलने के कारण अनुपालन नही हो पा रहा है उक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुये तामिला पर्याप्त माना जाता है।
तदनुसार अपीलार्थी अपना साक्ष्य चार सप्ताह में प्रस्तुत करें। अगले आदेश तक जिला फोरम के आदेश का क्रियान्वयन स्थगित किया जाता है। अगली तिथि
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पर जिला फोरम की मूल पत्रावली ( परिवाद सं0-231/2006 श्री प्रदीप कुमार बनाम राजेश जायसवाल) न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत करने हेतु जिला फोरम प्रयागराज को पत्र प्रेषित किया जाय । तदनुसार प्रस्तुत अपील को पुन: दिनांक 06-11-2023 को सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया जावे।
आदेश दिनांक 23-06-2023 के अनुपालन में जिला आयोग द्वारा मूल पत्रावली इस न्यायालय के परिशीलन एवं परीक्षण हेतु प्रस्तुत की गयी है।
प्रत्यर्थी/परिवादी प्रदीप कुमार को प्रेषित अपील की दस्ती नोटिस व पंजीकृत डाक के माध्यम से प्रेषित नोटिस की प्रक्रिया सुनिश्चित की गयी और साथ ही साथ जिला आयोग द्वारा प्रेषित मूल पत्रावली का परिशीलन एवं परीक्षण किया गया जिसमें यह तथ्य स्पष्ट रूप से पाया गया कि वास्तव में परिवादी द्वारा जो परिवाद जिला आयोग के सम्मुख योजित किया गया था जिसकी कोई जानकारी अपीलार्थी/विपक्षी को नहीं थी और न ही परिवाद से संबंधित प्रक्रिया/सुनवाई हेतु कोई जानकारी जिला आयोग द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी को दी गयी है, ऐसा स्पष्ट रूप से नहीं पाया जाता है और मात्र एकपक्षीय रूप से परिवाद की सुनवाई सुनिश्चित करते हुए निर्णय पारित किया गया है जिसका उल्लेख ऊपर किया जा चुका है।
परिवाद की मूल पत्रावली के परिशीलन एवं परीक्षण से यह भी पाया जाता है कि वास्तव में जिला आयोग के सम्मुख परिवादी द्वारा जो माल खरीदने हेतु अपीलार्थी फर्म द्वारा कैश मेमों जारी किया गया है उपरोक्त कैश मेमों 571 है जो कि दिनांकित 06-12-2005 पाया गया। उपरोक्त सभी कैश मेमों में एक ही जारीकर्ता के हस्ताक्षर उल्लिखित है।
दौरान बहस अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता द्वारा अपीलार्थी द्वारा तत्कालीन कैश मेमों की मूल प्रति/कट्टा संख्या-36 प्रस्तुत की गयी है जिसमें दिनांक 16-09-2005 से जारी किये गये लगभग प्रत्येक कैश मेमों एक ही व्यक्ति अर्थात राजेश जायसवाल द्वारा ही हस्ताक्षरित किये गये है व उपरोक्त कैश मेमों संख्या-3601 से 3700 अवधि 16-09-2005 से 10-12-2005 के मध्य जारी किये गये हैं और लगभग सभी कैश मेमों अपीलार्थी फर्म द्वारा बेचें /जारी की गयी वास्तुओं से संबंधित है। उपरोक्त मूल कैश मेमों बुकलेट को सुरक्षित रखते हुए अपीलार्थी द्वारा स्वयं जिला आयोग के समक्ष परिशीलन एवं परीक्षण हेतु निश्चित तिथि पर प्रस्तुत किया जावेगा।
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तदनुसार समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए मेरे विचार से अपीलार्थी को अपना पक्ष प्रस्तुत करने हेतु एक अवसर प्रदान किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। तदनुसार अपील स्वीकार की जाती है और विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को अपास्त करते हुए पत्रावली जिला आयोग को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि जिला आयोग उभयपक्ष को साक्ष्य एवं सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए परिवाद का निस्तारण गुणदोष के आधार पर दिनांक 31-12-2024 तक किया जाना सुनिश्चित करें।
उभयपक्ष जिला आयोग के सम्मुख दिनांक 10-09-2024 को उपस्थित होंगे। पुन: स्थगन किसी भी दशा में स्वीकार नहीं किया जावेगा और वाद को अंतिम रूप से दिनांक 31-12-2024 तक विधि अनुसार निर्णीत किया जावेगा।
चूंकि प्रत्यर्थी/परिवादी अपील की सुनवाई के समय उपस्थित नहीं है अत: प्रत्यर्थी/परिवादी को नियत तिथि की नियमानुसार पंजीकृत डाक से प्रेषित की जावेगी।
इस निर्णय एवं आदेश तथा अपील की एक पत्रावली जिला आयोग की मूल पत्रावली के साथ संलग्न करते हुए दो सप्ताह की अवधि में संबंधित जिला आयोग को नियमानुसार प्रेषित की जावेगी।
अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को विधि अनुसार निस्तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1