(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2347/2011
(जिला आयोग, मुजफ्फरनगर द्वारा परिवाद संख्या-164/2007 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 3.9.2011 के विरूद्ध)
पुरकाजी इण्डेन गैस सर्विस, पुरकाजी, निकट जिला सहकारी बैंक पुरकाजी, जिला मुजफ्फरनगर।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
प्रदीप कुमार पुत्र श्री जीवनलाल, निवासी मोहल्ला बाजार कला, तहसील पुरकाजी, जिला मुजफ्फरनगर।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री आर.डी. क्रांति।
दिनांक: 27.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-164/2007, प्रदीप कुमार बनाम पुरकाजी इण्डेन गैस सर्विस में विद्वान जिला आयोग, मुजफ्फरनगर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 3.9.2011 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है।
2. विद्वान जिला आयोग ने खाली गैस सिलेण्डर, गैस की कीमत अंकन 300/-रू0 या सम्पूर्ण रूप से भरा हुआ गैस सिलेण्डर देने तथा मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 5,000/-रू0 एवं परिवाद व्यय के रूप में अंकन 2500/-रू0 अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी के पिता के नाम गैस का घरेलू कनेक्शन है। दिनांक 20.06.2007 को गैस बुक कराई गई। तीन दिन बाद आपूर्ति करने का आश्वासन दिया गया, जबकि खाली सिलेण्डर रख लिया गया। जब परिवादी गैस सिलेण्डर लेने गया तब विपक्षी गैस एजेंसी के मालिक के चाचा सुनिल कुमार मिले और गैस सिलेण्डर एवं अंकन 300/-रू0 प्राप्त कर लिए और अगले दिन सिलेण्डर भिजवाने का वायदा किया, परन्तु सिलेण्डर नहीं पहुँचाया गया और अंकन 550/-रू0 की मांग की गई।
4. विपक्षी का कथन है कि परिवादी व्यावसायिक कार्य हेतु विवाह समारोह के लिए गैस सिलेण्डर लेना चाहता था, जो नियम विरूद्ध है और सुनिल कुमार नाम का कोई व्यक्ति नहीं है, इसलिए खाली सिलेण्डर या अंकन 300/-रू0 नकद प्राप्त नहीं किए गए।
5. पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग ने यह निष्कर्ष दिया कि परिवादी ने यह तथ्य साबित किया है कि उसके घर में दो गैस सिलेण्डर थे। एक खाली सिलेण्डर विपक्षी के कब्जे में था तथा अंकन 300/-रू0 भी विपक्षी के पास हैं। तदनुसार विद्वान जिला आयोग ने उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।
6. अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।
7. अपील के ज्ञापन तथा मौखिक बहस का सार यह है कि सुनिल कुमार नामक व्यक्ति अपीलार्थी का चाचा या पारिवारिक सदस्य नहीं है। अपीलार्थी की ओर से कभी भी खाली सिलेण्डर एवं अंकन 300/-रू0 प्राप्त नहीं किए गए, परन्तु विद्वान जिला आयोग ने सिलेण्डर प्राप्त करने तथा अंकन 300/-रू0 एजेंसी में देने के संबंध में विस्तृत व्याख्या करते हुए आदेश पारित किया है, जिसमें हस्तक्षेप करने का अपीलीय स्तर पर कोई आधार प्रतीत नहीं होता। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2